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|+ हिन्दी: महापुरुष कथन | |||
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| हिन्दी किसी के मिटाने से मिट नहीं सकती। '''चन्द्रबली पांडेय''' | |||
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<poem>है भव्य [[भारत]] ही हमारी मातृभूमि हरी भरी। | |||
हिन्दी हमारी राष्ट्रभाषा और लिपि है नागरी ॥ '''[[मैथिलीशरण गुप्त]]'''</poem> | |||
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| जिस भाषा में [[तुलसीदास]] जैसे कवि ने कविता की हो वह अवश्य <br /> | |||
ही पवित्र है और उसके सामने कोई भाषा नहीं ठहर सकती। '''[[महात्मा गाँधी]]''' | |||
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| हिन्दी भारतवर्ष के हृदय-देश स्थित करोड़ों नर-नारियों के <br /> | |||
[[हृदय]] और मस्तिष्क को खुराक देने वाली भाषा है। '''हजारीप्रसाद द्विवेदी''' | |||
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| हिन्दी को [[गंगा]] नहीं बल्कि समुद्र बनना होगा। '''[[विनोबा भावे]]''' | |||
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| हिन्दी के विरोध का कोई भी आन्दोलन राष्ट्र की प्रगति में बाधक है। '''सुभाष चन्द्र बसु''' | |||
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| हिन्दी को [[संस्कृत]] से विच्छिन्न करके देखने वाले उसकी अधिकांश महिमा से अपरिचित हैं। '''हजारीप्रसाद द्विवेदी''' | |||
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13:19, 25 दिसम्बर 2010 का अवतरण
हिन्दी किसी के मिटाने से मिट नहीं सकती। चन्द्रबली पांडेय |
है भव्य भारत ही हमारी मातृभूमि हरी भरी। |
जिस भाषा में तुलसीदास जैसे कवि ने कविता की हो वह अवश्य ही पवित्र है और उसके सामने कोई भाषा नहीं ठहर सकती। महात्मा गाँधी |
हिन्दी भारतवर्ष के हृदय-देश स्थित करोड़ों नर-नारियों के हृदय और मस्तिष्क को खुराक देने वाली भाषा है। हजारीप्रसाद द्विवेदी |
हिन्दी को गंगा नहीं बल्कि समुद्र बनना होगा। विनोबा भावे |
हिन्दी के विरोध का कोई भी आन्दोलन राष्ट्र की प्रगति में बाधक है। सुभाष चन्द्र बसु |
हिन्दी को संस्कृत से विच्छिन्न करके देखने वाले उसकी अधिकांश महिमा से अपरिचित हैं। हजारीप्रसाद द्विवेदी |