"प्रयोग:कविता सा.-2": अवतरणों में अंतर
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{'दि स्टूडियो' का | {'दि स्टूडियो' का चित्रकार कौन था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-129,प्रश्न-36 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-कुर्बे | -कुर्बे | ||
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||'द स्टूडियो' का चित्र पिकासो द्वारा वर्ष [[1955]] में चित्रित एक तैल चित्र है। | ||'द स्टूडियो' का चित्र पिकासो द्वारा वर्ष [[1955]] में चित्रित एक तैल चित्र है। | ||
{[[सैयद हैदर | {[[सैयद हैदर रज़ा]] कौन हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-144,प्रश्न-46 | ||
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-व्यक्ति चित्रकार | -व्यक्ति चित्रकार | ||
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-घनवादी चित्रकार | -घनवादी चित्रकार | ||
-अमूर्त चित्रकार | -अमूर्त चित्रकार | ||
||[[सैयद हैदर रजा]] मुख्यत: दृश्य चित्रकार हैं। आकृति चित्रण में इनकी रुचि नहीं है। इन्होंने सस्ते रंगों के द्वारा मानसिक जटिलताओं तथा प्राकृतिक रहस्यों से साक्षात्कार कराया। रंग प्रयोग की | ||[[सैयद हैदर रजा]] मुख्यत: दृश्य चित्रकार हैं। आकृति चित्रण में इनकी रुचि नहीं है। इन्होंने सस्ते रंगों के द्वारा मानसिक जटिलताओं तथा प्राकृतिक रहस्यों से साक्षात्कार कराया। रंग प्रयोग की दक्षिता उनकी विशेषता रही है। | ||
{प्रजनन एवं विकास का प्रतीकात्मक रंग कौन-सा है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-159,प्रश्न-13 | {प्रजनन एवं विकास का प्रतीकात्मक रंग कौन-सा है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-159,प्रश्न-13 | ||
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-[[नारंगी रंग|नारंगी]] | -[[नारंगी रंग|नारंगी]] | ||
||प्रकाशयुक्तता एवं अक्ष-पटल की उत्तेजना के विचार से कुछ वर्ण गरम और शीतल माने जाते हैं। [[लाल रंग|लाल]] और नारंगी वर्ण उष्ण (गर्म) हैं, [[नीला रंग|नीला]] एवं [[हरा रंग|हरा]] वर्ण शीतल (ठंडा)। [[पीला रंग|पीला]] एवं बैंगनी न उष्ण हैं, न शीतल। | ||प्रकाशयुक्तता एवं अक्ष-पटल की उत्तेजना के विचार से कुछ वर्ण गरम और शीतल माने जाते हैं। [[लाल रंग|लाल]] और नारंगी वर्ण उष्ण (गर्म) हैं, [[नीला रंग|नीला]] एवं [[हरा रंग|हरा]] वर्ण शीतल (ठंडा)। [[पीला रंग|पीला]] एवं बैंगनी न उष्ण हैं, न शीतल। | ||
{तैल चित्रण का मध्यम कौन-सा तेल है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-173,प्रश्न-53 | {तैल चित्रण का मध्यम कौन-सा तेल है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-173,प्रश्न-53 | ||
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-अखरोट का तेल | -अखरोट का तेल | ||
-सोया का तेल | -सोया का तेल | ||
||तैल चित्रण का मध्यम, अलसी का तेल है। फिल्टर किया हुआ पारदर्शी निर्वर्ण अलसी का कच्चा तेल इसके लिए सर्वश्रेष्ठ है। तेल चित्रण का प्रचलन यूरोप से हुआ और वर्तमान में यह विश्वव्यापी हो गया है। इस पद्धति का चित्रांकन स्थायी होता है। | ||तैल चित्रण का मध्यम, अलसी का तेल है। फिल्टर किया हुआ पारदर्शी निर्वर्ण अलसी का कच्चा तेल इसके लिए सर्वश्रेष्ठ है। तेल चित्रण का प्रचलन [[यूरोप]] से हुआ और वर्तमान में यह विश्वव्यापी हो गया है। इस पद्धति का चित्रांकन स्थायी होता है। | ||
{निम्न में से किस कलाकार ने [[बंगाल]] लोकचित्रों को अपनी अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-86,प्रश्न-70 | {निम्न में से किस कलाकार ने [[बंगाल]] लोकचित्रों को अपनी अभिव्यक्ति का माध्यम बनाया? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-86,प्रश्न-70 | ||
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-जार्ज ब्राक | -जार्ज ब्राक | ||
-पिकासो | -पिकासो | ||
||जॉर्ज सोरा की कला में प्रभाववाद से भिन्न नवीन दृष्टिकोण था, जिसको देखकर फेलिफनिओ ने उनकी कला शैली को 'नवप्रभाववाद' नाम दिया। प्रभाववाद से असंतुष्ट होकर रेंवाए (रेन्वा) ने मनुष्याकृतियों को ठोस रूप में चित्रित करके अपना चित्र 'स्नानमग्न युवतियां' बनाया तथा सोरा ने भी उसी विषय को लेकर नवप्रभाववाद का प्रथम चित्र 'स्नान स्थल' पूर्ण किया। सेजां ने ही 'स्नानमग्न युवतियां' के चित्र को चित्रित किया था। | ||जॉर्ज सोरा की कला में [[प्रभाववाद]] से भिन्न नवीन दृष्टिकोण था, जिसको देखकर फेलिफनिओ ने उनकी कला शैली को 'नवप्रभाववाद' नाम दिया। प्रभाववाद से असंतुष्ट होकर रेंवाए (रेन्वा) ने मनुष्याकृतियों को ठोस रूप में चित्रित करके अपना चित्र 'स्नानमग्न युवतियां' बनाया तथा सोरा ने भी उसी विषय को लेकर नवप्रभाववाद का प्रथम चित्र 'स्नान स्थल' पूर्ण किया। सेजां ने ही 'स्नानमग्न युवतियां' के चित्र को चित्रित किया था। | ||
{'कामसूत्र' के रचयिता हैं | {'कामसूत्र' के रचयिता कौन हैं? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-157,प्रश्न-23 | ||
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+[[वात्स्यायन]] | +[[वात्स्यायन]] | ||
-चरक | -[[चरक]] | ||
-रामदेव | -[[रामदेव]] | ||
-पाणिनी | -[[पाणिनी]] | ||
||'कामसूत्र' [[वात्स्यायन]] द्वारा लिखा गया [[भारत]] का एक 'कामशास्त्र ग्रंथ' है। कामसूत्र को उसके विभिन्न आसनों के लिए जाना जाता है। वात्स्यायन का कामसूत्र विश्व की प्रथम यौन संहिता है जिसमें यौन प्रेम के मनोशारीरिक सिद्धांतों तथा प्रयोग की विस्तृत व्याख्या एवं विवेचना की गई है। | ||'कामसूत्र' [[वात्स्यायन]] द्वारा लिखा गया [[भारत]] का एक 'कामशास्त्र ग्रंथ' है। कामसूत्र को उसके विभिन्न आसनों के लिए जाना जाता है। वात्स्यायन का कामसूत्र विश्व की प्रथम यौन संहिता है जिसमें यौन प्रेम के मनोशारीरिक सिद्धांतों तथा प्रयोग की विस्तृत व्याख्या एवं विवेचना की गई है। | ||
{किसी भी वस्तु अथवा आकृति की माप स्वतंत्र रूप में क्या कहलाती है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-174,प्रश्न-63 | |||
{किसी भी वस्तु अथवा आकृति की माप स्वतंत्र रूप में कहलाती | |||
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+प्रमाण | +प्रमाण | ||
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-आकार | -आकार | ||
-तीनों में कोई नहीं | -तीनों में कोई नहीं | ||
||किसी भी वस्तु अथवा आकृति की माप | ||किसी भी वस्तु अथवा आकृति की माप स्वतंत्र रूप में प्रमाण कहलाती है। देव, दैत्य, मानव, कुमार के शरीर रचना के निश्चित प्रमाण निर्धारित किए गए हैं जबकि दो दिशाओं, भुजाओं, आकृतियों अथवा वर्णों के क्षेत्रफल का परस्पर संबंध 'अनुपात' कहलाता है। विचारों व भावनाओं की अभिव्यक्ति को छोड़कर कलासर्जन में प्रयुक्त रचना के मूलाधार तत्त्व जैसे-रेखा, लय, सुसंगति, रंग आदि आकार तत्त्व हैं। | ||
{आकृतियों से स्पष्ट होता है | {आकृतियों से क्या स्पष्ट होता है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-163,प्रश्न-45 | ||
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-भाव | -भाव | ||
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||आकृतियों से भाव और लय नहीं अपितु रूप स्पष्ट होता है क्योंकि आकृति किसी निर्जीव वस्तु की भी हो सकती है। | ||आकृतियों से भाव और लय नहीं अपितु रूप स्पष्ट होता है क्योंकि आकृति किसी निर्जीव वस्तु की भी हो सकती है। | ||
{'मोनालिसा' चित्र की पृष्ठभूमि में निम्नलिखित में से क्या दर्शाया गया | {'मोनालिसा' चित्र की पृष्ठभूमि में निम्नलिखित में से क्या दर्शाया गया है। (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-108,प्रश्न-40 | ||
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-देवदूत | -देवदूत | ||
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-इमारतों की गली | -इमारतों की गली | ||
+दृश्य चित्र | +दृश्य चित्र | ||
|| | ||मोनालिसा इटैलियन चित्रकार [[लियोनार्डो दा विंची|लियोनार्दों द विंसी]] द्वारा 1508-06 ई. के मध्य चित्रित की गई। इस चित्र की पृष्ठभूमि में प्राकृतिक दृश्य चित्र दर्शाया गया है। वर्तमान में यह पेरिस के लूव्र संग्रहालय में है। | ||
{'सूरजमुखी के फूल' किसकी कृति है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-122,प्रश्न-53 | {'सूरजमुखी के फूल' किसकी कृति है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-122,प्रश्न-53 | ||
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-मोने | -मोने | ||
+वान गॉग | +वान गॉग | ||
||'सूरजमुखी के फूल' का चित्र विन्सेंट वान गॉग द्वारा चित्रित एक प्रसिद्ध चित्र है। वर्तमान में यह चित्र नेशनल गैलरी (लंदन) में | ||'सूरजमुखी के फूल' का चित्र विन्सेंट वान गॉग द्वारा चित्रित एक प्रसिद्ध चित्र है। वर्तमान में यह चित्र नेशनल गैलरी (लंदन) में रखा हुआ है। | ||
{' | {'लाओकून' क्या है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-176,प्रश्न-74 | ||
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-ऑयल पेंटिंग | -ऑयल पेंटिंग | ||
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+मूर्ति | +मूर्ति | ||
-म्यूरल | -म्यूरल | ||
||'लाओकून' मूर्ति है। यह | ||'लाओकून' मूर्ति है। यह 1506 ई. में रोम में खुदाई के दौरान मिली और इसे वेटिकन सिटी में सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए रखा गया। | ||
{'पोटैटो ईटर्स' नामक प्रसिद्ध चित्र किसका है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-123,प्रश्न-64 | {'पोटैटो ईटर्स' नामक प्रसिद्ध चित्र किसका है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-123,प्रश्न-64 | ||
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{कौन-सा वक्तव्य सही नहीं है- 'अकृति को रूप मिलता है...... (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-163,प्रश्न-44 | {कौन-सा वक्तव्य सही नहीं है- 'अकृति को रूप मिलता है...... (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-163,प्रश्न-44 |
12:10, 23 नवम्बर 2017 का अवतरण
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