"हिन्दी सामान्य ज्ञान 2": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
व्यवस्थापन (वार्ता | योगदान) छो (Text replace - "{| class="bharattable-green" |- | valign="top"| {| |" to "{| class="bharattable-green" width="100%" |- | valign="top"| {| width="100%" |") |
शिल्पी गोयल (वार्ता | योगदान) No edit summary |
||
पंक्ति 16: | पंक्ति 16: | ||
{जॉर्ज ग्रियर्सन का इतिहास ग्रन्थ 'मॉडर्न वर्नाक्युलर लिटरेचर ऑफ़ नॉदर्न हिन्दुस्तान' का प्रकाशन हुआ था? | {जॉर्ज ग्रियर्सन का इतिहास ग्रन्थ 'मॉडर्न वर्नाक्युलर लिटरेचर ऑफ़ नॉदर्न हिन्दुस्तान' का प्रकाशन हुआ था? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -[[1887]] | ||
+ | +[[1888]] | ||
- | -[[1889]] | ||
- | -[[1890]] | ||
पंक्ति 32: | पंक्ति 32: | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[हिन्दी]] साहित्य की भूमिका | -[[हिन्दी]] साहित्य की भूमिका | ||
-हिन्दी साहित्य | -हिन्दी साहित्य उद्भव और विकास | ||
-मध्यकालीन धर्मसाधना | -मध्यकालीन धर्मसाधना | ||
+हिन्दी साहित्य का आदिकाल | +हिन्दी साहित्य का आदिकाल | ||
पंक्ति 71: | पंक्ति 71: | ||
-[[जायसी]] | -[[जायसी]] | ||
-[[सूरदास]] | -[[सूरदास]] | ||
||महात्मा कबीरदास के जन्म के समय में [[भारत]] की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक दशा शोचनीय थी। एक तरफ मुसलमान शासकों की धर्मांन्धता से जनता परेशान थी और दूसरी तरफ हिन्दू धर्म के कर्मकांड, विधान और पाखंड से धर्म का ह्रास हो रहा था। जनता में भक्ति- भावनाओं का सर्वथा अभाव था। पंडितों के पाखंडपूर्ण वचन समाज में फैले थे। ऐसे संघर्ष के समय में, कबीरदास का प्रार्दुभाव हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[ | ||महात्मा कबीरदास के जन्म के समय में [[भारत]] की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक दशा शोचनीय थी। एक तरफ मुसलमान शासकों की धर्मांन्धता से जनता परेशान थी और दूसरी तरफ हिन्दू धर्म के कर्मकांड, विधान और पाखंड से धर्म का ह्रास हो रहा था। जनता में भक्ति- भावनाओं का सर्वथा अभाव था। पंडितों के पाखंडपूर्ण वचन समाज में फैले थे। ऐसे संघर्ष के समय में, कबीरदास का प्रार्दुभाव हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कबीरदास]] | ||
{'हंस जवाहिर' रचना किस सूफी कवि द्वारा रची गई थी? | {'हंस जवाहिर' रचना किस सूफी कवि द्वारा रची गई थी? | ||
पंक्ति 125: | पंक्ति 125: | ||
-अज्ञेय | -अज्ञेय | ||
-निर्मल वर्मा | -निर्मल वर्मा | ||
[[भारत]] के उपन्यास सम्राट '''मुंशी प्रेमचंद''' (जन्म- [[31 जुलाई]], [[1880]] - मृत्यु- [[8 अक्टूबर]], [[1936]]) के युग का विस्तार सन 1880 से 1936 तक है। यह कालखण्ड भारत के इतिहास में बहुत महत्त्व का है। इस युग में भारत का स्वतंत्रता-संग्राम नई मंज़िलों से गुज़रा। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[प्रेमचंद]] | ||[[भारत]] के उपन्यास सम्राट '''मुंशी प्रेमचंद''' (जन्म- [[31 जुलाई]], [[1880]] - मृत्यु- [[8 अक्टूबर]], [[1936]]) के युग का विस्तार सन 1880 से 1936 तक है। यह कालखण्ड [[भारत का इतिहास|भारत के इतिहास]] में बहुत महत्त्व का है। इस युग में भारत का स्वतंत्रता-संग्राम नई मंज़िलों से गुज़रा। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[प्रेमचंद]] | ||
पंक्ति 145: | पंक्ति 145: | ||
{'गंगावतरण' काव्य के रचियता हैं? | {'गंगावतरण' काव्य के रचियता हैं? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' | -[[अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध']] | ||
+जगन्नाथदास 'रत्नाकर | +जगन्नाथदास 'रत्नाकर | ||
-श्रीधर पाठक | -श्रीधर पाठक | ||
पंक्ति 151: | पंक्ति 151: | ||
{छायावादी कवियों ने जब आध्यात्मिक प्रेम को अपनी कविताओं में व्यक्त किया तो ऐसी कविताओं को किस वाद के अंतर्गत रखा गया है? | {छायावादी कवियों ने जब आध्यात्मिक प्रेम को अपनी कविताओं में व्यक्त किया तो ऐसी कविताओं को किस वाद के अंतर्गत रखा गया है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-छायावाद | -छायावाद | ||
पंक्ति 158: | पंक्ति 158: | ||
-बिम्बवाद | -बिम्बवाद | ||
{'परिवर्तन' नामक कविता सर्वप्रथम सुमित्रानन्दन पंत के किस कविता संग्रह में संगृहीत हुई है? | {'परिवर्तन' नामक कविता सर्वप्रथम [[सुमित्रानन्दन पंत]] के किस कविता संग्रह में संगृहीत हुई है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-वीणा | -वीणा | ||
पंक्ति 182: | पंक्ति 182: | ||
{'यह प्रेम को पंथ कराल महा तलवार की धार पै धावनी है', नामक पंक्ति किस कवि द्वारा सृजित है? | {'यह प्रेम को पंथ कराल महा तलवार की धार पै धावनी है', नामक पंक्ति किस कवि द्वारा सृजित है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-घनानंद | -[[घनानंद कवि|घनानंद]] | ||
+बोधा | +बोधा | ||
-आलम | -आलम |
06:42, 25 दिसम्बर 2010 का अवतरण
सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान
पन्ने पर जाएँ
|