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| {जनमत निर्माण के साधन हैं- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-49,प्रश्न-27
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| -प्रेस
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| -राजनीतिक दल
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| -[[दूरदर्शन]]
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| +उपर्युक्त सभी
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| ||जनमत या लोकमत (Public Opinios) का निर्माण करने वाले साधनों में परिवार, धर्म व धार्मिक संगठन, शिक्षण संस्थाएं, संप्रेषण या संचार के साधन (प्रेस व दूरदर्शन), राजनीतिक दल व दबाव समूह, व्यवस्थापिका सभाएं, सार्वजनिक मंच आदि हैं। लावेल के अनुसार, "जनमत या लोकमत विवेक और नि:स्वार्थ भावना के ऊपर आधारित वह विचार है जिसका लक्ष्य जाति अथवा वर्ग विशेष का हित न होकर संपूर्ण समाज का हित होता है।"
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| {'विधि के शासन' की आधुनिक संकल्पना को निरूपित करने का श्रेय दिया जाता है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-69,प्रश्न-29
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| -[[अरस्तू]] को
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| -मांटेस्क्यू को
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| +ए.वी. डायसी को
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| -हेरोल्ड लास्की को
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| ||[[भारतीय संविधान]] का अनुछेद 14 उपबंधित करता है कि "भारत राज्य-क्षेत्र में किसी व्यक्ति को विधि के समक्ष समता से या विधियों के समान संरक्षण से राज्य द्वारा वंचित से लिया गया"। 'विधि के समक्ष समता' वाक्यांश ब्रिटिश संविधान से लिया गया है जिसे प्रोफेसर ए.वी. डायसी 'विधि के शासन' (Rule of Law) कहते हैं।
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| {जब 1967 में आसियान की स्थापना हुई तब निम्नलिखित में से कौन-सा देश इसका सदस्य नहीं था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-113,प्रश्न-17
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| -[[मलेशिया]]
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| -[[सिंगापुर]]
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| +लाओस
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| -फिलीपींस
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| ||8 अगस्त, 1967 में आयोजित की स्थापना पांच मूल सदस्यों के साथ हुई जिनमें [[मलेशिया]], इंडोनेशिया, [[सिंगापुर]], [[थाइलैंड]] और फिलीपींस सम्मिलित थे। वर्तमान में आसियान के 10 सदस्य हैं। ब्रुनेई 1994 में, वियतनाम 1995 में, लाओस व [[म्यांमार]] 1997 में, और [[कंबोडिया]] 1999 में आसियान के सदस्य बने।
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| {[[संयुक्त राष्ट्र]] को मुख्यत: किस संगठन का परवर्ती रूप माना जा सकता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-120,प्रश्न-20
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| -लीग ऑफ़ ऑल नेशन्स
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| -लीग ऑफ़ यूरोपियन नेशन्स
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| -लीग ऑफ़ यूरोपियन एशियन नेशन्स
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| +लीफ ऑफ़ नेशंस
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| ||[[संयुक्त राष्ट्र]] को मुख्यत: लीग ऑफ़ नेशंस (League of Nations) का परवर्ती रूप माना जाता है। प्रथम विश्व युद्ध के बाद 'राष्ट्र संघ' (League of Nations) नामक संस्था की स्थापना की गई परंतु द्वितीय विश्व शुद्ध के बाद इस अंतर्राष्ट्रीय संगठन की असफलता ने अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को समतापूर्ण और न्यायोचित बनाने के लिए 24 अक्टूबर, 1945 को [[संयुक्त राष्ट्र संघ]] (United Nations) की स्थापना की।
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| {निम्नलिखित में से कौन नौकरशाही का लक्षण नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-134,प्रश्न-38
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| -स्थायित्व
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| -तटस्थता
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| +अक्षमता
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| -अनामता
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| ||स्थायित्व, तटस्थता तथा अनामता नौकरशाही की विशेषताएं हैं जबकि अक्षमता नौकरशाही का लक्षण नहीं है।
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| {ब्रिटिश युग में कौन-सा प्रशासनिक सुधार आयोग नहीं बना? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-196,प्रश्न-20
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| -ऐचिसन आयोग
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| -ली आयोग
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| +माउंटबेटन आयोग
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| -इस्लिंगटन आयोग
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| ||[[भारत]] में प्रशासनिक सुधार के दृष्टिकोण से ब्रिटिश शासन के दौरान ऐचिसन आयोग (1886), ली आयोग (1923) तथा इस्लिंगटन आयोग (1912) बनाए गए जबकि [[माउंटबेटन योजना]] वर्ष 1947 में भारत विभाजन से संबंधित है।
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| {'पॉलिटिक्स एमंग नेशंस' के लेखक कौन हैं? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-203,प्रश्न-17
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| -ओपनहिमर
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| +मार्गेन्थाउ
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| -महेंन्द्र कुमार
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| -एम.एस. राजन
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| ||'पॉलिटिक्स एमंग नेशंस': दि स्ट्रगल फॉर पॉवर एंड पीस' हैंस मार्गेन्थाउ (Hans Morgenthau) द्वारा लिखित है, जो वर्ष 1948 में प्रकाशित हुई।
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| {"राज्य परिवारों और गांवों का संगठन है जिसका उद्देश्य एक पूर्ण और आत्म-निर्भर जीवन प्रदान करना है"। इस उद्धरण के लेखक कौन है?(नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-11,प्रश्न-42
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| |type="()"}
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| -प्लेटो
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| +[[अरस्तू]]
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| -अज्ञात यूनानी विचारक
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| -सोफिस्ट
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| ||"राज्य परिवारों और गांवों का संगठन है जिसका उद्देश्य एक पूर्ण और आत्म-निर्भर जीवन प्रदान करना है" इस उद्धरण के लेखक [[अरस्तू]] हैं। आत्म-निर्भर जीवन का आशय राज्य या राजनीतिक समुदाय का लक्ष्य उच्चतम आदेशों की प्राप्ति से है।{{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[अरस्तू]]
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| {विधिक संप्रभुता और राजनीतिक संप्रभुता में अंतर किसन्व बतलाया है?- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-25,प्रश्न-17
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| -जॉन लॉक ने
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| -जॉन ऑस्टिन ने
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| +ए.वी. डायसी ने
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| -हैरोल्ड जे. लास्की ने
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| ||सर्वप्रथम ए.वी. डायसी ने विधिक संप्रभुता एवं राजनीतिक संप्रभुता में अंतर, लोकतंत्रीय शासन प्रणाली के संदर्भ में बताया, जहां विधिक संप्रभु (संसद) राजनीतिक संप्रभु (निर्वाचक-गणों) की इच्छा का प्रतिनिधित्व करता है।
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| {निवेश, निर्गम और पुनर्निवेश शब्दों का प्रयोग किसकी व्याख्या में होता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-35, प्रश्न-27
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| -अंतर्राष्ट्रीय राजनीति की व्याख्या में
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| -राजनैतिक दलों की व्याख्या में
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| -दबाव समूहों की व्याख्या में
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| +राजनैतिक व्यवस्था की व्याख्या में
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| ||निवेश, निर्गम और पुनर्निवेश शब्दों का प्रयोग राजनैतिक व्यवस्था की व्याख्या करने हेतु होता है। राजनीतिक प्रणाली की संकल्पना आधुनिक राजनीतिक विश्लेषण की देन है।
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| {निम्नांकित में से कौन-सी विशेषता फॉसीवाद में पाई जाती है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-43,प्रश्न-19 | | {निम्नांकित में से कौन-सी विशेषता फॉसीवाद में पाई जाती है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-43,प्रश्न-19 |