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भगवान [[शिव]] के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में [[ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग]] है। [[काशी]] में यह ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर में है। नाड़ी शास्त्र के स्वर के अनुसार ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग अकार, मकार और ऊकार का सूचक है। काशी खंड के अनुसार इसी लिंग का नाम कपिलेश्वर और नादेश्वर भी है। इनके दर्शन-पूजन से सभी लिंगों की पूजा का फल मिल जाता है। [[वैशाख]] [[शुक्ल पक्ष|शुक्ल]] [[चतुर्दशी]] को इनकी वार्षिक पूजा और श्रृंगार किया जाता है। इस दौरान काफी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं। साथ ही पूरा माहौल हर-हर महादेव के जयघोष से गूंज उठता है।
भगवान [[शिव]] के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में [[ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग]] है। [[काशी]] में यह ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर में है। नाड़ी शास्त्र के स्वर के अनुसार ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग अकार, मकार और ऊकार का सूचक है। काशी खंड के अनुसार इसी लिंग का नाम कपिलेश्वर और नादेश्वर भी है। इनके दर्शन-पूजन से सभी लिंगों की पूजा का फल मिल जाता है। [[वैशाख]] [[शुक्ल पक्ष|शुक्ल]] [[चतुर्दशी]] को इनकी वार्षिक पूजा और श्रृंगार किया जाता है। इस दौरान काफ़ी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं। साथ ही पूरा माहौल हर-हर महादेव के जयघोष से गूंज उठता है।





14:10, 1 नवम्बर 2014 का अवतरण

ओंकारेश्वर, वाराणसी

भगवान शिव के द्वादश ज्योतिर्लिंगों में ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग है। काशी में यह ज्योतिर्लिंग ओंकारेश्वर में है। नाड़ी शास्त्र के स्वर के अनुसार ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग अकार, मकार और ऊकार का सूचक है। काशी खंड के अनुसार इसी लिंग का नाम कपिलेश्वर और नादेश्वर भी है। इनके दर्शन-पूजन से सभी लिंगों की पूजा का फल मिल जाता है। वैशाख शुक्ल चतुर्दशी को इनकी वार्षिक पूजा और श्रृंगार किया जाता है। इस दौरान काफ़ी संख्या में श्रद्धालु जुटते हैं। साथ ही पूरा माहौल हर-हर महादेव के जयघोष से गूंज उठता है।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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