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*वर्षक्रियाकौमुदी (वर्षक्रियाकौमुदी 142) में आया है कि सभी [[देवता|देवों]] के अर्घ्य में [[चन्दन]], [[पुष्प]], [[यव]], [[कुश]] के अग्र भार, [[तिल]], [[सरसों]], [[दूर्वा]] दिये जाते हैं। <ref>हेमाद्रि व्रतखण्ड 1, 48, कृत्यरत्नाकर 296; व्रतराज 16</ref> | *वर्षक्रियाकौमुदी (वर्षक्रियाकौमुदी 142) में आया है कि सभी [[देवता|देवों]] के अर्घ्य में [[चन्दन]], [[पुष्प]], [[यव]], [[कुश]] के अग्र भार, [[तिल]], [[सरसों]], [[दूर्वा]] दिये जाते हैं।<ref>हेमाद्रि व्रतखण्ड 1, 48, कृत्यरत्नाकर 296; व्रतराज 16</ref> | ||
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07:02, 15 सितम्बर 2010 का अवतरण
- पश्चातकालीन निबन्धों ने अर्ध्य को अधिक विस्तार से दिया है।
- वर्षक्रियाकौमुदी (वर्षक्रियाकौमुदी 142) में आया है कि सभी देवों के अर्घ्य में चन्दन, पुष्प, यव, कुश के अग्र भार, तिल, सरसों, दूर्वा दिये जाते हैं।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ हेमाद्रि व्रतखण्ड 1, 48, कृत्यरत्नाकर 296; व्रतराज 16