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{{सूचना बक्सा प्रसिद्ध व्यक्तित्व
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'''भवानी दयाल संन्यासी''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Bhawani Dayal Sanyaasi'', जन्म- [[10 सितंबर]], [[1892]], जोहान्सबर्ग, [[दक्षिण अफ़्रीका]]; मृत्यु- [[9 मई]], [[1950]]) राष्ट्रवादी, हिंदी सेवी और आर्यसमाजी थे। उन्होंने हिंदी के प्रचार के लिए दक्षिण अफ़्रीका में 'हिंदी आश्रम' की स्थापना की थी। भवानी दयाल नेटाल की आर्य प्रतिनिधि सभा के पहले [[अध्यक्ष]] थे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन=भारतकोश पुस्तकालय |संपादन=|पृष्ठ संख्या=567|url=}}</ref>


==जन्म एवं शिक्षा==
'''मेहबूबा मुफ़्ती''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Mehbooba Muhfti'', जन्म- [[10 सितंबर]], [[1892]], जोहान्सबर्ग, [[दक्षिण अफ़्रीका]]  
भवानी दयाल संन्यासी का जन्म 10 सितंबर, 1892 ई. को जोहान्सबर्ग, [[दक्षिण अफ़्रीका]] में हुआ था। उनके [[पिता]] जयराम सिंह और [[माता]] कुली बन कर [[भारत]] से वहां गए थे। भवानी दयाल की शिक्षा दक्षिण अफ़्रीका में ही एक गुजराती ब्राह्मण द्वारा संचालित [[हिंदी]] हाई स्कूल और मिशन स्कूल में हुई।
==परिचय==
भवानी दयाल राष्ट्रवादी विचारों के व्यक्ति थे। [[बंगाल]] विभाजन के आंदोलन के काल में वे भारत आए थे और [[स्वदेशी आंदोलन]] से उनका संपर्क हुआ। यहां भवानी दयाल को [[तुलसीदास]] और [[सूरदास]] की रचनाओं के साथ-साथ [[स्वामी दयानंद]] के '[[सत्यार्थ प्रकाश|सत्यार्थप्रकाश]]' के अध्ययन का अवसर मिला और वे आर्यसमाजी बन गए।
==गांधी जी से भेंट==
अफ़्रीका वापस जाने पर [[1913]] में भवानी दयाल की [[गांधी जी]] से भेंट हुई और उन्होंने [[आर्य समाज]] के प्रचार के साथ-साथ गांधी जी के विचारों के प्रचार में ही योग दिया। यद्यपि उनके जीवन का अधिक समय अफ़्रीका में ही बीता, फिर भी वे बीच-बीच में [[भारत]] आते रहे।
==आर्य समाज के संन्यासी==
भवानी दयाल ने [[कांग्रेस]] के अधिवेशनों में भाग लिया, आंदोलनों में जेल गए और [[बिहार]] के [[किसान आंदोलन]] में भी सम्मिलित रहे। [[1927]] में उन्होंने संन्यास ले लिया था और आर्य समाज के संन्यासी के रूप में [[धर्म]] और [[हिंदी भाषा]] के प्रचार में लगे रहे। स्वामी जी भारत की राष्ट्रीयता और [[दक्षिण अफ़्रीका]] के प्रवासी भारतीयों के बीच एक सेतु का काम करते थे।


भवानी दयाल संन्यासी [[1939]] में स्थायी रूप से भारत आकर [[अजमेर]] में रहने लगे थे। उन्होंने अनेक [[ग्रंथ|ग्रंथों]] की रचना की और अपना शेष जीवन '[[हिंदी]], [[हिंदू]], हिन्दुस्तान' की सेवा में लगाया।
शनिवार सुबह मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती अनंतनाग स्थित अपने पिता की कब्र पर पहुंची और फातिहा पढ़ा। इस दौरान वे अपने पिता को याद कर रो पड़ीं। मुफ्ती सईद के बेटे और दूसरी बेटी समेत रियासत के कई मंत्री औऱ पीडीपी के वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। महबूबा फातिहा पढ़ने के बाद श्रीनगर में आयोजित एक कार्यक्रम के लिए निकल गईं।गौरतलब है कि आज से ठीक एक साल पहले 7 जनवरी 2016 को रियासत के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद का बीमारी की वजह से निधन हो गया था। सईद के निधन के बाद महबूबा मुफ्ती ने पीडीपी की बागडोर संभाली और भाजपा के साथ गठबंधन कर रियासत में सरकार बनाई।


==निधन==
शनिवार सुबह मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती अनंतनाग स्थित अपने पिता की कब्र पर पहुंची और फातिहा पढ़ा। इस दौरान वे अपने पिता को याद कर रो पड़ीं। मुफ्ती सईद के बेटे और दूसरी बेटी समेत रियासत के कई मंत्री औऱ पीडीपी के वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। महबूबा फातिहा पढ़ने के बाद श्रीनगर में आयोजित एक कार्यक्रम के लिए निकल गईं।गौरतलब है कि आज से ठीक एक साल पहले 7 जनवरी 2016 को रियासत के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद का बीमारी की वजह से निधन हो गया था। सईद के निधन के बाद महबूबा मुफ्ती ने पीडीपी की बागडोर संभाली और भाजपा के साथ गठबंधन कर रियासत में सरकार बनाई।
[[9 मई]], [[1959]] में भवानी दयाल का देहांत हो गया।


==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
Mehbooba Mufti Biography in hindi, जम्मू कश्मीर मुख्यमंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सैय्यद की मृत्यु के बाद उनकी जम्मू कश्मीर पीपल डेमोक्रेटिक पार्टी Peoples Democratic Party (PDP) ने अपने नये मुख्यमंत्री के तौर पर मेहबूबा मुफ़्ती का चयन किया हैं | मेहबूबा मुफ़्ती जम्मू कश्मीर की पहली महिला मुख्यमंत्री होंगी जिसका असर केंद्र सरकार पर पड़ सकता हैं क्यूंकि महबूबा मुफ़्ती के रवैया के कारण हाल ही में विपक्ष ने सरकार पर ऊँगली उठाई थी इसलिए समझा जा रहा हैं कि जम्मू कश्मीर के बीजेपी एवम पीडीपी गठबंधन में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता हैं | mehbooba mufti महबूबा मुफ़्ती जम्मू कश्मीर पीपल डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष हैं और जम्मू कश्मीर अनंतनाग में लोकसभा अध्यक्ष के तौर पर जानी जाती हैं | पिता की मृत्यु के बाद जम्मू कश्मीर पीपल डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से यह चीफ मिनिस्टर के पद के लिए एक प्रबल उम्मीदवार के तौर पर देखी जा रही हैं | यह एक सक्रिय राजनैतिक चेहरा हैं इसलिये बिना किसी आपत्ति के इनका मुख्यमंत्री बनाना तय समझा जा रहा हैं | * /*महबूबा मुफ़्ती जीवनी *//*mahbooba mufti Jeevani Hindi*/ */1/* नाम महबूबा मुफ़्ती */2/* जन्म 22 मई 1959 */3/* धर्म मुस्लिम */4/* माता पिता मोहम्मद मुफ़्ती सैयद – गुलशन नज़ीर */5/* संतान इल्तिज, इर्तिका */6/* शादी स्टेटस तलाक */7/* काम पॉलिटिक्स, सामाजिक कार्यकर्ता */8/* पद PDP अध्यक्ष, लोकसभा सदस्य * /*महबूबा मुफ़्ती प्रारम्भिक जीवन :*/ महबूबा मुफ़्ती का जन्म वर्ष 1959, 22 मई को अखरण नोव्पोरा अनंतनाग जिले में हुआ था | इनके पिता मोहम्मद मुफ़्ती सैयद एवम माता गुलशन नज़ीर हैं | इनकी एक बहन रुबिया जो कि अगवाह हो जाने के कारण बहुत दिनों तक देश की खबरों का हिस्सा थी जब महबूबा मुफ़्ती के पिता गृहमंत्री थे | यह किडनैप आतंकवादियों ने वर्ष 1989 में एयर प्लेन को अपने कब्जे में लेकर किया था जिसमे कई यात्री थे जिनके बदले में कुख्यात आतंकियों को रिहा किया गया था | उन सभी यात्रियों में से एक रुबिया थी जो तात्कालिक गृहमंत्री मोहम्मद मुफ़्ती की बेटी थी | महबूबा मुफ़्ती ने कश्मीर यूनिवर्सिटी से अपनी लॉ की डिग्री पूरी की | सक्रिय राजनीति का हिस्सा बनने से पहले इन्होने अपने पति से तलाक लिया जिनसे इन्हें दो बेटियाँ इल्तिज, इर्तिका हैं | * /*महबूबा मुफ़्ती राजनैतिक करियर :*/ 1996 में राज्य सभा इलेक्शन के दौरान यह एक फेमस राजनैतिक चेहरा बन चुकी थी जब इन्होने कांग्रेस की सीट के लिए जम्मू-कश्मीर के बिजबेहरा विधानसभा में अपनी जीत सु निश्चित की |इसी कारण असेंबली में पांच वर्ष तक फारुक अब्दुल्ला के समय यह विपक्ष का नेतृत्व करती नजर आई | महबूबा मुफ़्ती पहली महिला हैं जो जम्मूकश्मीर से एक सक्रीय राजनीति का हिस्सा हैं और साथ ही एक बहु प्रसिद्ध चेहरा भी हैं | इनकी राजनितिक शुरुवात कांग्रेस पार्टी से हुई लेकिन आपसी मतभेद के कारण इनके पिता ने कांग्रेस से अलग होने का फैसला किया और जम्मू कश्मीर पीपल डेमोक्रेटिक पार्टी का गठन किया | तब वर्ष 1999 में इन्होने कांग्रेस से अपनी विधानसभा सीट के लिए इस्तीफा दिया और जम्मू कश्मीर पीपल डेमोक्रेटिक पार्टी की उपाध्यक्ष बनाई गई | वर्ष 1999 में इन्होने श्रीनगर से अपना संसदीय चुनाव उम्र अब्दुला के खिलाफ लड़ा लेकिन इसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा | लेकिन 2002 के राज्यसभा चुनाव में पहलगाम सीट पर अहमद मीर के खिलाफ दक्षिण कश्मीर में अपनी जीत दर्ज की | और बाद में वे लोकसभा अनंतनाग सीट के लिए वर्ष 2004 एवम 2014 के लिए चुनी गई | इन्होने 2014 में हुए चुनावों में अगले पांच साल के कार्यकाल के लिए अनंतनाग – पुलवामा सीट जीती जिसमे उन्होंने 44,735 मतों के अंतर के साथ नेशनल कांफ्रेंस के मिर्जा महबूब बेग को हराया | उन्हें 1,42,237 और बेग 97,502 वोट मिले थे | जम्मू एवं कश्मीर राजनीतिक मौसम में तब बदलाव हुआ जब उमर अब्दुल्ला सरकार द्वारा राज्य में बाढ़ की वजह से हाल ही में तबाही के कथित कुप्रबंधन की पृष्ठभूमि तैयार हुई जिसका मुफ्ती मोहम्मद सईद की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने जमकर फायदा उठाया और आगामी चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन में बंधकर अपनी पार्टी को जीत दिलाई और मुख्यमंत्री पद हासिल किया लेकिन अब उनकी मृत्यु के बाद राज्य की कमान महबूबा मुफ़्ती के हाथों में सौंपी जायेगी | पार्टी ने 2014 के आम चुनावों में छह लोकसभा सीटों में से तीन में जीत दर्ज की थी। * /*संक्षिप्त पॉलिटिकल विवरण :*/ 1. 1996 से 99 तक कांग्रेस विधायक दल जम्मू-कश्मीर विधान सभा की जानी मानी नेता रही | 2. 1996 से 99 और 2002 से 2004 : दो बार जम्मू कश्मीर विधानसभा सदस्य रही 3. 2004 में 14वी लोकसभा के लिये चुनी गई | 4. 2009 में जम्मू कश्मीर पीपल डोमेक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष चुनी गई | 5. 2014 में फिर से 16 वी लोकसभा के लिये चुनी गई | 6. 2016 में अपने पिता मोहम्मद मुफ़्ती की मृत्यु के बाद जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में एक प्रबल दावेदार हैं | * /*महबूबा मुफ़्ती राजनैतिक व्यवहार :*/ महबूबा मुफ़्ती अपनी कट्टर राजनैतिक व्यवहार के लिये जानी जाती हैं | जब पाकिस्तान NSA से बात करने के लिए एक नेता दिल्ली जा रहा था | तब उसकी गिरफ्तारी के आदेश जारी किये गए थे लेकिन तब ही महबूबा मुफ़्ती ने इस मामले में आकर उस नेता को रिहा करवा लिया | इनके व्यवहार के कारण केंद्र सरकार को भी तकलीफ का सामना करना पड़ सकता हैं | केंद्र सरकार से बहुत सोचने समझने के बाद जम्मू कश्मीर पीपल डेमोक्रेटिक पार्टी से हाथ मिलाया था जिसका सबसे महत्वपूर्ण कारण थे पूर्व मुख्यमंत्री मोहम्मद मुफ़्ती सय्यैद क्यूंकि वे एक सुलझे एवम शालीन मिजाज व्यक्ति थे लेकिन अब पार्टी की कमान उनकी बेटी महबूबा मुफ़्ती के हाथ में आने को हैं जिनका रवैया हमेशा ही केंद्र के लिए फांसी का फंदा रहा हैं इसलिये अब केंद्र को कई परेशानियों का सामना करना पद सकता हैं | पर जहाँ तक हैं महबूबा मुफ़्ती अपने इस कट्टरपंथी रवैये के कारण राज्य की उन्नति में कतई बाधा नहीं बनेगी बल्कि नये जोश के साथ जम्मू कश्मीर को कुछ ही वक्त पहले हुई बाढ़ की त्रासदी से बाहर निकालने में जुट जायेंगी | * /*वर्तमान राजनैतिक स्थिती*/ हाल ही में इनके पिता की मृत्यु हुई हैं | मुफ़्ती साहब कई दिनों से बीमार थे उनके कई अंग काम करना बंद कर गये थे बहुत कोशिशों के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका | दिल्ली के एम्स में उनका इलाज चल रहा था लेकिन दुर्भाग्यवश जनवरी को निधन हो गया | अब पार्टी ने मुख्यमंत्री के तौर पर निर्विवाद महबूबा मुफ़्ती का नाम दिया हैं | फ़िलहाल जम्मू कश्मीर में एक महिला के मुख्यमंत्री बनने पर मुस्लिम समाज के महिलाओं की स्थिती सुधरने की गुंजाईश हैं | यह पहली महिला हैं जो देश में जम्मू कश्मीर से एक नेता के रूप में उभरी हैं |
<references/>
==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
[[Category:प्रसिद्ध_व्यक्तित्व]][[Category:जीवनी_साहित्य]][[Category:समाज सुधारक]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]]
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{{सूचना बक्सा राजनीतिज्ञ
भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अनंतनाग विधानसभा सीट में जीत हासिल कर ली है.
|चित्र=Randhir-Singh.JPG
|चित्र का नाम=रणधीर सिंह
|पूरा नाम=रणधीर सिंह
|अन्य नाम=भाई रणधीर सिंह
|जन्म=[[7 जुलाई]], [[1878]]
|जन्म भूमि=[[लुधियाना ज़िला]], [[पंजाब]]
|मृत्यु=[[16 अप्रैल]] [[1961]]
|मृत्यु स्थान=[[लुधियाना ज़िला]], [[पंजाब]]
|मृत्यु कारण=
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|पार्टी=[[कांग्रेस]]
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|भाषा=पंजाबी
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|शीर्षक 1=रचना
|पाठ 1=लेखनी और काव्य प्रतिभा
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|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=रणधीर सिंह सामाजिक सुधारों के प्रबल समर्थक थे।
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=
}}
'''रणधीर सिंह''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Randhir Singh'', जन्म- [[7 जुलाई]], [[1878]], [[लुधियाना]], [[पंजाब]]; मृत्यु- [[16 अप्रैल]], [[1961]]) प्रसिद्ध [[सिख]] नेता और क्रांतिकारी थे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन=भारतकोश पुस्तकालय |संपादन=|पृष्ठ संख्या=569|url=}}</ref>
==जन्म एवं परिचय==
रणधीर सिंह का जन्म 7 जुलाई,1878 ई. में पंजाब के लुधियाना ज़िले में हुआ था। उन्होंने [[लाहौर]] के क्रिश्चियन कॉलेज में शिक्षा पाई। तत्कालीन प्रमुख सिख नेताओं से परिचय के बाद रणधीर सिंह 'सिंह सभा' आंदोलन में सम्मिलित हो गए। उनकी सशस्त लेखनी और काव्य प्रतिभा से इस आंदोलन को बड़ा बल मिला। रणधीर सिंह केवल [[पंजाबी भाषा]] में ही लिखते थे। अध्ययन के द्वारा उन्होंने सिख जीवन दर्शन का गहन ज्ञान प्राप्त किया। आजीविका के लिए रणधीर सिंह ने कुछ वर्ष तहसीलदार के रूप में काम किया और उसके बाद खालसा कॉलेज [[अमृतसर]] में अध्यापक बन गए।
== सामाजिक सुधारों के समर्थक ==
रणधीर सिंह अस्पृश्यता के विरोधी और महिलाओं के अधिकारों के पक्षधर थे। रणधीर सिंह का कहना था "कि विद्यालयों के पाठ्यक्रम में धार्मिक शिक्षा का समावेश हो और उसे विदेशी प्रभाव से मुक्त रखा जाए।"
==ब्रिटिश सरकार के विरोधी==
प्रथम विश्वयुद्ध ([[1914]]-[[1918]]) के समय [[ब्रिटिश सरकार]] ने रकाबगंज गुरुद्वारा की बाहरी दीवार गिरा देने का आदेश दिया तो भाई रणधीर सिंह के विचारों में एकदम परिवर्तन आया। वे ब्रिटिश विरोधी हो गए। [[भारतीय सेना]] को भी विद्रोह के लिए तैयार किया गया। [[1915]] में रणधीर सिंह ने ब्रिटिश सत्ता को उखाड़ फेंकने का निश्चय किया।
==आजीवन कारावास==
पर पहले ही भेद खुल जाने के कारण भाई रणधीर सिंह और उनके साथी गिरफ्तार कर लिए गए। भाई को आजीवन कारावास की सजा मिली। 17 [[वर्ष]] जेल में रहकर जब वे बाहर आए, उस समय तक देश की राजनीतिक स्थिति बदल चुकी थी। रणधीर सिंह [[कांग्रेस]] की अहिंसक राजनीति का समर्थन नहीं कर सके और उसके आलोचक बने रहे।
==निधन==
[[16 अप्रैल]], [[1961]] को रणधीर सिंह का देहांत हो गया।


==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
महबूबा के पिता पूर्व मुख्यमंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद के निधन की वजह से ये सीट खाली हुई थी.
<references/>
 
==बाहरी कड़ियाँ==
उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के हिलाल अहमद शाह को 10 हज़ार से भी ज़्यादा मतों से हराया.
==संबंधित लेख==
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[[Category:प्रसिद्ध_व्यक्तित्व]][[Category:जीवनी_साहित्य]][[Category:समाज सुधारक]][[Category:राजनीतिज्ञ]][[Category:राजनेता]][[Category:स्वतन्त्रता सेनानी]][[Category:राजनीति कोश]][[Category:इतिहास कोश]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]]
 
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मतगणना के दौरान कांग्रेस उम्मीदवार हिलाल अहमद शाह ने ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की शिकायत की थी.
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इसके बाद कुछ देर के लिए मतगणना रोक दी गई. हालांकि कुछ देर बाद मतगणना दोबारा शुरू हो गई थी.
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तीसरे नंबर पर नेशनल कांफ्रेंस के इफ्तिखार मिसगर रहे.
 
जम्मू-कश्मीर विधान सभा में ये महबूबा मुफ्ती का चौथा कार्यकाल होगा.
 
पहले दौर की मतगणना के बाद से ही महबूबा मुफ्ती ही बढ़त बनाए हुए थीं जो आखिर तक जारी रही.
 
पीडीपी अर्थात पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने घोषणा की है कि पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती, जम्मू व कश्मीर की अगली मुख्यमंत्री होंगी।
 
पीडीपी के अनुसार अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती अपने पिता मुफ्ती मुहम्मद सईद के निधन पर सात दिनों के आधिकारिक शोक के बाद किसी भी समय जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकती हैं। यह अवधि बुधवार को पूरी हो रही है। पीडीपी ने यह भी साफ कर दिया है कि न तो उसने ख़ुद और न ही सहयोगी भारतीय जनता पार्टी ने राज्य में नई सरकार के गठन के लिए कोई पूर्व शर्त रखी है।
 
पीडीपी के प्रवक्ता महबूब बेग ने कहा कि किसी भी पक्ष की किसी पूर्व शर्त के बिना महबूबा मुफ़्ती कल बुधवार को समाप्त हो रहे सात दिनों के आधिकारिक शोक के बाद किसी भी समय मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी। उन्होंने कहा कि गठबंधन के लिए पहले से तय शर्तो के हिसाब से ही अगली सरकार में दोनों दलों के बीच का रिश्ता होगा। पीडीपी प्रवक्ता बेग ने कहा कि महबूबा मुफ़्ती जनादेश का सम्मान करते हुए स्वर्गीय मुफ्ती मुहम्मद सईद के विकास के एजेंडे को ही आगे बढ़ाएंगी।
 
Date 2016-04-04 : हाल ही में, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की नेता महबूबा मुफ्ती ने 4 अप्रैल 2016 को जम्मू-कश्मीर के 13वें मुख्यमंत्री के रुप में शपथ ली। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा ने उन्हें जम्मू स्थित राजभवन में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इसके साथ ही पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता महबूबा जम्मू कश्मीर राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बन गई। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक निर्मल सिंह ने भी उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।
 
शपथ लेने के साथ ही पीडीपी के संस्थापक मुफ्ती मोहम्मद सईद की पुत्री महबूबा जम्मू-कश्मीर में सरकार का नेतृत्व करने वाली पहली महिला बन गई और भारत के किसी राज्य की दूसरी मुस्लिम महिला मुख्यमंत्री बनीं। महबूबा से पहले सैयदा अनवरा तैमूरा वर्ष 1980 में असम की पहली मुस्लिम महिला मुख्यमंत्री बनी थी और वे 30 जून 1981 तक इस पद पर रहीं।

11:43, 22 मार्च 2017 का अवतरण

मेहबूबा मुफ़्ती (अंग्रेज़ी: Mehbooba Muhfti, जन्म- 10 सितंबर, 1892, जोहान्सबर्ग, दक्षिण अफ़्रीका

शनिवार सुबह मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती अनंतनाग स्थित अपने पिता की कब्र पर पहुंची और फातिहा पढ़ा। इस दौरान वे अपने पिता को याद कर रो पड़ीं। मुफ्ती सईद के बेटे और दूसरी बेटी समेत रियासत के कई मंत्री औऱ पीडीपी के वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। महबूबा फातिहा पढ़ने के बाद श्रीनगर में आयोजित एक कार्यक्रम के लिए निकल गईं।गौरतलब है कि आज से ठीक एक साल पहले 7 जनवरी 2016 को रियासत के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद का बीमारी की वजह से निधन हो गया था। सईद के निधन के बाद महबूबा मुफ्ती ने पीडीपी की बागडोर संभाली और भाजपा के साथ गठबंधन कर रियासत में सरकार बनाई।

शनिवार सुबह मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती अनंतनाग स्थित अपने पिता की कब्र पर पहुंची और फातिहा पढ़ा। इस दौरान वे अपने पिता को याद कर रो पड़ीं। मुफ्ती सईद के बेटे और दूसरी बेटी समेत रियासत के कई मंत्री औऱ पीडीपी के वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। महबूबा फातिहा पढ़ने के बाद श्रीनगर में आयोजित एक कार्यक्रम के लिए निकल गईं।गौरतलब है कि आज से ठीक एक साल पहले 7 जनवरी 2016 को रियासत के पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद का बीमारी की वजह से निधन हो गया था। सईद के निधन के बाद महबूबा मुफ्ती ने पीडीपी की बागडोर संभाली और भाजपा के साथ गठबंधन कर रियासत में सरकार बनाई।

Mehbooba Mufti Biography in hindi, जम्मू कश्मीर मुख्यमंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सैय्यद की मृत्यु के बाद उनकी जम्मू कश्मीर पीपल डेमोक्रेटिक पार्टी Peoples Democratic Party (PDP) ने अपने नये मुख्यमंत्री के तौर पर मेहबूबा मुफ़्ती का चयन किया हैं | मेहबूबा मुफ़्ती जम्मू कश्मीर की पहली महिला मुख्यमंत्री होंगी जिसका असर केंद्र सरकार पर पड़ सकता हैं क्यूंकि महबूबा मुफ़्ती के रवैया के कारण हाल ही में विपक्ष ने सरकार पर ऊँगली उठाई थी इसलिए समझा जा रहा हैं कि जम्मू कश्मीर के बीजेपी एवम पीडीपी गठबंधन में परेशानियों का सामना करना पड़ सकता हैं | mehbooba mufti महबूबा मुफ़्ती जम्मू कश्मीर पीपल डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष हैं और जम्मू कश्मीर अनंतनाग में लोकसभा अध्यक्ष के तौर पर जानी जाती हैं | पिता की मृत्यु के बाद जम्मू कश्मीर पीपल डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से यह चीफ मिनिस्टर के पद के लिए एक प्रबल उम्मीदवार के तौर पर देखी जा रही हैं | यह एक सक्रिय राजनैतिक चेहरा हैं इसलिये बिना किसी आपत्ति के इनका मुख्यमंत्री बनाना तय समझा जा रहा हैं | * /*महबूबा मुफ़्ती जीवनी *//*mahbooba mufti Jeevani Hindi*/ */1/* नाम महबूबा मुफ़्ती */2/* जन्म 22 मई 1959 */3/* धर्म मुस्लिम */4/* माता पिता मोहम्मद मुफ़्ती सैयद – गुलशन नज़ीर */5/* संतान इल्तिज, इर्तिका */6/* शादी स्टेटस तलाक */7/* काम पॉलिटिक्स, सामाजिक कार्यकर्ता */8/* पद PDP अध्यक्ष, लोकसभा सदस्य * /*महबूबा मुफ़्ती प्रारम्भिक जीवन :*/ महबूबा मुफ़्ती का जन्म वर्ष 1959, 22 मई को अखरण नोव्पोरा अनंतनाग जिले में हुआ था | इनके पिता मोहम्मद मुफ़्ती सैयद एवम माता गुलशन नज़ीर हैं | इनकी एक बहन रुबिया जो कि अगवाह हो जाने के कारण बहुत दिनों तक देश की खबरों का हिस्सा थी जब महबूबा मुफ़्ती के पिता गृहमंत्री थे | यह किडनैप आतंकवादियों ने वर्ष 1989 में एयर प्लेन को अपने कब्जे में लेकर किया था जिसमे कई यात्री थे जिनके बदले में कुख्यात आतंकियों को रिहा किया गया था | उन सभी यात्रियों में से एक रुबिया थी जो तात्कालिक गृहमंत्री मोहम्मद मुफ़्ती की बेटी थी | महबूबा मुफ़्ती ने कश्मीर यूनिवर्सिटी से अपनी लॉ की डिग्री पूरी की | सक्रिय राजनीति का हिस्सा बनने से पहले इन्होने अपने पति से तलाक लिया जिनसे इन्हें दो बेटियाँ इल्तिज, इर्तिका हैं | * /*महबूबा मुफ़्ती राजनैतिक करियर :*/ 1996 में राज्य सभा इलेक्शन के दौरान यह एक फेमस राजनैतिक चेहरा बन चुकी थी जब इन्होने कांग्रेस की सीट के लिए जम्मू-कश्मीर के बिजबेहरा विधानसभा में अपनी जीत सु निश्चित की |इसी कारण असेंबली में पांच वर्ष तक फारुक अब्दुल्ला के समय यह विपक्ष का नेतृत्व करती नजर आई | महबूबा मुफ़्ती पहली महिला हैं जो जम्मूकश्मीर से एक सक्रीय राजनीति का हिस्सा हैं और साथ ही एक बहु प्रसिद्ध चेहरा भी हैं | इनकी राजनितिक शुरुवात कांग्रेस पार्टी से हुई लेकिन आपसी मतभेद के कारण इनके पिता ने कांग्रेस से अलग होने का फैसला किया और जम्मू कश्मीर पीपल डेमोक्रेटिक पार्टी का गठन किया | तब वर्ष 1999 में इन्होने कांग्रेस से अपनी विधानसभा सीट के लिए इस्तीफा दिया और जम्मू कश्मीर पीपल डेमोक्रेटिक पार्टी की उपाध्यक्ष बनाई गई | वर्ष 1999 में इन्होने श्रीनगर से अपना संसदीय चुनाव उम्र अब्दुला के खिलाफ लड़ा लेकिन इसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा | लेकिन 2002 के राज्यसभा चुनाव में पहलगाम सीट पर अहमद मीर के खिलाफ दक्षिण कश्मीर में अपनी जीत दर्ज की | और बाद में वे लोकसभा अनंतनाग सीट के लिए वर्ष 2004 एवम 2014 के लिए चुनी गई | इन्होने 2014 में हुए चुनावों में अगले पांच साल के कार्यकाल के लिए अनंतनाग – पुलवामा सीट जीती जिसमे उन्होंने 44,735 मतों के अंतर के साथ नेशनल कांफ्रेंस के मिर्जा महबूब बेग को हराया | उन्हें 1,42,237 और बेग 97,502 वोट मिले थे | जम्मू एवं कश्मीर राजनीतिक मौसम में तब बदलाव हुआ जब उमर अब्दुल्ला सरकार द्वारा राज्य में बाढ़ की वजह से हाल ही में तबाही के कथित कुप्रबंधन की पृष्ठभूमि तैयार हुई जिसका मुफ्ती मोहम्मद सईद की पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने जमकर फायदा उठाया और आगामी चुनाव में भाजपा के साथ गठबंधन में बंधकर अपनी पार्टी को जीत दिलाई और मुख्यमंत्री पद हासिल किया लेकिन अब उनकी मृत्यु के बाद राज्य की कमान महबूबा मुफ़्ती के हाथों में सौंपी जायेगी | पार्टी ने 2014 के आम चुनावों में छह लोकसभा सीटों में से तीन में जीत दर्ज की थी। * /*संक्षिप्त पॉलिटिकल विवरण :*/ 1. 1996 से 99 तक कांग्रेस विधायक दल जम्मू-कश्मीर विधान सभा की जानी मानी नेता रही | 2. 1996 से 99 और 2002 से 2004 : दो बार जम्मू कश्मीर विधानसभा सदस्य रही 3. 2004 में 14वी लोकसभा के लिये चुनी गई | 4. 2009 में जम्मू कश्मीर पीपल डोमेक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष चुनी गई | 5. 2014 में फिर से 16 वी लोकसभा के लिये चुनी गई | 6. 2016 में अपने पिता मोहम्मद मुफ़्ती की मृत्यु के बाद जम्मू कश्मीर के मुख्यमंत्री के रूप में एक प्रबल दावेदार हैं | * /*महबूबा मुफ़्ती राजनैतिक व्यवहार :*/ महबूबा मुफ़्ती अपनी कट्टर राजनैतिक व्यवहार के लिये जानी जाती हैं | जब पाकिस्तान NSA से बात करने के लिए एक नेता दिल्ली जा रहा था | तब उसकी गिरफ्तारी के आदेश जारी किये गए थे लेकिन तब ही महबूबा मुफ़्ती ने इस मामले में आकर उस नेता को रिहा करवा लिया | इनके व्यवहार के कारण केंद्र सरकार को भी तकलीफ का सामना करना पड़ सकता हैं | केंद्र सरकार से बहुत सोचने समझने के बाद जम्मू कश्मीर पीपल डेमोक्रेटिक पार्टी से हाथ मिलाया था जिसका सबसे महत्वपूर्ण कारण थे पूर्व मुख्यमंत्री मोहम्मद मुफ़्ती सय्यैद क्यूंकि वे एक सुलझे एवम शालीन मिजाज व्यक्ति थे लेकिन अब पार्टी की कमान उनकी बेटी महबूबा मुफ़्ती के हाथ में आने को हैं जिनका रवैया हमेशा ही केंद्र के लिए फांसी का फंदा रहा हैं इसलिये अब केंद्र को कई परेशानियों का सामना करना पद सकता हैं | पर जहाँ तक हैं महबूबा मुफ़्ती अपने इस कट्टरपंथी रवैये के कारण राज्य की उन्नति में कतई बाधा नहीं बनेगी बल्कि नये जोश के साथ जम्मू कश्मीर को कुछ ही वक्त पहले हुई बाढ़ की त्रासदी से बाहर निकालने में जुट जायेंगी | * /*वर्तमान राजनैतिक स्थिती*/ हाल ही में इनके पिता की मृत्यु हुई हैं | मुफ़्ती साहब कई दिनों से बीमार थे उनके कई अंग काम करना बंद कर गये थे बहुत कोशिशों के बाद भी उन्हें बचाया नहीं जा सका | दिल्ली के एम्स में उनका इलाज चल रहा था लेकिन दुर्भाग्यवश जनवरी को निधन हो गया | अब पार्टी ने मुख्यमंत्री के तौर पर निर्विवाद महबूबा मुफ़्ती का नाम दिया हैं | फ़िलहाल जम्मू कश्मीर में एक महिला के मुख्यमंत्री बनने पर मुस्लिम समाज के महिलाओं की स्थिती सुधरने की गुंजाईश हैं | यह पहली महिला हैं जो देश में जम्मू कश्मीर से एक नेता के रूप में उभरी हैं |
भारत प्रशासित जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने अनंतनाग विधानसभा सीट में जीत हासिल कर ली है.

महबूबा के पिता पूर्व मुख्यमंत्री मुफ़्ती मोहम्मद सईद के निधन की वजह से ये सीट खाली हुई थी.

उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के हिलाल अहमद शाह को 10 हज़ार से भी ज़्यादा मतों से हराया. इमेज कॉपीरइट AP

मतगणना के दौरान कांग्रेस उम्मीदवार हिलाल अहमद शाह ने ईवीएम के साथ छेड़छाड़ की शिकायत की थी.

इसके बाद कुछ देर के लिए मतगणना रोक दी गई. हालांकि कुछ देर बाद मतगणना दोबारा शुरू हो गई थी. इमेज कॉपीरइट PTI

तीसरे नंबर पर नेशनल कांफ्रेंस के इफ्तिखार मिसगर रहे.

जम्मू-कश्मीर विधान सभा में ये महबूबा मुफ्ती का चौथा कार्यकाल होगा.

पहले दौर की मतगणना के बाद से ही महबूबा मुफ्ती ही बढ़त बनाए हुए थीं जो आखिर तक जारी रही.

पीडीपी अर्थात पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी ने घोषणा की है कि पार्टी अध्यक्ष महबूबा मुफ़्ती, जम्मू व कश्मीर की अगली मुख्यमंत्री होंगी।

पीडीपी के अनुसार अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती अपने पिता मुफ्ती मुहम्मद सईद के निधन पर सात दिनों के आधिकारिक शोक के बाद किसी भी समय जम्मू एवं कश्मीर के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले सकती हैं। यह अवधि बुधवार को पूरी हो रही है। पीडीपी ने यह भी साफ कर दिया है कि न तो उसने ख़ुद और न ही सहयोगी भारतीय जनता पार्टी ने राज्य में नई सरकार के गठन के लिए कोई पूर्व शर्त रखी है।

पीडीपी के प्रवक्ता महबूब बेग ने कहा कि किसी भी पक्ष की किसी पूर्व शर्त के बिना महबूबा मुफ़्ती कल बुधवार को समाप्त हो रहे सात दिनों के आधिकारिक शोक के बाद किसी भी समय मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगी। उन्होंने कहा कि गठबंधन के लिए पहले से तय शर्तो के हिसाब से ही अगली सरकार में दोनों दलों के बीच का रिश्ता होगा। पीडीपी प्रवक्ता बेग ने कहा कि महबूबा मुफ़्ती जनादेश का सम्मान करते हुए स्वर्गीय मुफ्ती मुहम्मद सईद के विकास के एजेंडे को ही आगे बढ़ाएंगी।

Date 2016-04-04 : हाल ही में, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की नेता महबूबा मुफ्ती ने 4 अप्रैल 2016 को जम्मू-कश्मीर के 13वें मुख्यमंत्री के रुप में शपथ ली। जम्मू-कश्मीर के राज्यपाल एनएन वोहरा ने उन्हें जम्मू स्थित राजभवन में पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इसके साथ ही पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता महबूबा जम्मू कश्मीर राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बन गई। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक निर्मल सिंह ने भी उप मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली।

शपथ लेने के साथ ही पीडीपी के संस्थापक मुफ्ती मोहम्मद सईद की पुत्री महबूबा जम्मू-कश्मीर में सरकार का नेतृत्व करने वाली पहली महिला बन गई और भारत के किसी राज्य की दूसरी मुस्लिम महिला मुख्यमंत्री बनीं। महबूबा से पहले सैयदा अनवरा तैमूरा वर्ष 1980 में असम की पहली मुस्लिम महिला मुख्यमंत्री बनी थी और वे 30 जून 1981 तक इस पद पर रहीं।