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|हिन्दी= [स॰ तत्+त्व], वास्तविक स्वरूप, सार वस्तु, सृष्टि का मूल कारण, परमात्मा, ब्रह्म, यथार्थ सिद्धांत, यथार्थता, वास्तविकता, पंचभूत (आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी)। | |हिन्दी= [स॰ तत्+त्व], वास्तविक स्वरूप, सार वस्तु, सृष्टि का मूल कारण, परमात्मा, ब्रह्म, यथार्थ सिद्धांत, यथार्थता, वास्तविकता, पंचभूत (आकाश, [[वायु देव|वायु]], [[अग्निदेव|अग्नि]], जल और [[पृथ्वी देवी|पृथ्वी]])। | ||
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|उदाहरण= वह पदार्थ जिसे सामान्य रासायनिक विधियों से सरलतर पदार्थों में विभाजित नहीं किया जा सकता। सब दृष्टियों से समान नाभिकीय आवेश वाले परमाणुओं से बना पदार्थ। जिन मूल पदार्थों के रासायनिक संयोग से अन्य सब पदार्थ बनते हैं, उनकी सामान्य संज्ञा। | |उदाहरण= वह पदार्थ जिसे सामान्य रासायनिक विधियों से सरलतर पदार्थों में विभाजित नहीं किया जा सकता। सब दृष्टियों से समान नाभिकीय आवेश वाले परमाणुओं से बना पदार्थ। जिन मूल पदार्थों के रासायनिक संयोग से अन्य सब पदार्थ बनते हैं, उनकी सामान्य संज्ञा। | ||
|विशेष= हाइड्रोजन, ऑक्सीजन आदि गैसीय तत्त्व हैं और ताँबा, लोहा आदि धात्विक तत्त्व हैं। ( | |विशेष= [[हाइड्रोजन]], [[ऑक्सीजन]] आदि गैसीय तत्त्व हैं और [[ताँबा]], [[लोहा]] आदि धात्विक तत्त्व हैं। ([[जैन]]॰) वस्तु का स्वरूप / स्वभाव। विशेष; [[जैन दर्शन]] में सात तत्त्व हैं- जीव, अजीव, आस्रव, बन्ध, संवर, निर्जरा और मोक्ष। | ||
|पर्यायवाची= पुद्गल, भूत, महाभूत, मूल तत्त्व, वास्तव, सत्त्व, सूक्ष्म भूत। | |पर्यायवाची= पुद्गल, भूत, महाभूत, मूल तत्त्व, वास्तव, सत्त्व, सूक्ष्म भूत। | ||
|संस्कृत= तत्त्वम् (तन्+क्विप्, पृषो॰ तत्+त्व), (कभी-कभी ‘तत्त्वम्’ भी लिखा जाता है)। वास्तविक स्थिति या दशा, तथ्य, वयं तत्त्वान्वेषान्मधुकर हतास्त्वं खलु कृती- श॰ 1|24, यथार्थ या मूल प्रकृति-संन्यासस्य महाबाहो तत्त्वमिच्छामि वेदितुम् भग॰ 18|1, 3|28, मनु॰ 1|3, 3|16, 5|42, मानव आत्मा की वास्तविक प्रकृति या विश्वव्यापी परमात्मा के समनुरूप विराट् सृष्टि या भौतिक संसार, प्रथम या यथार्थ सिद्धांत, मूलतत्व या प्रकृति, मन, सूर्य, | |संस्कृत= तत्त्वम् (तन्+क्विप्, पृषो॰ तत्+त्व), (कभी-कभी ‘तत्त्वम्’ भी लिखा जाता है)। वास्तविक स्थिति या दशा, तथ्य, वयं तत्त्वान्वेषान्मधुकर हतास्त्वं खलु कृती- श॰ 1|24, यथार्थ या मूल प्रकृति-संन्यासस्य महाबाहो तत्त्वमिच्छामि वेदितुम् भग॰ 18|1, 3|28, मनु॰ 1|3, 3|16, 5|42, मानव आत्मा की वास्तविक प्रकृति या विश्वव्यापी परमात्मा के समनुरूप विराट् सृष्टि या भौतिक संसार, प्रथम या यथार्थ सिद्धांत, मूलतत्व या प्रकृति, मन, [[सूर्य]], वाद्य का भेद विशेष, विलंबित, एक प्रकार का नृत्य्। सम॰ अभियोगः असन्दिग्ध दोषारोप या घोषणा, अर्थः सचाई, वास्तविकता, यथार्थता, वास्तविक प्रकृति, -ज्ञ,- विद् (वि॰) दार्शनिक, ब्रह्मज्ञान का वेत्ता, न्यासः विष्णु की तंत्रोक्त पूजा में विहित एक अंगन्यास ( इसमें शरीर के विभिन्न अंगों पर गुह्म अक्षर या अन्य चिन्ह बनाने के साथ कुछ प्रार्थनाएँ बोली जाती हैं)। | ||
|अन्य ग्रंथ= | |अन्य ग्रंथ= | ||
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06:37, 4 मई 2010 का अवतरण
हिन्दी | [स॰ तत्+त्व], वास्तविक स्वरूप, सार वस्तु, सृष्टि का मूल कारण, परमात्मा, ब्रह्म, यथार्थ सिद्धांत, यथार्थता, वास्तविकता, पंचभूत (आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी)। |
-व्याकरण | |
-उदाहरण | वह पदार्थ जिसे सामान्य रासायनिक विधियों से सरलतर पदार्थों में विभाजित नहीं किया जा सकता। सब दृष्टियों से समान नाभिकीय आवेश वाले परमाणुओं से बना पदार्थ। जिन मूल पदार्थों के रासायनिक संयोग से अन्य सब पदार्थ बनते हैं, उनकी सामान्य संज्ञा। |
-विशेष | हाइड्रोजन, ऑक्सीजन आदि गैसीय तत्त्व हैं और ताँबा, लोहा आदि धात्विक तत्त्व हैं। (जैन॰) वस्तु का स्वरूप / स्वभाव। विशेष; जैन दर्शन में सात तत्त्व हैं- जीव, अजीव, आस्रव, बन्ध, संवर, निर्जरा और मोक्ष। |
-विलोम | |
-पर्यायवाची | पुद्गल, भूत, महाभूत, मूल तत्त्व, वास्तव, सत्त्व, सूक्ष्म भूत। |
संस्कृत | तत्त्वम् (तन्+क्विप्, पृषो॰ तत्+त्व), (कभी-कभी ‘तत्त्वम्’ भी लिखा जाता है)। वास्तविक स्थिति या दशा, तथ्य, वयं तत्त्वान्वेषान्मधुकर हतास्त्वं खलु कृती- श॰ 1 |
अन्य ग्रंथ | |
संबंधित शब्द | |
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