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'''[[रसखान|सैय्यद इब्राहीम 'रसखान']]''' का [[हिन्दी साहित्य]] में [[कृष्ण]] भक्त तथा [[रीतिकाल|रीतिकालीन]] कवियों में महत्त्वपूर्ण स्थान है। रसखान को 'रस की | '''[[रसखान|सैय्यद इब्राहीम 'रसखान']]''' का [[हिन्दी साहित्य]] में [[कृष्ण]] भक्त तथा [[रीतिकाल|रीतिकालीन]] कवियों में महत्त्वपूर्ण स्थान है। रसखान को 'रस की खान(क़ान)' कहा जाता है। इनके [[काव्य]] में भक्ति, [[श्रृंगार रस]] दोनों प्रधानता से मिलते हैं। उन्होंने अपने काव्य की सीमित परिधि में इन असीमित लीलाओं का बहुत सूक्ष्म वर्णन किया है। [[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र]] ने जिन [[मुस्लिम]] हरिभक्तों के लिये कहा था, '''इन मुसलमान हरिजनन पर कोटिन हिन्दू वारिए''' उनमें "रसखान" का नाम सर्वोपरि है। रसखान की कविताओं के दो संग्रह प्रकाशित हुए हैं- 'सुजान रसखान' और 'प्रेमवाटिका'। 'सुजान रसखान' में 139 सवैये और कवित्त है। 'प्रेमवाटिका' में 52 दोहे हैं, जिनमें प्रेम का बड़ा अनूठा निरूपण किया गया है। [[रसखान|... और पढ़ें]] | ||
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15:10, 28 दिसम्बर 2013 का अवतरण
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