"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/2": अवतरणों में अंतर
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|| [[चित्र:Peacock-1.jpg|right|120px|मोर]] मोर के अद्भुत सौंदर्य के कारण ही [[भारत]] सरकार ने [[26 जनवरी]], [[1963]] को राष्ट्रीय पक्षी घोषित किया। भारतीय जनमानस के मन में बसा और आस्थाओं से रचा बसा पक्षी मोर का वैज्ञानिक नाम पैवो क्रिस्टेटस है। इसकी दो प्रजातियाँ हैं- नीला या भारतीय मोर (''पैवो क्रिस्टेटस''), जो [[भारत]] और [[श्रीलंका]] (भूतपूर्व [[सीलोन]]) में पाया जाता है। हरा या जावा का मोर (''पैवो म्यूटिकस''), जो [[म्यांमार]] (भूतपूर्व [[बर्मा]]) से जावा तक पाया जाता है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मोर]] | |||
{भूमि में अधिक गहराई पर बोए गए बीज प्राय: अंकुरित नहीं होते हैं, क्योंकि- | {भूमि में अधिक गहराई पर बोए गए बीज प्राय: अंकुरित नहीं होते हैं, क्योंकि- | ||
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-[[गाय]] | -[[गाय]] | ||
+[[सूअर]] | +[[सूअर]] | ||
||सूअर 'आर्टियोडेक्टिला' गण के 'सुइडी कुल' का जीव होते हैं, जिनमें संसार के सभी | ||सूअर 'आर्टियोडेक्टिला' गण के 'सुइडी कुल' का जीव होते हैं, जिनमें संसार के सभी [[जंगली सूअर]] और पालतू सूअर सम्मिलित होते हैं। इन खुर वाले प्राणियों की खाल बहुत मोटी होती है और इनके शरीर, जिन पर थोड़े बहुत बाल रहते हैं, वे बहुत कड़े होते हैं। इनका थूथन आगे की ओऱ चपटा रहता है, जिसके भीतर मुलायम हड्डी का एक चक्र सा रहता है, जो थूथन को कड़ा बनाए रखता है। इसी थूथन के सहारे ये जमीन खोद डालते हैं और भारी-भारी पत्थरों को आसानी से उलट देते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूअर]] | ||
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11:56, 1 जून 2012 का अवतरण
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