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'''बिदेशिया''' [[बिहार]] राज्य के लोकनाट्यों में से एक है। इस लोकनाट्य में [[भोजपुर ज़िला|भोजपुर]] क्षेत्र के अत्यन्त लोकप्रिय '[[लौंडा नृत्य]]' के साथ ही आल्हा, पचड़ा, बारहमासा, पूरबी गोंड, नेटुआ, [[पंवड़िया नृत्य|पंवड़िया]] आदि की पुट होती है। | '''बिदेशिया''' [[बिहार]] राज्य के लोकनाट्यों में से एक है। इस लोकनाट्य में [[भोजपुर ज़िला|भोजपुर]] क्षेत्र के अत्यन्त लोकप्रिय '[[लौंडा नृत्य]]' के साथ ही आल्हा, पचड़ा, बारहमासा, पूरबी गोंड, नेटुआ, [[पंवड़िया नृत्य|पंवड़िया]] आदि की पुट होती है। | ||
*लोकनाट्य का प्रारम्भ मंगलाचरण से होता है। इसमें महिला पात्रों की भूमिका भी | *लोकनाट्य का प्रारम्भ मंगलाचरण से होता है। इसमें महिला पात्रों की भूमिका भी पुरुष कलाकारों द्वारा की जाती है। | ||
*पात्र भूमिका भी निभाते हैं और पृष्ठभूमि में गायन-वादन आदि का भी कार्य करते हैं। | *पात्र भूमिका भी निभाते हैं और पृष्ठभूमि में गायन-वादन आदि का भी कार्य करते हैं। | ||
07:32, 3 जनवरी 2016 के समय का अवतरण
बिदेशिया बिहार राज्य के लोकनाट्यों में से एक है। इस लोकनाट्य में भोजपुर क्षेत्र के अत्यन्त लोकप्रिय 'लौंडा नृत्य' के साथ ही आल्हा, पचड़ा, बारहमासा, पूरबी गोंड, नेटुआ, पंवड़िया आदि की पुट होती है।
- लोकनाट्य का प्रारम्भ मंगलाचरण से होता है। इसमें महिला पात्रों की भूमिका भी पुरुष कलाकारों द्वारा की जाती है।
- पात्र भूमिका भी निभाते हैं और पृष्ठभूमि में गायन-वादन आदि का भी कार्य करते हैं।
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