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| ==स्थापना==
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| जैसलमेर शहर, पश्चिमी [[राजस्थान]] राज्य, पश्चिमोत्तर भारत में स्थित है। पीले भूरे पत्थरों से निर्मित भवनों के लिए विख्यात जैसलमेर की स्थापना 1156 में राजपूतों (राजपूताना एतिहासिक क्षेत्र के योद्धा शासक) के सरदार [[रावल जैसल]] ने की थी।
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| ==विशेषता==
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| यह सारा नगर ही पीले सुन्दर पत्थर का बना हुआ है जो नगर की विशेषता है। यहाँ के मंदिर व प्राचीन भवन और प्रासाद भी इसी पीले पत्थर के बने हुए हैं और उन पर जाली का बारीक काम किया हुआ है। जैसलमेर पर्यटन का सबसे आकर्षक स्थल माना जाता है।
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| ==इतिहास==
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| 12वीं शताब्दी में जैसलमेर अपनी चरम सीमा पर था। आरंभिक 14वीं शताब्दी में [[दिल्ली]] के सुल्तान [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] द्वारा राजधानी को नेस्तनाबूद किए जाने के बाद इसका पतन हो गया। बाद में यह [[मुग़ल]] सत्ता के अधीन हो गया और 1818 में इसने अंग्रेज़ों के साथ राजनीतिक संबंध क़ायम किए। 1949 में यह राजस्थान राज्य में शामिल हो गया। जैसलमेर राजपूताने की प्राचीन रियासत तथा उसका मुखय नगर है। किंवदंती के अनुसार [[जैसलराव]] ने जैसलमेर की नींव 1155 ई॰ (विक्रम संवत्) में डाली थी। कहा जाता है कि जैसलराव के पूर्व पुरुषों ने ही गजनी बसाई थी और उन्होंने ही राजा [[शालिवाहन]] के समय में स्यालकोट बसाया था। किसी समय जैसलमेर बड़ा नगर था जो अब इसके अनेक रिक्त भवनों को देखने से सूचित होता है। प्राचीन काल में यहाँ पीला संगमरमर तथा अन्य कई प्रकार के पत्थर तथा मिट्टियाँ पाई जाती थीं जिनका अच्छा व्यापार था।
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| जैसलमेर का इतिहास अत्यंत प्राचीन रहा है। यह शहर प्राचीन [[सिन्धु घाटी सभ्यता]] का क्षेत्र रहा है। वर्तमान जैसलमेर ज़िले का भू-भाग प्राचीन काल में ’माडधरा’ अथवा ’वल्लभमण्डल’ के नाम से प्रसिद्ध था। ऐसा माना जाता हैं कि [[महाभारत]] युद्ध के पश्चात कालान्तर में यादवों का [[मथुरा]] से काफ़ी संख्या में बहिर्गमन हुआ। जैसलमेर के भूतपूर्व शासकों के पूर्वज जो अपने को भगवान [[कृष्ण]] के वंशज मानते हैं, संभवता छठी शताब्दी में जैसलमेर के भूभाग पर आ बसे थे। ज़िले में यादवों के वंशज भाटी राजपूतों की प्रथम राजधानी [[तनोट]], दूसरी [[लौद्रवा]] तथा तीसरी जैसलमेर में रही।
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| ==व्यापार और उद्योग==
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| यह शहर ऊन, चमड़ा, नमक, मुलतानी मिट्टी, ऊँट और भेड़ का व्यापार करने वाले कारवां का प्रमुख केंद्र है।
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| ==कृषि और खनिज==
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| ज्वार और बाजरा यहाँ की मुख्य फ़सलें हैं। बकरी, ऊँट, भेड़ और गायों का प्रजनन बड़े पैमाने पर किया जाता है, चूना पत्थर, मुलतानी मिट्टी और जिप्सम का खनन होता है।
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| ==यातायात और परिवहन==
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| यह शहर [[जोधपुर]], [[बाड़मेर]] तथा [[फलोदी]] से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा हुआ है।
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| ==शिक्षण संस्थान==
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| यहाँ श्री सांगीदास बालकृष्ण गवर्नमेंट कॉलेज नामक एक महाविद्यालय है।
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| ==जनसंख्या==
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| जैसलमेर शहर की जनसंख्या (2001 की गणना के अनुसार) 58, 286 है। जैसलमेर ज़िले की कुल जनसंख्या 5,07,999 है।
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| ==पर्यटन==
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| जैसलमेर शहर के निकट एक पहाड़ी पर बने हुए इस दुर्ग में राजमहल, कई प्राचीन [[जैन]] मंदिर और ज्ञान भंडार नामक एक पुस्तकालय है, जिसमें प्राचीन संस्कृत तथा प्राकृत पांडुलिपियाँ रखी हुई हैं।
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| इसके आसपास का क्षेत्र, जो पहले एक रियासत था, लगभग पूरी तरह रेतीला बंजर इलाक़ा है और थार [[रेगिस्तान]] का एक हिस्सा है। यहाँ की एकमात्र [[काकनी नदी]] काफ़ी बड़े इलाके में फैल कर भिज झील का निर्माण करती है।
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| जैसलमेर, ज़िले का प्रमुख नगर हैं जो नक्काशीदार हवेलियों, गलियों, प्राचीन जैन मंदिरों, मेलों और उत्सवों के लिये प्रसिद्ध हैं। निकट ही सम गाँव में रेत के टीलों का पर्यटन की दृष्टि से विशेष महत्व हैं। यहाँ का सोनार क़िला राजस्थान के श्रेष्ठ धान्वन दुर्गों में माना जाता हैं।
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| ==प्रमुख एतिहासिक स्मारक==
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| *जैसलमेर के प्रमुख एतिहासिक स्मारकों में सर्वप्रमुख यहाँ का क़िला है। यह 1155 ई॰ में निर्मित हुआ था। यह स्थापत्य का सुंदर नमूना है। इसमें बारह सौ घर हैं।
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| *15वीं सती में निर्मित जैन मंदिरों के तोरणों, स्तंभों, प्रवेशद्वारों आदि पर जो बारीक न्क़्क़ाशी व शिल्प प्रदर्शित है उन्हें देखकर दाँतो तले उँगली दबानी पड़ती है। कहा जाता है कि जावा, बाली आदि प्राचीन हिंदू व बौद्ध उपनिवेशों के स्मारकों में जो भारतीय वास्तु व मूर्तिकला प्रदर्शित है उससे जैसलमेर के जैन मंदिरों की कला का अनोखा साम्य है।
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| *क़िले में लक्ष्मीनाथ जी का मंदिर अपने भव्य सौंदर्य के लिए प्रख्यात है।
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| *नगर से चार मील दूर अमरसागर के मंदिर में मकराना के संगमरमर की बनी हुई जालियाँ निर्मित हैं।
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| *जैसलमेर की पुरानी राजधानी लोद्रवापुर थी।
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| *यहाँ पुराने खंडहरों के बीच केवल एक प्राचीन जैनमंदिर ही काल-कवलित होने से बचा है। यह केवल एक सहस्न वर्ष प्राचीन है।
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| *जैसलमेर के शासक महारावल कहलाते थे।
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