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{'सिंगर्स ऐट द बार' चित्र किस प्रभाववादी कलाकार का है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-119,प्रश्न-26 | |||
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+डेगा | |||
-सिसली | |||
-मोने | |||
-पिसारो | |||
||'सिंगर्स ऐट द बार' प्रभाववादी (Impressionism) फ्रेंच चित्रकार एडगर डेगा की कृति है। डेगा की अन्य महत्त्वपूर्ण कृतियां हैं- 'ऑफटर द बाथ' तथा 'डांसर्स एट द बार'। उल्लेखनीय है कि 'सिंगर्स एट द बार' (जलपानगृह की गायिकाएं) डेगा के आरंभिक काल का चित्र है जो कि उत्कृष्ट रेखांकन शैली का उदाहरण है | |||
{[[अजंता की गुफ़ाएँ|अजंता गुफ़ाओं]] के भित्तिचित्रों की अनुकृतियां सर्वप्रथम किस अंग्रेज [[चित्रकार]] द्वारा बनाई गई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-31,प्रश्न-22 | |||
|type="()"} | |||
+राबर्ट गिल | |||
-फरगुसन | |||
-ग्रिफिथ्स | |||
-जेरिको | |||
||[[अजंता की गुफ़ाएँ|अजंता गुफ़ाओं]] के भित्तिचित्रों की अनुकृतियां सर्वप्रथम राबर्ट गिल नामक चित्रकार द्वारा बनाई गईं। | |||
{[[कांगड़ा चित्रकला|कांगड़ा चित्रकला]] का दूसरा नाम है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-74,प्रश्न-14 | |||
|type="()"} | |||
-[[राजस्थानी चित्रकला]] | |||
-[[मुगल कालीन चित्रकला|मुग़ल चित्रकला]] | |||
+[[पहाड़ी चित्रकला]] | |||
-गढ़वाली चित्रकला | |||
||महाराजा संसारचंद (1775-1823 ई.) में [[पहाड़ी चित्रकला]] शैली को संरक्षण प्रदान किया। कांगड़ा शैली (पहाड़ी शैली) राजा संसारचंद के समय विकसित हुई। कटोच राजवंश के संसारचंद चित्र में प्रेमी, साहित्य प्रेमी तथा सगीत के मर्मझ थे। संसारचंद के समय [[कांगड़ा चित्रकला]] उन्नति के शिखर पर थी। कांगड़ा शैली के प्रमुख चित्रकारी केंद्र गुलेर, नूरपुर, तोंरा, सुजानपुर तथा नादौर थे। | |||
{'स्कूल ऑफ़ एथेंस' किस [[चित्रकार]] की रचना है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-107,प्रश्न-32 | |||
|type="()"} | |||
+राफेल | |||
-बोत्तिचेल्ली | |||
-[[लियोनार्डो दा विंची]] | |||
-माइकेल एंजिलो | |||
||पुनरुत्थानवादी [[चित्रकार]] (इटालियन) राफेक सैंजिओ के प्रमुख चित्र हैं- सैनिक का स्वप्न, स्कूल ऑफ़ एथेंस, क्रूसीफिक्शन, सिस्टीन मेडोना, मेडोना ऑफ़ द गोल्ड फिंचम परनासस, ज्यूरिस प्रूडेंस, द मैरिज ऑफ़ वर्जिन, ट्रांसफिगरेशन इत्यादि। | |||
{एक [[चित्रकार]] जिसने बनारस के घाटों का मनोरम चित्रांकन किया: (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-130,प्रश्न-41 | |||
|type="()"} | |||
+राजकुमार | |||
-के.एस. कुलकर्णी | |||
-[[बद्रीनाथ आर्य]] | |||
-[[एम.एफ. हुसैन]] | |||
||राजकुमार अपने प्रकृति चित्रण के लिए प्रसिद्ध चित्रकार हैं। राजकुमार चित्रकार के साथ-साथ एक कहानीकार भी थे। इनके प्रमुख चित्र अलविदा, अतीत, उड़ान, धार, परिवार, नगर दृश्य, वाराणसी, स्नातक, खण्डहर, नदी, वर्षा, घाट आदि हैं। [[वाराणसी]] शृंखला में इन्होंने वहां के लोग, घाट, नाव, बालू, गंगा, रेत आदि चित्रों को चित्रित किया है। | |||
{'फोर बुक्स ऑफ़ ह्यूमन प्रपोर्शन' ग्रंथ किसने लिखा? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-145,प्रश्न-52 | |||
|type="()"} | |||
+अल्बर्ट ड्यूरस | |||
-सिसरो | |||
-हेगेल | |||
-एमरसन | |||
||जर्मन कलाकार अलबर्ट ड्यूरर ने 'फिर बुक्स ऑफ़ ऑन ह्यूमन प्रपोर्शन' (1528) लिखा। इसमें पुरुष और महिला के अंग निर्माण के पांच अलग-अलग ढंगों का उल्लेख है। | |||
{[[बैंगनी रंग]] विरोधी है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-160,प्रश्न-19 | |||
|type="()"} | |||
+[[पीला रंग|पीले]] का | |||
-[[नीला रंग|नीले]] का | |||
-[[लाल रंग|लाल]] का | |||
-[[हरा रंग|हरे]] का | |||
||नीले का विरोधी अथवा पूरक रंग नारंगी होता है। प्राथमिक व द्वितीयक रंगों के मिश्रण से जो [[रंग]] बनते हैं उन्हें विरोधी रंग कहते हैं। इस प्रकार [[नारंगी रंग|नारंगी]] का विरोधी [[आसमानी रंग|आसमानी]] (नीला) व [[बैंगनी रंग|बैंगनी]] का विरोधी रंग पीला है। लाल का विरोधी रंग हरा होता है। | |||
{'[[आलेखन कला]]' का बहुलता से प्रयोग किया गया है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-165,प्रश्न-59 | |||
|type="()"} | |||
-पाल शैली में | |||
-चोल शैली में | |||
-अपभ्रंश शैली में | |||
+मुप्त शैली में | |||
||कला की दृष्टि से गुप्तकाल 'भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग' कहा जाता है। गुप्त शैली में आलेखन कला का बहुलता से प्रयोग किया गया है। इस शैली के अंतर्गत आने वाली [[अजन्ता की गुफ़ाएँ|अजन्ता]] व [[बाघ की गुफ़ाएँ|बाघ]] की चित्रकारी में इसका अत्यधिक प्रयोग किया गया है। | |||
{बाटिक पेंटिंग की जाते है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-173,प्रश्न-56 | |||
|type="()"} | |||
+कपड़े पर | |||
-दीवार पर | |||
-कागज पर | |||
-चेहरे पर | |||
||मोम का प्रयोग कर बाटिक विधि से चित्रण कार्य किया जाता है। बाटिक चित्रण एक प्राचीन कला है। इस चित्रण में पहले कपड़े पर पिघले मोम से आकृति बनाई जाती है। शेष हिस्सों को लाख के रंगों से रंजित करने के बाद मोम द्वारा हटाया जाता है। इसे 'बंधक' कहा जाता है। | |||
{[[जामिनी राय]] की पेंटिंग किस माध्यम में बनी है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-87,प्रश्न-75 | |||
|type="()"} | |||
-वॉश | |||
-ऑयल | |||
+टेम्परा | |||
-ऑयल पेस्टल | |||
||[[जामिनी राय]] ने प्रारंभ में तैल चित्र बनाए किंतु बाद में उन्होंने टेम्परा और गाचे शैली में चित्र बनाई। | |||
{चित्र 'तीन ताहितीवासी' का [[चित्रकार]] कौन है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-122,प्रश्न-48 | |||
|type="()"} | |||
-पॉल सेजां | |||
-जॉर्ज सोरा | |||
-विन्सेंट वान गॉग | |||
+पॉल गॉगिन | |||
||पॉल गॉगिन 1891 ई. में ताहिती पहुंचकर दूर जंगल में रहने लगे। वहीं पर आदिवासियों के रीति-रिवाजों के अनुसार अपना विवाह किया और वहां चित्रण-कार्य किया। गोगॉ ने लिखा है- "यहां में आनंदित हूं, शांति व कला पर जीवित रह रहा हूं, एवं आस-पास ऐसी शक्तियों के अस्तित्व को अनुभव कर रहा हूं जो मुझसे बहुत प्यार करती हैं"। | |||
{[[भारत कला भवन वाराणसी]] की स्थापना में किसका महत्त्वपूर्ण योगदान है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-199,प्रश्न-102 | |||
|type="()"} | |||
-[[मदन मोहन मालवीय|पं. मदन मोहन मालवीय]] | |||
+[[रायकृष्ण दास]] | |||
-आनंद कृष्ण दास | |||
-[[पं. जवाहरलाल नेहरू]] | |||
||उ.प्र. माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन वोर्ड ने अपने प्रारंभिक उत्तर-कुंजी में इस प्रशन का उत्तर (a) दिया था। किंतु परिवर्तित उत्तर-कुंजी में इस प्रश्न का उत्तर गलत माना है जबकि भारत कला भवन की वेबसाइट पर दिए गए विकल्पों में केवल रामकृष्ण दास का ही नाम शामिल है। | |||
{एनीमेशन को सजीव बनाने के लिए कितने चित्र प्रति सेकंड रिकॉर्ड किए जाते हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-175,प्रश्न-67 | |||
|type="()"} | |||
-26 | |||
-24 | |||
+28 | |||
-22 | |||
||एनीमेशन को सजीव बनाने के लिए 24 चित्र प्रति सेकंट रिकॉर्ड किए जाते हैं। | |||
{वान गॉग का पूरा नाम क्या था?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-123,प्रश्न-59 | |||
|type="()"} | |||
+विंसेंट वान गॉग | |||
-पाल वान गॉग | |||
-जार्ज वान गॉग | |||
-अल्बर्ट वान गॉग | |||
||वान गॉग का पूरा नाम विंसेंट विलेम वान गॉग था किंतु इन्हें विंसेंट वान गॉग या वान गॉग के नाम से ही पुकारते थे, इनका उपनाम 'कोयला खदानों के ईसा मसीह' भी थे। डॉ. गैचेट, लाल आंगूरी उद्यान, सूरतमुखी, आलूभक्षी पक्षी, सनसेट एट मांटमेज्योर, आइरिसिस तथा स्टारी नाइट इनकी प्रसिद्ध चित्रकारी है। यह उत्तर प्रभाववादी आंदोलन से जुड़ा था। इसका जन्म 30 मार्च, 1853 को जुनर्डट (नीदरलैंड) में एवं मृत्यु [[29 जुलाई]], [[1890]] को फ्रांस के अवर्स- सर-ओइस में हुआ। | |||
{'सलों द रिफ्यूजेस' क्या था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-176,प्रश्न-80 | |||
|type="()"} | |||
+कला प्रदर्शनी | |||
-चित्र | |||
-म्यूजियम | |||
-राजनीतिक संस्था | |||
'सलों द रिफ्यूजेस' अस्वीकृत चित्रों की एक प्रदर्शनी थी जिसका आयोजन 'पेले डेल इंडस्ट्री' (फ्रांस) में वर्ष 1863 में किया गया था। | |||
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11:14, 31 दिसम्बर 2017 का अवतरण
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