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'''भीमशंकर''' राक्षस राजा [[रावण]] के भाई [[कुम्भकर्ण ]] तथा [[कर्कटी]] का पुत्र था। मूल रूप से उसका नाम 'भीम' था। वह अपनी माता कर्कटी के साथ ही ‘सह्य’ नामक [[पर्वत]] पर निवास करता था।
#REDIRECT [[भीमशंकर ज्योतिर्लिंग]]
*भीम ने अपने जीवन में अपने [[पिता]] को कभी नहीं देखा था।
*उसने अपनी माता से पूछा, "तुम इस पर्वत पर अकेली क्यों रहती हो? मेरे पिताजी कौन हैं और कहाँ रहते हैं?
*यह ज्ञात होने पर कि [[राम]] ने रावण, कुंभकरण आदि का नाश कर दिया है, उसने घोर तप किया।
*अपने तप द्वारा भीम ने [[ब्रह्मा]] को प्रसन्न कर लिया।
*उसने ब्रह्मा से अपने पिता के शत्रुओं को जीतने का वर प्राप्त किया।
*फलत: समस्त देवताओं को भीम ने युद्ध में परास्त कर दिया।
*इस संकट से मुक्ति पाने के लिए [[देवता]] [[शिव]] की शरण में पहुँचे।
*शिव की माया से भीम की दुर्बुद्धि जागी और वह शिवभक्तों को त्रस्त करने लगा।
*शिव ने क्रुद्ध होकर उससे युद्ध करते हुए हुंकार दी, जिससे एक ज्वाला प्रकट हुई।
*उस ज्वाला में ही भीम परिवार सहित जलकर भस्म हो गया।
*इसी स्थान पर आज भी शिव, 'भीमशंकर' नाम से विख्यात हैं तथा उनका [[ज्योतिर्लिंग]] यहाँ स्थापित है।
 
{{seealso|भीमशंकर ज्योतिर्लिंग}}
 
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=प्रारम्भिक1 |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय मिथक कोश|लेखक= डॉ. उषा पुरी विद्यावाचस्पति|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=नेशनल पब्लिशिंग हाउस, नई दिल्ली|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=213|url=}}
<references/>
==संबंधित लेख==
{{पौराणिक चरित्र}}
[[Category:पौराणिक कोश]]
[[Category:प्रसिद्ध चरित्र और मिथक कोश]]
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