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| {'बिंदु चित्रण-पद्धति' आरंभ करने वाले कलाकार का नाम बताएं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-121,प्रश्न-46
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| -डेंगा
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| -रेंवार
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| -वान गॉग
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| +सोरा
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| ||नवप्रभाववाद के प्रणेता सोरा का जन्म [[1859]] ई. में [[पेरिस]] में हुआ। उन्होंने कला का अध्ययन वहां के 'एकोल द बोजार' में प्राप्त किया। सन् [[1884]] में उन्होंने अपने विख्यात चित्र 'ग्रांद जात्त द्वीप में रविवासरीय अपराह्व' को आरंभ किया तथा [[1886]] ई. में उसे पूर्ण करके 'सलों द अंदेपांदा' में प्रदर्शित किया। सोरा की रंगांकन पद्धति को 'बिंदुवादी पद्धति' भी कहा जाता है।
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| {[[चित्रकला]] में किसका महत्त्व अधिक है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-163,प्रश्न-41
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| -प्रकृति
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| -रेखा
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| +[[रंग]]
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| -परिप्रेक्ष्य
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| ||[[चित्रकला]] में रंग का सर्वाधिक महत्त्व है, [[रंग]] से ही रूप चित्रित किया जाता है। चित्र में भाव की अभिव्यक्ति के साथ सादृश्य उपस्थित करने के लिए भी [[रंग]] का पूर्ण ज्ञान और उचित प्रयोग अति आवश्यक है।
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| {राज्य [[ललित कला अकादमी]], [[उत्तर प्रदेश]] की 21वीं कला प्रदर्शनी में '[[ललित कला अकादमी पुरस्कार|अकादमी पुरस्कार]]' प्राप्त हुआ है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-198,प्रश्न-99
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| -राम शब्द सिंह
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| +रोशन
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| -एस. प्रणम सिंह
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| -अभय द्विवेदी
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| ||राज्य [[ललित कला अकादमी]], उत्तर प्रदेश की 21वीं कला प्रदर्शनी में चित्रकारी के लिए रोशन ([[गोरखपुर]]) को 'अकादमी' पुरस्कार' मिला था। अभी हाल ही में आयोजित वर्ष 2011-12 में 30वीं कला प्रदर्शनी में यह पुरस्कार इन व्यक्तियों को प्राप्त हुआ है- मैनाज बानो (लखनऊ), सुनील कुमार ([[आगरा]]), वेदप्रकाश पौआल (आगरा), ईश्वरचंद्र ([[लखनऊ]]) भूपेंद्र कुमार अस्थाना (आजमगढ़), संजीव किशोर गौतम (वाराणसी), पंकज वर्मा (बाराबंकी), राजीव प्रताप सिंह (लखनऊ), सत्येंद्र कुमार (वाराणसी) तथा गणेश शंकर मिश्रा (लखनऊ)।
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| {'स्वर्णिम विभाजन सिद्धांत' का प्रतिपादन किन कलाकारों ने किया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-175,प्रश्न-65
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| -भारतीय
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| -यूरोपियन
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| -अमेरिकन
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| +यूनानी
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| ||'स्वर्णिम विभाजन सिद्धांत' का प्रतिपादन यूनानी कलाकारों ने किया। 'स्वर्णिम विभाजन का सिद्धांत' सुंदरता की व्याख्या करने का एक अलग सूत्र था। जिसे अलग-अलग नामों के द्वारा जाना जाता है। जैसे डिवाइन प्रपोर्शन, गोल्डेन नंबर, गोल्डेन मीन, गोल्डेन सेक्शन आदि।
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| {मोनोक्रोम है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-163,प्रश्न-47
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| -रंगों की विभिन्न तान
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| +एक ही [[रंग]] की विभिन्न तान
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| -दो रंगों का मिश्रण
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| -रंगों का गाढ़ापन
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| ||मोनोक्रोम एक रंग की पेंटिंग, ड्राइंग, डिजाइन या एक [[रंग]] में तस्वीरों अथवा रंगों का वर्णन है। यानि मोनोक्रोम में एक ही रंग की विभिन्न तानों का प्रस्तुतीकरण होता है।
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| {[[लियोनार्डो दा विंची|लियोनार्दो]] के गुरु कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-109,प्रश्न-44 | | {[[लियोनार्डो दा विंची|लियोनार्दो]] के गुरु कौन थे? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-109,प्रश्न-44 |
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