"तुग़लक़ वंश": अवतरणों में अंतर
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ग़यासुद्दीन ने एक नये वंश अर्थात तुग़लक़ वंश की स्थापना की, जिसने 1412 तक राज किया। इस वंश में तीन योग्य शासक हुए। ग़यासुद्दीन, उसका पुत्र मुहम्मद बिन तुग़लक़ (1324-51) और उसका उत्तराधिकारी फ़िरोज शाह तुग़लक़ (1351-87)। इनमें से पहले दो शासकों का अधिकार क़रीब-क़रीब पूरे देश पर था। फ़िरोज का साम्राज्य उनसे छोटा अवश्य था, पर फिर भी अलाउद्दीन | ग़यासुद्दीन ने एक नये वंश अर्थात तुग़लक़ वंश की स्थापना की, जिसने 1412 तक राज किया। इस वंश में तीन योग्य शासक हुए। ग़यासुद्दीन, उसका पुत्र मुहम्मद बिन तुग़लक़ (1324-51) और उसका उत्तराधिकारी फ़िरोज शाह तुग़लक़ (1351-87)। इनमें से पहले दो शासकों का अधिकार क़रीब-क़रीब पूरे देश पर था। फ़िरोज का साम्राज्य उनसे छोटा अवश्य था, पर फिर भी [[अलाउद्दीन ख़िलजी]] के साम्राज्य से छोटा नहीं था। फ़िरोज की मृत्यु के बाद [[दिल्ली सल्तनत]] का विघटन हो गया और उत्तर भारत छोटे-छोटे राज्यों में बंट गया। यद्यपि तुग़लक़ 1412 तक शासन करत रहे, तथापि 1399 में [[तैमूर लंग|तैमूर]] द्वारा [[दिल्ली]] पर आक्रमण के साथ ही तुग़लक़ साम्राज्य का अंत माना जाना चाहिए। | ||
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*[[ग़यासुद्दीन तुग़लक़]] | *[[ग़यासुद्दीन तुग़लक़]] |
07:30, 21 मई 2010 का अवतरण
ग़यासुद्दीन ने एक नये वंश अर्थात तुग़लक़ वंश की स्थापना की, जिसने 1412 तक राज किया। इस वंश में तीन योग्य शासक हुए। ग़यासुद्दीन, उसका पुत्र मुहम्मद बिन तुग़लक़ (1324-51) और उसका उत्तराधिकारी फ़िरोज शाह तुग़लक़ (1351-87)। इनमें से पहले दो शासकों का अधिकार क़रीब-क़रीब पूरे देश पर था। फ़िरोज का साम्राज्य उनसे छोटा अवश्य था, पर फिर भी अलाउद्दीन ख़िलजी के साम्राज्य से छोटा नहीं था। फ़िरोज की मृत्यु के बाद दिल्ली सल्तनत का विघटन हो गया और उत्तर भारत छोटे-छोटे राज्यों में बंट गया। यद्यपि तुग़लक़ 1412 तक शासन करत रहे, तथापि 1399 में तैमूर द्वारा दिल्ली पर आक्रमण के साथ ही तुग़लक़ साम्राज्य का अंत माना जाना चाहिए।