"साँचा:साप्ताहिक सम्पादकीय": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
No edit summary
पंक्ति 3: पंक्ति 3:
| style="background:transparent;"|
| style="background:transparent;"|
{| style="background:transparent; width:100%"
{| style="background:transparent; width:100%"
|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 17 मार्च 2012|साप्ताहिक सम्पादकीय<small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font>
|+style="text-align:left; padding-left:10px; font-size:18px"|<font color="#003366">[[भारतकोश सम्पादकीय 24 मार्च 2012|साप्ताहिक सम्पादकीय<small>-आदित्य चौधरी</small>]]</font>
|-
|-
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}}
{{मुखपृष्ठ-{{CURRENTHOUR}}}}
{| style="background:transparent; width:100%" align="left"
{| style="background:transparent; width:100%" align="left"
|- valign="top"
|- valign="top"
| [[चित्र:Zamana.jpg|100px|border|right|link=भारतकोश सम्पादकीय 17 मार्च 2012]]
| [[चित्र:Pipal.jpg|100px|border|right|link=भारतकोश सम्पादकीय 24 मार्च 2012]]
<poem>
<poem>
[[भारतकोश सम्पादकीय 17 मार्च 2012|ज़माना]]
[[भारतकोश सम्पादकीय 24 मार्च 2012|गुड़ का सनीचर]]
     "देखिए नया बजट आने वाला है हर चीज़ की क़ीमत बढ़ेगी। बजट से पहले ही मुझे पति लेना है। आपके पास कौन-कौन से प्लान और पॅकेज हैं ?"
     "क्या बताऊँ पंडिज्जी ! बड़ी तंगी चल रही है। एक के बाद एक सब काम-काज बिगड़ते जा रहे हैं। खोपड़ी भिन्नौट हो गई है, काम ही नहीं कर रही पता नईं चक्कर क्या है ?" [[भारतकोश सम्पादकीय 24 मार्च 2012|...पूरा पढ़ें]]
"मॅम! अगर आप अपना बजट बता दें तो मुझे थोड़ी आसानी हो जाएगी, आपका बजट क्या है ? मैं उसी तरह के पति आपको बताऊँगा" [[भारतकोश सम्पादकीय 17 मार्च 2012|...पूरा पढ़ें]]
</poem>
</poem>
<center>
<center>
पंक्ति 18: पंक्ति 17:
|-
|-
| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले लेख]] →
| [[भारतकोश सम्पादकीय -आदित्य चौधरी|पिछले लेख]] →
| [[भारतकोश सम्पादकीय 10 मार्च 2012|राज की नीति]] ·
| [[भारतकोश सम्पादकीय 17 मार्च 2012|ज़माना]] ·
| [[भारतकोश सम्पादकीय 3 मार्च 2012|कौऔं का वायरस]]  
| [[भारतकोश सम्पादकीय 10 मार्च 2012|राज की नीति]]
|}</center>
|}</center>
|}  
|}  
|}<noinclude>[[Category:मुखपृष्ठ के साँचे]]</noinclude>
|}<noinclude>[[Category:मुखपृष्ठ के साँचे]]</noinclude>

17:01, 24 मार्च 2012 का अवतरण

साप्ताहिक सम्पादकीय-आदित्य चौधरी

गुड़ का सनीचर
    "क्या बताऊँ पंडिज्जी ! बड़ी तंगी चल रही है। एक के बाद एक सब काम-काज बिगड़ते जा रहे हैं। खोपड़ी भिन्नौट हो गई है, काम ही नहीं कर रही पता नईं चक्कर क्या है ?" ...पूरा पढ़ें

पिछले लेख ज़माना · राज की नीति