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+ नहरों के द्वारा सिंचाई की जाती थी | + नहरों के द्वारा सिंचाई की जाती थी | ||
- कोठार सिन्धु संस्कृति के महत्वपूर्ण अंग थे | - कोठार सिन्धु संस्कृति के महत्वपूर्ण अंग थे | ||
{[[हड़प्पा]] सभ्यता की मुद्राएँ किससे निर्मित की जाती थीं? | |||
|type="[]"} | |||
- तांबे से | |||
- सोने से | |||
+ मिट्टी से | |||
- कांस्य | |||
||[[पाकिस्तान]] के [[पंजाब]] प्रान्त में स्थित 'माण्टगोमरी ज़िले' में [[रावी नदी]] के बायें तट पर यह पुरास्थल है। हड़प्पा में ध्वंशावशेषों के विषय में सबसे पहले जानकारी 1826 ई. में 'चार्ल्स मैन्सर्न' ने दी। 1856 ई. में 'ब्रण्टन बन्धुओं' ने हड़प्पा के पुरातात्विक महत्व को स्पष्ट किया। | |||
{[[हड़प्पा]] सभ्यता के अंतर्गत हल से जोते गये खेतों का साक्ष्य कहाँ से मिलता है? | |||
|type="[]"} | |||
- [[रोपड़]] | |||
- [[लोथल]] | |||
+ [[कालीबंगा]] | |||
- वनमाली | |||
||यह स्थल [[राजस्थान]] के [[गंगानगर ज़िले]] में [[घग्घर नदी]] के बाएं तट पर स्थित है। खुदाई 1953 में 'बी.बी. लाल' एवं 'बी. के. थापड़' द्वारा करायी गयी। यहाँ पर प्राक हड़प्पा एवं हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष मिले हैं। [[हड़प्पा]] एवं [[मोहनजोदाड़ो]] की भांति यहाँ पर सुरक्षा दीवार से घिरे दो टीले पाए गए हैं। कुछ विद्धानों का मानना है कि यह [[सिंधु घाटी सभ्यता|सैंधव सभ्यता]] की तीसरी राजधानी रही होगी। कालीबंगा के दुर्ग टीले के दक्षिण भाग में मिट्टी और कच्चे ईटों के बने हुए पांच चबूतरे मिले हैं, जिसके शिखर पर हवन कुण्डों के होने के साक्ष्य मिले हैं। | |||
{[[हड़प्पा]] सभ्यता की प्रमुख विशेषता निम्न में से कौन-सी है? | |||
|type="[]"} | |||
- स्नानागार | |||
- धार्मिक स्थल | |||
+ नगर नियोजन | |||
- अन्नागार | |||
{वैदिक साहित्य के अंतर्गत आने वाले निम्नलिखित ग्रंथों में कौन बेमेल है? | |||
|type="[]"} | |||
+ [[स्मृतियाँ]] | |||
- [[वेद]] | |||
- [[उपनिषद]] | |||
- [[आरण्यक]] | |||
||'स्मृति' शब्द दो अर्थों में प्रयुक्त हुआ है। एक अर्थ में यह वेदवाङ्मय से इतर ग्रन्थों, यथा पाणिनि के व्याकरण, श्रौत, [[गृह्यसूत्र]] एवं [[धर्मसूत्र|धर्मसूत्रों]], [[महाभारत]], मनु, याज्ञवल्क्य एवं अन्य ग्रन्थों से सम्बन्धित है। किन्तु संकीर्ण अर्थ में स्मृति एवं धर्मशास्त्र का अर्थ एक ही है, जैसा कि मनु का कहना है। [[तैत्तिरीय आरण्यक]] में भी 'स्मृति' शब्द आया है। गौतम तथा वसिष्ठ ने स्मृति को धर्म का उपादान माना है। | |||
{[[ऋग्वेद]] का वह कौन-सा प्रतापी देवता है, जिसका 250 सूक्तों में वर्णन मिलता है? | |||
|type="[]"} | |||
- [[अग्नि]] | |||
+ [[इन्द्र]] | |||
- [[वरुण देवता|वरुण]] | |||
- द्यौ | |||
||अधिकांश वैदिक विद्वानों का मत है कि वृत्र सूखा (अनावृष्टि) का दानव है और उन बादलों का प्रतीक है जो आकाश में छाये रहने पर भी एक बूँद जल नहीं बरसाते। इन्द्र अपने वज्र प्रहार से वृत्ररूपी दानव का वध कर जल को मुक्त करता है और फिर [[पृथ्वी देवी|पृथ्वी]] पर वर्षा होती है। ओल्डेनवर्ग एवं हिलब्रैण्ट ने वृत्र-वध का दूसरा अर्थ प्रस्तुत किया है। उनका मत है कि पार्थिव पर्वतों से जल की मुक्ति इन्द्र द्वारा हुई है। ऋग्वेद में इन्द्र को जहाँ अनावृष्टि के दानव वृत्र का वध करने वाला कहा गया है, वहीं उसे रात्रि के अन्धकार रूपी दानव का वध करने वाला एवं प्रकाश का जन्म देने वाला भी कहा गया है। | |||
{Offensive player receives the disc while running at high speed, does not change direction but fakes a throw then delivers a quick pass before his third step after catching. Can 'travel' legitimately be called? | {Offensive player receives the disc while running at high speed, does not change direction but fakes a throw then delivers a quick pass before his third step after catching. Can 'travel' legitimately be called? |
10:53, 22 दिसम्बर 2010 का अवतरण
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