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====खड़ीबोली का अरबी-फ़ारसीमय रूप है?==== | |||
===== = खड़ीबोली का अरबी-फ़ारसीमय रूप है?===== | |||
{{Opt|विकल्प 1=फ़ारसी भाषा|विकल्प 2=अरबी भाषा|विकल्प 3=उर्दू भाषा|विकल्प 4=अदालती भाषा}}{{Ans|विकल्प 1=[[फ़ारसी भाषा]]|विकल्प 2=[[अरबी भाषा]]|विकल्प 3='''[[उर्दू भाषा]]'''{{Check}}|विकल्प 4=अदालती भाषा|विवरण=उर्दू भाषा भारतीय-आर्य भाषा है, जो भारतीय संघ की 18 राष्ट्रीय भाषाओं में से एक व [[पाकिस्तान]] की राष्ट्रभाषा है। हालाँकि यह [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] और [[अरबी भाषा|अरबी]] से प्रभावित है, लेकिन यह [[हिन्दी भाषा|हिन्दी]] के निकट है और इसकी उत्पत्ति और विकास भारतीय उपमहाद्वीप में ही हुआ। दोनों भाषाएँ एक ही भारतीय आधार से उत्पन्न हुई हैं। स्वर वैज्ञानक और व्याकरण के स्तर पर इनमें काफ़ी समानता है और ये एक ही भाषा प्रतीत होती हैं। लेकिन शब्द संग्रह के स्तर पर इनमें विभिन्न स्रोतों (उर्दू में अरबी तथा फ़ारसी और हिन्दी में संस्कृत) से व्यापक रूप से गृहीत शब्द हैं, जिससे इन्हें स्वतंत्र भाषाओं का दर्जा दिया जा सकता है। इनके बीच सबसे बड़ा विभेद भाषा लेखन के स्तर पर परिलक्षित होता है। हिन्दी के लिए [[देवनागरी लिपि|देवनागरी]] का उपयोग होता है और उर्दू के लिए फ़ारसी-अरबी लिपि प्रयुक्त होती है, जिसे आवश्यकतानुसार स्थानीय रूप में परिवर्तित कर लिया गया है।}} | {{Opt|विकल्प 1=फ़ारसी भाषा|विकल्प 2=अरबी भाषा|विकल्प 3=उर्दू भाषा|विकल्प 4=अदालती भाषा}}{{Ans|विकल्प 1=[[फ़ारसी भाषा]]|विकल्प 2=[[अरबी भाषा]]|विकल्प 3='''[[उर्दू भाषा]]'''{{Check}}|विकल्प 4=अदालती भाषा|विवरण=उर्दू भाषा भारतीय-आर्य भाषा है, जो भारतीय संघ की 18 राष्ट्रीय भाषाओं में से एक व [[पाकिस्तान]] की राष्ट्रभाषा है। हालाँकि यह [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]] और [[अरबी भाषा|अरबी]] से प्रभावित है, लेकिन यह [[हिन्दी भाषा|हिन्दी]] के निकट है और इसकी उत्पत्ति और विकास भारतीय उपमहाद्वीप में ही हुआ। दोनों भाषाएँ एक ही भारतीय आधार से उत्पन्न हुई हैं। स्वर वैज्ञानक और व्याकरण के स्तर पर इनमें काफ़ी समानता है और ये एक ही भाषा प्रतीत होती हैं। लेकिन शब्द संग्रह के स्तर पर इनमें विभिन्न स्रोतों (उर्दू में अरबी तथा फ़ारसी और हिन्दी में संस्कृत) से व्यापक रूप से गृहीत शब्द हैं, जिससे इन्हें स्वतंत्र भाषाओं का दर्जा दिया जा सकता है। इनके बीच सबसे बड़ा विभेद भाषा लेखन के स्तर पर परिलक्षित होता है। हिन्दी के लिए [[देवनागरी लिपि|देवनागरी]] का उपयोग होता है और उर्दू के लिए फ़ारसी-अरबी लिपि प्रयुक्त होती है, जिसे आवश्यकतानुसार स्थानीय रूप में परिवर्तित कर लिया गया है।}} | ||
====[[हिन्दी भाषा]] का पहला समाचार-पत्र 'उदंत मार्ताण्ड' किस सन् में प्रकाशित हुआ था?==== | ===== [[हिन्दी भाषा]] का पहला समाचार-पत्र 'उदंत मार्ताण्ड' किस सन् में प्रकाशित हुआ था?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=1821|विकल्प 2=1826|विकल्प 3=1828|विकल्प 4=1830}}{{Ans|विकल्प 1=1821|विकल्प 2='''1826'''{{Check}}|विकल्प 3=1828|विकल्प 4=1830|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=1821|विकल्प 2=1826|विकल्प 3=1828|विकल्प 4=1830}}{{Ans|विकल्प 1=1821|विकल्प 2='''1826'''{{Check}}|विकल्प 3=1828|विकल्प 4=1830|विवरण=}} | ||
====हिन्दी के किस समाचार-पत्र में 'खड़ीबोली' को 'मध्यदेशीय भाषा' कहा गया है?==== | ===== हिन्दी के किस समाचार-पत्र में 'खड़ीबोली' को 'मध्यदेशीय भाषा' कहा गया है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=बनारस अखबार|विकल्प 2=सुधाकर|विकल्प 3=बुद्धिप्रकाश|विकल्प 4=उदंत मार्तण्ड}}{{Ans|विकल्प 1='''बनारस अखबार'''{{Check}}|विकल्प 2=सुधाकर|विकल्प 3=बुद्धिप्रकाश|विकल्प 4=उदंत मार्तण्ड|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=बनारस अखबार|विकल्प 2=सुधाकर|विकल्प 3=बुद्धिप्रकाश|विकल्प 4=उदंत मार्तण्ड}}{{Ans|विकल्प 1='''बनारस अखबार'''{{Check}}|विकल्प 2=सुधाकर|विकल्प 3=बुद्धिप्रकाश|विकल्प 4=उदंत मार्तण्ड|विवरण=}} | ||
===='गाथा' (गाहा) कहने से किस लोक प्रचलित काव्यभाषा का बोध होता है?==== | ===== 'गाथा' (गाहा) कहने से किस लोक प्रचलित काव्यभाषा का बोध होता है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=पालि|विकल्प 2=प्राकृत|विकल्प 3=अपभ्रंश|विकल्प 4=संस्कृत}}{{Ans|विकल्प 1=[[पालि भाषा|पालि]]|विकल्प 2='''[[प्राकृत]]'''{{Check}}|विकल्प 3=अपभ्रंश|विकल्प 4=[[संस्कृत भाषा|संस्कृत]]|विवरण=प्राकृत भाषा भारतीय आर्यभाषा का एक प्राचीन रूप है। इसके प्रयोग का समय 500 ई.पू. से 1000 ई. सन तक माना जाता है। धार्मिक कारणों से जब [[संस्कृत]] का महत्व कम होने लगा तो प्राकृत भाषा अधिक व्यवहार में आने लगी। इसके चार रूप विशेषत: उल्लेखनीय हैं। | {{Opt|विकल्प 1=पालि|विकल्प 2=प्राकृत|विकल्प 3=अपभ्रंश|विकल्प 4=संस्कृत}}{{Ans|विकल्प 1=[[पालि भाषा|पालि]]|विकल्प 2='''[[प्राकृत]]'''{{Check}}|विकल्प 3=अपभ्रंश|विकल्प 4=[[संस्कृत भाषा|संस्कृत]]|विवरण=प्राकृत भाषा भारतीय आर्यभाषा का एक प्राचीन रूप है। इसके प्रयोग का समय 500 ई.पू. से 1000 ई. सन तक माना जाता है। धार्मिक कारणों से जब [[संस्कृत]] का महत्व कम होने लगा तो प्राकृत भाषा अधिक व्यवहार में आने लगी। इसके चार रूप विशेषत: उल्लेखनीय हैं। | ||
#अर्धमागधी प्राकृत- इसमें [[जैन]] और [[बौद्ध]] साहित्य अधिक है। इसका मुख्य क्षेत्र [[मगध]] था। | #अर्धमागधी प्राकृत- इसमें [[जैन]] और [[बौद्ध]] साहित्य अधिक है। इसका मुख्य क्षेत्र [[मगध]] था। | ||
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#महाराष्ट्री प्राकृत- यह व्यापक रूप से प्रचलित थी और [[महाराष्ट्र]] में फैली होने के कारण इस नाम से पहिचानी जाती थी। | #महाराष्ट्री प्राकृत- यह व्यापक रूप से प्रचलित थी और [[महाराष्ट्र]] में फैली होने के कारण इस नाम से पहिचानी जाती थी। | ||
#शौरसेनी प्राकृत- इसका क्षेत्र [[मथुरा]] और मध्य प्रदेश का आँचल था। इस भाषा में अनेक ग्रंथ रचे गए जिनमें जैन धर्मग्रंथों की संख्या अधिक हैं संस्कृत के प्राचीन नाटकों में भी स्त्री पात्रों और जनसामान्य के संवादों के लिए प्राकृत भाषा का ही प्रयोग हुआ है।}} | #शौरसेनी प्राकृत- इसका क्षेत्र [[मथुरा]] और मध्य प्रदेश का आँचल था। इस भाषा में अनेक ग्रंथ रचे गए जिनमें जैन धर्मग्रंथों की संख्या अधिक हैं संस्कृत के प्राचीन नाटकों में भी स्त्री पात्रों और जनसामान्य के संवादों के लिए प्राकृत भाषा का ही प्रयोग हुआ है।}} | ||
====सिद्धों की उद्धृत रचनाओं की काव्य भाषा है?==== | ===== सिद्धों की उद्धृत रचनाओं की काव्य भाषा है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=देशभाषा मिश्रित अपभ्रंश अर्थात् पुरानी [[हिन्दी]]|विकल्प 2=प्राकृत भाषा|विकल्प 3=अवहट्ठ भाषा|विकल्प 4=पालि भाषा}}{{Ans|विकल्प 1='''देशभाषा मिश्रित अपभ्रंश अर्थात् पुरानी हिन्दी'''{{Check}}|विकल्प 2=प्राकृत भाषा|विकल्प 3=अवहट्ठ भाषा|विकल्प 4=[[पालि भाषा]]|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=देशभाषा मिश्रित अपभ्रंश अर्थात् पुरानी [[हिन्दी]]|विकल्प 2=प्राकृत भाषा|विकल्प 3=अवहट्ठ भाषा|विकल्प 4=पालि भाषा}}{{Ans|विकल्प 1='''देशभाषा मिश्रित अपभ्रंश अर्थात् पुरानी हिन्दी'''{{Check}}|विकल्प 2=प्राकृत भाषा|विकल्प 3=अवहट्ठ भाषा|विकल्प 4=[[पालि भाषा]]|विवरण=}} | ||
====अपभ्रंश भाषा के प्रथम व्याकरणाचार्य थे?==== | ===== अपभ्रंश भाषा के प्रथम व्याकरणाचार्य थे?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=पाणिनि|विकल्प 2=कात्यायन|विकल्प 3=हेमचन्द्र|विकल्प 4=पतंजलि}}{{Ans|विकल्प 1=[[पाणिनि]]|विकल्प 2=[[कात्यायन]]|विकल्प 3='''[[हेमचन्द्र]]'''{{Check}}|विकल्प 4=[[पतंजलि]]|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=पाणिनि|विकल्प 2=कात्यायन|विकल्प 3=हेमचन्द्र|विकल्प 4=पतंजलि}}{{Ans|विकल्प 1=[[पाणिनि]]|विकल्प 2=[[कात्यायन]]|विकल्प 3='''[[हेमचन्द्र]]'''{{Check}}|विकल्प 4=[[पतंजलि]]|विवरण=}} | ||
===='जो जिण सासण भाषियउ सो मई कहियउ सार। जो पालइ सइ भाउ करि सो तरि पावइ पारु॥' इस दोहे के रचनाकार का नाम है?==== | ===== 'जो जिण सासण भाषियउ सो मई कहियउ सार। जो पालइ सइ भाउ करि सो तरि पावइ पारु॥' इस दोहे के रचनाकार का नाम है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=स्वयंभू|विकल्प 2=देवसेन|विकल्प 3=पुष्यदन्त|विकल्प 4=कनकामर}}{{Ans|विकल्प 1=स्वयभू|विकल्प 2='''[[देवसेन]]'''{{Check}}|विकल्प 3=पुष्यदन्त|विकल्प 4=कनकामर|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=स्वयंभू|विकल्प 2=देवसेन|विकल्प 3=पुष्यदन्त|विकल्प 4=कनकामर}}{{Ans|विकल्प 1=स्वयभू|विकल्प 2='''[[देवसेन]]'''{{Check}}|विकल्प 3=पुष्यदन्त|विकल्प 4=कनकामर|विवरण=}} | ||
====प्रादेशिक बोलियाँ के साथ [[ब्रज]] या मध्य देश की भाषा का आश्रय लेकर एक सामान्य साहित्यिक भाषा स्वीकृत हुई, जिसे चारणों ने नाम दिया?==== | ===== प्रादेशिक बोलियाँ के साथ [[ब्रज]] या मध्य देश की भाषा का आश्रय लेकर एक सामान्य साहित्यिक भाषा स्वीकृत हुई, जिसे चारणों ने नाम दिया?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=डिंगल भाषा|विकल्प 2=मेवाड़ी भाषा|विकल्प 3=मारवाड़ी भाषा|विकल्प 4=पिंगल भाषा}}{{Ans|विकल्प 1=डिंगल भाषा|विकल्प 2=मेवाड़ी भाषा|विकल्प 3=मारवाड़ी भाषा|विकल्प 4='''पिंगल भाषा'''{{Check}}|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=डिंगल भाषा|विकल्प 2=मेवाड़ी भाषा|विकल्प 3=मारवाड़ी भाषा|विकल्प 4=पिंगल भाषा}}{{Ans|विकल्प 1=डिंगल भाषा|विकल्प 2=मेवाड़ी भाषा|विकल्प 3=मारवाड़ी भाषा|विकल्प 4='''पिंगल भाषा'''{{Check}}|विवरण=}} | ||
====अपभ्रंश के योग से [[राजस्थानी भाषा]] का जो साहित्यिक रुप बना, उसे कहा जाता है?==== | ===== अपभ्रंश के योग से [[राजस्थानी भाषा]] का जो साहित्यिक रुप बना, उसे कहा जाता है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=पिंगल भाषा|विकल्प 2=डिंगल भाषा|विकल्प 3=मेवाड़ी भाषा|विकल्प 4=बाँगरु भाषा}}{{Ans|विकल्प 1=पिंगल भाषा|विकल्प 2='''डिंगल भाषा'''{{Check}}|विकल्प 3=मेवाड़ी भाषा|विकल्प 4=बाँगरु भाषा|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=पिंगल भाषा|विकल्प 2=डिंगल भाषा|विकल्प 3=मेवाड़ी भाषा|विकल्प 4=बाँगरु भाषा}}{{Ans|विकल्प 1=पिंगल भाषा|विकल्प 2='''डिंगल भाषा'''{{Check}}|विकल्प 3=मेवाड़ी भाषा|विकल्प 4=बाँगरु भाषा|विवरण=}} | ||
====[[अमीर ख़ुसरो]] ने जिन मुकरियों, पहेलियों और दो सुखनों की रचना की है, उसकी मुख्य भाषा है?==== | ===== [[अमीर ख़ुसरो]] ने जिन मुकरियों, पहेलियों और दो सुखनों की रचना की है, उसकी मुख्य भाषा है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=दक्खिनी हिन्दी|विकल्प 2=खड़ीबोली|विकल्प 3=बुन्देली|विकल्प 4=बघेली}}{{Ans|विकल्प 1=दक्खिनी [[हिन्दी]]|विकल्प 2='''खड़ीबोली'''{{Check}}|विकल्प 3=बुन्देली|विकल्प 4=बघेली|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=दक्खिनी हिन्दी|विकल्प 2=खड़ीबोली|विकल्प 3=बुन्देली|विकल्प 4=बघेली}}{{Ans|विकल्प 1=दक्खिनी [[हिन्दी]]|विकल्प 2='''खड़ीबोली'''{{Check}}|विकल्प 3=बुन्देली|विकल्प 4=बघेली|विवरण=}} | ||
===='एक नगर पिया को भानी। तन वाको सगरा ज्यों पानी।' यह पंक्ति किस भाषा की है?==== | ===== 'एक नगर पिया को भानी। तन वाको सगरा ज्यों पानी।' यह पंक्ति किस भाषा की है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=ब्रजभाषा|विकल्प 2=खड़ीबोली भाषा|विकल्प 3=अपभ्रंश भाषा|विकल्प 4=कन्नौजी भाषा}}{{Ans|विकल्प 1='''[[ब्रजभाषा]]'''{{Check}}|विकल्प 2=खड़ीबोली भाषा|विकल्प 3=अपभ्रंश भाषा|विकल्प 4=कन्नौजी भाषा|विवरण=ब्रजभाषा मूलत: ब्रजक्षेत्र की बोली है। विक्रम की 13वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक भारत में साहित्यिक भाषा रहने के कारण ब्रज की इस जनपदीय बोली ने अपने विकास के साथ भाषा नाम प्राप्त किया और ब्रजभाषा नाम से जानी जाने लगी। शुद्ध रूप में यह आज भी [[मथुरा]], [[आगरा]], [[धौलपुर]] और अलीगढ़ जिलों में बोली जाती है। इसे हम केंद्रीय ब्रजभाषा भी कह सकते हैं। प्रारम्भ में ब्रजभाषा में ही काव्य रचना हुई। [[भक्तिकाल]] के कवियों ने अपनी रचनाएं ब्रजभाषा में ही लिखी हैं जिनमें [[सूरदास]], [[रहीम]], [[रसखान]], [[बिहारी लाल]], [[केशव कवि|केशव]], [[घनानन्द कवि|घनानन्द]] आदि कवि प्रमुख हैं। हिन्दी फिल्मों और फिल्मी गीतों में भी ब्रजभाषा के शब्दों का बहुत प्रयोग होता है। आधुनिक ब्रजभाषा 1 करोड़ 23 लाख जनता के द्वारा बोली जाती है और लगभग 38,000 वर्गमील के क्षेत्र में फैली हुई है।}} | {{Opt|विकल्प 1=ब्रजभाषा|विकल्प 2=खड़ीबोली भाषा|विकल्प 3=अपभ्रंश भाषा|विकल्प 4=कन्नौजी भाषा}}{{Ans|विकल्प 1='''[[ब्रजभाषा]]'''{{Check}}|विकल्प 2=खड़ीबोली भाषा|विकल्प 3=अपभ्रंश भाषा|विकल्प 4=कन्नौजी भाषा|विवरण=ब्रजभाषा मूलत: ब्रजक्षेत्र की बोली है। विक्रम की 13वीं शताब्दी से लेकर 20वीं शताब्दी तक भारत में साहित्यिक भाषा रहने के कारण ब्रज की इस जनपदीय बोली ने अपने विकास के साथ भाषा नाम प्राप्त किया और ब्रजभाषा नाम से जानी जाने लगी। शुद्ध रूप में यह आज भी [[मथुरा]], [[आगरा]], [[धौलपुर]] और अलीगढ़ जिलों में बोली जाती है। इसे हम केंद्रीय ब्रजभाषा भी कह सकते हैं। प्रारम्भ में ब्रजभाषा में ही काव्य रचना हुई। [[भक्तिकाल]] के कवियों ने अपनी रचनाएं ब्रजभाषा में ही लिखी हैं जिनमें [[सूरदास]], [[रहीम]], [[रसखान]], [[बिहारी लाल]], [[केशव कवि|केशव]], [[घनानन्द कवि|घनानन्द]] आदि कवि प्रमुख हैं। हिन्दी फिल्मों और फिल्मी गीतों में भी ब्रजभाषा के शब्दों का बहुत प्रयोग होता है। आधुनिक ब्रजभाषा 1 करोड़ 23 लाख जनता के द्वारा बोली जाती है और लगभग 38,000 वर्गमील के क्षेत्र में फैली हुई है।}} | ||
====किस भाषा को वैज्ञानिक ने [[बिहारी भाषाएँ|बिहारी]] और [[मैथिली भाषा|मैथिली]] मागधी से निकली होने के कारण हिन्दी से पृथक् माना है?==== | ===== किस भाषा को वैज्ञानिक ने [[बिहारी भाषाएँ|बिहारी]] और [[मैथिली भाषा|मैथिली]] मागधी से निकली होने के कारण हिन्दी से पृथक् माना है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=हार्नले|विकल्प 2=सुनीति कुमार चटर्जी|विकल्प 3=जॉर्ज ग्रियर्सन|विकल्प 4=धीरेन्द्र वर्मा}}{{Ans|विकल्प 1=हार्नले|विकल्प 2='''सुनीति कुमार चटर्जी'''{{Check}}|विकल्प 3=जॉर्ज ग्रियर्सन|विकल्प 4=धीरेन्द्र वर्मा|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=हार्नले|विकल्प 2=सुनीति कुमार चटर्जी|विकल्प 3=जॉर्ज ग्रियर्सन|विकल्प 4=धीरेन्द्र वर्मा}}{{Ans|विकल्प 1=हार्नले|विकल्प 2='''सुनीति कुमार चटर्जी'''{{Check}}|विकल्प 3=जॉर्ज ग्रियर्सन|विकल्प 4=धीरेन्द्र वर्मा|विवरण=}} | ||
====[[देवनागरी लिपि]] को राष्ट्रलिपि के रूप में कब स्वीकार किया गया था?==== | ===== [[देवनागरी लिपि]] को राष्ट्रलिपि के रूप में कब स्वीकार किया गया था?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=14 सितम्बर, 1949|विकल्प 2=21 सितम्बर, 1949|विकल्प 3=23 सितम्बर, 1949|विकल्प 4=25 सितम्बर, 1949}}{{Ans|विकल्प 1='''[[14 सितम्बर]], [[1949]]'''{{Check}}|विकल्प 2=[[21 सितम्बर]], 1949|विकल्प 3=[[23 सितम्बर]], 1949|विकल्प 4=[[25 सितम्बर]], 1949|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=14 सितम्बर, 1949|विकल्प 2=21 सितम्बर, 1949|विकल्प 3=23 सितम्बर, 1949|विकल्प 4=25 सितम्बर, 1949}}{{Ans|विकल्प 1='''[[14 सितम्बर]], [[1949]]'''{{Check}}|विकल्प 2=[[21 सितम्बर]], 1949|विकल्प 3=[[23 सितम्बर]], 1949|विकल्प 4=[[25 सितम्बर]], 1949|विवरण=}} | ||
===='रानी केतकी की कहानी' की भाषा को कहा जाता है?==== | ===== 'रानी केतकी की कहानी' की भाषा को कहा जाता है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=खड़ी बोली|विकल्प 2=हिन्दुस्तानी|विकल्प 3=उर्दू|विकल्प 4=अपभ्रंश}}{{Ans|विकल्प 1='''खड़ी बोली'''{{Check}}|विकल्प 2=हिन्दुस्तानी|विकल्प 3=[[उर्दू भाषा|उर्दू]]|विकल्प 4=अपभ्रंश|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=खड़ी बोली|विकल्प 2=हिन्दुस्तानी|विकल्प 3=उर्दू|विकल्प 4=अपभ्रंश}}{{Ans|विकल्प 1='''खड़ी बोली'''{{Check}}|विकल्प 2=हिन्दुस्तानी|विकल्प 3=[[उर्दू भाषा|उर्दू]]|विकल्प 4=अपभ्रंश|विवरण=}} | ||
====[[देवनागरी लिपि]] का विकास किस लिपि से हुआ है?==== | ===== [[देवनागरी लिपि]] का विकास किस लिपि से हुआ है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=खरोष्ठी लिपि|विकल्प 2=कुटिल लिपि|विकल्प 3=ब्राह्मी लिपि|विकल्प 4=गुप्तकाल की लिपि}}{{Ans|विकल्प 1=[[खरोष्ठी लिपि]]|विकल्प 2=कुटिल लिपि|विकल्प 3='''[[ब्राह्मी लिपि]]'''{{Check}}|विकल्प 4=गुप्तकाल की लिपि|विवरण=[[चित्र:Devnagari-Lipi.jpg|thumb|250px|[[अशोक]] की ब्राह्मी लिपि के अक्षर]] | {{Opt|विकल्प 1=खरोष्ठी लिपि|विकल्प 2=कुटिल लिपि|विकल्प 3=ब्राह्मी लिपि|विकल्प 4=गुप्तकाल की लिपि}}{{Ans|विकल्प 1=[[खरोष्ठी लिपि]]|विकल्प 2=कुटिल लिपि|विकल्प 3='''[[ब्राह्मी लिपि]]'''{{Check}}|विकल्प 4=गुप्तकाल की लिपि|विवरण=[[चित्र:Devnagari-Lipi.jpg|thumb|250px|[[अशोक]] की ब्राह्मी लिपि के अक्षर]] | ||
*प्राचीन ब्राह्मी लिपि के उत्कृष्ट उदाहरण सम्राट [[अशोक]] (असोक) द्वारा ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में बनवाये गये शिलालेखों के रूप में अनेक स्थानों पर मिलते है । नये अनुसंधानों के आधार 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व के लेख भी मिले है। ब्राह्मी भी [[खरोष्ठी]] की तरह ही पूरे [[एशिया]] में फैली हुई थी। | *प्राचीन ब्राह्मी लिपि के उत्कृष्ट उदाहरण सम्राट [[अशोक]] (असोक) द्वारा ईसा पूर्व तीसरी शताब्दी में बनवाये गये शिलालेखों के रूप में अनेक स्थानों पर मिलते है । नये अनुसंधानों के आधार 6 वीं शताब्दी ईसा पूर्व के लेख भी मिले है। ब्राह्मी भी [[खरोष्ठी]] की तरह ही पूरे [[एशिया]] में फैली हुई थी। | ||
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*इससे यही जान पड़ता है कि ब्राह्मी [[भारत]] की सार्वदेशिक लिपि थी और उसका जन्म भारत में ही हुआ किंतु बहुत-से विदेशी पुराविद मानते हैं कि किसी बाहरी वर्णमालात्मक लिपि के आधार पर ही ब्राह्मी वर्णमाला का निर्माण किया गया था। }} | *इससे यही जान पड़ता है कि ब्राह्मी [[भारत]] की सार्वदेशिक लिपि थी और उसका जन्म भारत में ही हुआ किंतु बहुत-से विदेशी पुराविद मानते हैं कि किसी बाहरी वर्णमालात्मक लिपि के आधार पर ही ब्राह्मी वर्णमाला का निर्माण किया गया था। }} | ||
===='बाँगरू' बोली का किस बोली से निकट सम्बन्ध है?==== | ===== 'बाँगरू' बोली का किस बोली से निकट सम्बन्ध है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=कन्नौजी|विकल्प 2=बुन्देली|विकल्प 3=ब्रजभाषा|विकल्प 4=खड़ीबोली}}{{Ans|विकल्प 1=कन्नौजी|विकल्प 2=बुन्देली|विकल्प 3=[[ब्रजभाषा]]|विकल्प 4='''खड़ीबोली'''{{Check}}|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=कन्नौजी|विकल्प 2=बुन्देली|विकल्प 3=ब्रजभाषा|विकल्प 4=खड़ीबोली}}{{Ans|विकल्प 1=कन्नौजी|विकल्प 2=बुन्देली|विकल्प 3=[[ब्रजभाषा]]|विकल्प 4='''खड़ीबोली'''{{Check}}|विवरण=}} | ||
====मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाओं का स्थिति काल रहा है?==== | ===== मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाओं का स्थिति काल रहा है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=1500 ई.पू. से 500 ई.पू.|विकल्प 2=1000 ई.पू. से 500 ई.पू.|विकल्प 3=500 ई.पू. से 600 ई.पू.|विकल्प 4=500 ई.पू. से 1000 ई.पू.}}{{Ans|विकल्प 1=1500 ई.पू. से 500 ई.पू.|विकल्प 2=1000 ई.पू. से 500 ई.पू.|विकल्प 3=500 ई.पू. से 600 ई.पू.|विकल्प 4='''500 ई.पू. से 1000 ई.पू.'''{{Check}}|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=1500 ई.पू. से 500 ई.पू.|विकल्प 2=1000 ई.पू. से 500 ई.पू.|विकल्प 3=500 ई.पू. से 600 ई.पू.|विकल्प 4=500 ई.पू. से 1000 ई.पू.}}{{Ans|विकल्प 1=1500 ई.पू. से 500 ई.पू.|विकल्प 2=1000 ई.पू. से 500 ई.पू.|विकल्प 3=500 ई.पू. से 600 ई.पू.|विकल्प 4='''500 ई.पू. से 1000 ई.पू.'''{{Check}}|विवरण=}} | ||
===='प्राचीन देशभाषा' (पूर्व अपभ्रंश) को 'अपभ्रंश' तथा परवर्ती अर्थात् अग्रसरीभूत अपभ्रंश को 'अवहट्ठ' किस भाषा वैज्ञानिक ने कहा है?==== | ===== 'प्राचीन देशभाषा' (पूर्व अपभ्रंश) को 'अपभ्रंश' तथा परवर्ती अर्थात् अग्रसरीभूत अपभ्रंश को 'अवहट्ठ' किस भाषा वैज्ञानिक ने कहा है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=ग्रियर्सन|विकल्प 2=भोलानाथ तिवारी|विकल्प 3=सुनीतिकुमार चटर्जी एवं सुकुमार सेन|विकल्प 4=उदयनारायण तिवारी}}{{Ans|विकल्प 1=ग्रियर्सन|विकल्प 2=भोलानाथ तिवारी|विकल्प 3='''सुनीतिकुमार चटर्जी एवं सुकुमार सेन'''{{Check}}|विकल्प 4=उदयनारायण तिवारी|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=ग्रियर्सन|विकल्प 2=भोलानाथ तिवारी|विकल्प 3=सुनीतिकुमार चटर्जी एवं सुकुमार सेन|विकल्प 4=उदयनारायण तिवारी}}{{Ans|विकल्प 1=ग्रियर्सन|विकल्प 2=भोलानाथ तिवारी|विकल्प 3='''सुनीतिकुमार चटर्जी एवं सुकुमार सेन'''{{Check}}|विकल्प 4=उदयनारायण तिवारी|विवरण=}} | ||
====अर्द्धमागधी अपभ्रंश से इनमें से किस बोली का विकास हुआ है?==== | ===== अर्द्धमागधी अपभ्रंश से इनमें से किस बोली का विकास हुआ है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=पश्चिमी हिन्दी|विकल्प 2=बिहारी|विकल्प 3=बंगाली|विकल्प 4=पूर्वी हिन्दी}}{{Ans|विकल्प 1=पश्चिमी [[हिन्दी]]|विकल्प 2=[[बिहारी भाषाएँ|बिहारी]]|विकल्प 3=[[बांग्ला भाषा|बंगाली]]|विकल्प 4='''पूर्वी हिन्दी'''{{Check}}|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=पश्चिमी हिन्दी|विकल्प 2=बिहारी|विकल्प 3=बंगाली|विकल्प 4=पूर्वी हिन्दी}}{{Ans|विकल्प 1=पश्चिमी [[हिन्दी]]|विकल्प 2=[[बिहारी भाषाएँ|बिहारी]]|विकल्प 3=[[बांग्ला भाषा|बंगाली]]|विकल्प 4='''पूर्वी हिन्दी'''{{Check}}|विवरण=}} | ||
====कामताप्रसाद गुरु का हिन्दी व्याकरण विषयक ग्रंथ, जो नागरी प्रचारिणी सभा, काशी से प्रकाशित हुआ था, उसका नाम था?==== | ===== कामताप्रसाद गुरु का हिन्दी व्याकरण विषयक ग्रंथ, जो नागरी प्रचारिणी सभा, काशी से प्रकाशित हुआ था, उसका नाम था?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=हिन्दी का सरल व्याकरण|विकल्प 2=हिन्दी का प्रामाणिक व्याकरण|विकल्प 3=हिन्दी व्याकरण|विकल्प 4=हिन्दी का व्यावहारिक व्याकरण}}{{Ans|विकल्प 1=[[हिन्दी]] का सरल व्याकरण|विकल्प 2=हिन्दी का प्रामाणिक व्याकरण|विकल्प 3='''हिन्दी व्याकरण'''{{Check}}|विकल्प 4=हिन्दी का व्यावहारिक व्याकरण|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=हिन्दी का सरल व्याकरण|विकल्प 2=हिन्दी का प्रामाणिक व्याकरण|विकल्प 3=हिन्दी व्याकरण|विकल्प 4=हिन्दी का व्यावहारिक व्याकरण}}{{Ans|विकल्प 1=[[हिन्दी]] का सरल व्याकरण|विकल्प 2=हिन्दी का प्रामाणिक व्याकरण|विकल्प 3='''हिन्दी व्याकरण'''{{Check}}|विकल्प 4=हिन्दी का व्यावहारिक व्याकरण|विवरण=}} | ||
====[[देवनागरी लिपि]] है?==== | ===== [[देवनागरी लिपि]] है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=वर्णात्मक|विकल्प 2=वर्णात्मक और अक्षरात्मक दोनों|विकल्प 3=अक्षरात्मक|विकल्प 4=इनमें से कोई नहीं}}{{Ans|विकल्प 1=वर्णात्मक|विकल्प 2=वर्णात्मक और अक्षरात्मक दोनों|विकल्प 3='''अक्षरात्मक'''{{Check}}|विकल्प 4=इनमें से कोई नहीं|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=वर्णात्मक|विकल्प 2=वर्णात्मक और अक्षरात्मक दोनों|विकल्प 3=अक्षरात्मक|विकल्प 4=इनमें से कोई नहीं}}{{Ans|विकल्प 1=वर्णात्मक|विकल्प 2=वर्णात्मक और अक्षरात्मक दोनों|विकल्प 3='''अक्षरात्मक'''{{Check}}|विकल्प 4=इनमें से कोई नहीं|विवरण=}} | ||
====विद्यापति की उस प्रमुख रचना का नाम बताइए, जिसमें 'अवहट्ठ' भाषा का बहुतायत से प्रयोग हुआ है?==== | ===== विद्यापति की उस प्रमुख रचना का नाम बताइए, जिसमें 'अवहट्ठ' भाषा का बहुतायत से प्रयोग हुआ है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=कीर्तिपताका|विकल्प 2=कीर्तिलता|विकल्प 3=विद्यापति पदावली (संग्रह)|विकल्प 4=पुरुष परीक्षा}}{{Ans|विकल्प 1=कीर्तिपताका|विकल्प 2='''कीर्तिलता'''{{Check}}|विकल्प 3=विद्यापति पदावली (संग्रह)|विकल्प 4=पुरुष परीक्षा|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=कीर्तिपताका|विकल्प 2=कीर्तिलता|विकल्प 3=विद्यापति पदावली (संग्रह)|विकल्प 4=पुरुष परीक्षा}}{{Ans|विकल्प 1=कीर्तिपताका|विकल्प 2='''कीर्तिलता'''{{Check}}|विकल्प 3=विद्यापति पदावली (संग्रह)|विकल्प 4=पुरुष परीक्षा|विवरण=}} | ||
====जॉर्ज ग्रियर्सन ने पश्चिमोत्तर समुदाय की भाषा को आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं की किस उपशाखा में रखा है?==== | ===== जॉर्ज ग्रियर्सन ने पश्चिमोत्तर समुदाय की भाषा को आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं की किस उपशाखा में रखा है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=भीतरी उपशाखा|विकल्प 2=बाहरी उपशाखा|विकल्प 3=मध्यवर्गीय उपशाखा|विकल्प 4=इनमें से कोई नहीं}}{{Ans|विकल्प 1=भीतरी उपशाखा|विकल्प 2='''बाहरी उपशाखा'''{{Check}}|विकल्प 3=मध्यवर्गीय उपशाखा|विकल्प 4=इनमें से कोई नहीं|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=भीतरी उपशाखा|विकल्प 2=बाहरी उपशाखा|विकल्प 3=मध्यवर्गीय उपशाखा|विकल्प 4=इनमें से कोई नहीं}}{{Ans|विकल्प 1=भीतरी उपशाखा|विकल्प 2='''बाहरी उपशाखा'''{{Check}}|विकल्प 3=मध्यवर्गीय उपशाखा|विकल्प 4=इनमें से कोई नहीं|विवरण=}} | ||
====सुनीति कुमार चटर्जी ने आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं के अंतर्गत पूर्वी हिन्दी को किस शाखा के भीतर रखा है?==== | ===== सुनीति कुमार चटर्जी ने आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं के अंतर्गत पूर्वी हिन्दी को किस शाखा के भीतर रखा है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=उदीच्य|विकल्प 2=प्रतीच्य|विकल्प 3=प्राच्य|विकल्प 4=दाक्षिणात्य}}{{Ans|विकल्प 1=उदीच्य|विकल्प 2=प्रतीच्य|विकल्प 3='''प्राच्य'''{{Check}}|विकल्प 4=दाक्षिणात्य|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=उदीच्य|विकल्प 2=प्रतीच्य|विकल्प 3=प्राच्य|विकल्प 4=दाक्षिणात्य}}{{Ans|विकल्प 1=उदीच्य|विकल्प 2=प्रतीच्य|विकल्प 3='''प्राच्य'''{{Check}}|विकल्प 4=दाक्षिणात्य|विवरण=}} | ||
====[[उर्दू भाषा|उर्दू]] किस भाषा का मूल शब्द है?==== | ===== [[उर्दू भाषा|उर्दू]] किस भाषा का मूल शब्द है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=तुर्की भाषा|विकल्प 2=ईरानी भाषा|विकल्प 3=अरबी भाषा|विकल्प 4=फ़ारसी भाषा}}{{Ans|विकल्प 1='''तुर्की भाषा'''{{Check}}|विकल्प 2=ईरानी भाषा|विकल्प 3=[[अरबी भाषा]]|विकल्प 4=[[फ़ारसी भाषा]]|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=तुर्की भाषा|विकल्प 2=ईरानी भाषा|विकल्प 3=अरबी भाषा|विकल्प 4=फ़ारसी भाषा}}{{Ans|विकल्प 1='''तुर्की भाषा'''{{Check}}|विकल्प 2=ईरानी भाषा|विकल्प 3=[[अरबी भाषा]]|विकल्प 4=[[फ़ारसी भाषा]]|विवरण=}} | ||
===='साहित्य का इतिहास दर्शन' ग्रंथ के लेखक का नाम है?==== | ===== 'साहित्य का इतिहास दर्शन' ग्रंथ के लेखक का नाम है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=डॉ. श्यामसुन्दर दास|विकल्प 2=आचार्य रामचन्द्र शुक्ल|विकल्प 3=डॉ. नलिन विलोचन शर्मा|विकल्प 4=डॉ. गुलाब राय}}{{Ans|विकल्प 1=डॉ. श्यामसुन्दर दास|विकल्प 2=आचार्य रामचन्द्र शुक्ल|विकल्प 3='''डॉ. नलिन विलोचन शर्मा'''{{Check}}|विकल्प 4=डॉ. गुलाब राय|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=डॉ. श्यामसुन्दर दास|विकल्प 2=आचार्य रामचन्द्र शुक्ल|विकल्प 3=डॉ. नलिन विलोचन शर्मा|विकल्प 4=डॉ. गुलाब राय}}{{Ans|विकल्प 1=डॉ. श्यामसुन्दर दास|विकल्प 2=आचार्य रामचन्द्र शुक्ल|विकल्प 3='''डॉ. नलिन विलोचन शर्मा'''{{Check}}|विकल्प 4=डॉ. गुलाब राय|विवरण=}} | ||
====आचार्य रामचन्द्र शुक्ल कृत 'हिन्दी साहित्य का इतिहास' की अधिकांश सामग्री पुस्तकाकार प्रकाशन के पूर्व 'हिन्दी शब्द- सागर की भूमिका में छपी थी। इस भूमिका में उसका शीर्षक था?==== | ===== आचार्य रामचन्द्र शुक्ल कृत 'हिन्दी साहित्य का इतिहास' की अधिकांश सामग्री पुस्तकाकार प्रकाशन के पूर्व 'हिन्दी शब्द- सागर की भूमिका में छपी थी। इस भूमिका में उसका शीर्षक था?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=हिन्दी साहित्य का उद्भव और विकास|विकल्प 2=हिन्दी साहित्य का विकास|विकल्प 3=हिन्दी साहित्य का विकासात्मक इतिहास|विकल्प 4=हिन्दी साहित्य की विकास यात्रा}}{{Ans|विकल्प 1=[[हिन्दी]] साहित्य का उद्भव और विकास|विकल्प 2='''हिन्दी साहित्य का विकास'''{{Check}}|विकल्प 3=हिन्दी साहित्य का विकासात्मक इतिहास|विकल्प 4=हिन्दी साहित्य की विकास यात्रा|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=हिन्दी साहित्य का उद्भव और विकास|विकल्प 2=हिन्दी साहित्य का विकास|विकल्प 3=हिन्दी साहित्य का विकासात्मक इतिहास|विकल्प 4=हिन्दी साहित्य की विकास यात्रा}}{{Ans|विकल्प 1=[[हिन्दी]] साहित्य का उद्भव और विकास|विकल्प 2='''हिन्दी साहित्य का विकास'''{{Check}}|विकल्प 3=हिन्दी साहित्य का विकासात्मक इतिहास|विकल्प 4=हिन्दी साहित्य की विकास यात्रा|विवरण=}} | ||
====जॉर्ज ग्रियर्सन का इतिहास ग्रन्थ 'मॉडर्न वर्नाक्युलर लिटरेचर ऑफ़ नॉदर्न हिन्दुस्तान' का प्रकाशन हुआ था?==== | ===== जॉर्ज ग्रियर्सन का इतिहास ग्रन्थ 'मॉडर्न वर्नाक्युलर लिटरेचर ऑफ़ नॉदर्न हिन्दुस्तान' का प्रकाशन हुआ था?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=1887|विकल्प 2=1888|विकल्प 3=1889|विकल्प 4=1890}}{{Ans|विकल्प 1=[[1887]]|विकल्प 2='''[[1888]]'''{{Check}}|विकल्प 3=[[1889]]|विकल्प 4=[[1890]]|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=1887|विकल्प 2=1888|विकल्प 3=1889|विकल्प 4=1890}}{{Ans|विकल्प 1=[[1887]]|विकल्प 2='''[[1888]]'''{{Check}}|विकल्प 3=[[1889]]|विकल्प 4=[[1890]]|विवरण=}} | ||
===="जिस कालखण्ड के भीतर किसी विशेष ढंग की रचनाओं की प्रचुरता दिखाई पड़ी है, वह एक अलग काल माना गया है और उसका नामकरण उन्हीं रचनाओं के अनुसार किया गया है" यह मान्यता किस इतिहासकार की है?==== | ===== "जिस कालखण्ड के भीतर किसी विशेष ढंग की रचनाओं की प्रचुरता दिखाई पड़ी है, वह एक अलग काल माना गया है और उसका नामकरण उन्हीं रचनाओं के अनुसार किया गया है" यह मान्यता किस इतिहासकार की है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=डॉ. श्यामसुन्दर दास|विकल्प 2=आचार्य रामचन्द्र शुक्ल|विकल्प 3= डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी|विकल्प 4=डॉ. रामविलास शर्मा}}{{Ans|विकल्प 1=डॉ. श्यामसुन्दर दास|विकल्प 2='''आचार्य रामचन्द्र शुक्ल'''{{Check}}|विकल्प 3= डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी|विकल्प 4=डॉ. रामविलास शर्मा|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=डॉ. श्यामसुन्दर दास|विकल्प 2=आचार्य रामचन्द्र शुक्ल|विकल्प 3= डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी|विकल्प 4=डॉ. रामविलास शर्मा}}{{Ans|विकल्प 1=डॉ. श्यामसुन्दर दास|विकल्प 2='''आचार्य रामचन्द्र शुक्ल'''{{Check}}|विकल्प 3= डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी|विकल्प 4=डॉ. रामविलास शर्मा|विवरण=}} | ||
====आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के उस इतिहास ग्रंथ का नाम बतलाइए जिसमें मात्र आदिकालीन हिन्दी साहित्य सम्बन्धी सामग्री संग्रहीत है?==== | ===== आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी के उस इतिहास ग्रंथ का नाम बतलाइए जिसमें मात्र आदिकालीन हिन्दी साहित्य सम्बन्धी सामग्री संग्रहीत है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=हिन्दी साहित्य की भूमिका|विकल्प 2=हिन्दी साहित्य: उद्भव और विकास|विकल्प 3=मध्यकालीन धर्मसाधना|विकल्प 4=हिन्दी साहित्य का आदिकाल}}{{Ans|विकल्प 1=[[हिन्दी]] साहित्य की भूमिका|विकल्प 2=हिन्दी साहित्य: उद्भव और विकास|विकल्प 3=मध्यकालीन धर्मसाधना|विकल्प 4='''हिन्दी साहित्य का आदिकाल'''{{Check}}|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=हिन्दी साहित्य की भूमिका|विकल्प 2=हिन्दी साहित्य: उद्भव और विकास|विकल्प 3=मध्यकालीन धर्मसाधना|विकल्प 4=हिन्दी साहित्य का आदिकाल}}{{Ans|विकल्प 1=[[हिन्दी]] साहित्य की भूमिका|विकल्प 2=हिन्दी साहित्य: उद्भव और विकास|विकल्प 3=मध्यकालीन धर्मसाधना|विकल्प 4='''हिन्दी साहित्य का आदिकाल'''{{Check}}|विवरण=}} | ||
====आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने किन दो प्रमुख तथ्यों को ध्यान में रखकर 'हिन्दी साहित्य के इतिहास' के काल खण्डों का नामकरण किया है?==== | ===== आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने किन दो प्रमुख तथ्यों को ध्यान में रखकर 'हिन्दी साहित्य के इतिहास' के काल खण्डों का नामकरण किया है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=ग्रंथों की प्रसिद्धि|विकल्प 2=ग्रंथों की प्रचुरता एवं ग्रंथों की प्रसिद्धि|विकल्प 3=ग्रंथों की उपलब्धता|विकल्प 4=रचनाकारों की संख्या}}{{Ans|विकल्प 1=ग्रंथों की प्रसिद्धि|विकल्प 2='''ग्रंथों की प्रचुरता एवं ग्रंथों की प्रसिद्धि'''{{Check}}|विकल्प 3=ग्रंथों की उपलब्धता|विकल्प 4=रचनाकारों की संख्या|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=ग्रंथों की प्रसिद्धि|विकल्प 2=ग्रंथों की प्रचुरता एवं ग्रंथों की प्रसिद्धि|विकल्प 3=ग्रंथों की उपलब्धता|विकल्प 4=रचनाकारों की संख्या}}{{Ans|विकल्प 1=ग्रंथों की प्रसिद्धि|विकल्प 2='''ग्रंथों की प्रचुरता एवं ग्रंथों की प्रसिद्धि'''{{Check}}|विकल्प 3=ग्रंथों की उपलब्धता|विकल्प 4=रचनाकारों की संख्या|विवरण=}} | ||
====इनमें किस इतिहासकार ने सर्वप्रथम रीतिकालीन कवियों के सर्वाधिक परिचयात्मक विवरण दिए है?==== | ===== इनमें किस इतिहासकार ने सर्वप्रथम रीतिकालीन कवियों के सर्वाधिक परिचयात्मक विवरण दिए है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र|विकल्प 2=डॉ. नगेन्द्र|विकल्प 3=डॉ.रामशंकर शुक्ल 'रसाल'|विकल्प 4=मिश्रबन्धु}}{{Ans|विकल्प 1=डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र|विकल्प 2=डॉ. नगेन्द्र|विकल्प 3=डॉ.रामशंकर शुक्ल 'रसाल'|विकल्प 4='''मिश्रबन्धु'''{{Check}}|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र|विकल्प 2=डॉ. नगेन्द्र|विकल्प 3=डॉ.रामशंकर शुक्ल 'रसाल'|विकल्प 4=मिश्रबन्धु}}{{Ans|विकल्प 1=डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र|विकल्प 2=डॉ. नगेन्द्र|विकल्प 3=डॉ.रामशंकर शुक्ल 'रसाल'|विकल्प 4='''मिश्रबन्धु'''{{Check}}|विवरण=}} | ||
===='हिन्दी साहित्य का अतीत: भाग- एक' के लेखक का नाम है?==== | ===== 'हिन्दी साहित्य का अतीत: भाग- एक' के लेखक का नाम है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी|विकल्प 2=डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र|विकल्प 3=डॉ. माताप्रसाद गुप्त|विकल्प 4=डॉ. विद्यानिवास मिश्र}}{{Ans|विकल्प 1=आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी|विकल्प 2='''डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र'''{{Check}}|विकल्प 3=डॉ. माताप्रसाद गुप्त|विकल्प 4=डॉ. विद्यानिवास मिश्र|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी|विकल्प 2=डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र|विकल्प 3=डॉ. माताप्रसाद गुप्त|विकल्प 4=डॉ. विद्यानिवास मिश्र}}{{Ans|विकल्प 1=आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी|विकल्प 2='''डॉ. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र'''{{Check}}|विकल्प 3=डॉ. माताप्रसाद गुप्त|विकल्प 4=डॉ. विद्यानिवास मिश्र|विवरण=}} | ||
====प्रेम लक्षणा भक्ति को किस भक्ति शाखा ने अपनी साधना का मुख्य आधार बनाया है?==== | ===== प्रेम लक्षणा भक्ति को किस भक्ति शाखा ने अपनी साधना का मुख्य आधार बनाया है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=रामभक्ति शाखा|विकल्प 2=ज्ञानाश्रयी शाखा|विकल्प 3=कृष्णभक्ति शाखा|विकल्प 4=प्रेममार्गी शाखा}}{{Ans|विकल्प 1=रामभक्ति शाखा|विकल्प 2=ज्ञानाश्रयी शाखा|विकल्प 3='''कृष्णभक्ति शाखा'''{{Check}}|विकल्प 4=प्रेममार्गी शाखा|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=रामभक्ति शाखा|विकल्प 2=ज्ञानाश्रयी शाखा|विकल्प 3=कृष्णभक्ति शाखा|विकल्प 4=प्रेममार्गी शाखा}}{{Ans|विकल्प 1=रामभक्ति शाखा|विकल्प 2=ज्ञानाश्रयी शाखा|विकल्प 3='''कृष्णभक्ति शाखा'''{{Check}}|विकल्प 4=प्रेममार्गी शाखा|विवरण=}} | ||
====मनुष्यत्व की सामान्य भावना को आगे करके निम्न श्रेणी की जनता में आत्म- गौरव का भाव जगाने वाले सर्वश्रेष्ठ कवि थे?==== | ===== मनुष्यत्व की सामान्य भावना को आगे करके निम्न श्रेणी की जनता में आत्म- गौरव का भाव जगाने वाले सर्वश्रेष्ठ कवि थे?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=तुलसीदास|विकल्प 2=कबीर|विकल्प 3=जायसी|विकल्प 4=सूरदास}}{{Ans|विकल्प 1=[[तुलसीदास]]|विकल्प 2='''[[कबीर]]'''{{Check}}|विकल्प 3=[[जायसी]]|विकल्प 4=[[सूरदास]]|विवरण=महात्मा कबीरदास के जन्म के समय में [[भारत]] की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक दशा शोचनीय थी। एक तरफ मुसलमान शासकों की धर्मांन्धता से जनता परेशान थी और दूसरी तरफ हिन्दू धर्म के कर्मकांड, विधान और पाखंड से धर्म का ह्रास हो रहा था। जनता में भक्ति- भावनाओं का सर्वथा अभाव था। पंडितों के पाखंडपूर्ण वचन समाज में फैले थे। ऐसे संघर्ष के समय में, कबीरदास का प्रार्दुभाव हुआ। | {{Opt|विकल्प 1=तुलसीदास|विकल्प 2=कबीर|विकल्प 3=जायसी|विकल्प 4=सूरदास}}{{Ans|विकल्प 1=[[तुलसीदास]]|विकल्प 2='''[[कबीर]]'''{{Check}}|विकल्प 3=[[जायसी]]|विकल्प 4=[[सूरदास]]|विवरण=महात्मा कबीरदास के जन्म के समय में [[भारत]] की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक दशा शोचनीय थी। एक तरफ मुसलमान शासकों की धर्मांन्धता से जनता परेशान थी और दूसरी तरफ हिन्दू धर्म के कर्मकांड, विधान और पाखंड से धर्म का ह्रास हो रहा था। जनता में भक्ति- भावनाओं का सर्वथा अभाव था। पंडितों के पाखंडपूर्ण वचन समाज में फैले थे। ऐसे संघर्ष के समय में, कबीरदास का प्रार्दुभाव हुआ। | ||
जिस युग में कबीर आविर्भूत हुए थे, उसके कुछ ही पूर्व [[भारत|भारतवर्ष]] के इतिहास में एक अभूतपूर्व घटना घट चुकी थी। यह घटना इस्लाम जैसे एक सुसंगठित सम्प्रदाय का आगमन था। इस घटना ने भारतीय धर्म–मत और समाज व्यवस्था को बुरी तरह से झकझोर दिया था। उसकी अपरिवर्तनीय समझी जाने वाली जाति–व्यवस्था को पहली बार ज़बर्दस्त ठोकर लगी थी। सारा भारतीय वातावरण संक्षुब्ध था। बहुत–से पंडितजन इस संक्षोभ का कारण खोजने में व्यस्त थे और अपने–अपने ढंग पर भारतीय समाज और धर्म–मत को सम्भालने का प्रयत्न कर रहे थे।}} | जिस युग में कबीर आविर्भूत हुए थे, उसके कुछ ही पूर्व [[भारत|भारतवर्ष]] के इतिहास में एक अभूतपूर्व घटना घट चुकी थी। यह घटना इस्लाम जैसे एक सुसंगठित सम्प्रदाय का आगमन था। इस घटना ने भारतीय धर्म–मत और समाज व्यवस्था को बुरी तरह से झकझोर दिया था। उसकी अपरिवर्तनीय समझी जाने वाली जाति–व्यवस्था को पहली बार ज़बर्दस्त ठोकर लगी थी। सारा भारतीय वातावरण संक्षुब्ध था। बहुत–से पंडितजन इस संक्षोभ का कारण खोजने में व्यस्त थे और अपने–अपने ढंग पर भारतीय समाज और धर्म–मत को सम्भालने का प्रयत्न कर रहे थे।}} | ||
===='हंस जवाहिर' रचना किस सूफी कवि द्वारा रची गई थी?==== | ===== 'हंस जवाहिर' रचना किस सूफी कवि द्वारा रची गई थी?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=मंझन|विकल्प 2=कुतुबन|विकल्प 3=उसमान|विकल्प 4=कासिमशाह}}{{Ans|विकल्प 1=मंझन|विकल्प 2=कुतुबन|विकल्प 3=उसमान|विकल्प 4='''कासिमशाह'''{{Check}}|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=मंझन|विकल्प 2=कुतुबन|विकल्प 3=उसमान|विकल्प 4=कासिमशाह}}{{Ans|विकल्प 1=मंझन|विकल्प 2=कुतुबन|विकल्प 3=उसमान|विकल्प 4='''कासिमशाह'''{{Check}}|विवरण=}} | ||
===='देखन जौ पाऊँ तौ पठाऊँ जमलोक हाथ, दूजौ न लगाऊँ, वार करौ एक कर को।' ये पंक्तियाँ किस कवि द्वारा सृजित हैं?==== | ===== 'देखन जौ पाऊँ तौ पठाऊँ जमलोक हाथ, दूजौ न लगाऊँ, वार करौ एक कर को।' ये पंक्तियाँ किस कवि द्वारा सृजित हैं?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=ह्रदयराम|विकल्प 2=अग्रदास|विकल्प 3=तुलसीदास|विकल्प 4=नाभादास}}{{Ans|विकल्प 1=ह्रदयराम|विकल्प 2=अग्रदास|विकल्प 3=[[तुलसीदास]]|विकल्प 4='''नाभादास'''{{Check}}|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=ह्रदयराम|विकल्प 2=अग्रदास|विकल्प 3=तुलसीदास|विकल्प 4=नाभादास}}{{Ans|विकल्प 1=ह्रदयराम|विकल्प 2=अग्रदास|विकल्प 3=[[तुलसीदास]]|विकल्प 4='''नाभादास'''{{Check}}|विवरण=}} | ||
===='[[भक्तमाल]]' भक्तिकाल के कवियों की प्राथमिक जानकारी देता है, इसके रचयिता थे? ==== | ===== '[[भक्तमाल]]' भक्तिकाल के कवियों की प्राथमिक जानकारी देता है, इसके रचयिता थे? ===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=वल्लभाचार्य|विकल्प 2=नाभादास|विकल्प 3=रामानन्द|विकल्प 4=नन्ददास}}{{Ans|विकल्प 1=[[वल्लभाचार्य]]|विकल्प 2='''नाभादास'''{{Check}}|विकल्प 3=रामानन्द|विकल्प 4=नन्ददास|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=वल्लभाचार्य|विकल्प 2=नाभादास|विकल्प 3=रामानन्द|विकल्प 4=नन्ददास}}{{Ans|विकल्प 1=[[वल्लभाचार्य]]|विकल्प 2='''नाभादास'''{{Check}}|विकल्प 3=रामानन्द|विकल्प 4=नन्ददास|विवरण=}} | ||
====आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने रीतिकाल को 'श्रृंगारकाल' नाम दिया, लेकिन उन्होंने इस पर जो ग्रंथ लिखा, उसका नाम 'हिन्दी का श्रृंगारकाल' नहीं है, बल्कि उसका नाम है?==== | ===== आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने रीतिकाल को 'श्रृंगारकाल' नाम दिया, लेकिन उन्होंने इस पर जो ग्रंथ लिखा, उसका नाम 'हिन्दी का श्रृंगारकाल' नहीं है, बल्कि उसका नाम है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=रीतिकाव्य की भूमिका|विकल्प 2=रीतिकाव्य की पृष्ठभूमि|विकल्प 3=रीतिकाव्य की प्रस्तावना|विकल्प 4=हिन्दी साहित्य का अतीत, भाग -2}}{{Ans|विकल्प 1=रीतिकाव्य की भूमिका|विकल्प 2=रीतिकाव्य की पृष्ठभूमि|विकल्प 3=रीतिकाव्य की प्रस्तावना|विकल्प 4='''हिन्दी साहित्य का अतीत, भाग -2'''{{Check}}|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=रीतिकाव्य की भूमिका|विकल्प 2=रीतिकाव्य की पृष्ठभूमि|विकल्प 3=रीतिकाव्य की प्रस्तावना|विकल्प 4=हिन्दी साहित्य का अतीत, भाग -2}}{{Ans|विकल्प 1=रीतिकाव्य की भूमिका|विकल्प 2=रीतिकाव्य की पृष्ठभूमि|विकल्प 3=रीतिकाव्य की प्रस्तावना|विकल्प 4='''हिन्दी साहित्य का अतीत, भाग -2'''{{Check}}|विवरण=}} | ||
===='भारत मित्र' पत्र (जो [[कलकत्ता]] से स. [[1934]] वि. में प्रकाशित हुआ था) के एक सम्पादक थे?==== | ===== 'भारत मित्र' पत्र (जो [[कलकत्ता]] से स. [[1934]] वि. में प्रकाशित हुआ था) के एक सम्पादक थे?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=तोताराम|विकल्प 2=रुद्रदत्त शर्मा|विकल्प 3=कन्हैयालाल|विकल्प 4=बल्देव प्रसाद}}{{Ans|विकल्प 1=तोताराम|विकल्प 2='''रुद्रदत्त शर्मा'''{{Check}}|विकल्प 3=[[कन्हैयालाल नंदन|कन्हैयालाल]]|विकल्प 4=बल्देव प्रसाद|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=तोताराम|विकल्प 2=रुद्रदत्त शर्मा|विकल्प 3=कन्हैयालाल|विकल्प 4=बल्देव प्रसाद}}{{Ans|विकल्प 1=तोताराम|विकल्प 2='''रुद्रदत्त शर्मा'''{{Check}}|विकल्प 3=[[कन्हैयालाल नंदन|कन्हैयालाल]]|विकल्प 4=बल्देव प्रसाद|विवरण=}} | ||
===='हरिश्चन्द्री हिन्दी' शब्द का प्रयोग किस इतिहासकार ने अपने इतिहास ग्रंथ में किया है?==== | ===== 'हरिश्चन्द्री हिन्दी' शब्द का प्रयोग किस इतिहासकार ने अपने इतिहास ग्रंथ में किया है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=मिश्रबंधु|विकल्प 2=शिवसिंह 'सेंगर'|विकल्प 3=रामचन्द्र शुक्ल|विकल्प 4=रामविलास शर्मा}}{{Ans|विकल्प 1=मिश्रबंधु|विकल्प 2=शिवसिंह 'सेंगर'|विकल्प 3='''रामचन्द्र शुक्ल'''{{Check}}|विकल्प 4=रामविलास शर्मा|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=मिश्रबंधु|विकल्प 2=शिवसिंह 'सेंगर'|विकल्प 3=रामचन्द्र शुक्ल|विकल्प 4=रामविलास शर्मा}}{{Ans|विकल्प 1=मिश्रबंधु|विकल्प 2=शिवसिंह 'सेंगर'|विकल्प 3='''रामचन्द्र शुक्ल'''{{Check}}|विकल्प 4=रामविलास शर्मा|विवरण=}} | ||
===='गिला' कहानी के लेखक का नाम है?==== | ===== 'गिला' कहानी के लेखक का नाम है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=प्रेमचन्द्र|विकल्प 2=यशपाल|विकल्प 3=अज्ञेय|विकल्प 4=निर्मल वर्मा}}{{Ans|विकल्प 1='''[[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचन्द्र]]'''{{Check}}|विकल्प 2=यशपाल|विकल्प 3=अज्ञेय|विकल्प 4=निर्मल वर्मा|विवरण=*[[भारत]] के उपन्यास सम्राट '''मुंशी प्रेमचंद''' (जन्म- [[31 जुलाई]], [[1880]] - मृत्यु- [[8 अक्टूबर]], [[1936]]) के युग का विस्तार सन 1880 से 1936 तक है। यह कालखण्ड भारत के इतिहास में बहुत महत्त्व का है। इस युग में भारत का स्वतंत्रता-संग्राम नई मंज़िलों से गुज़रा। | {{Opt|विकल्प 1=प्रेमचन्द्र|विकल्प 2=यशपाल|विकल्प 3=अज्ञेय|विकल्प 4=निर्मल वर्मा}}{{Ans|विकल्प 1='''[[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचन्द्र]]'''{{Check}}|विकल्प 2=यशपाल|विकल्प 3=अज्ञेय|विकल्प 4=निर्मल वर्मा|विवरण=*[[भारत]] के उपन्यास सम्राट '''मुंशी प्रेमचंद''' (जन्म- [[31 जुलाई]], [[1880]] - मृत्यु- [[8 अक्टूबर]], [[1936]]) के युग का विस्तार सन 1880 से 1936 तक है। यह कालखण्ड भारत के इतिहास में बहुत महत्त्व का है। इस युग में भारत का स्वतंत्रता-संग्राम नई मंज़िलों से गुज़रा। | ||
*प्रेमचंद का वास्तविक नाम '''धनपत राय श्रीवास्तव''' था। वे एक सफल लेखक, देशभक्त नागरिक, कुशल वक्ता, ज़िम्मेदार संपादक और संवेदनशील रचनाकार थे। बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में जब [[हिन्दी]] में काम करने की तकनीकी सुविधाएँ नहीं थीं फिर भी इतना काम करने वाला लेखक उनके सिवा कोई दूसरा नहीं हुआ।}} | *प्रेमचंद का वास्तविक नाम '''धनपत राय श्रीवास्तव''' था। वे एक सफल लेखक, देशभक्त नागरिक, कुशल वक्ता, ज़िम्मेदार संपादक और संवेदनशील रचनाकार थे। बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में जब [[हिन्दी]] में काम करने की तकनीकी सुविधाएँ नहीं थीं फिर भी इतना काम करने वाला लेखक उनके सिवा कोई दूसरा नहीं हुआ।}} | ||
====मेवाड़ की पन्ना नामक धाय के अलौकिक त्याग का ऐतिहासिक वृत्त लेकर 'राजमुकुट' नाटक की रचना की गई थी, इस नाटक के लेखक का नाम है?==== | ===== मेवाड़ की पन्ना नामक धाय के अलौकिक त्याग का ऐतिहासिक वृत्त लेकर 'राजमुकुट' नाटक की रचना की गई थी, इस नाटक के लेखक का नाम है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=हरिकृष्ण प्रेमी|विकल्प 2=लक्ष्मीनारायण मिश्र|विकल्प 3=उदयशंकर भट्ट|विकल्प 4=गोविंद बल्लभ पंत}}{{Ans|विकल्प 1=हरिकृष्ण प्रेमी|विकल्प 2=लक्ष्मीनारायण मिश्र|विकल्प 3=उदयशंकर भट्ट|विकल्प 4='''[[गोविंद बल्लभ पंत]]'''{{Check}}|विवरण=[[चित्र:Pandit-Govind-Ballabh-Pant.jpg|thumb|गोविंद बल्लभ पंत<br /> Govind Ballabh Pant]] | {{Opt|विकल्प 1=हरिकृष्ण प्रेमी|विकल्प 2=लक्ष्मीनारायण मिश्र|विकल्प 3=उदयशंकर भट्ट|विकल्प 4=गोविंद बल्लभ पंत}}{{Ans|विकल्प 1=हरिकृष्ण प्रेमी|विकल्प 2=लक्ष्मीनारायण मिश्र|विकल्प 3=उदयशंकर भट्ट|विकल्प 4='''[[गोविंद बल्लभ पंत]]'''{{Check}}|विवरण=[[चित्र:Pandit-Govind-Ballabh-Pant.jpg|thumb|गोविंद बल्लभ पंत<br /> Govind Ballabh Pant]] | ||
<small><sub>(10 सितम्बर , 1887 - 7 मार्च, 1961)</sub></small> <br /> | <small><sub>(10 सितम्बर , 1887 - 7 मार्च, 1961)</sub></small> <br /> | ||
गोविंद बल्लभ पंत प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी और [[उत्तर प्रदेश]] के प्रथम मुख्यमंत्री थे। गोविंद वल्लभ पंत जी अगस्त 15, 1947 - मई 27, 1964 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। अपने संकल्प और साहस के मशहूर पंत जी का जन्म वर्तमान [[उत्तराखंड]] राज्य के [[अल्मोडा]] ज़िले के खूंट (धामस) नामक गाँव में हुआ था।}} | गोविंद बल्लभ पंत प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी और [[उत्तर प्रदेश]] के प्रथम मुख्यमंत्री थे। गोविंद वल्लभ पंत जी अगस्त 15, 1947 - मई 27, 1964 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। अपने संकल्प और साहस के मशहूर पंत जी का जन्म वर्तमान [[उत्तराखंड]] राज्य के [[अल्मोडा]] ज़िले के खूंट (धामस) नामक गाँव में हुआ था।}} | ||
====डॉ. कृष्ण शंकर शुक्ल ने आचार्य [[केशवदास]] पर एक समीक्षात्मक पुस्तक लिखी थी, उस पुस्तक का नाम है?==== | ===== डॉ. कृष्ण शंकर शुक्ल ने आचार्य [[केशवदास]] पर एक समीक्षात्मक पुस्तक लिखी थी, उस पुस्तक का नाम है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=केशव का आचार्यत्व|विकल्प 2=केशव की प्रतिभा|विकल्प 3=केशव की कला|विकल्प 4=केशव की काव्यकला}}{{Ans|विकल्प 1=केशव का आचार्यत्व|विकल्प 2=केशव की प्रतिभा|विकल्प 3=केशव की कला|विकल्प 4='''केशव की काव्यकला'''{{Check}}|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=केशव का आचार्यत्व|विकल्प 2=केशव की प्रतिभा|विकल्प 3=केशव की कला|विकल्प 4=केशव की काव्यकला}}{{Ans|विकल्प 1=केशव का आचार्यत्व|विकल्प 2=केशव की प्रतिभा|विकल्प 3=केशव की कला|विकल्प 4='''केशव की काव्यकला'''{{Check}}|विवरण=}} | ||
===='गंगावतरण' काव्य के रचियता हैं?==== | ===== 'गंगावतरण' काव्य के रचियता हैं?===== | ||
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====छायावादी कवियों ने जब आध्यात्मिक प्रेम को अपनी कविताओं में व्यक्त किया तो ऐसी कविताओं को किस वाद के अंतर्गत रखा गया है?==== | ===== छायावादी कवियों ने जब आध्यात्मिक प्रेम को अपनी कविताओं में व्यक्त किया तो ऐसी कविताओं को किस वाद के अंतर्गत रखा गया है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=छायावाद|विकल्प 2=प्रतीकवाद|विकल्प 3=रहस्यवाद|विकल्प 4=बिम्बवाद}}{{Ans|विकल्प 1=छायावाद|विकल्प 2=प्रतीकवाद|विकल्प 3='''रहस्यवाद'''{{Check}}|विकल्प 4=बिम्बवाद|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=छायावाद|विकल्प 2=प्रतीकवाद|विकल्प 3=रहस्यवाद|विकल्प 4=बिम्बवाद}}{{Ans|विकल्प 1=छायावाद|विकल्प 2=प्रतीकवाद|विकल्प 3='''रहस्यवाद'''{{Check}}|विकल्प 4=बिम्बवाद|विवरण=}} | ||
===='परिवर्तन' नामक कविता सर्वप्रथम सुमित्रानन्दन पंत के किस कविता संग्रह में संगृहीत हुई है?==== | ===== 'परिवर्तन' नामक कविता सर्वप्रथम सुमित्रानन्दन पंत के किस कविता संग्रह में संगृहीत हुई है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=पल्लव|विकल्प 2=वीणा|विकल्प 3=तारापथ|विकल्प 4=ग्रंथि}}{{Ans|विकल्प 1='''पल्लव'''{{Check}}|विकल्प 2=वीणा|विकल्प 3=तारापथ|विकल्प 4=ग्रंथि|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=पल्लव|विकल्प 2=वीणा|विकल्प 3=तारापथ|विकल्प 4=ग्रंथि}}{{Ans|विकल्प 1='''पल्लव'''{{Check}}|विकल्प 2=वीणा|विकल्प 3=तारापथ|विकल्प 4=ग्रंथि|विवरण=}} | ||
====भिखारीदास की रचना का नाम है?==== | ===== भिखारीदास की रचना का नाम है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=काव्य निर्णय|विकल्प 2=काव्य विवेक|विकल्प 3=भाव विलास|विकल्प 4=नवरस तरंग}}{{Ans|विकल्प 1='''काव्य निर्णय'''{{Check}}|विकल्प 2=काव्य विवेक|विकल्प 3=भाव विलास|विकल्प 4=नवरस तरंग|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=काव्य निर्णय|विकल्प 2=काव्य विवेक|विकल्प 3=भाव विलास|विकल्प 4=नवरस तरंग}}{{Ans|विकल्प 1='''काव्य निर्णय'''{{Check}}|विकल्प 2=काव्य विवेक|विकल्प 3=भाव विलास|विकल्प 4=नवरस तरंग|विवरण=}} | ||
====उन्नीसवीं सदी की साहित्य- सर्जना का मूल हेतु है?==== | ===== उन्नीसवीं सदी की साहित्य- सर्जना का मूल हेतु है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=ईसाई विरोध|विकल्प 2=मुस्लिम विरोध|विकल्प 3=पराधीनता का बोध|विकल्प 4=परमाणु परीक्षण}}{{Ans|विकल्प 1=ईसाई विरोध|विकल्प 2=मुस्लिम विरोध|विकल्प 3='''पराधीनता का बोध'''{{Check}}|विकल्प 4=परमाणु परीक्षण|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=ईसाई विरोध|विकल्प 2=मुस्लिम विरोध|विकल्प 3=पराधीनता का बोध|विकल्प 4=परमाणु परीक्षण}}{{Ans|विकल्प 1=ईसाई विरोध|विकल्प 2=मुस्लिम विरोध|विकल्प 3='''पराधीनता का बोध'''{{Check}}|विकल्प 4=परमाणु परीक्षण|विवरण=}} | ||
===='यह प्रेम को पंथ कराल महा तलवार की धार पै धावनी है', नामक पंक्ति किस कवि द्वारा सृजित है?==== | ===== 'यह प्रेम को पंथ कराल महा तलवार की धार पै धावनी है', नामक पंक्ति किस कवि द्वारा सृजित है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=घनानंद|विकल्प 2=बोधा|विकल्प 3=आलम|विकल्प 4=ठाकुर}}{{Ans|विकल्प 1=घनानंद|विकल्प 2='''बोधा'''{{Check}}|विकल्प 3=आलम|विकल्प 4=ठाकुर|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=घनानंद|विकल्प 2=बोधा|विकल्प 3=आलम|विकल्प 4=ठाकुर}}{{Ans|विकल्प 1=घनानंद|विकल्प 2='''बोधा'''{{Check}}|विकल्प 3=आलम|विकल्प 4=ठाकुर|विवरण=}} | ||
====आचार्य [[केशवदास]] को 'कठिन काव्य का प्रेत' किस आलोचक ने कहा है?==== | ===== आचार्य [[केशवदास]] को 'कठिन काव्य का प्रेत' किस आलोचक ने कहा है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=आचार्य पद्मसिंह शर्मा|विकल्प 2=आचार्य नंददुलारे बाजपेयी|विकल्प 3=आचार्य विश्वनाथप्रसाद मिश्र|विकल्प 4=आचार्य रामचन्द्र शुक्ल}}{{Ans|विकल्प 1=आचार्य पद्मसिंह शर्मा|विकल्प 2=आचार्य नंददुलारे बाजपेयी|विकल्प 3=आचार्य विश्वनाथप्रसाद मिश्र|विकल्प 4='''आचार्य रामचन्द्र शुक्ल'''{{Check}}|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=आचार्य पद्मसिंह शर्मा|विकल्प 2=आचार्य नंददुलारे बाजपेयी|विकल्प 3=आचार्य विश्वनाथप्रसाद मिश्र|विकल्प 4=आचार्य रामचन्द्र शुक्ल}}{{Ans|विकल्प 1=आचार्य पद्मसिंह शर्मा|विकल्प 2=आचार्य नंददुलारे बाजपेयी|विकल्प 3=आचार्य विश्वनाथप्रसाद मिश्र|विकल्प 4='''आचार्य रामचन्द्र शुक्ल'''{{Check}}|विवरण=}} | ||
====बूँदी नरेश महाराज भावसिंह का आश्रित कवि निम्नलिखित में से कौन था?==== | ===== बूँदी नरेश महाराज भावसिंह का आश्रित कवि निम्नलिखित में से कौन था?===== | ||
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====भूषण का निम्नलिखित में से कौन सा लक्षण ग्रंथ है?==== | ===== भूषण का निम्नलिखित में से कौन सा लक्षण ग्रंथ है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=शिवराज भूषण|विकल्प 2=भूषण हजारा|विकल्प 3=शिवा बावनी|विकल्प 4=छत्रसाल दशक}}{{Ans|विकल्प 1='''शिवराज भूषण'''{{Check}}|विकल्प 2=भूषण हजारा|विकल्प 3=शिवा बावनी|विकल्प 4=छत्रसाल दशक|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=शिवराज भूषण|विकल्प 2=भूषण हजारा|विकल्प 3=शिवा बावनी|विकल्प 4=छत्रसाल दशक}}{{Ans|विकल्प 1='''शिवराज भूषण'''{{Check}}|विकल्प 2=भूषण हजारा|विकल्प 3=शिवा बावनी|विकल्प 4=छत्रसाल दशक|विवरण=}} | ||
====निम्नलिखित में से किस रचना की सर्वाधिक टीकाएँ लिखी गई हैं?==== | ===== निम्नलिखित में से किस रचना की सर्वाधिक टीकाएँ लिखी गई हैं?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=मतिराम सतसई|विकल्प 2=बिहारी सतसई|विकल्प 3=वृन्द सतसई|विकल्प 4=विक्रम सतसई}}{{Ans|विकल्प 1=मतिराम सतसई|विकल्प 2='''बिहारी सतसई'''{{Check}}|विकल्प 3=वृन्द सतसई|विकल्प 4=विक्रम सतसई|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=मतिराम सतसई|विकल्प 2=बिहारी सतसई|विकल्प 3=वृन्द सतसई|विकल्प 4=विक्रम सतसई}}{{Ans|विकल्प 1=मतिराम सतसई|विकल्प 2='''बिहारी सतसई'''{{Check}}|विकल्प 3=वृन्द सतसई|विकल्प 4=विक्रम सतसई|विवरण=}} | ||
====इनमें किस नाटककार ने अपने नाटकों के लिए रंगमंच को अनिवार्य नहीं माना है?==== | ===== इनमें किस नाटककार ने अपने नाटकों के लिए रंगमंच को अनिवार्य नहीं माना है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=डॉ. रामकुमार वर्मा|विकल्प 2=सेठ गोविन्ददास|विकल्प 3=लक्ष्मीनारायण मिश्र|विकल्प 4=जयशंकर प्रसाद}}{{Ans|विकल्प 1=डॉ. रामकुमार वर्मा|विकल्प 2=सेठ गोविन्ददास|विकल्प 3=लक्ष्मीनारायण मिश्र|विकल्प 4='''[[जयशंकर प्रसाद]]'''{{Check}}|विवरण=महाकवि जयशंकर प्रसाद (जन्म- [[30 जनवरी]], [[1889]] ई.,[[वाराणसी]], [[उत्तर प्रदेश]], मृत्यु- [[15 नवम्बर]], सन [[1937]]) हिंदी नाट्य जगत और कथा साहित्य में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। कथा साहित्य के क्षेत्र में भी उनकी देन महत्त्वपूर्ण है। '''भावना-प्रधान कहानी लिखने वालों में जयशंकर प्रसाद अनुपम थे।'''}} | {{Opt|विकल्प 1=डॉ. रामकुमार वर्मा|विकल्प 2=सेठ गोविन्ददास|विकल्प 3=लक्ष्मीनारायण मिश्र|विकल्प 4=जयशंकर प्रसाद}}{{Ans|विकल्प 1=डॉ. रामकुमार वर्मा|विकल्प 2=सेठ गोविन्ददास|विकल्प 3=लक्ष्मीनारायण मिश्र|विकल्प 4='''[[जयशंकर प्रसाद]]'''{{Check}}|विवरण=महाकवि जयशंकर प्रसाद (जन्म- [[30 जनवरी]], [[1889]] ई.,[[वाराणसी]], [[उत्तर प्रदेश]], मृत्यु- [[15 नवम्बर]], सन [[1937]]) हिंदी नाट्य जगत और कथा साहित्य में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। कथा साहित्य के क्षेत्र में भी उनकी देन महत्त्वपूर्ण है। '''भावना-प्रधान कहानी लिखने वालों में जयशंकर प्रसाद अनुपम थे।'''}} | ||
===='प्रभातफेरी' काव्य के रचनाकार कौन हैं?==== | ===== 'प्रभातफेरी' काव्य के रचनाकार कौन हैं?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=केदारनाथ सिंह|विकल्प 2=सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'|विकल्प 3=नरेन्द्र शर्मा|विकल्प 4=रामधारी सिंह 'दिनकर'}}{{Ans|विकल्प 1=केदारनाथ सिंह|विकल्प 2=सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'|विकल्प 3='''नरेन्द्र शर्मा'''{{Check}}|विकल्प 4=[[रामधारी सिंह दिनकर|रामधारी सिंह 'दिनकर']]|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=केदारनाथ सिंह|विकल्प 2=सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'|विकल्प 3=नरेन्द्र शर्मा|विकल्प 4=रामधारी सिंह 'दिनकर'}}{{Ans|विकल्प 1=केदारनाथ सिंह|विकल्प 2=सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'|विकल्प 3='''नरेन्द्र शर्मा'''{{Check}}|विकल्प 4=[[रामधारी सिंह दिनकर|रामधारी सिंह 'दिनकर']]|विवरण=}} | ||
===='निशा -निमंत्रण के रचनाकार कौन हैं?==== | ===== 'निशा -निमंत्रण के रचनाकार कौन हैं?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=महादेवी वर्मा|विकल्प 2=श्यामनारायण पाण्डेय|विकल्प 3=जयशंकर प्रसाद|विकल्प 4=हरिवंशराय 'बच्चन'}}{{Ans|विकल्प 1=[[महादेवी वर्मा]]|विकल्प 2=श्यामनारायण पाण्डेय|विकल्प 3=[[जयशंकर प्रसाद]]|विकल्प 4='''हरिवंशराय 'बच्चन'''{{Check}}|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=महादेवी वर्मा|विकल्प 2=श्यामनारायण पाण्डेय|विकल्प 3=जयशंकर प्रसाद|विकल्प 4=हरिवंशराय 'बच्चन'}}{{Ans|विकल्प 1=[[महादेवी वर्मा]]|विकल्प 2=श्यामनारायण पाण्डेय|विकल्प 3=[[जयशंकर प्रसाद]]|विकल्प 4='''हरिवंशराय 'बच्चन'''{{Check}}|विवरण=}} | ||
===='बिहारी सतसई' पर किस ग्रंथ का सर्वाधिक प्रभाव पड़ा है?==== | ===== 'बिहारी सतसई' पर किस ग्रंथ का सर्वाधिक प्रभाव पड़ा है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=गाथा सप्तशती|विकल्प 2=अमरूफ शतक|विकल्प 3=आर्या सप्तशती|विकल्प 4=उपर्युक्त में किसी का नहीं}}{{Ans|विकल्प 1='''गाथा सप्तशती'''{{Check}}|विकल्प 2=अमरूफ शतक|विकल्प 3=आर्या सप्तशती|विकल्प 4=उपर्युक्त में किसी का नहीं|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=गाथा सप्तशती|विकल्प 2=अमरूफ शतक|विकल्प 3=आर्या सप्तशती|विकल्प 4=उपर्युक्त में किसी का नहीं}}{{Ans|विकल्प 1='''गाथा सप्तशती'''{{Check}}|विकल्प 2=अमरूफ शतक|विकल्प 3=आर्या सप्तशती|विकल्प 4=उपर्युक्त में किसी का नहीं|विवरण=}} | ||
===='बिहारी सतसई' की प्रसिद्धि का प्रमुख कारण है?==== | ===== 'बिहारी सतसई' की प्रसिद्धि का प्रमुख कारण है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=कल्पना की समाहार शक्ति|विकल्प 2=नायिका -भेद वर्णन|विकल्प 3=प्रतीकों का नपा -तुला प्रयोग|विकल्प 4=पिंगल वर्णन}}{{Ans|विकल्प 1='''कल्पना की समाहार शक्ति'''{{Check}}|विकल्प 2=नायिका -भेद वर्णन|विकल्प 3=प्रतीकों का नपा -तुला प्रयोग|विकल्प 4=पिंगल वर्णन|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=कल्पना की समाहार शक्ति|विकल्प 2=नायिका -भेद वर्णन|विकल्प 3=प्रतीकों का नपा -तुला प्रयोग|विकल्प 4=पिंगल वर्णन}}{{Ans|विकल्प 1='''कल्पना की समाहार शक्ति'''{{Check}}|विकल्प 2=नायिका -भेद वर्णन|विकल्प 3=प्रतीकों का नपा -तुला प्रयोग|विकल्प 4=पिंगल वर्णन|विवरण=}} | ||
====बिहारी किस राजा के दरबारी कवि थे?==== | ===== बिहारी किस राजा के दरबारी कवि थे?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=बूँदी नरेश महाराज भावसिंह के|विकल्प 2=जयपुर नरेश जयसिंह के|विकल्प 3=नागपुर के सूर्यवंशी भोंसला मकरन्द शाह के|विकल्प 4=चित्रकूट नरेश रुद्रदेव के}}{{Ans|विकल्प 1=बूँदी नरेश महाराज भावसिंह के|विकल्प 2='''[[जयपुर]] नरेश [[जयसिंह]] के'''{{Check}}|विकल्प 3=[[नागपुर]] के [[सूर्यवंश|सूर्यवंशी]] भोंसला मकरन्द शाह के|विकल्प 4=चित्रकूट नरेश रुद्रदेव के|विवरण=*आमेर नरेश मिर्जा जयसिंह [[मुग़ल काल|मुग़ल]] दरबार का सर्वाधिक प्रभावशाली सामंत था, वह [[औरंगजेब]] की आँख का काँटा बना हुआ था। | {{Opt|विकल्प 1=बूँदी नरेश महाराज भावसिंह के|विकल्प 2=जयपुर नरेश जयसिंह के|विकल्प 3=नागपुर के सूर्यवंशी भोंसला मकरन्द शाह के|विकल्प 4=चित्रकूट नरेश रुद्रदेव के}}{{Ans|विकल्प 1=बूँदी नरेश महाराज भावसिंह के|विकल्प 2='''[[जयपुर]] नरेश [[जयसिंह]] के'''{{Check}}|विकल्प 3=[[नागपुर]] के [[सूर्यवंश|सूर्यवंशी]] भोंसला मकरन्द शाह के|विकल्प 4=चित्रकूट नरेश रुद्रदेव के|विवरण=*आमेर नरेश मिर्जा जयसिंह [[मुग़ल काल|मुग़ल]] दरबार का सर्वाधिक प्रभावशाली सामंत था, वह [[औरंगजेब]] की आँख का काँटा बना हुआ था। | ||
*जिस समय दक्षिण में [[शिवाजी]] के विजय−अभियानों की घूम थी, और उनसे युद्ध करने में अफजलख़ाँ एवं शाइस्ताख़ाँ की हार हुई थी, तथा राजा [[यशवंतसिंह]] को भी सफलता मिली थी; तब औरंगजेब ने मिर्जा राजा जयसिंह को शिवाजी को दबाने के लिए भेजा था। इस प्रकार वह एक तीर से दो शिकार करना चाहता था। जयसिंह ने बड़ी बुद्धिमत्ता, वीरता और कूटनीति से [[शिवाजी]] को औरंगजेब से संधि करने के लिए राजी किया था। }} | *जिस समय दक्षिण में [[शिवाजी]] के विजय−अभियानों की घूम थी, और उनसे युद्ध करने में अफजलख़ाँ एवं शाइस्ताख़ाँ की हार हुई थी, तथा राजा [[यशवंतसिंह]] को भी सफलता मिली थी; तब औरंगजेब ने मिर्जा राजा जयसिंह को शिवाजी को दबाने के लिए भेजा था। इस प्रकार वह एक तीर से दो शिकार करना चाहता था। जयसिंह ने बड़ी बुद्धिमत्ता, वीरता और कूटनीति से [[शिवाजी]] को औरंगजेब से संधि करने के लिए राजी किया था। }} | ||
====[[तुलसीदास]] का वह ग्रंथ कौनसा है, जिसमें ज्योतिष का वर्णन किया गया है?==== | ===== [[तुलसीदास]] का वह ग्रंथ कौनसा है, जिसमें ज्योतिष का वर्णन किया गया है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=दोहावली|विकल्प 2=गीतावली|विकल्प 3=रामाज्ञा प्रश्नावली|विकल्प 4=कवितावली}}{{Ans|विकल्प 1=दोहावली|विकल्प 2=गीतावली|विकल्प 3='''रामाज्ञा प्रश्नावली'''{{Check}}|विकल्प 4=कवितावली|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=दोहावली|विकल्प 2=गीतावली|विकल्प 3=रामाज्ञा प्रश्नावली|विकल्प 4=कवितावली}}{{Ans|विकल्प 1=दोहावली|विकल्प 2=गीतावली|विकल्प 3='''रामाज्ञा प्रश्नावली'''{{Check}}|विकल्प 4=कवितावली|विवरण=}} | ||
===='[[रामचरितमानस]]' में प्रधान रस के रूप में किस रस को मान्यता मिली है?==== | ===== '[[रामचरितमानस]]' में प्रधान रस के रूप में किस रस को मान्यता मिली है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=शांत रस|विकल्प 2=भक्ति रस|विकल्प 3=वात्सल्य रस|विकल्प 4=अद्भुत रस}}{{Ans|विकल्प 1=शांत रस|विकल्प 2='''भक्ति रस'''{{Check}}|विकल्प 3=वात्सल्य रस|विकल्प 4=अद्भुत रस|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=शांत रस|विकल्प 2=भक्ति रस|विकल्प 3=वात्सल्य रस|विकल्प 4=अद्भुत रस}}{{Ans|विकल्प 1=शांत रस|विकल्प 2='''भक्ति रस'''{{Check}}|विकल्प 3=वात्सल्य रस|विकल्प 4=अद्भुत रस|विवरण=}} | ||
===='समांतर कहानी' के प्रवर्तक कौन थे?==== | ===== 'समांतर कहानी' के प्रवर्तक कौन थे?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=कमलेश्वर|विकल्प 2=हिमांशु जोशी|विकल्प 3=मोहन राकेश|विकल्प 4=मन्मथनाथ गुप्त}}{{Ans|विकल्प 1='''कमलेश्वर'''{{Check}}|विकल्प 2=हिमांशु जोशी|विकल्प 3=मोहन राकेश|विकल्प 4=मन्मथनाथ गुप्त|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=कमलेश्वर|विकल्प 2=हिमांशु जोशी|विकल्प 3=मोहन राकेश|विकल्प 4=मन्मथनाथ गुप्त}}{{Ans|विकल्प 1='''कमलेश्वर'''{{Check}}|विकल्प 2=हिमांशु जोशी|विकल्प 3=मोहन राकेश|विकल्प 4=मन्मथनाथ गुप्त|विवरण=}} | ||
====सर्वप्रथम किस आलोचक ने अपने किस ग्रंथ में 'देव बड़े हैं कि बिहारी' विवाद को जन्म दिया?==== | ===== सर्वप्रथम किस आलोचक ने अपने किस ग्रंथ में 'देव बड़े हैं कि बिहारी' विवाद को जन्म दिया?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=मिश्रबंधुः हिन्दी नवरत्न|विकल्प 2=पद्मसिंह शर्माः बिहारी सतसई की भूमिका|विकल्प 3=कृष्ण बिहारी मिश्रः देव और बिहारी|विकल्प 4=लाला भगवान दीनः बिहारी और देव}}{{Ans|विकल्प 1='''मिश्रबंधुः हिन्दी नवरत्न'''{{Check}}|विकल्प 2=पद्मसिंह शर्माः बिहारी सतसई की भूमिका|विकल्प 3=कृष्ण बिहारी मिश्रः देव और बिहारी|विकल्प 4=लाला भगवान दीनः बिहारी और देव|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=मिश्रबंधुः हिन्दी नवरत्न|विकल्प 2=पद्मसिंह शर्माः बिहारी सतसई की भूमिका|विकल्प 3=कृष्ण बिहारी मिश्रः देव और बिहारी|विकल्प 4=लाला भगवान दीनः बिहारी और देव}}{{Ans|विकल्प 1='''मिश्रबंधुः हिन्दी नवरत्न'''{{Check}}|विकल्प 2=पद्मसिंह शर्माः बिहारी सतसई की भूमिका|विकल्प 3=कृष्ण बिहारी मिश्रः देव और बिहारी|विकल्प 4=लाला भगवान दीनः बिहारी और देव|विवरण=}} | ||
====इनमें किस आलोचक ने अपना कौन सा आलोचना ग्रंथ लिखकर हिन्दी के स्नातकोत्तर कक्षाओं के पाठ्यक्रम में आलोचना के अभाव को पूरा करने का सर्वप्रथम सफल प्रयास किया था?==== | ===== इनमें किस आलोचक ने अपना कौन सा आलोचना ग्रंथ लिखकर हिन्दी के स्नातकोत्तर कक्षाओं के पाठ्यक्रम में आलोचना के अभाव को पूरा करने का सर्वप्रथम सफल प्रयास किया था?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=पदुमलाल पन्नालाल बख्तीः विश्व साहित्य|विकल्प 2=गयाप्रसाद अग्निहोत्रीः समालोचना|विकल्प 3=रामचन्द्र शुक्लः चिंतामणि|विकल्प 4=श्यामसुन्दर दासः साहित्यालोचन}}{{Ans|विकल्प 1=पदुमलाल पन्नालाल बख्तीः विश्व साहित्यविकल्प|विकल्प 2=गयाप्रसाद अग्निहोत्रीः समालोचना|विकल्प 3=रामचन्द्र शुक्लः चिंतामणि|विकल्प 4='''श्यामसुन्दर दासः साहित्यालोचन'''{{Check}}|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=पदुमलाल पन्नालाल बख्तीः विश्व साहित्य|विकल्प 2=गयाप्रसाद अग्निहोत्रीः समालोचना|विकल्प 3=रामचन्द्र शुक्लः चिंतामणि|विकल्प 4=श्यामसुन्दर दासः साहित्यालोचन}}{{Ans|विकल्प 1=पदुमलाल पन्नालाल बख्तीः विश्व साहित्यविकल्प|विकल्प 2=गयाप्रसाद अग्निहोत्रीः समालोचना|विकल्प 3=रामचन्द्र शुक्लः चिंतामणि|विकल्प 4='''श्यामसुन्दर दासः साहित्यालोचन'''{{Check}}|विवरण=}} | ||
====आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने 'त्रिवेणी' में किन तीन महाकवियों की समीक्षाएँ प्रस्तुत की हैं?==== | ===== आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने 'त्रिवेणी' में किन तीन महाकवियों की समीक्षाएँ प्रस्तुत की हैं?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=कबीर, जायसी, सूर|विकल्प 2=कबीर, जायसी, तुलसी|विकल्प 3=सूर, तुलसी, जायसी|विकल्प 4=कबीर, सूर, तुलसी}}{{Ans|विकल्प 1=[[कबीर]], [[जायसी]], [[सूरदास|सूर]]|विकल्प 2=[[कबीर]], [[जायसी]], [[तुलसीदास|तुलसी]]|विकल्प 3='''[[सूरदास|सूर]], [[तुलसीदास|तुलसी]], [[जायसी]]'''{{Check}}|विकल्प 4=[[कबीर]], [[सूरदास|सूर]], [[तुलसीदास|तुलसी]]|विवरण= | {{Opt|विकल्प 1=कबीर, जायसी, सूर|विकल्प 2=कबीर, जायसी, तुलसी|विकल्प 3=सूर, तुलसी, जायसी|विकल्प 4=कबीर, सूर, तुलसी}}{{Ans|विकल्प 1=[[कबीर]], [[जायसी]], [[सूरदास|सूर]]|विकल्प 2=[[कबीर]], [[जायसी]], [[तुलसीदास|तुलसी]]|विकल्प 3='''[[सूरदास|सूर]], [[तुलसीदास|तुलसी]], [[जायसी]]'''{{Check}}|विकल्प 4=[[कबीर]], [[सूरदास|सूर]], [[तुलसीदास|तुलसी]]|विवरण= | ||
;सूरदास | ;सूरदास | ||
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भा वैराग बहुत सुख पाएऊँ॥</poem> | भा वैराग बहुत सुख पाएऊँ॥</poem> | ||
इससे यह भी पता चलता है कि उस नगर का प्राचीन नाम 'उदयान' था, वहाँ वे एक 'पहुने' जैसे दस दिनों के लिए आये थे, अर्थात उन्होंने अपना नश्वर जीवन प्रारंभ किया था अथवा जन्म लिया था और फिर वैराग्य हो जाने पर वहाँ उन्हें बहुत सुख मिला था।}} | इससे यह भी पता चलता है कि उस नगर का प्राचीन नाम 'उदयान' था, वहाँ वे एक 'पहुने' जैसे दस दिनों के लिए आये थे, अर्थात उन्होंने अपना नश्वर जीवन प्रारंभ किया था अथवा जन्म लिया था और फिर वैराग्य हो जाने पर वहाँ उन्हें बहुत सुख मिला था।}} | ||
====भक्तिकाल में एक ऐसा कवि हुआ, जिसने अपने भाव व्यक्त करने के लिए उर्दू, फारसी, खड़ीबोली आदि के शब्दों का मुक्त उपयोग किया है?==== | ===== भक्तिकाल में एक ऐसा कवि हुआ, जिसने अपने भाव व्यक्त करने के लिए उर्दू, फारसी, खड़ीबोली आदि के शब्दों का मुक्त उपयोग किया है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=तुलसीदास|विकल्प 2=जायसी|विकल्प 3=सूरदास|विकल्प 4=कबीर}}{{Ans|विकल्प 1=[[तुलसीदास]]|विकल्प 2=[[जायसी]]|विकल्प 3=[[सूरदास]]|विकल्प 4='''[[कबीर]]'''{{Check}}|{{Check}}विवरण= | {{Opt|विकल्प 1=तुलसीदास|विकल्प 2=जायसी|विकल्प 3=सूरदास|विकल्प 4=कबीर}}{{Ans|विकल्प 1=[[तुलसीदास]]|विकल्प 2=[[जायसी]]|विकल्प 3=[[सूरदास]]|विकल्प 4='''[[कबीर]]'''{{Check}}|{{Check}}विवरण= | ||
महात्मा कबीरदास के जन्म के समय में [[भारत]] की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक दशा शोचनीय थी। एक तरफ मुसलमान शासकों की धर्मांन्धता से जनता परेशान थी और दूसरी तरफ हिन्दू धर्म के कर्मकांड, विधान और पाखंड से धर्म का ह्रास हो रहा था। जनता में भक्ति- भावनाओं का सर्वथा अभाव था। पंडितों के पाखंडपूर्ण वचन समाज में फैले थे। ऐसे संघर्ष के समय में, कबीरदास का प्रार्दुभाव हुआ। | महात्मा कबीरदास के जन्म के समय में [[भारत]] की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक दशा शोचनीय थी। एक तरफ मुसलमान शासकों की धर्मांन्धता से जनता परेशान थी और दूसरी तरफ हिन्दू धर्म के कर्मकांड, विधान और पाखंड से धर्म का ह्रास हो रहा था। जनता में भक्ति- भावनाओं का सर्वथा अभाव था। पंडितों के पाखंडपूर्ण वचन समाज में फैले थे। ऐसे संघर्ष के समय में, कबीरदास का प्रार्दुभाव हुआ। | ||
जिस युग में कबीर आविर्भूत हुए थे, उसके कुछ ही पूर्व [[भारत|भारतवर्ष]] के इतिहास में एक अभूतपूर्व घटना घट चुकी थी। यह घटना इस्लाम जैसे एक सुसंगठित सम्प्रदाय का आगमन था। इस घटना ने भारतीय धर्म–मत और समाज व्यवस्था को बुरी तरह से झकझोर दिया था। उसकी अपरिवर्तनीय समझी जाने वाली जाति–व्यवस्था को पहली बार ज़बर्दस्त ठोकर लगी थी। सारा भारतीय वातावरण संक्षुब्ध था। बहुत–से पंडितजन इस संक्षोभ का कारण खोजने में व्यस्त थे और अपने–अपने ढंग पर भारतीय समाज और धर्म–मत को सम्भालने का प्रयत्न कर रहे थे।}} | जिस युग में कबीर आविर्भूत हुए थे, उसके कुछ ही पूर्व [[भारत|भारतवर्ष]] के इतिहास में एक अभूतपूर्व घटना घट चुकी थी। यह घटना इस्लाम जैसे एक सुसंगठित सम्प्रदाय का आगमन था। इस घटना ने भारतीय धर्म–मत और समाज व्यवस्था को बुरी तरह से झकझोर दिया था। उसकी अपरिवर्तनीय समझी जाने वाली जाति–व्यवस्था को पहली बार ज़बर्दस्त ठोकर लगी थी। सारा भारतीय वातावरण संक्षुब्ध था। बहुत–से पंडितजन इस संक्षोभ का कारण खोजने में व्यस्त थे और अपने–अपने ढंग पर भारतीय समाज और धर्म–मत को सम्भालने का प्रयत्न कर रहे थे।}} | ||
====आचार्य शुक्ल के अनुसार इनमें एक ऐसा कवि है, जिसका 'वियोग वर्णन, वियोग वर्णन के लिए ही है, परिस्थिति के अनुरोध से नहीं'?==== | ===== आचार्य शुक्ल के अनुसार इनमें एक ऐसा कवि है, जिसका 'वियोग वर्णन, वियोग वर्णन के लिए ही है, परिस्थिति के अनुरोध से नहीं'?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=कबीर|विकल्प 2=सूरदास|विकल्प 3=जायसी|विकल्प 4=तुलसी}}{{Ans|विकल्प 1='''[[कबीर]]'''{{Check}}|विकल्प 2=[[सूरदास]]|विकल्प 3=[[जायसी]]|विकल्प 4=[[तुलसी]]|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=कबीर|विकल्प 2=सूरदास|विकल्प 3=जायसी|विकल्प 4=तुलसी}}{{Ans|विकल्प 1='''[[कबीर]]'''{{Check}}|विकल्प 2=[[सूरदास]]|विकल्प 3=[[जायसी]]|विकल्प 4=[[तुलसी]]|विवरण=}} | ||
===='सुन्दर परम किसोर बयक्रम चंचल नयन बिसाल। कर मुरली सिर मोरपंख पीतांबर उर बनमाल॥ ये पंक्तियाँ किस रचनाकार की हैं?==== | ===== 'सुन्दर परम किसोर बयक्रम चंचल नयन बिसाल। कर मुरली सिर मोरपंख पीतांबर उर बनमाल॥ ये पंक्तियाँ किस रचनाकार की हैं?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=बिहारी|विकल्प 2=केशवदास|विकल्प 3=तुलसीदास|विकल्प 4=सूरदास}}{{Ans|विकल्प 1=[[बिहारी लाल|बिहारी]]|विकल्प 2=[[केशवदास]]|विकल्प 3=[[तुलसीदास]]|विकल्प 4='''[[सूरदास]]'''{{Check}}|विवरण=*हिन्दी साहित्य में [[भक्तिकाल]] में [[कृष्ण]] भक्ति के भक्त कवियों में महाकवि सूरदास का नाम अग्रणी है। सूरदास जी वात्सल्य रस के सम्राट माने जाते हैं। उन्होंने श्रृंगार और शान्त रसों का भी बड़ा मर्मस्पर्शी वर्णन किया है। | {{Opt|विकल्प 1=बिहारी|विकल्प 2=केशवदास|विकल्प 3=तुलसीदास|विकल्प 4=सूरदास}}{{Ans|विकल्प 1=[[बिहारी लाल|बिहारी]]|विकल्प 2=[[केशवदास]]|विकल्प 3=[[तुलसीदास]]|विकल्प 4='''[[सूरदास]]'''{{Check}}|विवरण=*हिन्दी साहित्य में [[भक्तिकाल]] में [[कृष्ण]] भक्ति के भक्त कवियों में महाकवि सूरदास का नाम अग्रणी है। सूरदास जी वात्सल्य रस के सम्राट माने जाते हैं। उन्होंने श्रृंगार और शान्त रसों का भी बड़ा मर्मस्पर्शी वर्णन किया है। | ||
*उनका जन्म 1478 ईस्वी में [[मथुरा]] [[आगरा]] मार्ग पर स्थित [[रुनकता]] नामक गांव में हुआ था। कुछ लोगों का कहना है कि सूरदास जी का जन्म [[सीही]] नामक ग्राम में एक ग़रीब सारस्वत ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बाद में वह आगरा और मथुरा के बीच गऊघाट पर आकर रहने लगे थे। आचार्य [[रामचन्द्र शुक्ल]] जी के मतानुसार सूरदास का जन्म संवत् 1540 वि० के सन्निकट और मृत्यु संवत् 1620 वि० के आसपास मानी जाती है।}} | *उनका जन्म 1478 ईस्वी में [[मथुरा]] [[आगरा]] मार्ग पर स्थित [[रुनकता]] नामक गांव में हुआ था। कुछ लोगों का कहना है कि सूरदास जी का जन्म [[सीही]] नामक ग्राम में एक ग़रीब सारस्वत ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बाद में वह आगरा और मथुरा के बीच गऊघाट पर आकर रहने लगे थे। आचार्य [[रामचन्द्र शुक्ल]] जी के मतानुसार सूरदास का जन्म संवत् 1540 वि० के सन्निकट और मृत्यु संवत् 1620 वि० के आसपास मानी जाती है।}} | ||
====[[भक्तिकाल]] का एक कवि अवतारवाद और मूर्तिपूजा का विरोधी है. इसके बावजूद वह हिन्दूओं के जन्म-मृत्यु सम्बन्धी सिद्धांत को मानता है, ऐसा रचनाकार है?==== | ===== [[भक्तिकाल]] का एक कवि अवतारवाद और मूर्तिपूजा का विरोधी है. इसके बावजूद वह हिन्दूओं के जन्म-मृत्यु सम्बन्धी सिद्धांत को मानता है, ऐसा रचनाकार है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=जायसी|विकल्प 2=कबीर|विकल्प 3=तुलसीदास|विकल्प 4=कुम्भनदास}}{{Ans|विकल्प 1=[[जायसी]]|विकल्प 2='''[[कबीर]]'''{{Check}}|विकल्प 3=[[तुलसीदास]]|विकल्प 4=[[कुम्भनदास]]|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=जायसी|विकल्प 2=कबीर|विकल्प 3=तुलसीदास|विकल्प 4=कुम्भनदास}}{{Ans|विकल्प 1=[[जायसी]]|विकल्प 2='''[[कबीर]]'''{{Check}}|विकल्प 3=[[तुलसीदास]]|विकल्प 4=[[कुम्भनदास]]|विवरण=}} | ||
====भक्तिकालीन कवियों में एक ऐसा ख्यातिलब्ध रचनाकार है जो अपने काव्य में लोकव्यापी प्रभाव वाले कर्म और लोकव्यापिनी दशाओं के वर्णन में माहिर है. ऐसे रचनाकार का नाम है?==== | ===== भक्तिकालीन कवियों में एक ऐसा ख्यातिलब्ध रचनाकार है जो अपने काव्य में लोकव्यापी प्रभाव वाले कर्म और लोकव्यापिनी दशाओं के वर्णन में माहिर है. ऐसे रचनाकार का नाम है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=जायसी|विकल्प 2=सूरदास|विकल्प 3=तुलसीदास|विकल्प 4=रविदास}}{{Ans|विकल्प 1=[[जायसी]]|विकल्प 2=[[सूरदास]]|विकल्प 3='''[[तुलसीदास]]'''{{Check}}|विकल्प 4=रविदास|विवरण=गोस्वामी तुलसीदास [1497(1532?) - 1623] एक महान कवि थे। उनका जन्म राजापुर, (वर्तमान बाँदा ज़िला) [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। तुलसी का बचपन बड़े कष्टों में बीता। माता-पिता दोनों चल बसे और इन्हें भीख मांगकर अपना पेट पालना पड़ा था। इसी बीच इनका परिचय राम-भक्त साधुओं से हुआ और इन्हें ज्ञानार्जन का अनुपम अवसर मिल गया। पत्नी के व्यंग्यबाणों से विरक्त होने की लोकप्रचलित कथा को कोई प्रमाण नहीं मिलता। तुलसी भ्रमण करते रहे और इस प्रकार समाज की तत्कालीन स्थिति से इनका सीधा संपर्क हुआ। इसी दीर्घकालीन अनुभव और अध्ययन का परिणाम तुलसी की अमूल्य कृतियां हैं, जो उस समय के भारतीय समाज के लिए तो उन्नायक सिद्ध हुई ही, आज भी जीवन को मर्यादित करने के लिए उतनी ही उपयोगी हैं। तुलसीदास द्वारा रचित ग्रंथों की संख्या 39 बताई जाती है। इनमें रामचरित मानस, कवितावली, विनयपत्रिका, दोहावली, गीतावली, जानकीमंगल, हनुमान चालीसा, बरवैरामायण आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। अपने जीवनकाल में तुलसीदास जी ने 12 ग्रन्थ लिखे और उन्हें [[संस्कृत]] विद्वान होने के साथ ही हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ट कवियों में एक माना जाता है। तुलसीदासजी को महर्षि [[वाल्मीकि]] का भी अवतार माना जाता है जो मूल आदिकाव्य [[रामायण]] के रचयिता थे। श्रीराम जी को समर्पित ग्रन्थ श्री [[रामचरितमानस]] वाल्मीकि रामायण का प्रकारांतर से [[अवधी भाषा|अवधी]] भाषांतर था जिसे समस्त उत्तर [[भारत]] में बड़े भक्तिभाव से पढ़ा जाता है। विनयपत्रिका तुलसीदासकृत एक अन्य महत्त्वपूर्ण काव्य है।}} | {{Opt|विकल्प 1=जायसी|विकल्प 2=सूरदास|विकल्प 3=तुलसीदास|विकल्प 4=रविदास}}{{Ans|विकल्प 1=[[जायसी]]|विकल्प 2=[[सूरदास]]|विकल्प 3='''[[तुलसीदास]]'''{{Check}}|विकल्प 4=रविदास|विवरण=गोस्वामी तुलसीदास [1497(1532?) - 1623] एक महान कवि थे। उनका जन्म राजापुर, (वर्तमान बाँदा ज़िला) [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। तुलसी का बचपन बड़े कष्टों में बीता। माता-पिता दोनों चल बसे और इन्हें भीख मांगकर अपना पेट पालना पड़ा था। इसी बीच इनका परिचय राम-भक्त साधुओं से हुआ और इन्हें ज्ञानार्जन का अनुपम अवसर मिल गया। पत्नी के व्यंग्यबाणों से विरक्त होने की लोकप्रचलित कथा को कोई प्रमाण नहीं मिलता। तुलसी भ्रमण करते रहे और इस प्रकार समाज की तत्कालीन स्थिति से इनका सीधा संपर्क हुआ। इसी दीर्घकालीन अनुभव और अध्ययन का परिणाम तुलसी की अमूल्य कृतियां हैं, जो उस समय के भारतीय समाज के लिए तो उन्नायक सिद्ध हुई ही, आज भी जीवन को मर्यादित करने के लिए उतनी ही उपयोगी हैं। तुलसीदास द्वारा रचित ग्रंथों की संख्या 39 बताई जाती है। इनमें रामचरित मानस, कवितावली, विनयपत्रिका, दोहावली, गीतावली, जानकीमंगल, हनुमान चालीसा, बरवैरामायण आदि विशेष रूप से उल्लेखनीय हैं। अपने जीवनकाल में तुलसीदास जी ने 12 ग्रन्थ लिखे और उन्हें [[संस्कृत]] विद्वान होने के साथ ही हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ट कवियों में एक माना जाता है। तुलसीदासजी को महर्षि [[वाल्मीकि]] का भी अवतार माना जाता है जो मूल आदिकाव्य [[रामायण]] के रचयिता थे। श्रीराम जी को समर्पित ग्रन्थ श्री [[रामचरितमानस]] वाल्मीकि रामायण का प्रकारांतर से [[अवधी भाषा|अवधी]] भाषांतर था जिसे समस्त उत्तर [[भारत]] में बड़े भक्तिभाव से पढ़ा जाता है। विनयपत्रिका तुलसीदासकृत एक अन्य महत्त्वपूर्ण काव्य है।}} | ||
===='जायसी -ग्रंथावली' के सम्पादक का नाम है?==== | ===== 'जायसी -ग्रंथावली' के सम्पादक का नाम है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल|विकल्प 2=चन्द्रबली पाण्डेय|विकल्प 3=डॉ. भगवतीप्रसाद सिंह|विकल्प 4=रामचन्द्र शुक्ल}}{{Ans|विकल्प 1=डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल|विकल्प 2=चन्द्रबली पाण्डेय|विकल्प 3=डॉ. भगवतीप्रसाद सिंह|विकल्प 4='''रामचन्द्र शुक्ल'''{{Check}}|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल|विकल्प 2=चन्द्रबली पाण्डेय|विकल्प 3=डॉ. भगवतीप्रसाद सिंह|विकल्प 4=रामचन्द्र शुक्ल}}{{Ans|विकल्प 1=डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल|विकल्प 2=चन्द्रबली पाण्डेय|विकल्प 3=डॉ. भगवतीप्रसाद सिंह|विकल्प 4='''रामचन्द्र शुक्ल'''{{Check}}|विवरण=}} | ||
====दोहा छन्द में श्रृंगारी रचना प्रस्तुत करने वालों में हिन्दी के सर्वाधिक ख्यातिलब्ध कवि हैं?==== | ===== दोहा छन्द में श्रृंगारी रचना प्रस्तुत करने वालों में हिन्दी के सर्वाधिक ख्यातिलब्ध कवि हैं?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=रहीम|विकल्प 2=बिहारी|विकल्प 3=भूषण|विकल्प 4=सूरदास}}{{Ans|विकल्प 1=[[रहीम]]|विकल्प 2='''[[बिहारी लाल|बिहारी]]'''{{Check}}|विकल्प 3=[[भूषण]]|विकल्प 4=[[सूरदास]]|विवरण=*हिन्दी साहित्य के रीति काल के कवियों में बिहारीलाल का नाम महत्वपूर्ण है। महाकवि बिहारीलाल का जन्म 1595 के लगभग [[ग्वालियर]] में हुआ। वे जाति के [[माथुर चौबे]] थे। उनके पिता का नाम केशवराय था। उनका बचपन [[बुंदेलखंड]] में कटा और युवावस्था ससुराल [[मथुरा]] में व्यतीत हुई, जैसे की निम्न दोहे से प्रकट है - | {{Opt|विकल्प 1=रहीम|विकल्प 2=बिहारी|विकल्प 3=भूषण|विकल्प 4=सूरदास}}{{Ans|विकल्प 1=[[रहीम]]|विकल्प 2='''[[बिहारी लाल|बिहारी]]'''{{Check}}|विकल्प 3=[[भूषण]]|विकल्प 4=[[सूरदास]]|विवरण=*हिन्दी साहित्य के रीति काल के कवियों में बिहारीलाल का नाम महत्वपूर्ण है। महाकवि बिहारीलाल का जन्म 1595 के लगभग [[ग्वालियर]] में हुआ। वे जाति के [[माथुर चौबे]] थे। उनके पिता का नाम केशवराय था। उनका बचपन [[बुंदेलखंड]] में कटा और युवावस्था ससुराल [[मथुरा]] में व्यतीत हुई, जैसे की निम्न दोहे से प्रकट है - | ||
<blockquote>जनम ग्वालियर जानिये खंड बुंदेले बाल ।<br /> | <blockquote>जनम ग्वालियर जानिये खंड बुंदेले बाल ।<br /> | ||
पंक्ति 185: | पंक्ति 186: | ||
अली कली ही सौं बिंध्यों, आगे कौन हवाल ।। | अली कली ही सौं बिंध्यों, आगे कौन हवाल ।। | ||
</blockquote>}} | </blockquote>}} | ||
===='कंचन तन धन बरन बर रहयौ रंग मिलि रंग। जानी जाति सुबास ही केसरि लाई अंग॥ ये पंक्तियाँ किसकी हैं?==== | ===== 'कंचन तन धन बरन बर रहयौ रंग मिलि रंग। जानी जाति सुबास ही केसरि लाई अंग॥ ये पंक्तियाँ किसकी हैं?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=रहीम|विकल्प 2=तुलसी|विकल्प 3=बिहारी|विकल्प 4=भूषण}}{{Ans|विकल्प 1=[[रहीम]]|विकल्प 2=[[तुलसीदास|तुलसी]]|विकल्प 3='''[[बिहारी लाल|बिहारी]]'''{{Check}}|विकल्प 4=[[भूषण]]|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=रहीम|विकल्प 2=तुलसी|विकल्प 3=बिहारी|विकल्प 4=भूषण}}{{Ans|विकल्प 1=[[रहीम]]|विकल्प 2=[[तुलसीदास|तुलसी]]|विकल्प 3='''[[बिहारी लाल|बिहारी]]'''{{Check}}|विकल्प 4=[[भूषण]]|विवरण=}} | ||
====जलप्लावन भारतीय इतिहास की ऐसी प्राचीन घटना है जिसको आधार बनाकर छायावादी युग में एक महाकाव्य लिखा गया है. उसका नाम है?==== | ===== जलप्लावन भारतीय इतिहास की ऐसी प्राचीन घटना है जिसको आधार बनाकर छायावादी युग में एक महाकाव्य लिखा गया है. उसका नाम है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=लोकायतन|विकल्प 2=कुरुक्षेत्र|विकल्प 3=कामायनी|विकल्प 4=चिताम्बरा}}{{Ans|विकल्प 1=लोकायतन|विकल्प 2=[[कुरुक्षेत्र]]|विकल्प 3='''कामायनी'''{{Check}}|विकल्प 4=चिताम्बरा|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=लोकायतन|विकल्प 2=कुरुक्षेत्र|विकल्प 3=कामायनी|विकल्प 4=चिताम्बरा}}{{Ans|विकल्प 1=लोकायतन|विकल्प 2=[[कुरुक्षेत्र]]|विकल्प 3='''कामायनी'''{{Check}}|विकल्प 4=चिताम्बरा|विवरण=}} | ||
===='लहरे व्योम चूमती उठती। चपलाएं असंख्य नचती।' पंक्ति जयशंकर प्रसाद के किस रचना का अंश है?==== | ===== 'लहरे व्योम चूमती उठती। चपलाएं असंख्य नचती।' पंक्ति जयशंकर प्रसाद के किस रचना का अंश है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=लहर|विकल्प 2=झरना|विकल्प 3=आँसू|विकल्प 4=कामायनी}}{{Ans|विकल्प 1=लहर|विकल्प 2=झरना|विकल्प 3=आँसू|विकल्प 4='''कामायनी'''{{Check}}|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=लहर|विकल्प 2=झरना|विकल्प 3=आँसू|विकल्प 4=कामायनी}}{{Ans|विकल्प 1=लहर|विकल्प 2=झरना|विकल्प 3=आँसू|विकल्प 4='''कामायनी'''{{Check}}|विवरण=}} | ||
===='नखत की आशा - किरन -समान\ ह्रदय के कोमल कवि की कांत।' पंक्ति किसकी लिखी हुई है?==== | ===== 'नखत की आशा - किरन -समान\ ह्रदय के कोमल कवि की कांत।' पंक्ति किसकी लिखी हुई है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'|विकल्प 2=जयशंकर प्रसाद|विकल्प 3=सुमित्रानंदन पंत|विकल्प 4=महादेवी वर्मा}}{{Ans|विकल्प 1=[[सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला|सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला']]|विकल्प 2='''[[जयशंकर प्रसाद]]'''{{Check}}|विकल्प 3=[[सुमित्रानंदन पंत]]|विकल्प 4=[[महादेवी वर्मा]]|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला'|विकल्प 2=जयशंकर प्रसाद|विकल्प 3=सुमित्रानंदन पंत|विकल्प 4=महादेवी वर्मा}}{{Ans|विकल्प 1=[[सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला|सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला']]|विकल्प 2='''[[जयशंकर प्रसाद]]'''{{Check}}|विकल्प 3=[[सुमित्रानंदन पंत]]|विकल्प 4=[[महादेवी वर्मा]]|विवरण=}} | ||
===='मौन, नाश, विध्वंस, अंधेरा। शून्य बना जो प्रकट अभाव।। पंक्ति किसके द्वारा लिखी गई?==== | ===== 'मौन, नाश, विध्वंस, अंधेरा। शून्य बना जो प्रकट अभाव।। पंक्ति किसके द्वारा लिखी गई?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=महादेवी वर्मा|विकल्प 2=सुमित्रानंदन पंत|विकल्प 3=जयशंकर प्रसाद|विकल्प 4=सूर्यकांत त्रिपाठी निराला}}{{Ans|विकल्प 1=[[महादेवी वर्मा]]|विकल्प 2=[[सुमित्रानंदन पंत]]|विकल्प 3='''[[जयशंकर प्रसाद]]'''{{Check}}|विकल्प 4=[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला]]|विवरण=महाकवि जयशंकर प्रसाद (जन्म- [[30 जनवरी]], [[1889]] ई.,[[वाराणसी]], [[उत्तर प्रदेश]], मृत्यु- [[15 नवम्बर]], सन [[1937]]) हिंदी नाट्य जगत और कथा साहित्य में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। कथा साहित्य के क्षेत्र में भी उनकी देन महत्त्वपूर्ण है। '''भावना-प्रधान कहानी लिखने वालों में जयशंकर प्रसाद अनुपम थे।'''}} | {{Opt|विकल्प 1=महादेवी वर्मा|विकल्प 2=सुमित्रानंदन पंत|विकल्प 3=जयशंकर प्रसाद|विकल्प 4=सूर्यकांत त्रिपाठी निराला}}{{Ans|विकल्प 1=[[महादेवी वर्मा]]|विकल्प 2=[[सुमित्रानंदन पंत]]|विकल्प 3='''[[जयशंकर प्रसाद]]'''{{Check}}|विकल्प 4=[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला]]|विवरण=महाकवि जयशंकर प्रसाद (जन्म- [[30 जनवरी]], [[1889]] ई.,[[वाराणसी]], [[उत्तर प्रदेश]], मृत्यु- [[15 नवम्बर]], सन [[1937]]) हिंदी नाट्य जगत और कथा साहित्य में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। कथा साहित्य के क्षेत्र में भी उनकी देन महत्त्वपूर्ण है। '''भावना-प्रधान कहानी लिखने वालों में जयशंकर प्रसाद अनुपम थे।'''}} | ||
===='दुरित, दुःख, दैन्य न थे जब ज्ञात। पंक्ति अपरिचित जरा- मरण -भ्रू पात।।' पंक्ति के रचनाकार हैं?==== | ===== 'दुरित, दुःख, दैन्य न थे जब ज्ञात। पंक्ति अपरिचित जरा- मरण -भ्रू पात।।' पंक्ति के रचनाकार हैं?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=सूर्यकांत त्रिपाठी निराला|विकल्प 2=सुमित्रानंदन पंत|विकल्प 3=जयशंकर प्रसाद|विकल्प 4=महादेवी वर्मा}}{{Ans|विकल्प 1=[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला]]|विकल्प 2='''[[सुमित्रानंदन पंत]]'''{{Check}}|विकल्प 3=[[जयशंकर प्रसाद]]|विकल्प 4=[[महादेवी वर्मा]]|विवरण=सुमित्रानंदन पंत हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार स्तंभों में से एक है। सुमित्रानंदन पंत उस नये युग के प्रवर्तक के रूप में आधुनिक हिन्दी साहित्य में उदित हुए। सुमित्रानंदन पंत का जन्म [[20 मई]] [[1900]] में [[कौसानी]], [[उत्तराखण्ड]], [[भारत]] में हुआ था। जन्म के छह घंटे बाद ही माँ को क्रूर मृत्यु ने छीन लिया। शिशु को उसकी दादी ने पाला पोसा। शिशु का नाम रखा गया गुसाई दत्त।}} | {{Opt|विकल्प 1=सूर्यकांत त्रिपाठी निराला|विकल्प 2=सुमित्रानंदन पंत|विकल्प 3=जयशंकर प्रसाद|विकल्प 4=महादेवी वर्मा}}{{Ans|विकल्प 1=[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला]]|विकल्प 2='''[[सुमित्रानंदन पंत]]'''{{Check}}|विकल्प 3=[[जयशंकर प्रसाद]]|विकल्प 4=[[महादेवी वर्मा]]|विवरण=सुमित्रानंदन पंत हिन्दी साहित्य में छायावादी युग के चार स्तंभों में से एक है। सुमित्रानंदन पंत उस नये युग के प्रवर्तक के रूप में आधुनिक हिन्दी साहित्य में उदित हुए। सुमित्रानंदन पंत का जन्म [[20 मई]] [[1900]] में [[कौसानी]], [[उत्तराखण्ड]], [[भारत]] में हुआ था। जन्म के छह घंटे बाद ही माँ को क्रूर मृत्यु ने छीन लिया। शिशु को उसकी दादी ने पाला पोसा। शिशु का नाम रखा गया गुसाई दत्त।}} | ||
===='काल का अकरुण भृकुटि -विलास। तुमारा ही परिहास।।' नामक पंक्ति पंत की किस कविता का अंश है?==== | ===== 'काल का अकरुण भृकुटि -विलास। तुमारा ही परिहास।।' नामक पंक्ति पंत की किस कविता का अंश है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=परिवर्तन|विकल्प 2=नौका विहार|विकल्प 3=मौन निमंत्रण|विकल्प 4=ओ रहस्य}}{{Ans|विकल्प 1='''परिवर्तन'''{{Check}}|विकल्प 2=नौका विहार|विकल्प 3=मौन निमंत्रण|विकल्प 4=ओ रहस्य|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=परिवर्तन|विकल्प 2=नौका विहार|विकल्प 3=मौन निमंत्रण|विकल्प 4=ओ रहस्य}}{{Ans|विकल्प 1='''परिवर्तन'''{{Check}}|विकल्प 2=नौका विहार|विकल्प 3=मौन निमंत्रण|विकल्प 4=ओ रहस्य|विवरण=}} | ||
===='अब पहुँची चपला बीच धार। छिप गया चाँदनी का कगार।।' पंक्ति सुमित्रानंदन पंत की किस कविता का अंश है?==== | ===== 'अब पहुँची चपला बीच धार। छिप गया चाँदनी का कगार।।' पंक्ति सुमित्रानंदन पंत की किस कविता का अंश है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=परिवर्तन|विकल्प 2=मौन निमंत्रण|विकल्प 3=बादल|विकल्प 4=नौका विहार}}{{Ans|विकल्प 1=परिवर्तन|विकल्प 2=मौन निमंत्रण|विकल्प 3=बादल|विकल्प 4='''नौका विहार'''{{Check}}|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=परिवर्तन|विकल्प 2=मौन निमंत्रण|विकल्प 3=बादल|विकल्प 4=नौका विहार}}{{Ans|विकल्प 1=परिवर्तन|विकल्प 2=मौन निमंत्रण|विकल्प 3=बादल|विकल्प 4='''नौका विहार'''{{Check}}|विवरण=}} | ||
===='निराला के [[राम]] [[तुलसीदास]] के राम से भिन्न और भवभूति के राम के निकट हैं।' यह कथन किस [[हिन्दी]] आलोचना का है?==== | ====='निराला के [[राम]] [[तुलसीदास]] के राम से भिन्न और भवभूति के राम के निकट हैं।' यह कथन किस [[हिन्दी]] आलोचना का है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=डॉ. रामस्वरूप चतुर्वेदी|विकल्प 2=डॉ. सूर्यप्रसाद दीक्षित|विकल्प 3=डॉ. रामविलास शर्मा|विकल्प 4=डॉ. गंगाप्रसाद पाण्डेय}}{{Ans|विकल्प 1=डॉ. रामस्वरूप चतुर्वेदी|विकल्प 2=डॉ. सूर्यप्रसाद दीक्षित|विकल्प 3='''डॉ. रामविलास शर्मा'''{{Check}}|विकल्प 4=डॉ. गंगाप्रसाद पाण्डेय|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=डॉ. रामस्वरूप चतुर्वेदी|विकल्प 2=डॉ. सूर्यप्रसाद दीक्षित|विकल्प 3=डॉ. रामविलास शर्मा|विकल्प 4=डॉ. गंगाप्रसाद पाण्डेय}}{{Ans|विकल्प 1=डॉ. रामस्वरूप चतुर्वेदी|विकल्प 2=डॉ. सूर्यप्रसाद दीक्षित|विकल्प 3='''डॉ. रामविलास शर्मा'''{{Check}}|विकल्प 4=डॉ. गंगाप्रसाद पाण्डेय|विवरण=}} | ||
===='[[राम]] की शक्तिपूजा' में [[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला|निराला]] की इन दो कविताओं का सारतत्व समाहित है?==== | ====='[[राम]] की शक्तिपूजा' में [[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला|निराला]] की इन दो कविताओं का सारतत्व समाहित है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=तुलसीदास और सरोजस्मृति|विकल्प 2=तुलसीदास और बादल|विकल्प 3=सरोजस्मृति और तोड़ती पत्थर|विकल्प 4=जागो फिर एक बार और तुलसीदास}}{{Ans|विकल्प 1=[[तुलसीदास]] और सरोजस्मृति|विकल्प 2=तुलसीदास और बादल|विकल्प 3=सरोजस्मृति और तोड़ती पत्थर|विकल्प 4='''जागो फिर एक बार और तुलसीदास'''{{Check}}|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=तुलसीदास और सरोजस्मृति|विकल्प 2=तुलसीदास और बादल|विकल्प 3=सरोजस्मृति और तोड़ती पत्थर|विकल्प 4=जागो फिर एक बार और तुलसीदास}}{{Ans|विकल्प 1=[[तुलसीदास]] और सरोजस्मृति|विकल्प 2=तुलसीदास और बादल|विकल्प 3=सरोजस्मृति और तोड़ती पत्थर|विकल्प 4='''जागो फिर एक बार और तुलसीदास'''{{Check}}|विवरण=}} | ||
====किस छायावादी कवि ने संवाद शैली का सर्वाधिक उपयोग किया है?==== | =====किस छायावादी कवि ने संवाद शैली का सर्वाधिक उपयोग किया है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=जयशंकर प्रसाद|विकल्प 2=सुमित्रानंदन पंत|विकल्प 3=महादेवी वर्मा|विकल्प 4=सूर्यकांत त्रिपाठी निराला}}{{Ans|विकल्प 1='''[[जयशंकर प्रसाद]]'''{{Check}}|विकल्प 2=[[सुमित्रानंदन पंत]]|विकल्प 3=[[महादेवी वर्मा]]|विकल्प 4=[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला]]|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=जयशंकर प्रसाद|विकल्प 2=सुमित्रानंदन पंत|विकल्प 3=महादेवी वर्मा|विकल्प 4=सूर्यकांत त्रिपाठी निराला}}{{Ans|विकल्प 1='''[[जयशंकर प्रसाद]]'''{{Check}}|विकल्प 2=[[सुमित्रानंदन पंत]]|विकल्प 3=[[महादेवी वर्मा]]|विकल्प 4=[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला]]|विवरण=}} | ||
====व्यवस्थाप्रियता और विद्रोह का विलक्षण संयोग किस प्रयोगवादी कवि में सबसे अधिक मिलता है?==== | =====व्यवस्थाप्रियता और विद्रोह का विलक्षण संयोग किस प्रयोगवादी कवि में सबसे अधिक मिलता है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=गजानन माधव मुक्तिबोध में|विकल्प 2=भारतभूषण अग्रवाल में|विकल्प 3=नेमिचन्द्र जैन में|विकल्प 4=अज्ञेय में}}{{Ans|विकल्प 1=[[गजानन माधव मुक्तिबोध]] में|विकल्प 2=भारतभूषण अग्रवाल में|विकल्प 3=नेमिचन्द्र जैन में|विकल्प 4='''अज्ञेय में'''{{Check}}|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=गजानन माधव मुक्तिबोध में|विकल्प 2=भारतभूषण अग्रवाल में|विकल्प 3=नेमिचन्द्र जैन में|विकल्प 4=अज्ञेय में}}{{Ans|विकल्प 1=[[गजानन माधव मुक्तिबोध]] में|विकल्प 2=भारतभूषण अग्रवाल में|विकल्प 3=नेमिचन्द्र जैन में|विकल्प 4='''अज्ञेय में'''{{Check}}|विवरण=}} | ||
===='वह उस महत्ता का। हम सरीखों के लिए उपयोग। उस आंतरिकता का बताता में महत्व।।' पंक्तियाँ मुक्तिबोध की किस कविता से ली गई हैं?==== | ====='वह उस महत्ता का। हम सरीखों के लिए उपयोग। उस आंतरिकता का बताता में महत्व।।' पंक्तियाँ मुक्तिबोध की किस कविता से ली गई हैं?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=ब्रह्मराक्षस|विकल्प 2=भूलगलती|विकल्प 3=पता नहीं|विकल्प 4=अँधेरे में}}{{Ans|विकल्प 1='''ब्रह्मराक्षस'''{{Check}}|विकल्प 2=भूलगलती|विकल्प 3=पता नहीं|विकल्प 4=अँधेरे में|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=ब्रह्मराक्षस|विकल्प 2=भूलगलती|विकल्प 3=पता नहीं|विकल्प 4=अँधेरे में}}{{Ans|विकल्प 1='''ब्रह्मराक्षस'''{{Check}}|विकल्प 2=भूलगलती|विकल्प 3=पता नहीं|विकल्प 4=अँधेरे में|विवरण=}} | ||
====ऋतु वसंत का सुप्रभात था। मंद मंद था अनिल बह रहा॥ बालारुण की मृदु किरणें थीं। अगल बगल स्वर्णाभ शिखर थे॥' ये पंक्तियाँ नागार्जुन की किस कविता की हैं?==== | =====ऋतु वसंत का सुप्रभात था। मंद मंद था अनिल बह रहा॥ बालारुण की मृदु किरणें थीं। अगल बगल स्वर्णाभ शिखर थे॥' ये पंक्तियाँ नागार्जुन की किस कविता की हैं?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=प्रतिबद्ध हूँ|विकल्प 2=तालाब की मछलियाँ|विकल्प 3=बादल को घिरते देखा है|विकल्प 4=सिन्दूर तिलकित भाल}}{{Ans|विकल्प 1=प्रतिबद्ध हूँ|विकल्प 2=तालाब की [[मछली|मछलियाँ]]|विकल्प 3='''बादल को घिरते देखा है'''{{Check}}|विकल्प 4=सिन्दूर तिलकित भाल|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=प्रतिबद्ध हूँ|विकल्प 2=तालाब की मछलियाँ|विकल्प 3=बादल को घिरते देखा है|विकल्प 4=सिन्दूर तिलकित भाल}}{{Ans|विकल्प 1=प्रतिबद्ध हूँ|विकल्प 2=तालाब की [[मछली|मछलियाँ]]|विकल्प 3='''बादल को घिरते देखा है'''{{Check}}|विकल्प 4=सिन्दूर तिलकित भाल|विवरण=}} | ||
===='अकाल और उसके बाद' नामक कविता के रचनाकार हैं?==== | ====='अकाल और उसके बाद' नामक कविता के रचनाकार हैं?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=केदारनाथ अग्रवाल|विकल्प 2=त्रिलोचन|विकल्प 3=नागार्जुन|विकल्प 4=इनमें से कोई नहीं}}{{Ans|विकल्प 1=केदारनाथ अग्रवाल|विकल्प 2=त्रिलोचन|विकल्प 3='''नागार्जुन'''{{Check}}|विकल्प 4=इनमें से कोई नहीं|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=केदारनाथ अग्रवाल|विकल्प 2=त्रिलोचन|विकल्प 3=नागार्जुन|विकल्प 4=इनमें से कोई नहीं}}{{Ans|विकल्प 1=केदारनाथ अग्रवाल|विकल्प 2=त्रिलोचन|विकल्प 3='''नागार्जुन'''{{Check}}|विकल्प 4=इनमें से कोई नहीं|विवरण=}} | ||
====भारतेन्दु कृत 'भारत दुर्दशा' किस साहित्य रूप का हिस्सा है?==== | =====भारतेन्दु कृत 'भारत दुर्दशा' किस साहित्य रूप का हिस्सा है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=कथा साहित्य|विकल्प 2=नाटक साहित्य|विकल्प 3=संस्मरण साहित्य|विकल्प 4=जीवनी साहित्य}}{{Ans|विकल्प 1=कथा साहित्य|विकल्प 2='''नाटक साहित्य'''{{Check}}|विकल्प 3=संस्मरण साहित्य|विकल्प 4=जीवनी साहित्य|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=कथा साहित्य|विकल्प 2=नाटक साहित्य|विकल्प 3=संस्मरण साहित्य|विकल्प 4=जीवनी साहित्य}}{{Ans|विकल्प 1=कथा साहित्य|विकल्प 2='''नाटक साहित्य'''{{Check}}|विकल्प 3=संस्मरण साहित्य|विकल्प 4=जीवनी साहित्य|विवरण=}} | ||
===='आदमी कितना स्वार्थी हो जाता है, जिसके लिए मरो, वही जान का दुश्मन हो जाता है।' यह कथन 'गोदान के किस पात्र का है?==== | ====='आदमी कितना स्वार्थी हो जाता है, जिसके लिए मरो, वही जान का दुश्मन हो जाता है।' यह कथन 'गोदान के किस पात्र का है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=मेहता|विकल्प 2=खन्ना|विकल्प 3=मालती|विकल्प 4=होरी}}{{Ans|विकल्प 1=मेहता|विकल्प 2=खन्ना|विकल्प 3=मालती|विकल्प 4='''होरी'''{{Check}}|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=मेहता|विकल्प 2=खन्ना|विकल्प 3=मालती|विकल्प 4=होरी}}{{Ans|विकल्प 1=मेहता|विकल्प 2=खन्ना|विकल्प 3=मालती|विकल्प 4='''होरी'''{{Check}}|विवरण=}} | ||
===='नारी में पुरुष के गुण आ जाते हैं, तो वह कुलटा हो जाती है।' यह कथन 'गोदान' के किस पात्र का है?==== | ====='नारी में पुरुष के गुण आ जाते हैं, तो वह कुलटा हो जाती है।' यह कथन 'गोदान' के किस पात्र का है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=रायसाहब|विकल्प 2=ओंकारनाथ|विकल्प 3=मेहता|विकल्प 4=होरी}}{{Ans|विकल्प 1=रायसाहब|विकल्प 2=ओंकारनाथ|विकल्प 3='''मेहता'''{{Check}}|विकल्प 4=होरी|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=रायसाहब|विकल्प 2=ओंकारनाथ|विकल्प 3=मेहता|विकल्प 4=होरी}}{{Ans|विकल्प 1=रायसाहब|विकल्प 2=ओंकारनाथ|विकल्प 3='''मेहता'''{{Check}}|विकल्प 4=होरी|विवरण=}} | ||
===='जो अपनी जान खपाते हैं, उनका हक उन लोगों से ज्यादा है, जो केवल रुपया लगाते हैं।' यह कथन 'गोदान' के किस पात्र द्वारा कहा गया है?==== | ====='जो अपनी जान खपाते हैं, उनका हक उन लोगों से ज्यादा है, जो केवल रुपया लगाते हैं।' यह कथन 'गोदान' के किस पात्र द्वारा कहा गया है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=ओंकारनाथ|विकल्प 2=मेहता|विकल्प 3=मालती|विकल्प 4=खन्ना}}{{Ans|विकल्प 1=ओंकारनाथ|विकल्प 2='''मेहता'''{{Check}}|विकल्प 3=मालती|विकल्प 4=खन्ना|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=ओंकारनाथ|विकल्प 2=मेहता|विकल्प 3=मालती|विकल्प 4=खन्ना}}{{Ans|विकल्प 1=ओंकारनाथ|विकल्प 2='''मेहता'''{{Check}}|विकल्प 3=मालती|विकल्प 4=खन्ना|विवरण=}} | ||
===='पवित्रता की माप है, मलिनता, सुख का आलोचना है. दुःख, पुण्य की कसौटी है पाप।' यह कथन 'स्कन्दगुप्त' नाटक के किस पात्र का है?==== | ====='पवित्रता की माप है, मलिनता, सुख का आलोचना है. दुःख, पुण्य की कसौटी है पाप।' यह कथन 'स्कन्दगुप्त' नाटक के किस पात्र का है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=विजया|विकल्प 2=देवसेना|विकल्प 3=भटार्क|विकल्प 4=प्रपंचबुद्धि}}{{Ans|विकल्प 1=विजया|विकल्प 2='''देवसेना'''{{Check}}|विकल्प 3=भटार्क|विकल्प 4=प्रपंचबुद्धि|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=विजया|विकल्प 2=देवसेना|विकल्प 3=भटार्क|विकल्प 4=प्रपंचबुद्धि}}{{Ans|विकल्प 1=विजया|विकल्प 2='''देवसेना'''{{Check}}|विकल्प 3=भटार्क|विकल्प 4=प्रपंचबुद्धि|विवरण=}} | ||
===='मनुष्य अपूर्ण है. इसलिए सत्य का विकास जो उसके द्वारा होता है, अपूर्ण होता है. यही विकास का रहस्य है।' यह कथन 'स्कन्दगुप्त' नाटक के किस पात्र का है?==== | ====='मनुष्य अपूर्ण है. इसलिए सत्य का विकास जो उसके द्वारा होता है, अपूर्ण होता है. यही विकास का रहस्य है।' यह कथन 'स्कन्दगुप्त' नाटक के किस पात्र का है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=प्रख्यातकीर्ति|विकल्प 2=देवसेना|विकल्प 3=मातृगुप्त|विकल्प 4=धातुसेन}}{{Ans|विकल्प 1='''प्रख्यातकीर्ति'''{{Check}}|विकल्प 2=देवसेना|विकल्प 3=मातृगुप्त|विकल्प 4=धातुसेन|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=प्रख्यातकीर्ति|विकल्प 2=देवसेना|विकल्प 3=मातृगुप्त|विकल्प 4=धातुसेन}}{{Ans|विकल्प 1='''प्रख्यातकीर्ति'''{{Check}}|विकल्प 2=देवसेना|विकल्प 3=मातृगुप्त|विकल्प 4=धातुसेन|विवरण=}} | ||
===='विश्व -प्रेम, सर्व-भूत -हित- कामना परम धर्म हैः परंतु इसका अर्थ यह नहीं हो सकता कि अपने पर प्रेम न हो।' यह कथन 'स्कन्दगुप्त' नाटक के किस पात्र का है?==== | ====='विश्व -प्रेम, सर्व-भूत -हित- कामना परम धर्म हैः परंतु इसका अर्थ यह नहीं हो सकता कि अपने पर प्रेम न हो।' यह कथन 'स्कन्दगुप्त' नाटक के किस पात्र का है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=बंधु वर्मा|विकल्प 2=चक्रपालित|विकल्प 3=भीम वर्मा|विकल्प 4=जयमाला}}{{Ans|विकल्प 1=बंधु वर्मा|विकल्प 2=चक्रपालित|विकल्प 3=भीम वर्मा|विकल्प 4='''जयमाला'''{{Check}}|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=बंधु वर्मा|विकल्प 2=चक्रपालित|विकल्प 3=भीम वर्मा|विकल्प 4=जयमाला}}{{Ans|विकल्प 1=बंधु वर्मा|विकल्प 2=चक्रपालित|विकल्प 3=भीम वर्मा|विकल्प 4='''जयमाला'''{{Check}}|विवरण=}} | ||
===='मनुष्य के आचरण के प्रवर्तक भाव या मनोविकार ही होते हैं, बुद्धि नहीं।' यह कथन है?==== | ====='मनुष्य के आचरण के प्रवर्तक भाव या मनोविकार ही होते हैं, बुद्धि नहीं।' यह कथन है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=सरदार पूर्णसिंह का|विकल्प 2=रामचन्द्र शुक्ल का|विकल्प 3=महावीर प्रसाद द्विवेदी का|विकल्प 4=बालकृष्ण भट्ट का}}{{Ans|विकल्प 1=सरदार पूर्णसिंह का|विकल्प 2='''रामचन्द्र शुक्ल का'''{{Check}}|विकल्प 3=महावीर प्रसाद द्विवेदी का|विकल्प 4=बालकृष्ण भट्ट का|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=सरदार पूर्णसिंह का|विकल्प 2=रामचन्द्र शुक्ल का|विकल्प 3=महावीर प्रसाद द्विवेदी का|विकल्प 4=बालकृष्ण भट्ट का}}{{Ans|विकल्प 1=सरदार पूर्णसिंह का|विकल्प 2='''रामचन्द्र शुक्ल का'''{{Check}}|विकल्प 3=महावीर प्रसाद द्विवेदी का|विकल्प 4=बालकृष्ण भट्ट का|विवरण=}} | ||
===='रस मीमांसा' रस -सिद्धांत से सम्बन्धित पुस्तक है, इस पुस्तक के लेखक हैं?==== | ====='रस मीमांसा' रस -सिद्धांत से सम्बन्धित पुस्तक है, इस पुस्तक के लेखक हैं?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=डॉ. श्यामसुन्दर दास|विकल्प 2=डॉ. गुलाब राय|विकल्प 3=डॉ. नगेन्द्र|विकल्प 4=आचार्य रामचन्द्र शुक्ल}}{{Ans|विकल्प 1=डॉ. श्यामसुन्दर दास|विकल्प 2=डॉ. गुलाब राय|विकल्प 3=डॉ. नगेन्द्र|विकल्प 4='''आचार्य रामचन्द्र शुक्ल'''{{Check}}|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=डॉ. श्यामसुन्दर दास|विकल्प 2=डॉ. गुलाब राय|विकल्प 3=डॉ. नगेन्द्र|विकल्प 4=आचार्य रामचन्द्र शुक्ल}}{{Ans|विकल्प 1=डॉ. श्यामसुन्दर दास|विकल्प 2=डॉ. गुलाब राय|विकल्प 3=डॉ. नगेन्द्र|विकल्प 4='''आचार्य रामचन्द्र शुक्ल'''{{Check}}|विवरण=}} | ||
===='यह युग (भारतेन्दु) बच्चे के समान हँसता-खेलता आया था, जिसमें बच्चों की सी निश्छलता' अक्खड़पन, सरलता और तन्मयता थी।' यह कथन किस आलोचक का है?==== | ====='यह युग (भारतेन्दु) बच्चे के समान हँसता-खेलता आया था, जिसमें बच्चों की सी निश्छलता' अक्खड़पन, सरलता और तन्मयता थी।' यह कथन किस आलोचक का है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=आचार्य रामचन्द्र शुक्ल|विकल्प 2=डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी|विकल्प 3=डॉ. रामविलास शर्मा|विकल्प 4=डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल}}{{Ans|विकल्प 1='''आचार्य रामचन्द्र शुक्ल'''{{Check}}|विकल्प 2=डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी|विकल्प 3=डॉ. रामविलास शर्मा|विकल्प 4=डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=आचार्य रामचन्द्र शुक्ल|विकल्प 2=डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी|विकल्प 3=डॉ. रामविलास शर्मा|विकल्प 4=डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल}}{{Ans|विकल्प 1='''आचार्य रामचन्द्र शुक्ल'''{{Check}}|विकल्प 2=डॉ. हजारीप्रसाद द्विवेदी|विकल्प 3=डॉ. रामविलास शर्मा|विकल्प 4=डॉ. पीताम्बर दत्त बड़थ्वाल|विवरण=}} | ||
====मनुष्य से बड़ा है उसका अपना विश्वास और उसका ही रचा हुआ विधान। अपने विवशता अनुभव करता है और स्वयं ही वह उसे बदल भी देता है॥' यह कथन किस उपन्यासकार लिखा है?==== | =====मनुष्य से बड़ा है उसका अपना विश्वास और उसका ही रचा हुआ विधान। अपने विवशता अनुभव करता है और स्वयं ही वह उसे बदल भी देता है॥' यह कथन किस उपन्यासकार लिखा है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=प्रेमचन्द्र|विकल्प 2=भगवतीचरण वर्मा|विकल्प 3=हजारीप्रसाद द्विवेदी|विकल्प 4=यशपाल}}{{Ans|विकल्प 1=[[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचन्द्र]]|विकल्प 2=भगवतीचरण वर्मा|विकल्प 3='''हजारीप्रसाद द्विवेदी'''{{Check}}|विकल्प 4=यशपाल|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=प्रेमचन्द्र|विकल्प 2=भगवतीचरण वर्मा|विकल्प 3=हजारीप्रसाद द्विवेदी|विकल्प 4=यशपाल}}{{Ans|विकल्प 1=[[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचन्द्र]]|विकल्प 2=भगवतीचरण वर्मा|विकल्प 3='''हजारीप्रसाद द्विवेदी'''{{Check}}|विकल्प 4=यशपाल|विवरण=}} | ||
===='अपने अतीत का मनन और मंथन हम भविष्य के लिए संकेत पाने के प्रयोजन से करते हैं।' यह कथन किस उपन्यासकार का है?==== | ===== 'अपने अतीत का मनन और मंथन हम भविष्य के लिए संकेत पाने के प्रयोजन से करते हैं।' यह कथन किस उपन्यासकार का है?===== | ||
{{Opt|विकल्प 1=हजारीप्रसाद द्विवेदी|विकल्प 2=यशपाल|विकल्प 3=वृन्दावनलाल वर्मा|विकल्प 4=रांगेय राघव}}{{Ans|विकल्प 1='''हजारीप्रसाद द्विवेदी'''{{Check}}|विकल्प 2=यशपाल|विकल्प 3=वृन्दावनलाल वर्मा|विकल्प 4=रांगेय राघव|विवरण=}} | {{Opt|विकल्प 1=हजारीप्रसाद द्विवेदी|विकल्प 2=यशपाल|विकल्प 3=वृन्दावनलाल वर्मा|विकल्प 4=रांगेय राघव}}{{Ans|विकल्प 1='''हजारीप्रसाद द्विवेदी'''{{Check}}|विकल्प 2=यशपाल|विकल्प 3=वृन्दावनलाल वर्मा|विकल्प 4=रांगेय राघव|विवरण=}} | ||
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