"साँचा:साप्ताहिक सम्पादकीय": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
| style="background:transparent;"|
| style="background:transparent;"|
{| style="background:transparent; width:100%"
{| style="background:transparent; width:100%"
|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 31 मार्च 2012|साप्ताहिक सम्पादकीय<small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font>
|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 7 अप्रॅल 2012|साप्ताहिक सम्पादकीय<small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font>
|-
|-
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}}
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}}
{| style="background:transparent; width:100%" align="left"
{| style="background:transparent; width:100%" align="left"
|- valign="top"
|- valign="top"
| [[चित्र:Uksavkijail.jpg|100px|border|right|link=भारतकोश सम्पादकीय 31 मार्च 2012]]
| [[चित्र:Shershah-suri.jpg|150px|border|right|link=भारतकोश सम्पादकीय 7 अप्रॅल 2012]]
<poem>
<poem>
[[भारतकोश सम्पादकीय 31 मार्च 2012|उकसाव का इमोशनल अत्याचार]]
[[भारतकोश सम्पादकीय 7 अप्रॅल 2012|सत्ता का रंग]]
     "नये क़ैदी की क्या ख़बर है हवलदार ? उसको टॉर्चर किया कि नहीं ?"
     [[शेरशाह सूरी]] जब [[दिल्ली]] की गद्दी पर बैठा तो कहते हैं कि सबसे पहले वह शाही बाग़ के तालाब में अपना चेहरा देखकर यह परखने गया कि उसका माथा बादशाहों जैसा चौड़ा है या नहीं !
"जी सर ! आतंकवादियों को टॉर्चर करने के लिए रूल-बुक में तीन तरीक़े दिए गए हैं। हमने तीनों कर लिए। ऑडर की कंप्लाइंस हो गयी सर, लेकिन उस पर कोई असर नहीं हुआ सर..."   [[भारतकोश सम्पादकीय 31 मार्च 2012|पूरा पढ़ें]]
जब शेरशाह से पूछा गया "आपके बादशाह बनने पर क्या-क्या किया जाय ?"  
तब शेरशाह ने कहा "वही किया जाय जो बादशाह बनने पर किया जाता है!" [[भारतकोश सम्पादकीय 7 अप्रॅल 2012|पूरा पढ़ें]]
</poem>
</poem>
<center>
<center>
पंक्ति 18: पंक्ति 19:
|-
|-
| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले लेख]] →
| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले लेख]] →
| [[भारतकोश सम्पादकीय 24 मार्च 2012|गुड़ का सनीचर]] ·
| [[भारतकोश सम्पादकीय 31 मार्च 2012|उकसाव का इमोशनल अत्याचार]] ·
| [[भारतकोश सम्पादकीय 17 मार्च 2012|ज़माना]]  
| [[भारतकोश सम्पादकीय 24 मार्च 2012|गुड़ का सनीचर]]  
|}</center>
|}</center>
|}  
|}  
|}<noinclude>[[Category:मुखपृष्ठ के साँचे]]</noinclude>
|}<noinclude>[[Category:मुखपृष्ठ के साँचे]]</noinclude>

13:12, 7 अप्रैल 2012 का अवतरण

साप्ताहिक सम्पादकीय-आदित्य चौधरी

सत्ता का रंग
     शेरशाह सूरी जब दिल्ली की गद्दी पर बैठा तो कहते हैं कि सबसे पहले वह शाही बाग़ के तालाब में अपना चेहरा देखकर यह परखने गया कि उसका माथा बादशाहों जैसा चौड़ा है या नहीं !
जब शेरशाह से पूछा गया "आपके बादशाह बनने पर क्या-क्या किया जाय ?"
तब शेरशाह ने कहा "वही किया जाय जो बादशाह बनने पर किया जाता है!" पूरा पढ़ें

पिछले लेख उकसाव का इमोशनल अत्याचार · गुड़ का सनीचर