"पहेली 12 सितम्बर 2022": अवतरणों में अंतर
भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
('{| class="bharattable-green" width="100%" |- | right|120px <quiz display=simple> {‘मरुव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
No edit summary |
||
पंक्ति 6: | पंक्ति 6: | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+[[चंद्रसिंह बिरकाली]] | +[[चंद्रसिंह बिरकाली]] | ||
||[[चित्र:Chander-Singh-Birkali.jpg|border|right|100px|चंद्रसिंह बिरकाली]]'चंद्रसिंह बिरकाली' आधुनिक [[राजस्थान]] के सर्वाधिक प्रसिद्ध प्रकृति प्रेमी [[कवि]] थे। इनकी सबसे प्रसिद्ध प्रकृति परक रचनाएं 'लू', 'डाफर' व 'बादली' हैं। [[चंद्रसिंह बिरकाली]] ने [[महाकवि कालिदास]] के कई नाटकों का राजस्थानी में अनुवाद किया था। रावत सारस्वत के सहयोग से चंद्रसिंह बिरकाली ने राजस्थानी भाषा प्रचार सभा का गठन किया और राजस्थानी में ‘मरुवाणी’ नामक मासिक का प्रकाशन शुरू किया। ‘मरुवाणी’ का प्रकाशन शुरू करना आधुनिक राजस्थानी के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना रही। लगभग दो दशक तक प्रकाशित होती रहने वाली इस [[पत्रिका]] के माध्यम से [[राजस्थानी भाषा]] का श्रेष्ठतम सृजन महत्वपूर्ण और प्रभावशाली रूप में सामने | ||[[चित्र:Chander-Singh-Birkali.jpg|border|right|100px|चंद्रसिंह बिरकाली]]'चंद्रसिंह बिरकाली' आधुनिक [[राजस्थान]] के सर्वाधिक प्रसिद्ध प्रकृति प्रेमी [[कवि]] थे। इनकी सबसे प्रसिद्ध प्रकृति परक रचनाएं 'लू', 'डाफर' व 'बादली' हैं। [[चंद्रसिंह बिरकाली]] ने [[महाकवि कालिदास]] के कई नाटकों का राजस्थानी में अनुवाद किया था। रावत सारस्वत के सहयोग से चंद्रसिंह बिरकाली ने राजस्थानी भाषा प्रचार सभा का गठन किया और राजस्थानी में ‘मरुवाणी’ नामक मासिक का प्रकाशन शुरू किया। ‘मरुवाणी’ का प्रकाशन शुरू करना आधुनिक राजस्थानी के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना रही। लगभग दो दशक तक प्रकाशित होती रहने वाली इस [[पत्रिका]] के माध्यम से [[राजस्थानी भाषा]] का श्रेष्ठतम सृजन महत्वपूर्ण और प्रभावशाली रूप में सामने आया।→अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[चंद्रसिंह बिरकाली]] | ||
-[[केदारनाथ अग्रवाल]] | -[[केदारनाथ अग्रवाल]] | ||
-[[सोहन लाल द्विवेदी]] | -[[सोहन लाल द्विवेदी]] |
11:24, 14 सितम्बर 2022 के समय का अवतरण
![]()
सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी
राज्यों के सामान्य ज्ञान
|