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{निम्नलिखित में किस कृत्य के कारण [[भगत सिंह]], [[राजगुरु]] और [[सुखदेव]] को [[23 मार्च]] [[1931]] को फ़ाँसी दी गई थी? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-102,प्रश्न-15
|type="()"}
+वर्ष [[1928]] में [[लाहौर]] में सांडर्स की हत्या के कारण
-[[काकोरी काण्ड|काकोरी षडयंत्र]] के कारण
-वर्ष [[1929]] में केन्द्रीय विधानसभा में बम फेंकने के कारण
-लाहौर षडयंत्र के कारण


{निम्नांकित आंदोलनों में से किसमें [[महात्मा गांधी]] ने भूख हड़ताल को एक हथियार के रूप में पहली बार प्रयोग किया? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-102,प्रश्न-25
|type="()"}
-[[1920]]-[[1922]] का [[असहयोग आंदोलन]]
-[[1919]] का [[रॉलेट एक्ट|रॉलेट सत्याग्रह]]
+[[1918]] का अहमदाबाद मिल मजदूर हड़ताल
-[[बारदोली सत्याग्रह]]
{भारतीय मुसलमानों के पृथक [[राज्य]] के लिए '[[पाकिस्तान]]' शब्द का प्रयोग सबसे पहले किसने किया? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-105,प्रश्न-104
|type="()"}
-[[मोहम्मद इक़बाल]]
-[[आगा ख़ाँ]]
-[[एम. ए. जिन्ना]]
+चौधरी रहमत अली
{निम्नलिखित भारतीय नेताओं में से कौन एक ब्रिटिश द्वारा [[भारतीय प्रशासनिक सेवा|इंडियन सिविल सर्विस]] से बर्खास्त किया गया था? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-96,प्रश्न-42
|type="()"}
-[[सत्येन्द्रनाथ टैगोर]]
+[[सुरेन्द्रनाथ बनर्जी]]
-[[आर. सी. दत्त]]
-इनमें से कोई नहीं
||[[सुरेन्द्रनाथ बनर्जी]] ने स्नातक होने के बाद इण्डियन सिविल सर्विस ([[भारतीय प्रशासनिक सेवा]]) में प्रवेश के लिए [[इंग्लैण्ड]] में आवेदन किया। उस समय इस सेवा में सिर्फ़ एक [[हिन्दू]] था। बनर्जी को इस आधार पर शामिल नहीं किया गया कि उन्होंने अपनी आयु ग़लत बताई थी। जातीय आधार पर भेद-भाव किये जाने का आरोप लगाते हुए बनर्जी ने अपनी अपील में यह तर्क प्रस्तुत किया कि हिन्दू रीति के अनुसार उन्होंने अपनी आयु गर्भधारण के समय से जोड़ी थी, न कि जन्म के समय से और वह जीत गए। बनर्जी को सिलहट (अब [[बांग्लादेश]]) में नियुक्त किया गया, लेकिन क्रियान्वयन सम्बन्धी अनियमितताओं के आरोप में उन्हें [[1874]] में भारी विवाद तथा विरोध के बीच हटा दिया गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सुरेन्द्रनाथ बनर्जी]]
{निम्नलिखित में से कौन-सा साधन उग्रवादियों से संबंधित नहीं है? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-98,प्रश्न-3
|type="()"}
+[[स्वदेशी आंदोलन]]
-पाश्चात्य शिक्षा का विरोध एवं राष्ट्रीय शिक्षा का प्रचार-प्रसार करना
-सरकारी संपत्ति को क्षतिग्रस्त करना तथा शासन तंत्र को अस्त-व्यस्त कर देना
-विदेशी वस्तुओं, सरकारी नौकरियों, प्रतिष्ठानों, उपाधियों तथा संस्थाओं का बहिष्कार एवं सरकार के साथ असहयोग
||[[स्वदेशी आन्दोलन]] [[भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन]] का एक महत्त्वपूर्ण अन्दोलन है जो भारतीयों की सफल रणनीति के लिए जाना जाता है। स्वदेशी का अर्थ है- अपने देश का। इस रणनीति के अन्तर्गत [[ब्रिटेन]] में बने माल का बहिष्कार करना तथा [[भारत]] में बने माल का अधिकाधिक प्रयोग करके ब्रिटेन को आर्थिक हानि पहुँचाना व भारत के लोगों के लिये रोज़गार सृजन करना था। स्वदेशी आन्दोलन, [[महात्मा गांधी]] के स्वतन्त्रता आन्दोलन का केन्द्र बिन्दु था। उन्होंने इसे स्वराज की [[आत्मा]] भी कहा था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[स्वदेशी आंदोलन]]
{'दीनबंधु' के नाम से कौन विख्यात था? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-103,प्रश्न-44
|type="()"}
-जी. एस. खरपड़े
-[[आचार्य नरेन्द्र देव]]
-[[चितरंजन दास]]
+सी. एफ. एण्ड्रूज
{वर्ष [[1919]] में [[पंजाब]] में हुए क्रूर अत्याचारों के विरोधस्वरूप [[ब्रिटिश सरकार]] से प्राप्त 'सर' की उपाधि किसने लौटा दी? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-103,प्रश्न-55
|type="()"}
-तेज बहादुर सप्रू
-[[आशुतोष मुखर्जी]]
+[[रबीन्द्रनाथ ठाकुर]]
-[[सैय्यद अहमद ख़ान]]
||[[रबीन्द्रनाथ ठाकुर]] एक [[बांग्ला भाषा|बांग्ला]] कवि, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार और चित्रकार थे। भारतीय [[संस्कृति]] के सर्वश्रेष्ठ रूप से पश्चिमी देशों का परिचय और पश्चिमी देशों की संस्कृति से भारत का परिचय कराने में टैगोर की बड़ी भूमिका रही तथा आमतौर पर उन्हें आधुनिक भारत का असाधारण सृजनशील कलाकार माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रबीन्द्रनाथ ठाकुर]]
{[[मुग़ल|मुग़लों]] की राजभाषा क्या थी? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-54,प्रश्न-13
|type="()"}
-[[उर्दू]]
-[[हिन्दी]]
-[[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]
+[[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]]
||अखिल भारतीय स्तर पर सरकारी काम-काज तथा अन्य बातों के लिए [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] तथा [[संस्कृत]] भाषाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका तथा [[भक्ति आन्दोलन]] के प्रभाव से प्रान्तीय भाषाओं का विकास हो चुका था। प्रान्तीय भाषाओं के विकास का एक और कारण स्थानीय तथा प्रान्तीय राजाओं द्वारा दिया गया संरक्षण तथा प्रोत्साहन था। सोलहवीं तथा सत्रहवीं शताब्दी में ये धाराएँ जारी रहीं। [[अकबर]] के काल तक उत्तरी [[भारत]] में फ़ारसी के अलावा स्थानीय [[भाषा]] (हिंदवी) में काग़ज़ात को रखना बन्द ही कर दिया गया। इसके बावजूद सत्रहवीं शताब्दी में दक्कन के राज्यों के पतन तक उनमें स्थानीय भाषाओं में दस्तावेज़ों को रखने की परम्परा जारी रही।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मुग़लकालीन भाषा साहित्य]], [[मुग़ल काल]]
{[[औरंगज़ेब]] के विरुद्ध हुए [[उत्तर भारत]] के विद्रोहों का सही क्रम क्या है? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-60,प्रश्न-181
|type="()"}
+जाट-बुंदेला-सतनामी-[[सिक्ख]]
-बुंदेला-जाट-सतनामी-सिक्ख
-सतनामी-जाट-बुंदेला-सिक्ख
-सिक्ख-जाट-बुंदेला-सतनामी
||औरंगज़ेब की नीतियों के विरुद्ध हुए विद्रोहों के पीछे महत्त्वपूर्ण कारण उसका राजत्व सिद्धान्त तथा उसकी धार्मिक असहिष्णुता थी। किसानों के विद्रोह के पीछे भूमि से जुड़े हुए विवाद, [[सिक्ख|सिक्खों]] के विद्रोह के पीछे धार्मिक कारण, [[राजपूत|राजपूतों]] के विद्रोह के पीछे उत्तराधिकार की समस्या एवं अफ़ग़ानों के विद्रोह के पीछे एक अलग अफ़ग़ान राज्य के गठन की भावना कार्य कर रही थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[औरंगज़ेब]]
{[[भारत]] का आधुनिक ढंग का प्रथम मजदूर संघ कौन-सा था? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-90,प्रश्न-89
|type="()"}
+मद्रास लेबर यूनियन
-बंबई मिलहैण्ड्स एसोसिएशन
-सोशल सर्विस लीग
-अहमदाबाद कपड़ा मिल श्रमिक संघ
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11:27, 2 दिसम्बर 2017 का अवतरण