"आर्यभट उपग्रह": अवतरणों में अंतर
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'''आर्यभट्ट उपग्रह''' [[भारत]] द्वारा निर्मित 'प्रथम मानव रहित' उपग्रह है। इस उपग्रह का नामकरण पांचवी शताब्दी के प्रसिद्ध 'भारतीय खगोलविद् और गणितज्ञ' [[आर्यभट्ट]] के नाम पर किया गया था। इस उपग्रह को [[बंगलोर]] के निकट पीन्या में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा तैयार किया गया था, किंतु इसे [[रूस|सोवियत संघ]] में लॉन्चिंग स्टेशन कॉसमॉस-3एम प्रक्षेपण वाहन द्वारा कास्पुतिन नामक एक प्रक्षेपण यान द्वारा [[19 अप्रैल]] [[1975]] को प्रक्षेपित किया गया। आर्यभट्ट उपग्रह का भार 360 कि.ग्रा था। और उसे [[पृथ्वी ग्रह|पृथ्वी]] के आयन-मंडल में दशाओं का परीक्षण करने, [[सूर्य ग्रह|सूर्य]] से आने वाली न्यूट्रॉन और गामा किरणों की गणना करने और एक्स-रे खगोलशास्त्र में अनुसंधान हेतु तैयार किया गया था। इसके वैज्ञानिक उपकरणों को कक्ष में उस के पहुंचने के पांचवे दिन उपग्रह के विद्युत ऊर्जा तंत्र में खराबी के कारण बंद करना पड़ा। फिर भी इसके संचालन काल के पांच दिनों में महत्वपूर्ण जानकारियां एकत्रित की गई। | '''आर्यभट्ट उपग्रह''' [[भारत]] द्वारा निर्मित 'प्रथम मानव रहित' उपग्रह है। इस उपग्रह का नामकरण पांचवी शताब्दी के प्रसिद्ध 'भारतीय खगोलविद् और गणितज्ञ' [[आर्यभट्ट]] के नाम पर किया गया था। इस उपग्रह को [[बंगलोर]] के निकट पीन्या में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा तैयार किया गया था, किंतु इसे [[रूस|सोवियत संघ]] में लॉन्चिंग स्टेशन कॉसमॉस-3एम प्रक्षेपण वाहन द्वारा कास्पुतिन नामक एक प्रक्षेपण यान द्वारा [[19 अप्रैल]] [[1975]] को प्रक्षेपित किया गया। आर्यभट्ट उपग्रह का भार 360 कि.ग्रा था। और उसे [[पृथ्वी ग्रह|पृथ्वी]] के आयन-मंडल में दशाओं का परीक्षण करने, [[सूर्य ग्रह|सूर्य]] से आने वाली न्यूट्रॉन और गामा किरणों की गणना करने और एक्स-रे खगोलशास्त्र में अनुसंधान हेतु तैयार किया गया था। इसके वैज्ञानिक उपकरणों को कक्ष में उस के पहुंचने के पांचवे दिन उपग्रह के विद्युत ऊर्जा तंत्र में खराबी के कारण बंद करना पड़ा। फिर भी इसके संचालन काल के पांच दिनों में महत्वपूर्ण जानकारियां एकत्रित की गई। | ||
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एक बहुविकल्पी शब्द है अन्य अर्थों के लिए देखें:- आर्यभट्ट (बहुविकल्पी) |

आर्यभट्ट उपग्रह भारत द्वारा निर्मित 'प्रथम मानव रहित' उपग्रह है। इस उपग्रह का नामकरण पांचवी शताब्दी के प्रसिद्ध 'भारतीय खगोलविद् और गणितज्ञ' आर्यभट्ट के नाम पर किया गया था। इस उपग्रह को बंगलोर के निकट पीन्या में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) द्वारा तैयार किया गया था, किंतु इसे सोवियत संघ में लॉन्चिंग स्टेशन कॉसमॉस-3एम प्रक्षेपण वाहन द्वारा कास्पुतिन नामक एक प्रक्षेपण यान द्वारा 19 अप्रैल 1975 को प्रक्षेपित किया गया। आर्यभट्ट उपग्रह का भार 360 कि.ग्रा था। और उसे पृथ्वी के आयन-मंडल में दशाओं का परीक्षण करने, सूर्य से आने वाली न्यूट्रॉन और गामा किरणों की गणना करने और एक्स-रे खगोलशास्त्र में अनुसंधान हेतु तैयार किया गया था। इसके वैज्ञानिक उपकरणों को कक्ष में उस के पहुंचने के पांचवे दिन उपग्रह के विद्युत ऊर्जा तंत्र में खराबी के कारण बंद करना पड़ा। फिर भी इसके संचालन काल के पांच दिनों में महत्वपूर्ण जानकारियां एकत्रित की गई।
मिशन | वैज्ञानिक/प्रायोगिक |
भार | 360 कि.ग्रा. |
ऑनबोर्ड पॉवर | 46 वॉट्स |
संचार | वीएचएफ़ बैंड |
स्थिरीकरण | प्रचक्रण स्थिरीकृत |
नीतभार | एक्स-किरण, खगोल विज्ञान, वायुविकी और सौर भौतिकी |
प्रमोचन दिनांक | 19 अप्रैल, 1975 |
प्रमोचन स्थल | वोल्गोगार्ड प्रमोचन केन्द्र (संप्रति रूस में) |
प्रमोचन यान | सी-1 इंटर कॉसमॉस |
कक्षा | 563 x 619 कि.मी. |
आनति | 50.7o |
मिशन कालावधि | 6 महीने (नामीय) अंतरिक्षयान मेनफ़्रेम मार्च 1981 तक सक्रिय |
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ स्वदेश में निर्मित प्रथम भारतीय उपग्रह (हिन्दी) (ए.एस.पी) भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन। अभिगमन तिथि: 15 मार्च, 2012।