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'''रमज़ान'''
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माहे रमज़ान शब्द रम्ज़ से लिया गया है जिसका अर्थ होता है छोटे पत्थरों पर पड़ने वाली [[सूर्य]] की अत्याधिक गर्मी। माहे रमज़ान ईश्वरीय नामों में से एक नाम है। इसी महीने में पवित्र क़ुरआन नाज़िल हुआ था। यह ईश्वर का महीना है। इस महीने की जितनी भी प्रशंसा की जाए वह कम है।


[[अल्लाह]] ने अपने बंदों पर पाँच चीजें फ़र्ज़ की हैं। कलिमा-ए-तयैबा, नमाज़, हज, रोज़ा और ज़कात। इन्हें [[इस्लाम धर्म|इस्लाम]] के खास सुतून (स्तंभ) कहते हैं। रमज़ान इस्लामिक कैलेंडर का नौवाँ महीना है। रमज़ान बरकतों वाला महीना है, इस माहे मुबारक में अल्लाह अपने बंदो को बेइंतिहा न्यामतों से नवाज़ता है। इसी पवित्र महीने में अल्लाह रब्बुल इज्जत ने [[क़ुरआन]] पेगंबर [[हज़रत मुहम्मद साहब]] पर नाज़िल फ़रमाया। रमज़ान महीने के अंत पर तीन दिनों तक [[ईद-उल-फ़ितर|ईद]] मनायी जाती है।<ref name="वेब दुनिया">{{cite web |url=http://hindi.webdunia.com/religion/occasion/ramzan/0809/02/1080902038_1.htm |title=रमज़ान : बरकतों वाला महीना |accessmonthday=[[31 अगस्त]] |accessyear=[[2010]] |last=खान |first=शराफत |authorlink= |format=एच टी एम एल |publisher=वेब दुनिया |language=हिन्दी }}</ref>
==रोज़ा==
रोज़े को अरबी में सोम कहते हैं, जिसका मतलब है रुकना। रोज़ा यानी तमाम बुराइयों से रुकना या परहेज़ करना। ज़बान से गलत या बुरा नहीं बोलना, आंख से गलत नहीं देखना, कान से गलत नहीं सुनना, हाथ-पैर तथा शरीर के अन्य हिस्सों से कोई नाजायज़ अमल नहीं करना। किसी को भला बुरा नहीं कहना। हर वक्त खुदा की इबादत करना।<ref>{{cite web |url=http://www.aajkikhabar.com/news/77154/77154.html |title=इबादतों का महीना है रमज़ान |accessmonthday=[[31 अगस्त]] |accessyear=[[2010]] |last=हबीब |first=तारिक |authorlink= |format=एच टी एम एल |publisher=आज की ख़बर |language=हिन्दी }}</ref>
==बरकतों वाला महीना==
रमज़ान की कई फज़ीलत हैं। इस माह में नवाफ़िल का सवाब सुन्नतों के बराबर और हर सुन्नत का सवाब फ़र्ज़ के बराबर और हर फ़र्ज़ का सवाब 70 फ़र्ज़ के बराबर कर दिया जाता है। इस माह में हर नेकी पर 70 नेकी का सवाब होता। इस माह में अल्लाह के इनामों की बारिश होती है।<ref name="वेब दुनिया" />
==इबादत का महीना==
इस महीने में शैतान को क़ैद कर दिया जाता है, ताकि वह अल्लाह के बंदों की इबादत में खलल न डाल सके। इस पूरे माह में रोज़े रखे जाते हैं और इस दौरान इशा की नमाज़ के साथ 20 रकत नमाज़ में क़ुरआन मजीद सुना जाता है, जिसे तरावीह कहते हैं। इस महीने में आकाश तथा स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं तथा नरक के द्वार बंद हो जाते हैं। इस महीने की एक रात की उपासना, जिसे "[[शबे क़द्र]]" के नाम से जाना जात है, एक हज़ार महीनों की उपासना से बढ़ कर है। इस महीने मे रोज़ा रखने वाले का कर्तव्य, ईश्वर की अधिक से अधिक प्रार्थना करना है।
==रोज़े का मकसद==
रोज़े का मकसद सिर्फ भूखे-प्यासे रहना ही नही है, बल्कि अल्लाह की इबादत करके उसे राजी करना है। रोज़ा पूरे शरीर का होता है। रोज़े की हालत में न कुछ गलत बात मुँह से निकाली जाए और न ही किसी के बारे में कोई चुगली की जाए। ज़बान से सिर्फ़ अल्लाह का जिक्र ही किया जाए, जिससे रोज़ा अपने सही मकसद तक पहुँच सके। रोज़े का असल मकसद है कि बंदा अपनी ज़िन्दगी में तक्वा ले आए। वह अल्लाह की इबादत करे और अपने नेक आमाल और हुस्ने सुलूक से पूरी इंसानियत को फ़ायदा पहुँचाए। अल्लाह हमें कहने-सुनने से ज्यादा अमल की तौफ़ीक दे।<ref name="वेब दुनिया" />
====<u>सेहरी</u>====
रोज़े रखने के लिए सब से पहले सेहरी खाया जाए क्यों कि सेहरी खाने में बरकत है, सेहरी कहते हैं सुबह सादिक़ से पहले जो कुछ उप्लब्ध हो उसे रोज़ा रखने की नीयत से खा लिया जाए। रसूल मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया,” सेहरी खाओ क्यों कि सेहरी खाने में बरकत है “। एक दुसरी हदीस में आया है ” सेहरी खाओ यदि एक घोंट पानी ही पी लो, ”
====<u>इफतार</u>====
भूके को खाना खिलाना भी बहुत बड़ा पुण्य है और जिसन किसी भूके को खिलाया और पिलाया अल्लाह उसे जन्नत के फल खिलाएगा और जन्नत के नहर से पिलाएगा जैसा कि रसूल मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का फरमान है ” जिस किसी मोमिन ने किसी भूके मोमिन को खिलाया तो अल्लाह उसे जन्नत के फलों से खिलाएगा और जिस किसी मोमिन ने किसी पियासे मोमिन को पिलाया तो अल्लाह उसे जन्नत के बिल्कुल शुद्ध पैक शराब पिलाएगा ”
जो रोज़ेदार को इफतार कराएगा तो उसे रोज़ेदार के बराबर सवाब(पुण्य) मिलेगा और दोनों के सवाब में कमी न होगी जैसा कि रसूल मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) का फरमान है ” जिसने किसी रोज़ेदार को इफतार कराया तो उसे रोज़ेदार के बराबर सवाब (पुण्य) प्राप्त होगा मगर रोज़ेदार के सवाब में कुच्छ भी कमी न होगी ” (मुसनद अहमद तथा सुनन नसई)<ref>{{cite web |url=http://ipcblogger.net/nawaz/?p=134 |title=रमज़ान के महीने में की जाने वाली इबादतें |accessmonthday=[[31 अगस्त]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=नवीन जीवन |language=हिन्दी }}</ref>
==रमज़ान के निराले ज़ायके==
====<u>बाकरखानी</u>====
बाकरखानी रमजान के अलावा दूसरे महीनों में नसीब नहीं होती, क्योंकि एक दिन के बाद ही इसका स्वाद बदल जाता है। इसे एक खास तापमान पर पकाया जाता है। देखने में यह बिस्कुट की तरह होती है। ताजी बाकरखानी के स्वाद का कहना ही क्या।
====<u>खजला, फेनी और सेवइयां</u>====
रमज़ान का खास पकवान है खजला, फेनी और सेवइयां। इन्हें दूध में भिगो कर खाया जाता है, जो रमज़ान का पौष्टिक आहार होता है। सूखी सेवईं चीनी, खोया और मावा के साथ जब तैयार होती है तो लोग उंगली चाटते रह जाते हैं। ये सहरी के वक्त का ख़ास पकवान है।
====<u>खजूर</u>====
खजूर से रोजा खोलना सुन्नत है। खजूर [[ईरान]], [[ईराक़]], [[पाकिस्तान]], [[सऊदी अरब]], [[मिश्र]] और [[भारत|हिन्दुस्तान]] में [[गुजरात]] से आता है।
====<u>फ्रूट चाट</u>====
आमतौर पर इफ्तार की फ्रूट चाट में [[केला]], [[अमरुद]], [[पपीता]], [[सेब]], [[खरबूजा]], [[अनार]], [[तरबूज़]] आदि का इस्तेमाल किया जाता है। इफ्तार से आधा एक घंटा पूर्व सभी फलों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट कर ऊपर से चीनी और चाट मसाला डाल दिया जाता है, क्योंकि 15 घंटों के रोजे के बाद इनसे तरोताज़गी का अहसास होता है और ये ताकत भी देते हैं।
====<u>पकौड़ियां, चने</u>====
रमज़ान के दिनों में इफ्तार के समय के संतुलित आहार हैं पकौड़ियां व चने, जो देश के हर कोने में रोज़ेदार के दस्तरखान पर जरूर होते हैं। [[प्याज]], [[पालक]], [[बैंगन]], [[गोभी]], [[आलू]], दाल, न जाने कितने तरह के पकौड़ों का स्वाद एक साथ मिलता है।
====<u>मिठाइयाँ</u>====
शाही टुकड़े, फिरनी, खीर, हलवा और मीठा पुलाव भी रमज़ान के दिनों में बाजारों की शोभा बढ़ाते हैं। सहरी के वक्त चूंकि हल्का-फुल्का खाने को कहा गया है, इसलिए लोग इन्हीं मीठी चीजों से सहरी करते हैं।
====<u>मुगलई मिठाइयाँ</u>====
हब्शी हलवा और तरह-तरह के मावे से बनी मुग़लई मिठाइयों की बात ही निराली है। इनका सौभाग्य आपको रमज़ान में मिलेगा। राजधानी [[दिल्ली]], [[लखनऊ]] और [[हैदराबाद]] की दुकानों में ये सजी मिल जाएंगी।
====<u>शरबत</u>====
सर्दियों की बात ही छोड़ दें। अब तो अगले 20 साल तक तपिश भरी गरमी में ही रमज़ान का मुबारक महीना रहेगा, इसलिए खजूर से रोज़ा खोलने के बाद पानी की जगह लोग तरह-तरह के शरबतों से अपने गले को तर करेंगे।<ref>{{cite web |url=http://www.livehindustan.com/news/lifestyle/lifestylenews/50-50-70610.html |title=रमज़ान के निराले ज़ायके  |accessmonthday=[[31 अगस्त]] |accessyear=[[2010]] |last= |first= |authorlink= |format=एच टी एम एल |publisher=हिन्दुस्तान |language=हिन्दी }}</ref>
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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06:30, 5 सितम्बर 2010 का अवतरण