"धर्माचार्य": अवतरणों में अंतर

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12:13, 21 मार्च 2014 के समय का अवतरण

हिंदू धर्माचार्य

हिंदू धर्म को दो दृष्टिकोण से देखा जाता है-

  1. व्यक्तिगत विकास
  2. आध्यात्मिक विकास

व्यक्तिगत विकास के लिये षोडस संस्कारों के सम्पादन की जवाबदेही कर्मकांडियों पर होती है जबकि धर्म की तात्विक मीमांसा का उत्तरदायित्व धर्माचार्यों का है।

कर्मकांड

सोलह संस्कारों के क्रियांवयन को पुरोहित सम्पन्न कराते हैं जो उनका व्यवसाय भी है ऐसा माना जाता है।

अध्यात्म

हिंदू धर्म दर्शन का आधार आत्मिक उन्नयन है जिसे आध्यात्मिक प्रक्रिया माना गया है। अध्यात्म धर्म के तात्विक विश्लेषण का क्रियात्मक स्वरूप है। जिसे आस्था, त्याग और चिंतन की उपक्रियाओं से होकर गुज़रना होता है। इस प्रक्रिया के निष्णात धर्माचार्य होते हैं जो अपने अनुयाईयों को साधना के ज़रिये आत्मिक-शुचिता प्रदान करते हैं।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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