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{{सूचना बक्सा प्रसिद्ध व्यक्तित्व
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|पूरा नाम=गंगाप्रसाद अग्निहोत्री
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|जन्म=[[श्रावण]] [[कृष्ण पक्ष|कृष्ण]] 7 सन [[1870]] ई.
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|मुख्य रचनाएँ='संस्कृत कविपंचल', 'मेघदूत', 'निबन्धमालादर्श', 'डाँ. जानसन की जीवनी'
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|विशेष योगदान=जिस समय [[हिन्दी]] में आलोचना के नाम पर या तो पुस्तक-परिचय लिखे जाते थे या रीतिकालीन मानदंडों के आधार पर गुण-देष विवेचना किया जाता था, उस समय पाश्चात्य समीक्षा-सिद्धांतों का प्रतिपादन करने वाली पद्धति का सूत्रपात करके गंगाप्रसाद ने महत्त्वपूर्ण कार्य किया है।
|नागरिकता=भारतीय
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'''गंगाप्रसाद अग्निहोत्री''' (जन्म- [[श्रावण]] [[कृष्ण पक्ष|कृष्ण]] 7 सन [[1870]] ई.,[[नागपुर]], [[मध्यप्रदेश]]; मृत्यु [[1931]] ई.) [[हिन्दी भाषा]] के प्रसिद्ध साहित्यकार थे। गंगाप्रसाद हिन्दी के प्रबल समर्थक थे और उसे ही राष्ट्रभाषा के लिए सर्वथा उपयुक्त समझते थे। इन्होंने चिपलूणकर शास्त्री की पूरी पुस्तक 'निबन्धमालादर्श' का अनुवाद किया था। गंगाप्रसाद जी ने समीक्षा-सिद्धांतों का प्रतिपादन करने वाली पद्धति का सूत्रपात करके महत्त्वपूर्ण कार्य किया है।
== परिचय ==
गंगाप्रसाद अग्निहोत्री का जन्म [[श्रावण]] मास के [[कृष्ण पक्ष|कृष्ण]] 7 सन [[1870]] ई. को [[नागपुर]], [[मध्यप्रदेश]] में हुआ था। गंगाप्रसाद [[हिन्दी भाषा]] में पाश्चात्य समीक्षा सिद्धांतों का सूत्रपात करने वालों में अग्रणी हैं। घर की आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण इनकी शिक्षा का उचित प्रबन्ध न हो सका। गंगाप्रसाद जी ज्यों-त्यों एण्ट्रेंस की परीक्षा में सम्मिलित हुए और अनुत्तीर्ण होकर रह गये। इन्होंने वैकल्पिक विषय के रूप में [[मराठी]] और [[संस्कृत]] का भी ज्ञान प्राप्त कर लिया था।
==== जगन्नाथ प्रसाद भानु से सम्पर्क ====
गंगाप्रसाद सन [[1892]] ई. में आप असिस्टेंट सेटिलमेंट आफिसर जगन्नाथ प्रसाद भानु के सम्पर्क में आये। जीविका के लिए नकलनवीसी का काम मिल गया और सहित्यिक विकास के लिए निरंतर प्रेरणा मिलती रही।
== रचानाएँ ==
सबसे पहले गंगाप्रसाद ने चिपलूणकर शास्त्री के 'समालोचना' शीर्षक निबन्ध का अनुवाद [[मराठी]] से [[हिन्दी]] में किया, जो [[नागरी प्रचारिणी पत्रिका]] के पहले वर्ष<ref>2896 ई.</ref> में पहले अंक में प्रकाशित हुआ। गंगाप्रसाद को ख्याति मिली और उत्साहित होकर आपने चिपलूणकर शास्त्री की पूरी पुस्तक 'निबन्धमालादर्श' का अनुवाद किया। फिर तो ये बराबर लिखते रहे 'रसवारिका' संवत [[1964]] ई. में वेकटेश्वर प्रेम बम्बई से मद्रित हो चुका है। 'राष्ट्रभाषा'<ref>1899 ई.</ref><ref>मराठी से हिन्दी में अनुवाद</ref>, 'प्रणयीमाधव' <ref>मराठी से अनुवाद</ref>, 'संस्कृत कविपंचल', 'मेघदूत', 'निबन्धमालादर्श', 'डाँ. जानसन की जीवनी' <ref>अप्रकाशित</ref>, 'नर्मदा विहार', 'संसार सुख साधन' <ref>1917 ई.</ref>, 'किसानों की कामधेनु' आपकी प्रसिद्ध अनूदित और मौलिक कृतियाँ हैं।
== भाषाओं का ज्ञान ==
गंगाप्रसाद की भाषा तत्समप्रधान है। उसमें प्राय: [[उर्दू]] शब्दों का अभाव है। [[अंग्रेज़ी]] के बहुप्रचलित शब्दों को आपने ज्यों का त्यों स्वीकार कर लिया है। गंगाप्रसाद [[हिन्दी]] के प्रबल समर्थक थे और उसे ही [[राष्ट्रभाषा]] के लिए सर्वथा उपयुक्त समझते थे।
आपकी सबसे बड़ी देन हिन्दी आलोचना के क्षेत्र में है। जिस समय [[हिन्दी]] में आलोचना के नाम पर या तो पुस्तक-परिचय लिखे जाते थे या रीतिकालीन मानदंडों के आधार पर गुण-देष विवेचना किया जाता था, उस समय पाश्चात्य समीक्षा-सिद्धांतों का प्रतिपादन करने वाली पद्धति का सूत्रपात करके आपने महत्त्वपूर्ण कार्य किया।
== निधन ==
गंगाप्रसाद  अग्निहोत्री का निधन सन [[1931]] ई. हुआ था। जीवन के अंतिम दिनों में उन्नति करते हुए कोरिया रियासर के नायब दीवान हो गये थे।
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
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10:20, 22 जून 2017 का अवतरण