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-[[सिलचर]] | -[[सिलचर]] | ||
||[[चित्र:Tea-Worker.jpg|right|100px|border|चाय के बाग़ान में काम करते कुछ लोग]]'[[गुवाहाटी]] [[असम]] का महत्त्वपूर्ण व्यापार केंद्र तथा [[बंदरगाह]] है। पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार गुवाहाटी आसपास के क्षेत्र की व्यवसायिक गतिविधियों का केन्द्र है। इसे विश्व का सबसे बड़ा [[चाय]] का बाज़ार माना जाता है। यहाँ एक तेलशोधन संयंत्र और सरकारी कृषि क्षेत्र है तथा उद्योगों में चाय तथा [[कृषि]] उत्पादों का प्रसंस्करण, अनाज पिसाई तथा साबुन बनाना हैं। यहाँ कोई अन्य बड़े उद्योग नहीं हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुवाहाटी]], [[चाय]] | ||[[चित्र:Tea-Worker.jpg|right|100px|border|चाय के बाग़ान में काम करते कुछ लोग]]'[[गुवाहाटी]] [[असम]] का महत्त्वपूर्ण व्यापार केंद्र तथा [[बंदरगाह]] है। पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार गुवाहाटी आसपास के क्षेत्र की व्यवसायिक गतिविधियों का केन्द्र है। इसे विश्व का सबसे बड़ा [[चाय]] का बाज़ार माना जाता है। यहाँ एक तेलशोधन संयंत्र और सरकारी कृषि क्षेत्र है तथा उद्योगों में चाय तथा [[कृषि]] उत्पादों का प्रसंस्करण, अनाज पिसाई तथा साबुन बनाना हैं। यहाँ कोई अन्य बड़े उद्योग नहीं हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[गुवाहाटी]], [[चाय]] | ||
{रामतनु पाण्डेय किस व्यक्ति का मूल नाम था? | |||
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-[[स्वामी हरिदास]] | |||
-[[बीरबल]] | |||
+[[तानसेन]] | |||
-[[अकबर]] | |||
||[[चित्र:Akbar-Tansen-Haridas.jpg|right|100px|border|स्वामी हरिदास, अकबर तथा तानसेन]]'[[तानसेन]] का मूल नाम क्या था, यह निश्चय पूर्वक कहना कठिन है, किंवदंतियों के अनुसार उनका नाम तन्ना, त्रिलोचन, तनसुख, अथवा रामतनु बतालाया जाता है। तानसेन इनका नाम नहीं इनकी उपाधि थी, जो तानसेन को [[बांधवगढ़]] के राजा रामचंद्र से प्राप्त हुई थी। वह उपाधि इतनी प्रसिद्ध हुई कि उसने इनके मूल नाम को ही लुप्त कर दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तानसेन]] | |||
{[[शुंग वंश]] का अंतिम शासक कौन था? | |||
|type="()"} | |||
-[[अग्निमित्र]] | |||
+[[देवभूति]] | |||
-[[भगभद्र]] | |||
-[[वज्रमित्र]] | |||
||[[पुष्यमित्र शुंग|पुष्यमित्र]] [[शुंग वंश]] का प्रथम शासक था, उसके पश्चात उसका पुत्र [[अग्निमित्र]], उसका पुत्र वसुमित्र राजा बना। वसुमित्र के पश्चात जो शुंग सम्राट हुए, उसमें कौत्सीपुत्र भागमद्र, भद्रघोष, भागवत और [[देवभूति]] के नाम उल्लेखनीय है। शुंग वंश का अंतिम सम्राट देवहूति था, उसके साथ ही शुंग साम्राज्य समाप्त हो गया था। शुग-वंश के शासक [[वैदिक धर्म]] के मानने वाले थे। इनके समय में [[भागवत धर्म]] की विशेष उन्नति हुई। | |||
{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शुंग वंश]], [[देवभूति]] | |||
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11:18, 2 दिसम्बर 2016 का अवतरण
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