"उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी": अवतरणों में अंतर
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उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी की स्थापना 8 फरवरी [[1962]] को उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग की पूर्णतः वित्त पोषित स्वायतशासी इकाई के रूप में हुई थी। अकादमी कला एवं कलाकारों की प्रोन्नति एवं प्रोत्साहन के ध्येय की ओर निरन्तर अग्रसर होती हुयी कला जगत में उल्लेखनीय कार्य कर रही है। अकादमी [[लखनऊ]] में छतर मंजिल और [[इलाहाबाद]] [[उच्च न्यायालय]] के लखनऊ पीठ के मध्य ललित कला अकादमी मार्ग पर लाल बारादरी भवन में स्थित है। | |||
यह भवन एक पुरातात्विक इमारत है जिसका निर्माण [[1778]]-[[1814]] के मध्य हुआ है। यह नवाबी इमारतों के वास्तुशिल्प का महत्वपूर्ण नमूना है। लाल बारादरी के भवन में सआदत अली खान से लेकर वाजिद अली शाह तक का दरबार-ए-हाल सजता था और उनकी ताजपोशी भी यहीं हुयी थी। इसी कारण इस भवन को कम्र-उल-सआदत अर्थात सुल्तानो का महल कहा जाता था। इस्का निर्मान सआदत अली खान ने अट्ठारहवीं सदी के अंत में करवाया था । | |||
यह दरबार महल इतना महत्वमूर्ण और खुबसूरत था कि अंग्रेजों ने इसकी तुलना अपने दरबार-ऐ- हाल से की थी। स्वतंत्रता के पश्चात सर्वप्रथम इस भवन में [[राजकीय]] [[संग्रहालय]] स्थापित हुआ। राजकीय संग्रहालय का अपने भवन में स्थानान्तरण होने के पश्चात इस भवन में राज्य ललित कला अकादमी की स्थापना वर्ष [[1962]] में हुई। | |||
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*[http://www.lalikalaakadmiup.nic.in उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी ] | |||
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उत्तर प्रदेश राज्य ललित कला अकादमी की स्थापना 8 फरवरी 1962 को उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति विभाग की पूर्णतः वित्त पोषित स्वायतशासी इकाई के रूप में हुई थी। अकादमी कला एवं कलाकारों की प्रोन्नति एवं प्रोत्साहन के ध्येय की ओर निरन्तर अग्रसर होती हुयी कला जगत में उल्लेखनीय कार्य कर रही है। अकादमी लखनऊ में छतर मंजिल और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के लखनऊ पीठ के मध्य ललित कला अकादमी मार्ग पर लाल बारादरी भवन में स्थित है।
यह भवन एक पुरातात्विक इमारत है जिसका निर्माण 1778-1814 के मध्य हुआ है। यह नवाबी इमारतों के वास्तुशिल्प का महत्वपूर्ण नमूना है। लाल बारादरी के भवन में सआदत अली खान से लेकर वाजिद अली शाह तक का दरबार-ए-हाल सजता था और उनकी ताजपोशी भी यहीं हुयी थी। इसी कारण इस भवन को कम्र-उल-सआदत अर्थात सुल्तानो का महल कहा जाता था। इस्का निर्मान सआदत अली खान ने अट्ठारहवीं सदी के अंत में करवाया था ।
यह दरबार महल इतना महत्वमूर्ण और खुबसूरत था कि अंग्रेजों ने इसकी तुलना अपने दरबार-ऐ- हाल से की थी। स्वतंत्रता के पश्चात सर्वप्रथम इस भवन में राजकीय संग्रहालय स्थापित हुआ। राजकीय संग्रहालय का अपने भवन में स्थानान्तरण होने के पश्चात इस भवन में राज्य ललित कला अकादमी की स्थापना वर्ष 1962 में हुई।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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