"प्रयोग:R3": अवतरणों में अंतर
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||अधिकांश वैदिक विद्वानों का मत है कि वृत्र सूखा (अनावृष्टि) का दानव है और उन बादलों का प्रतीक है जो आकाश में छाये रहने पर भी एक बूँद जल नहीं बरसाते। इन्द्र अपने वज्र प्रहार से वृत्ररूपी दानव का वध कर जल को मुक्त करता है और फिर [[पृथ्वी देवी|पृथ्वी]] पर वर्षा होती है। ओल्डेनवर्ग एवं हिलब्रैण्ट ने वृत्र-वध का दूसरा अर्थ प्रस्तुत किया है। उनका मत है कि पार्थिव पर्वतों से जल की मुक्ति इन्द्र द्वारा हुई है। ऋग्वेद में इन्द्र को जहाँ अनावृष्टि के दानव वृत्र का वध करने वाला कहा गया है, वहीं उसे रात्रि के अन्धकार रूपी दानव का वध करने वाला एवं प्रकाश का जन्म देने वाला भी कहा गया है। | ||अधिकांश वैदिक विद्वानों का मत है कि वृत्र सूखा (अनावृष्टि) का दानव है और उन बादलों का प्रतीक है जो आकाश में छाये रहने पर भी एक बूँद जल नहीं बरसाते। इन्द्र अपने वज्र प्रहार से वृत्ररूपी दानव का वध कर जल को मुक्त करता है और फिर [[पृथ्वी देवी|पृथ्वी]] पर वर्षा होती है। ओल्डेनवर्ग एवं हिलब्रैण्ट ने वृत्र-वध का दूसरा अर्थ प्रस्तुत किया है। उनका मत है कि पार्थिव पर्वतों से जल की मुक्ति इन्द्र द्वारा हुई है। ऋग्वेद में इन्द्र को जहाँ अनावृष्टि के दानव वृत्र का वध करने वाला कहा गया है, वहीं उसे रात्रि के अन्धकार रूपी दानव का वध करने वाला एवं प्रकाश का जन्म देने वाला भी कहा गया है। | ||
{ऋग्वैदिक काल में विनिमय के माध्यम के रूप में किसका प्रयोग किया जाता था? | |||
|type="[]"} | |||
- अनाज | |||
- मुद्रा | |||
+ गाय | |||
- दास | |||
{ऋग्वैदिक युगीन नदी 'परुष्णी' का महत्व क्यों है? | |||
|type="[]"} | |||
- सर्वाधिक पवित्र नदी होने के कारण | |||
- ऋग्वेद में सबसे अधिक बार उल्लेख होने के कारण | |||
+ दशराज्ञ युद्ध के कारण | |||
- उपर्युक्त सभी | |||
{[[ऋग्वेद]] में निम्न में से किसका उल्लेख नहीं मिलता है? | |||
|type="[]"} | |||
- [[कृषि]] | |||
- यव | |||
- ब्रीहि | |||
- कपास | |||
{[[ऋग्वेद]] के दसवें मण्डल में किसका उल्लेख पहली बार मिलता है? | |||
|type="[]"} | |||
- योद्धा | |||
- पुरोहित | |||
+ शूद्र | |||
- चाण्डाल | |||
||[[चित्र:Rigveda.jpg|thumb|150px|ॠग्वेद का आवरण पृष्ठ]] | |||
*सबसे प्राचीनतम है। 'ॠक' का अर्थ होता है छन्दोबद्ध रचना या श्लोक। | |||
*ॠग्वेद के सूक्त विविध [[देवता|देवताओं]] की स्तुति करने वाले भाव भरे गीत हैं। इनमें भक्तिभाव की प्रधानता है। यद्यपि ॠग्वेद में अन्य प्रकार के सूक्त भी हैं, परन्तु देवताओं की स्तुति करने वाले स्त्रोतों की प्रधानता है। | |||
*ॠग्वेद में कुल दस मण्डल हैं और उनमें 1,029 सूक्त हैं और कुल 10,580 ॠचाएँ हैं। ये स्तुति मन्त्र हैं। | |||
*ॠग्वेद के दस मण्डलों में कुछ मण्डल छोटे हैं और कुछ मण्डल बड़े हैं। | |||
{[[ऋग्वेद]] में उल्लिखित कुल क़रीब 25 नदियों में से सर्वाधिक महत्वपूर्ण नदी कौन-सी थी? | |||
|type="[]"} | |||
- [[गंगा नदी]] | |||
- [[यमुना नदी]] | |||
+ [[सरस्वती नदी]] | |||
- [[सिन्धु नदी]] | |||
||[[चित्र:Saraswati-River.png|सरस्वती नदी<br /> Saraswati River|thumb|150px]] | |||
कई भू-विज्ञानी मानते हैं, और [[ॠग्वेद]] में भी कहा गया है, कि हज़ारों साल पहले [[सतलुज नदी|सतलुज]] (जो [[सिन्धु नदी|सिन्धु]] नदी की सहायक नदी है) और [[यमुना नदी|यमुना]] (जो [[गंगा नदी|गंगा]] की सहायक नदी है) के बीच एक विशाल नदी थी जो [[हिमालय]] से लेकर [[अरब सागर]] तक बहती थी। आज ये भूगर्भी बदलाव के कारण सूख गयी है। ऋग्वेद में, [[वैदिक काल]] में इस नदी सरस्वती को 'नदीतमा' की उपाधि दी गयी है। उस सभ्यता में सरस्वती ही सबसे बड़ी और मुख्य नदी थी, गंगा नहीं। सरस्वती नदी [[हरियाणा]], [[पंजाब]] व [[राजस्थान]] से होकर बहती थी और कच्छ के रण में जाकर अरब सागर में मिलती थी। तब सरस्वती के किनारे बसा राजस्थान भी हराभरा था। उस समय यमुना, [[सतलुज नदी|सतलुज]] व घग्गर इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ थीं। बाद में सतलुज व यमुना ने भूगर्भीय हलचलों के कारण अपना मार्ग बदल लिया और सरस्वती से दूर हो गईं। हिमालय की पहाड़ियों में प्राचीन काल से हीभूगर्भीय गतिविधियाँ चलती रही हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सतलुज नदी]]}} | |||
{Offensive player receives the disc while running at high speed, does not change direction but fakes a throw then delivers a quick pass before his third step after catching. Can 'travel' legitimately be called? | {Offensive player receives the disc while running at high speed, does not change direction but fakes a throw then delivers a quick pass before his third step after catching. Can 'travel' legitimately be called? |
11:05, 22 दिसम्बर 2010 का अवतरण
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