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{{सूचना बक्सा त्योहार
 
|चित्र=Raksha-Bandhan.jpg
|चित्र का नाम=भाई को राखी बांधती बहन
|अन्य नाम =राखी, सलूनो, सावनी
|अनुयायी = [[हिन्दू]] और लगभग हर भारतीय
|उद्देश्य = भाई - बहन के प्रेम व रक्षा का पवित्र त्योहार
|प्रारम्भ = पौराणिक काल
|तिथि=श्रावण माह की पूर्णिमा
|उत्सव =आज के दिन बहनें स्नान करके अपने घर में दीवारों पर सोन रखती हैं और फिर सेवइयों, चावल की खीर और मिठाई से इनकी पूजा करती है। सोनों (श्रवण­) के ऊपर खीर या मिठाई की सहायता से राखी के धागे चिपकाए जाते हैं।
|अनुष्ठान =घरों को लीप - पोत कर दरवाज़ों पर आम तथा केले के पत्तों के बन्दनवार लगाती हैं। स्नान - ध्यान करके अगरबत्ती व धूप जलाती हैं। तरह - तरह के स्वादिष्ट भोजन बनाती हैं।
|धार्मिक मान्यता =प्रातः शीघ्र उठकर बहनें स्नान के पश्चात भाइयों को [[तिलक]] लगाती हैं तथा उसकी दाहिने कलाई पर राखी बाँधती हैं। इसके पश्चात भाइयों को कुछ मीठा खिलाया जाता है। भाई अपनी बहन को भेंट देता है।
|प्रसिद्धि =भाई-बहन को स्नेह की डोर से बांधने वाला त्योहार
|संबंधित लेख=[[राखी]], [[श्रावण]], [[पूर्णिमा]]
|शीर्षक 1=
|पाठ 1=
|शीर्षक 2=
|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=[[मुंबई]] में रक्षाबंधन पर्व को नारली (नारियल) पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। जल के देवता [[वरुण देवता|वरुण]] को प्रसन्न करने के लिए समुद्र को (नारियल) अर्पित किए जाते हैं। वरुणदेव ही पूजा के मुख्य देवता होते हैं।
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=
}}

14:16, 12 अगस्त 2011 का अवतरण