No edit summary |
No edit summary |
||
पंक्ति 23: | पंक्ति 23: | ||
||[[चित्र:Ravidas.jpg|रैदास|100px|right]]मध्ययुगीन संतों में प्रसिद्ध रैदास के जन्म के संबंध में प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। कुछ विद्वान [[काशी]] में जन्मे रैदास का समय 1482-1527 ई. के बीच मानते हैं। रैदास का जन्म [[काशी]] में चर्मकार कुल में हुआ था। उनके पिता का नाम 'रग्घु' और माता का नाम 'घुरविनिया' बताया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रैदास]] | ||[[चित्र:Ravidas.jpg|रैदास|100px|right]]मध्ययुगीन संतों में प्रसिद्ध रैदास के जन्म के संबंध में प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है। कुछ विद्वान [[काशी]] में जन्मे रैदास का समय 1482-1527 ई. के बीच मानते हैं। रैदास का जन्म [[काशी]] में चर्मकार कुल में हुआ था। उनके पिता का नाम 'रग्घु' और माता का नाम 'घुरविनिया' बताया जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रैदास]] | ||
{'एक भारतीय आत्मा' नाम से कविता की रचना किसने की? | {'एक भारतीय आत्मा' नाम से किस कविता की रचना किसने की गई है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[मैथिलीशरण गुप्त]] ने | -[[मैथिलीशरण गुप्त]] ने | ||
पंक्ति 31: | पंक्ति 31: | ||
||[[चित्र:Makahan-Lal-Chaturvedi.gif|माखन लाल चतुर्वेदी|100px|right]]चतुर्वेदी जी की रचनाओं की प्रवृत्तियाँ प्रायः स्पष्ट और निश्चित हैं। राष्ट्रीयता उनके काव्य का कलेवर है तो भक्ति और रहस्यात्मक प्रेम उनकी रचनाओं की आत्मा। आरम्भिक रचनाओं में भी वे प्रवृत्तियाँ स्पष्टता परिलक्षित होती हैं। ''प्रभा'' के प्रवेशांक में प्रकाशित उनकी कविता 'नीति-निवेदन' शायद उनके मन की तात्कालीन स्थिति का पूरा परिचय देती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[माखन लाल चतुर्वेदी]] | ||[[चित्र:Makahan-Lal-Chaturvedi.gif|माखन लाल चतुर्वेदी|100px|right]]चतुर्वेदी जी की रचनाओं की प्रवृत्तियाँ प्रायः स्पष्ट और निश्चित हैं। राष्ट्रीयता उनके काव्य का कलेवर है तो भक्ति और रहस्यात्मक प्रेम उनकी रचनाओं की आत्मा। आरम्भिक रचनाओं में भी वे प्रवृत्तियाँ स्पष्टता परिलक्षित होती हैं। ''प्रभा'' के प्रवेशांक में प्रकाशित उनकी कविता 'नीति-निवेदन' शायद उनके मन की तात्कालीन स्थिति का पूरा परिचय देती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[माखन लाल चतुर्वेदी]] | ||
{अज्ञेय की कौन-सी रचना यात्रा पर आधारित है? | {[[अज्ञेय, सच्चिदानंद हीरानन्द वात्स्यायन|अज्ञेय]] की कौन-सी रचना यात्रा पर आधारित है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+एक बूंद सहसा उछली | +एक बूंद सहसा उछली | ||
पंक्ति 45: | पंक्ति 45: | ||
-क्षेमेन्द्र | -क्षेमेन्द्र | ||
{ | {'रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून' में कौन-सा [[अलंकार]] है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+श्लेष | +श्लेष | ||
-यमक | -[[यमक अलंकार|यमक]] | ||
-भ्रांतिमान | -भ्रांतिमान | ||
-दृष्टांत | -दृष्टांत | ||
पंक्ति 74: | पंक्ति 74: | ||
||[[चित्र:Ayodhya-Singh-Upadhyay.jpg|अयोध्यासिंह उपाध्याय|100px|right]]हिन्दी कविता के विकास में 'हरिऔध' जी की भूमिका नींव के पत्थर के समान है। उन्होंने संस्कृत छंदों का हिन्दी में सफल प्रयोग किया है। 'प्रियप्रवास' की रचना संस्कृत वर्णवृत्त में करके जहाँ 'हरिऔध' जी ने खड़ी बोली को पहला महाकाव्य दिया, वहीं आम हिन्दुस्तानी बोलचाल में 'चोखे चौपदे', तथा 'चुभते चौपदे' रचकर उर्दू जुबान की मुहावरेदारी की शक्ति भी रेखांकित की।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अयोध्यासिंह उपाध्याय|अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध']] | ||[[चित्र:Ayodhya-Singh-Upadhyay.jpg|अयोध्यासिंह उपाध्याय|100px|right]]हिन्दी कविता के विकास में 'हरिऔध' जी की भूमिका नींव के पत्थर के समान है। उन्होंने संस्कृत छंदों का हिन्दी में सफल प्रयोग किया है। 'प्रियप्रवास' की रचना संस्कृत वर्णवृत्त में करके जहाँ 'हरिऔध' जी ने खड़ी बोली को पहला महाकाव्य दिया, वहीं आम हिन्दुस्तानी बोलचाल में 'चोखे चौपदे', तथा 'चुभते चौपदे' रचकर उर्दू जुबान की मुहावरेदारी की शक्ति भी रेखांकित की।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अयोध्यासिंह उपाध्याय|अयोध्या सिंह उपाध्याय 'हरिऔध']] | ||
{निम्न से स्त्रीलिंग शब्द कौन-सा है? | {निम्न में से स्त्रीलिंग शब्द कौन-सा है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[जल]] | -[[जल]] |
12:30, 15 सितम्बर 2011 का अवतरण
हिन्दी
|