"पौधों की लुप्तप्राय प्रजातियाँ": अवतरणों में अंतर
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वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि ये अब तक पौधों की प्रजातियों पर किया गया अब तक सबसे अहम अध्ययन है। | वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि ये अब तक पौधों की प्रजातियों पर किया गया अब तक सबसे अहम अध्ययन है। | ||
इस अध्ययन का नेतृत्व लंदन के रॉयल बॉटेनिकल गार्डन के वैज्ञानिकों ने किया है। | इस अध्ययन का नेतृत्व लंदन के रॉयल बॉटेनिकल गार्डन के वैज्ञानिकों ने किया है। | ||
अध्ययन के अनुसार दुनिया की लगभग तीन लाख 80 हज़ार पादप प्रजातियों को विलुप्त होने का ख़तरा मंडरा रहा है। | अध्ययन के अनुसार दुनिया की लगभग तीन लाख 80 हज़ार पादप प्रजातियों को विलुप्त होने का ख़तरा मंडरा रहा है। | ||
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12:45, 29 सितम्बर 2010 का अवतरण
यह पन्ना पौधों की लुप्तप्राय प्रजातियाँ लेख के संबंध में प्रकाशित एक समाचार को ही दर्शाता है। इस प्रकार के समाचार भारतकोश पर अनेक लेखों के शीर्षक चुनने में सहायक होते हैं। यह लेख की आधार अवस्था है। इसे प्रगति की ओर ले जाने का कार्य प्रारम्भ किया जाना है। आप भी इसमें सहायता कर सकते हैं।
समाचार
बुधवार, 29 सितंबर, 2010
पौधों की प्रजातियों के विलुप्त होने का ख़तरा

वैज्ञानिकों का कहना है कि दुनिया के पौधों की प्रजातियों के पाँचवां हिस्से पर लुप्त होने का ख़तरा है। वैज्ञानिकों का यह भी कहना है कि ये अब तक पौधों की प्रजातियों पर किया गया अब तक सबसे अहम अध्ययन है। इस अध्ययन का नेतृत्व लंदन के रॉयल बॉटेनिकल गार्डन के वैज्ञानिकों ने किया है। अध्ययन के अनुसार दुनिया की लगभग तीन लाख 80 हज़ार पादप प्रजातियों को विलुप्त होने का ख़तरा मंडरा रहा है। इसकी मुख्य वजह मानवीय हस्तक्षेप है...
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टीका टिप्पणी और संदर्भ