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*तपस्या में विघ्न समझकर वे गंगाजी को पी गए।  
*तपस्या में विघ्न समझकर वे गंगाजी को पी गए।  
*फिर देवताओं के प्रार्थना करने पर उन्हें पुन: जांघ से निकाल दिया। तभी से ये जाह्नवी कहलाईं।  
*फिर देवताओं के प्रार्थना करने पर उन्हें पुन: जांघ से निकाल दिया। तभी से ये जाह्नवी कहलाईं।  
*दूसरी मान्यता को अनुसार गंगा को जहु ऋषि ने पी लिया था तथा राजा भगीरथ की प्रार्थना पर जहु ऋषि गंगा अपने कान से निकाल दिया था। अत: तभी से गंगा का अन्य नाम  जाह्नवी भी पड़ गया।
*दूसरी मान्यता को अनुसार गंगा को जहु ऋषि ने पी लिया था तथा राजा भगीरथ की प्रार्थना पर जहु ऋषि ने गंगा को अपने कान से निकाल दिया था। अत: तभी से गंगा का अन्य नाम  जाह्नवी भी पड़ गया।





11:08, 19 मई 2011 का अवतरण

  • पृथ्वी पर गंगाजी के आते ही हाहाकार मच गया। जिस रास्ते से गंगाजी जा रही थीं, उसी मार्ग में ऋषिराज जहु का आश्रम तथा तपस्या स्थल पड़ा।
  • तपस्या में विघ्न समझकर वे गंगाजी को पी गए।
  • फिर देवताओं के प्रार्थना करने पर उन्हें पुन: जांघ से निकाल दिया। तभी से ये जाह्नवी कहलाईं।
  • दूसरी मान्यता को अनुसार गंगा को जहु ऋषि ने पी लिया था तथा राजा भगीरथ की प्रार्थना पर जहु ऋषि ने गंगा को अपने कान से निकाल दिया था। अत: तभी से गंगा का अन्य नाम जाह्नवी भी पड़ गया।



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