"प्रयोग:गोविन्द 5": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
{| class="bharattable-pink" border="1" width="25%" align="right"
{| class="bharattable-pink" border="1" width="25%" align="right"
|+ हिन्दी: महापुरुष कथन
|+ हिन्दी के लिए महापुरुष कथन
|-
|-
| हिन्दी किसी के मिटाने से मिट नहीं सकती।<br /> '''चन्द्रबली पांडेय'''  
| हिन्दी किसी के मिटाने से मिट नहीं सकती।<br /> '''चन्द्रबली पांडेय'''  

13:26, 25 दिसम्बर 2010 का अवतरण

हिन्दी के लिए महापुरुष कथन
हिन्दी किसी के मिटाने से मिट नहीं सकती।
चन्द्रबली पांडेय

है भव्य भारत ही हमारी मातृभूमि हरी भरी।
हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा और लिपि है नागरी ॥
मैथिलीशरण गुप्त

जिस भाषा में तुलसीदास जैसे कवि ने कविता की हो वह अवश्य ही पवित्र है और उसके सामने कोई भाषा नहीं ठहर सकती।
महात्मा गाँधी
हिन्दी भारतवर्ष के हृदय-देश स्थित करोड़ों नर-नारियों के हृदय और मस्तिष्क को खुराक देने वाली भाषा है।
हजारीप्रसाद द्विवेदी
हिन्दी को गंगा नहीं बल्कि समुद्र बनना होगा।
विनोबा भावे
हिन्दी के विरोध का कोई भी आन्दोलन राष्ट्र की प्रगति में बाधक है।
सुभाष चन्द्र बसु
हिन्दी को संस्कृत से विच्छिन्न करके देखने वाले उसकी अधिकांश महिमा से अपरिचित हैं।
हजारीप्रसाद द्विवेदी