"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/2": अवतरणों में अंतर
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+डेवी ने | +डेवी ने | ||
-लेवोसिये ने | -लेवोसिये ने | ||
-फ़ैराडे ने | -फ़ैराडे ने | ||
-बॉयल ने | -बॉयल ने | ||
{जब दो या दो से अधिक पदार्थ परस्पर संयोग करके केवल एक पदार्थ बनाते हैं तो यह अभिक्रिया कहलाती है-(यूनीक-3, पृष्ठ-F/334, प्रश्न-248) | {जब दो या दो से अधिक [[पदार्थ]] परस्पर संयोग करके केवल एक पदार्थ बनाते हैं तो यह अभिक्रिया कहलाती है-(यूनीक-3, पृष्ठ-F/334, प्रश्न-248) | ||
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+योगात्मक | +योगात्मक | ||
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-प्रतिस्थापन | -प्रतिस्थापन | ||
{निम्न में से कौन-सा जल सबसे अधिक शुद्ध है?(यूनीक-3, पृष्ठ-F/335, प्रश्न-258) | {निम्न में से कौन-सा [[जल]] सबसे अधिक शुद्ध है?(यूनीक-3, पृष्ठ-F/335, प्रश्न-258) | ||
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-समुद्र का जल | -[[समुद्र]] का [[जल]] | ||
+वर्षा का जल | +[[वर्षा]] का जल | ||
-नदी का जल | -नदी का जल | ||
-कुऐं का जल | -[[कुआँ|कुऐं]] का जल | ||
{'बीनस के फूलों का गुलदस्ता' जो जापान में भेंट किया जाता है-(यूनीक-3, पृष्ठ-F/342, प्रश्न-115) | {'बीनस के फूलों का गुलदस्ता' जो [[जापान]] में भेंट किया जाता है-(यूनीक-3, पृष्ठ-F/342, प्रश्न-115) | ||
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-ल्यूको सोलीनिया | -ल्यूको सोलीनिया | ||
-यूस्पंजिया | -यूस्पंजिया | ||
-स्पाइरोगाइरा | -स्पाइरोगाइरा | ||
+यूप्लेक्टेला | +यूप्लेक्टेला | ||
{निम्न में वह कौन-सा पौधा है, जो ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में श्वसन कर सकता है?(यूनीक-3, पृष्ठ-F/342, प्रश्न-131) | {निम्न में वह कौन-सा पौधा है, जो [[ऑक्सीजन]] की अनुपस्थिति में [[श्वसन]] कर सकता है?(यूनीक-3, पृष्ठ-F/342, प्रश्न-131) | ||
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-गुलाब | -[[गुलाब]] | ||
+क्लोरेला | +क्लोरेला | ||
-फ़ाइकस | -फ़ाइकस | ||
-आलू | -[[आलू]] | ||
{भारतीय मोर का वैज्ञानिक नाम क्या है?(यूनीक-3, पृष्ठ-F/344, प्रश्न-169) | {भारतीय [[मोर]] का वैज्ञानिक नाम क्या है?(यूनीक-3, पृष्ठ-F/344, प्रश्न-169) | ||
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-पैन्थेरा टाइग्रिस | -पैन्थेरा टाइग्रिस | ||
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{भूमि में अधिक गहराई पर बोए गए बीज प्राय: अंकुरित नहीं होते हैं, क्योंकि-(ल्यूसेंट वस्तुनिष्ठ, पेज नं.-500, प्रश्न-51) | {भूमि में अधिक गहराई पर बोए गए बीज प्राय: अंकुरित नहीं होते हैं, क्योंकि-(ल्यूसेंट वस्तुनिष्ठ, पेज नं.-500, प्रश्न-51) | ||
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+इन्हें वायु नहीं मिल पाती | +इन्हें वायु नहीं मिल पाती है। | ||
-इन्हें नाइट्रोजन नहीं मिल पाती। | -इन्हें नाइट्रोजन नहीं मिल पाती। | ||
-ये महान दबाव के अंतर्गत होते | -ये महान दबाव के अंतर्गत होते हैं। | ||
-इन्हें प्रकाश नहीं मिल पाता है। | -इन्हें प्रकाश नहीं मिल पाता है। | ||
{चाय में लाल रस्ट रोग किसके कारण होता है?(ल्यूसेंट वस्तुनिष्ठ, पेज नं.-501, प्रश्न-06) | {[[चाय]] में 'लाल रस्ट रोग' किसके कारण होता है?(ल्यूसेंट वस्तुनिष्ठ, पेज नं.-501, प्रश्न-06) | ||
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-जीवाणु | -[[जीवाणु]] | ||
-लाइकेन | -लाइकेन | ||
-कवक | -[[कवक]] | ||
+शैवाल | +[[शैवाल]] | ||
||कुछ शैवाल जलाशयों में प्रदूषण बढ़ाते हैं, जिससे पानी प्रयोग के योग्य नहीं रह जाता है। ये [[शैवाल]] ज़हर पैदा करते हैं, जिससे [[मछली|मछलियाँ]] मर जाती हैं और नदियों आदि का प्राकृतिक सन्तुलन बिगड़ जाता है। इस तरह की शैवालों में 'माइक्रोसिस्टिस' तथा 'क्रोकोकस' आदि उल्लेखनीय हैं। 'सिफेल्यूरोस' नामक शैवाल की जातियाँ [[चाय]] पर ‘लाल किट्ट रोग’ उत्पन्न करती हैं, जिससे चाय उद्योग को भारी हानि पहुँचती है। [[वर्षा]] के दिनों में ज़मीन [[हरा रंग|हरे रंग]] की दिखने लगती है और फिसलनदार हो जाती है। इस ज़मीन में हरित-नीले शैवाल उग आते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शैवाल]] | |||
{तालाबों और कुओं में किस एक को छोड़ने से मच्छरों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है?(ल्यूसेंट वस्तुनिष्ठ, पेज नं.-516, प्रश्न-156) | {तालाबों और [[कुआँ|कुओं]] में किस एक को छोड़ने से मच्छरों को नियंत्रित करने में मदद मिलती है?(ल्यूसेंट वस्तुनिष्ठ, पेज नं.-516, प्रश्न-156) | ||
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-केकड़ा | -केकड़ा | ||
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-घोंघा | -घोंघा | ||
{मानव के आँसू में कौन-सा एन्जाइम होता है, जिससे जीवाणु मर जाते हैं?(ल्यूसेंट वस्तुनिष्ठ, पेज नं.-522, प्रश्न-204) | {मानव के [[आँसू]] में कौन-सा एन्जाइम होता है, जिससे [[जीवाणु]] मर जाते हैं?(ल्यूसेंट वस्तुनिष्ठ, पेज नं.-522, प्रश्न-204) | ||
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-एमाइलेज | -एमाइलेज | ||
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{वास्तविक केन्द्रक किसमें अनुपस्थित होता है?(ल्यूसेंट वस्तुनिष्ठ, पेज नं.-504, प्रश्न-39) | {वास्तविक केन्द्रक किसमें अनुपस्थित होता है?(ल्यूसेंट वस्तुनिष्ठ, पेज नं.-504, प्रश्न-39) | ||
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+जीवाणुओं में | +[[जीवाणु|जीवाणुओं]] में | ||
-हरे [[शैवाल|शैवालों]] में | |||
-हरे शैवालों में | -[[कवक|कवकों]] में | ||
-कवकों में | |||
-लाइकेनों में | -लाइकेनों में | ||
||[[चित्र:Bacteria.jpg|right|100px|जीवाणु]]'जीवाणु' एक एककोशिकीय जीव है। इसका आकार कुछ मिमी. तक ही होता है। इनकी आकृति गोल या मुक्त-चक्राकार से लेकर छङा, आदि आकार की हो सकती है। पहले जीवाणुओं को पैधा माना जाता था, परंतु अब उनका वर्गीकरण प्रोकैरियोट्स के रूप में होता है। दुसरे जन्तु कोशिकों तथा यूकैरियोट्स की भांति जीवाणु कोष में पूर्ण विकसीत केन्द्रक का सर्वथा आभाव होता है, जबकि दोहरी झिल्ली युक्त कोसिकांग यदा कदा ही पाएं जाते हैं। पारंपरिक रूप से [[जीवाणु]] शब्द का प्रयोग सभी सजीवों के लिए होता था, परंतु यह वैज्ञानिक वर्गीकरण [[1990]] ई. में हुए एक खोज के बाद बदल गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[जीवाणु]] | |||
{निम्न में सबसे स्थायी पारिस्थितिक तन्त्र कौन-सा है?(ल्यूसेंट वस्तुनिष्ठ, पेज नं.-506, प्रश्न-43) | {निम्न में सबसे स्थायी पारिस्थितिक तन्त्र कौन-सा है?(ल्यूसेंट वस्तुनिष्ठ, पेज नं.-506, प्रश्न-43) | ||
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-घास के मैदान | -घास के मैदान | ||
-तालाब | -तालाब | ||
+समुद्र | +[[समुद्र]] | ||
||[[चित्र:Arabian-Sea-3.jpg|right|120px|अरब सागर, केरल]]'सागर' या 'समुद्र' खारे पानी का विशाल और लगातार क्षेत्र होता है, जो [[पृथ्वी]] का ज़्यादातर हिस्सा ढके हुए है। यह महासागरों का हिस्सा होते हैं, जैसे- [[हिंद महासागर]], [[अरब सागर]] आदि। भारतीय उपमहाद्वीप को घेरे हुए नीले पानी में यात्रा करना स्मरणीय अनुभव होता है। अधिकांश तटीय राज्यों में नियमित सरकारी जहाज़ उपलब्ध हैं। समुद्री यात्रा का उपयोग अधिकांशत: अरब सागर में [[लक्षद्वीप]] पहुँचने और [[बंगाल की खाड़ी]] में [[अंडमान एवं निकोबार द्वीपसमूह]] पहुँचने में किया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[समुद्र]] | |||
{मानव शरीर में एन्टअमीबा हिस्टोलिटिका कहाँ पाया जाता है?(ल्यूसेंट वस्तुनिष्ठ, पेज नं.-512, प्रश्न-07) | {[[मानव शरीर]] में 'एन्टअमीबा हिस्टोलिटिका' कहाँ पाया जाता है?(ल्यूसेंट वस्तुनिष्ठ, पेज नं.-512, प्रश्न-07) | ||
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+ | +[[आन्त्र]] | ||
-गला | -गला | ||
- | -[[आमाशय]] | ||
-फेफड़ा | -[[फेफड़ा]] | ||
||[[चित्र:Human-Body.jpg|right|100px|आन्त्र का प्रदर्शन]][[मानव शरीर|मनुष्य के शरीर]] में [[आन्त्र]] मुख्य रूप से दो भागों में विभाजित रहती है- '[[छोटी आन्त्र]]' और '[[बड़ी आन्त्र]]।' छोटी आन्त्र [[आमाशय]] के पीछे व उदरगुहा के अधिकांश भाग को घेरे हुए, लगभग 6 मीटर लम्बी व 2.5 सेमी मोटी और अत्यधिक कुण्डलित नलिका होती है। छोटी आन्त्र शेषान्त्र के पीछे की ओर बड़ी आन्त्र में खुलती है। यह छोटी आन्त्र की अपेक्षा अधिक चौड़ी व लगभग 1.5 मीटर लम्बी तथा 6.7 सेमी मोटी होती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[आंत]] | |||
{मानव शरीर की किस ग्रन्थि को 'मास्टर ग्रन्थि' कहा जाता है? | {[[मानव शरीर]] की किस ग्रन्थि को 'मास्टर ग्रन्थि' कहा जाता है? | ||
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-अग्न्याशय | -[[अग्न्याशय]] | ||
+पीयूष | +पीयूष | ||
-अवटू | -अवटू | ||
-प्लीहा | -प्लीहा | ||
{किसका अधपका कच्चा मांस खाने से फीताकृमि मनुष्य की [[आन्त्र]] में पहुँचता है?(ल्यूसेंट वस्तुनिष्ठ, पेज नं.-513, प्रश्न-031) | |||
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-बकरी | |||
-भेड़ | |||
-[[गाय]] | |||
+[[सूअर]] | |||
||सूअर 'आर्टियोडेक्टिला' गण के 'सुइडी कुल' का जीव होते हैं, जिनमें संसार के सभी जंगली [[सूअर]] और पालतू सूअर सम्मिलित होते हैं। इन खुर वाले प्राणियों की खाल बहुत मोटी होती है और इनके शरीर, जिन पर थोड़े बहुत बाल रहते हैं, वे बहुत कड़े होते हैं। इनका थूथन आगे की ओऱ चपटा रहता है, जिसके भीतर मुलायम हड्डी का एक चक्र सा रहता है, जो थूथन को कड़ा बनाए रखता है। इसी थूथन के सहारे ये जमीन खोद डालते हैं और भारी-भारी पत्थरों को आसानी से उलट देते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूअर]] | |||
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07:53, 29 मई 2012 का अवतरण
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