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'''राम रैया''' [[सिक्ख धर्म]] से असहमति रखने वाले एक समुह के सदस्य हैं। ये [[सिक्ख|सिक्खों]] के प्रसिद्ध [[गुरु हरराय]] के सबसे बड़े बेटे राम राय के वंशज हैं।<ref name="aa">{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारत ज्ञानकोश, खण्ड-5|लेखक=इंदु रामचंदानी|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली और पॉप्युलर प्रकाशन, मुम्बई|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=89|url=}}</ref>
'''राम रैया''' [[सिक्ख धर्म]] से असहमति रखने वाले एक समूह के सदस्य हैं। ये [[सिक्ख|सिक्खों]] के प्रसिद्ध [[गुरु हरराय]] के सबसे बड़े बेटे राम राय के वंशज हैं।<ref name="aa">{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारत ज्ञानकोश, खण्ड-5|लेखक=इंदु रामचंदानी|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली और पॉप्युलर प्रकाशन, मुम्बई|संकलन= भारतकोश पुस्तकालय|संपादन= |पृष्ठ संख्या=89|url=}}</ref>


*राम राय को उनके [[पिता]] ने तत्कालीन [[मुग़ल]] राजधानी [[दिल्ली]] में राजदूत बनाकर भेजा था।
*राम राय को उनके [[पिता]] ने तत्कालीन [[मुग़ल]] राजधानी [[दिल्ली]] में राजदूत बनाकर भेजा था।

12:56, 12 सितम्बर 2014 के समय का अवतरण

राम रैया सिक्ख धर्म से असहमति रखने वाले एक समूह के सदस्य हैं। ये सिक्खों के प्रसिद्ध गुरु हरराय के सबसे बड़े बेटे राम राय के वंशज हैं।[1]

  • राम राय को उनके पिता ने तत्कालीन मुग़ल राजधानी दिल्ली में राजदूत बनाकर भेजा था।
  • दिल्ली में राम राय ने बादशाह औरंगज़ेब का विश्वास जीत लिया, लेकिन इससे उनके पिता नाराज़ हो गए।
  • गुरु हरराय ने अगला गुरु चुनते समय राम राय को छोड़ दिया और उनके छोटे भाई हरिकृष्ण के पक्ष में निर्णय लिया।
  • कुछ राम रैया गुरुद्वारे देहरादून, उत्तरांचल में औरंगज़ेब द्वारा दी गई भूमि पर स्थापित व संचालित हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. भारत ज्ञानकोश, खण्ड-5 |लेखक: इंदु रामचंदानी |प्रकाशक: एंसाइक्लोपीडिया ब्रिटैनिका प्राइवेट लिमिटेड, नई दिल्ली और पॉप्युलर प्रकाशन, मुम्बई |संकलन: भारतकोश पुस्तकालय |पृष्ठ संख्या: 89 |

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