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{भारतीय मुसलमानों के पृथक [[राज्य]] के लिए '[[पाकिस्तान]]' शब्द का प्रयोग सबसे पहले किसने किया? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-105,प्रश्न-104 | {भारतीय मुसलमानों के पृथक [[राज्य]] के लिए '[[पाकिस्तान]]' शब्द का प्रयोग सबसे पहले किसने किया? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-105,प्रश्न-104 | ||
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- | -[[मोहम्मद इक़बाल]] | ||
-[[आगा ख़ाँ]] | -[[आगा ख़ाँ]] | ||
-[[एम. ए. जिन्ना]] | -[[एम. ए. जिन्ना]] | ||
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-सरकारी संपत्ति को क्षतिग्रस्त करना तथा शासन तंत्र को अस्त-व्यस्त कर देना | -सरकारी संपत्ति को क्षतिग्रस्त करना तथा शासन तंत्र को अस्त-व्यस्त कर देना | ||
-विदेशी वस्तुओं, सरकारी नौकरियों, प्रतिष्ठानों, उपाधियों तथा संस्थाओं का बहिष्कार एवं सरकार के साथ असहयोग | -विदेशी वस्तुओं, सरकारी नौकरियों, प्रतिष्ठानों, उपाधियों तथा संस्थाओं का बहिष्कार एवं सरकार के साथ असहयोग | ||
||[[स्वदेशी आन्दोलन | ||[[स्वदेशी आन्दोलन]] [[भारतीय स्वतंत्रता आन्दोलन]] का एक महत्त्वपूर्ण अन्दोलन है जो भारतीयों की सफल रणनीति के लिए जाना जाता है। स्वदेशी का अर्थ है- अपने देश का। इस रणनीति के अन्तर्गत [[ब्रिटेन]] में बने माल का बहिष्कार करना तथा [[भारत]] में बने माल का अधिकाधिक प्रयोग करके ब्रिटेन को आर्थिक हानि पहुँचाना व भारत के लोगों के लिये रोज़गार सृजन करना था। स्वदेशी आन्दोलन, [[महात्मा गांधी]] के स्वतन्त्रता आन्दोलन का केन्द्र बिन्दु था। उन्होंने इसे स्वराज की [[आत्मा]] भी कहा था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[स्वदेशी आंदोलन]] | ||
{'दीनबंधु' के नाम से कौन विख्यात था? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-103,प्रश्न-44 | {'दीनबंधु' के नाम से कौन विख्यात था? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-103,प्रश्न-44 | ||
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-जी. एस. खरपड़े | -जी. एस. खरपड़े | ||
-[[आचार्य नरेन्द्र देव]] | -[[आचार्य नरेन्द्र देव]] | ||
- | -[[चितरंजन दास]] | ||
+सी. एफ. एण्ड्रूज | +सी. एफ. एण्ड्रूज | ||
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-तेज बहादुर सप्रू | -तेज बहादुर सप्रू | ||
-[[आशुतोष मुखर्जी]] | -[[आशुतोष मुखर्जी]] | ||
+[[ | +[[रबीन्द्रनाथ ठाकुर]] | ||
-[[सैय्यद अहमद ख़ान]] | -[[सैय्यद अहमद ख़ान]] | ||
||[[रबीन्द्रनाथ ठाकुर]] एक [[बांग्ला भाषा|बांग्ला]] कवि, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार और चित्रकार थे। भारतीय [[संस्कृति]] के सर्वश्रेष्ठ रूप से पश्चिमी देशों का परिचय और पश्चिमी देशों की संस्कृति से भारत का परिचय कराने में टैगोर की बड़ी भूमिका रही तथा आमतौर पर उन्हें आधुनिक भारत का असाधारण सृजनशील कलाकार माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रबीन्द्रनाथ ठाकुर]] | ||[[रबीन्द्रनाथ ठाकुर]] एक [[बांग्ला भाषा|बांग्ला]] कवि, कहानीकार, गीतकार, संगीतकार, नाटककार, निबंधकार और चित्रकार थे। भारतीय [[संस्कृति]] के सर्वश्रेष्ठ रूप से पश्चिमी देशों का परिचय और पश्चिमी देशों की संस्कृति से भारत का परिचय कराने में टैगोर की बड़ी भूमिका रही तथा आमतौर पर उन्हें आधुनिक भारत का असाधारण सृजनशील कलाकार माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रबीन्द्रनाथ ठाकुर]] | ||
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-[[हिन्दी]] | -[[हिन्दी]] | ||
-[[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]] | -[[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]] | ||
+[[ | +[[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] | ||
||अखिल भारतीय स्तर पर सरकारी काम-काज तथा अन्य बातों के लिए [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] तथा [[संस्कृत]] भाषाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका तथा [[भक्ति आन्दोलन]] के प्रभाव से प्रान्तीय भाषाओं का विकास हो चुका था। प्रान्तीय भाषाओं के विकास का एक और कारण स्थानीय तथा प्रान्तीय राजाओं द्वारा दिया गया संरक्षण तथा प्रोत्साहन था। सोलहवीं तथा सत्रहवीं शताब्दी में ये धाराएँ जारी रहीं। [[अकबर]] के काल तक उत्तरी [[भारत]] में फ़ारसी के अलावा स्थानीय [[भाषा]] (हिंदवी) में काग़ज़ात को रखना बन्द ही कर दिया गया। इसके बावजूद सत्रहवीं शताब्दी में दक्कन के राज्यों के पतन तक उनमें स्थानीय भाषाओं में दस्तावेज़ों को रखने की परम्परा जारी रही।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मुग़लकालीन भाषा साहित्य]], [[ | ||अखिल भारतीय स्तर पर सरकारी काम-काज तथा अन्य बातों के लिए [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] तथा [[संस्कृत]] भाषाओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका तथा [[भक्ति आन्दोलन]] के प्रभाव से प्रान्तीय भाषाओं का विकास हो चुका था। प्रान्तीय भाषाओं के विकास का एक और कारण स्थानीय तथा प्रान्तीय राजाओं द्वारा दिया गया संरक्षण तथा प्रोत्साहन था। सोलहवीं तथा सत्रहवीं शताब्दी में ये धाराएँ जारी रहीं। [[अकबर]] के काल तक उत्तरी [[भारत]] में फ़ारसी के अलावा स्थानीय [[भाषा]] (हिंदवी) में काग़ज़ात को रखना बन्द ही कर दिया गया। इसके बावजूद सत्रहवीं शताब्दी में दक्कन के राज्यों के पतन तक उनमें स्थानीय भाषाओं में दस्तावेज़ों को रखने की परम्परा जारी रही।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मुग़लकालीन भाषा साहित्य]], [[मुग़ल काल]] | ||
{[[औरंगज़ेब]] के विरुद्ध हुए [[उत्तर भारत]] के विद्रोहों का सही क्रम क्या है? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-60,प्रश्न-181 | {[[औरंगज़ेब]] के विरुद्ध हुए [[उत्तर भारत]] के विद्रोहों का सही क्रम क्या है? (लुसेंट सामान्य ज्ञान,पृ.सं.-60,प्रश्न-181 | ||
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+जाट-बुंदेला-सतनामी-[[सिक्ख | +जाट-बुंदेला-सतनामी-[[सिक्ख]] | ||
-बुंदेला-जाट-सतनामी- | -बुंदेला-जाट-सतनामी-सिक्ख | ||
-सतनामी-जाट-बुंदेला- | -सतनामी-जाट-बुंदेला-सिक्ख | ||
- | -सिक्ख-जाट-बुंदेला-सतनामी | ||
||औरंगज़ेब की नीतियों के विरुद्ध हुए विद्रोहों के पीछे महत्त्वपूर्ण कारण उसका राजत्व सिद्धान्त तथा उसकी धार्मिक असहिष्णुता थी। किसानों के विद्रोह के पीछे भूमि से जुड़े हुए विवाद, [[सिक्ख|सिक्खों]] के विद्रोह के पीछे धार्मिक कारण, [[राजपूत|राजपूतों]] के विद्रोह के पीछे उत्तराधिकार की समस्या एवं अफ़ग़ानों के विद्रोह के पीछे एक अलग अफ़ग़ान राज्य के गठन की भावना कार्य कर रही थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[औरंगज़ेब]] | ||औरंगज़ेब की नीतियों के विरुद्ध हुए विद्रोहों के पीछे महत्त्वपूर्ण कारण उसका राजत्व सिद्धान्त तथा उसकी धार्मिक असहिष्णुता थी। किसानों के विद्रोह के पीछे भूमि से जुड़े हुए विवाद, [[सिक्ख|सिक्खों]] के विद्रोह के पीछे धार्मिक कारण, [[राजपूत|राजपूतों]] के विद्रोह के पीछे उत्तराधिकार की समस्या एवं अफ़ग़ानों के विद्रोह के पीछे एक अलग अफ़ग़ान राज्य के गठन की भावना कार्य कर रही थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[औरंगज़ेब]] | ||
11:11, 2 दिसम्बर 2017 का अवतरण
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