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| {[[पहाड़ी चित्रकला|पहाड़ी चित्रों]] में किस तरह के [[रंग|रंगों]] का प्रयोग किया गया है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-72,प्रश्न-9
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| |type="()"}
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| +गहरे
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| -हल्के
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| -[[काला रंग |काले]]
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| -[[सफ़ेद रंग|सफ़ेद]]
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| ||[[गुलेर]] क्षेत्र में प्रसूत होकर चारों ओर फैली [[पहाड़ी चित्रकला|पहाड़ी शैली]] में बने चित्रों का विषय [[रामायण]], [[महाभारत]], राजदरबार, व्यक्ति चित्र आदि रहा है। [[पहाड़ी चित्रकला|पहाड़ी शैली]] के चित्रों में गहरे रंगों का प्रयोग किया गया है। इससे सम्बंधित अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य निम्न प्रकार है- (1) पहाड़ी शैली का जन्म 1760 ई. में गुलेर में हुआ था। (2) पहाड़ी शैली पर [[मुग़ल चित्रकला|मुग़ल]] एवं [[राजपूत चित्रकला|राजपूत शैली]] का प्रभाव स्पष्ट दृष्टिगोचर होता है। (3) पहाड़ी शैली में बने चित्रों की मुद्राओं पर प्रेम और अनुराग की स्पष्ट अभिव्यक्ति है। (4) इस शैली के चित्रों की रेखाओं का गतिमान प्रवाह है।
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| {तैल विधा में कार्य करने वाले प्रथम भारतीय [[चित्रकार]] कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-90,प्रश्न-9 | | {तैल विधा में कार्य करने वाले प्रथम भारतीय [[चित्रकार]] कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-90,प्रश्न-9 |