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||[[चित्र:Tulsidas.jpg|गोस्वामी तुलसीदास|100px|right]]अपने जीवनकाल में [[तुलसीदास]] जी ने 12 ग्रन्थ लिखे और उन्हें [[संस्कृत]] विद्वान होने के साथ ही [[हिन्दी]] भाषा के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ट कवियों में एक माना जाता है। तुलसीदास जी को महर्षि [[वाल्मीकि]] का भी अवतार माना जाता है, जो मूल आदिकाव्य [[रामायण]] के रचयिता थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तुलसीदास]] | ||[[चित्र:Tulsidas.jpg|गोस्वामी तुलसीदास|100px|right]]अपने जीवनकाल में [[तुलसीदास]] जी ने 12 ग्रन्थ लिखे और उन्हें [[संस्कृत]] विद्वान होने के साथ ही [[हिन्दी]] भाषा के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ट कवियों में एक माना जाता है। तुलसीदास जी को महर्षि [[वाल्मीकि]] का भी अवतार माना जाता है, जो मूल आदिकाव्य [[रामायण]] के रचयिता थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[तुलसीदास]] | ||
{'अनिल' का [[पर्यायवाची शब्द]] क्या है? | {'अनिल' का [[पर्यायवाची शब्द]] क्या है? |
14:44, 26 जुलाई 2011 का अवतरण
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