"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/2": अवतरणों में अंतर
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{[[महाराष्ट्र]] में 'रामोसी कृषक जत्था' किसने स्थापित किया था? | {[[महाराष्ट्र]] में 'रामोसी कृषक जत्था' किसने स्थापित किया था? | ||
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-[[राजा राममोहन राय]] | -[[राजा राममोहन राय]] | ||
||[[चित्र:Dr.Bhimrao-Ambedkar.jpg|right|100px|भीमराव अम्बेडकर]]भीमराव अम्बेडकर एक बहुजन राजनीतिक नेता, और एक [[बौद्ध]] पुनरुत्थानवादी भी थे। उन्हें 'बाबा साहेब' के नाम से भी जाना जाता है। अम्बेडकर ने अपना सारा जीवन [[हिन्दू धर्म]] की चतुवर्ण प्रणाली, और भारतीय समाज में सर्वत्र व्याप्त जाति व्यवस्था के विरुद्ध संघर्ष में बिता दिया। अपनी महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों तथा देश की अमूल्य सेवा के फलस्वरूप [[भीमराव अम्बेडकर]] को 'आधुनिक युग का मनु' कहकर सम्मानित किया गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीमराव अम्बेडकर]] | ||[[चित्र:Dr.Bhimrao-Ambedkar.jpg|right|100px|भीमराव अम्बेडकर]]भीमराव अम्बेडकर एक बहुजन राजनीतिक नेता, और एक [[बौद्ध]] पुनरुत्थानवादी भी थे। उन्हें 'बाबा साहेब' के नाम से भी जाना जाता है। अम्बेडकर ने अपना सारा जीवन [[हिन्दू धर्म]] की चतुवर्ण प्रणाली, और भारतीय समाज में सर्वत्र व्याप्त जाति व्यवस्था के विरुद्ध संघर्ष में बिता दिया। अपनी महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों तथा देश की अमूल्य सेवा के फलस्वरूप [[भीमराव अम्बेडकर]] को 'आधुनिक युग का मनु' कहकर सम्मानित किया गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीमराव अम्बेडकर]] | ||
{1857 ई. के विद्रोह की असफलता के बाद [[मुग़ल]] बादशाह [[बहादुरशाह द्वितीय|बहादुरशाह जफ़र द्वितीय]] को कहाँ निर्वासित कर दिया गया? | {1857 ई. के विद्रोह की असफलता के बाद [[मुग़ल]] बादशाह [[बहादुरशाह द्वितीय|बहादुरशाह जफ़र द्वितीय]] को कहाँ निर्वासित कर दिया गया? | ||
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+1913 में | +1913 में | ||
-1917 में | -1917 में | ||
1920 में | -1920 में | ||
||[[चित्र:Hardayal.jpg|right|100px|लाला हरदयाल]]'गदर पार्टी' की स्थापना 25 जून, 1913 ई. में की गई थी। पार्टी का जन्म [[अमेरिका]] के सैन फ़्राँसिस्को के 'एस्टोरिया' में [[अंग्रेज़]] साम्राज्य को उखाड़ फेंकने के उद्देश्य से हुआ। गदर पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष 'सरदार सोहन सिंह भाकना' थे। इसके अतिरिक्त केसर सिंह थथगढ (उपाध्यक्ष), [[लाला हरदयाल]] (महामंत्री), लाला ठाकुरदास धुरी (संयुक्त सचिव) और पण्डित कांशीराम मदरोली (कोषाध्यक्ष) थे। ‘गदर’ नामक पत्र के आधार पर ही पार्टी का नाम भी ‘गदर पार्टी’ रखा गया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लाला हरदयाल]] | ||[[चित्र:Hardayal.jpg|right|100px|लाला हरदयाल]]'गदर पार्टी' की स्थापना 25 जून, 1913 ई. में की गई थी। पार्टी का जन्म [[अमेरिका]] के सैन फ़्राँसिस्को के 'एस्टोरिया' में [[अंग्रेज़]] साम्राज्य को उखाड़ फेंकने के उद्देश्य से हुआ। गदर पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष 'सरदार सोहन सिंह भाकना' थे। इसके अतिरिक्त केसर सिंह थथगढ (उपाध्यक्ष), [[लाला हरदयाल]] (महामंत्री), लाला ठाकुरदास धुरी (संयुक्त सचिव) और पण्डित कांशीराम मदरोली (कोषाध्यक्ष) थे। ‘गदर’ नामक पत्र के आधार पर ही पार्टी का नाम भी ‘गदर पार्टी’ रखा गया था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लाला हरदयाल]] | ||
{ | {[[वेद|वेदों]] को 'अपौरुषेय' क्यों कहा गया है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+क्योंकि वेदों की रचना [[देवता|देवताओं]] द्वारा की गई है। | |||
-[[ | -क्योंकि वेदों की रचना पुरुषों द्वारा की गई है। | ||
-क्योंकि [[वेद|वेदों]] की रचना [[ऋषि|ऋषियों]] द्वारा की गई है। | |||
-क्योंकि वेदों की रचना [[ब्रह्मा]] द्वारा की गई है। | |||
{[[रंगपुर (गुजरात)|रंगपुर]], जहाँ [[हड़प्पा]] की समकालीन सभ्यता थी, कहाँ पर है? | {[[रंगपुर (गुजरात)|रंगपुर]], जहाँ [[हड़प्पा]] की समकालीन सभ्यता थी, कहाँ पर है? | ||
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+[[सौराष्ट्र]] में | +[[सौराष्ट्र]] में | ||
-[[राजस्थान]] में | -[[राजस्थान]] में | ||
||सौराष्ट्र (आधुनिक [[काठियावाड़]]) प्राय:द्वीप में भादर नदी के समीप स्थित '[[रंगपुर (गुजरात)|रंगपुर]]' की खुदाई 1953-1954 ई. में 'ए. रंगनाथ राव' द्वारा की गई थी। यहाँ पर पूर्व [[हड़प्पा]] कालीन संस्कृति के अवशेष मिले हैं। यहाँ मिले कच्ची ईटों के दुर्ग, नालियाँ, मृदभांड, बाँट, पत्थर के फलक आदि महत्त्वपूर्ण हैं। यहाँ धान की भूसी के ढेर मिले हैं। यहाँ उत्तरोत्तर [[हड़प्पा संस्कृति]] के भी साक्ष्य पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सौराष्ट्र]] | |||
{[[ऋग्वेद]] का कौन-सा मंडल पूर्णत: [[सोम देव|सोम]] को समर्पित है? | |||
{[[ऋग्वेद]] का कौन-सा मंडल पूर्णत: सोम को समर्पित है? | |||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-सातवाँ मंडल | -सातवाँ मंडल | ||
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+नौवाँ मंडल | +नौवाँ मंडल | ||
-दसवाँ मंडल | -दसवाँ मंडल | ||
{पैमानों की खोज ने यह सिद्ध कर दिया है कि [[सिन्धु घाटी]] के लोग माप और तौल से परिचित थे। यह खोज कहाँ पर हुई? | |||
|type="()"} | |||
-[[कालीबंगा]] | |||
-[[मोहनजोदड़ो]] | |||
-[[रोपड़]] | |||
+[[लोथल]] | |||
||[[चित्र:Lothal-8.jpg|right|100px|लोथल के पुरातत्त्व स्थल]]लोथल [[गुजरात]] के [[अहमदाबाद]] ज़िले में 'भोगावा नदी' के किनारे 'सरगवाला' नामक ग्राम के समीप स्थित है। यहाँ से उत्तर अवस्था की एक अग्निवेदी मिली है। नाव के आकार की दो मुहरें तथा लकड़ी का अन्नागार मिला है। अन्न पीसने की चक्की, [[हाथी]] दांत तथा पीस का पैमाना मिला है। यहाँ से एक छोटा-सा दिशा मापक यंत्र भी मिला है। [[तांबा|तांबे]] का पक्षी, बैल, खरगोश व कुत्ते की आकृतियाँ भी प्राप्त हुई हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लोथल]] | |||
{323 ई.पू. में [[सिकन्दर]] की मृत्यु कहाँ पर हुई थी? | {323 ई.पू. में [[सिकन्दर]] की मृत्यु कहाँ पर हुई थी? | ||
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-मेसीडोनिया में | -मेसीडोनिया में | ||
-[[तक्षशिला]] में | -[[तक्षशिला]] में | ||
{वह पहला भारतीय सिपाही कौन था, जिसने चर्बी वाले कारतूस का प्रयोग करने से इन्कार कर दिया था? | |||
|type="()"} | |||
-शिवराम | |||
-हरदेव | |||
-[[बटुकेश्वर दत्त]] | |||
+[[मंगल पाण्डे]] | |||
||[[चित्र:Mangal Panday.jpg|right|100px|मंगल पाण्डे]]सिपाहियों को 1853 ई. में नयी 'एनफ़ील्ड बंदूक' दी गई थी, जिसे भरने के लिये कारतूस को दाँतों से काटकर खोलना पडता था। कारतूस के बाहरी आवरण मे चर्बी होती थी, जो उसे नमी आदि से बचाती थी। 29 मार्च सन 1857 ई. को नए कारतूस का प्रयोग करवाया गया, मंगल पण्डे ने आज्ञा मानने से मना कर दिया और धोखे से [[धर्म]] भ्रष्ट करने की कोशिश के ख़िलाफ़ [[अंग्रेज़]] 'सार्जेंक हडसन' से उनका विवाद हो गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मंगल पाण्डे]] | |||
{[[बौद्ध धर्म]] ग्रहण करने वाली प्रथम महिला कौन थी? | {[[बौद्ध धर्म]] ग्रहण करने वाली प्रथम महिला कौन थी? | ||
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+महाप्रजापति गौतमी | +महाप्रजापति गौतमी | ||
-बिम्बा | -बिम्बा | ||
{'[[बारदोली सत्याग्रह]]' (1928 ई.) का नेतृत्व किसने किया था? | |||
|type="()"} | |||
-[[राजेन्द्र प्रसाद]] | |||
-[[विनोबा भावे]] | |||
+[[वल्लभ भाई पटेल]] | |||
-[[जमनालाल बजाज]] | |||
||[[चित्र:Sardar-Vallabh-Bhai-Patel.jpg|right|100px|वल्लभ भाई पटेल]]1928 ई. में [[वल्लभ भाई पटेल]] ने बढ़े हुए करों के ख़िलाफ़ बारदोली के भूमिपतियों के संघर्ष का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया। [[बारदोली सत्याग्रह]] के कुशल नेतृत्व के कारण उन्हें 'सरदार' की उपाधि मिली और उसके बाद देश भर में राष्ट्रवादी नेता के रूप में उनकी पहचान बन गई। उन्हें व्यावहारिक, निर्णायक और यहाँ तक की कठोर भी माना जाता था तथा [[अंग्रेज़]] उन्हें एक ख़तरनाक शत्रु मानते थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बारदोली सत्याग्रह]] | |||
{निम्न में से कौन [[बुद्ध]] के गृहत्याग का प्रतीक है? | {निम्न में से कौन [[बुद्ध]] के गृहत्याग का प्रतीक है? | ||
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+[[पाटलिपुत्र]] | +[[पाटलिपुत्र]] | ||
-[[राजगृह]] | -[[राजगृह]] | ||
||[[चित्र:Ashoka.jpg|right|100px|अशोक]][[बौद्ध संगीति]] का तात्पर्य उस 'संगोष्ठी' या 'सम्मेलन' है, जो [[महात्मा बुद्ध]] के परिनिर्वाण के अल्पसमय के पश्चात से ही उनके उपदेशों को संगृहीत करने, उनका पाठ करने आदि के उद्देश्य से सम्बन्धित थी। [[अशोक]] ने [[पाटलिपुत्र]] में [[बौद्ध धर्म]] की शिक्षाओं का प्रचार करने के लिए दो प्रस्तर-स्तंभ प्रस्थापित किए थे। अशोक के शासनकाल के 18वें वर्ष में 'कुक्कुटाराम' नामक उद्यान में 'मोगलीपुत्र तिस्सा' (तिष्य) के सभापतित्व में 'द्वितीय बौद्ध संगीति' हुई थी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[पाटलिपुत्र]] | |||
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08:26, 23 दिसम्बर 2011 का अवतरण
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