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| {औपचारिक प्रशिक्षण को निम्न वर्गों में से किसमें विभाजित किया जा सकता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-49,प्रश्न-26
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| -प्रवेश पूर्व प्रशिक्षण
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| -अभिनवकरण प्रशिक्षण
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| -सेवाकालीन प्रशिक्षण
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| +उपर्युक्त सभी
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| ||'औपचारिक प्रशिक्षण' के अंतर्गत प्रवेश पूर्व प्रशिक्षण, अभिनवकरण प्रशिक्षण, सेवाकालीन प्रशिक्षण आदि सभी आते हैं। किसी भी सरकारी प्रशासनिक व्यवस्था में नियुक्ति होने के बाद प्रशिक्षण (Training) के नियतकालीन चरणों से गुजरना पड़ता है। यह प्रशिक्षण भर्ती के आरंभिक चरण से शुरू होकर सेवाकाल के दौरान तक चलता है, जैसे- भारतीय प्रशासनिक सेवा या राज्य स्तरीय प्रशासनिक सेवा में नियुक्ति पूर्व प्रशिक्षण दिया जाता है।
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| {बेंथम के अनुसार विधि का लक्ष्य क्या होना चाहिए? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-69,प्रश्न-28
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| +अधिकतम व्यक्तियों का अधिकतम सुख
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| -अधिकतम व्यक्तियों का नैतिक विकास
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| -अधिकतम व्यक्तियों का आर्थिक विकास
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| -अधिकतम व्यक्तियों की अधिकतम आय
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| ||बेंथम के अनुसार, विधि का लक्ष्य अधिकतम व्यक्तियों का अधिकतम सुख होना चाहिए। बेंथम के अनुसार, कानून बनाने वालों को केवल वहीं कानून बनाने चाहिए जो 'अधिकतम लोगों के अधिकतम सुख' को बढ़ावा देते हों। सरकार का कार्य भी इसी उद्देश्य की पूर्ति करना है।
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| {मिखाइल गोर्बाचोव ने प्रस्तावित किया: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-113,प्रश्न-16
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| -ग्लासनॉस्त देशों के साथ मित्रता
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| +ग्लासनॉस्त और पेरेस्त्रोइका
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| -चीन के साथ संधि
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| -पूर्वी यूरोप का सैन्यीकरण
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| ||[[सोवियत संघ]] के [[राष्ट्रपति]] मिखाइल गोर्बाचोव ने 'पेरेस्त्रोइका' (पुनर्निमाण) और 'ग्लासनोस्त' (खुलापन) नामक कार्यक्रमों को प्रारंभ किया। पेरेस्त्रोइका के द्वारा गोर्बाचोव आर्थिक विकास को तेज करके आर्थिक पुननिर्माण चाहते थे। ग्लासनॉस्त, पेरेस्त्रोइका का सामाजिक और राजनीतिक क्षेत्र में विस्तार था।
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| {राष्ट्र संघ की स्थापना निम्नांकित में से किस वर्ष हुई थी? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-120,प्रश्न-19
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| -1914
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| +1920
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| -1919
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| -इनमें से कोई नहीं
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| ||अमेरिकी [[राष्ट्रपति]] विल्सन की प्रेरणा से वर्ष 1920 में एक राष्ट्र संघ (लीग ऑफ़ नेशंस) की स्थापना की गई जिससे भविष्य में युद्धों को रोका जा सके।
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| {जीवन, स्वतंत्रता एवं सुखानुसरण तथ्य है: (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-195,प्रश्न-19
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| |type="()"}
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| +अमेरिकी स्वतंत्रता के घोषणापत्र का
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| -[[भारत]] के [[संविधान]] की प्रस्तावना का
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| -पूर्व [[सोवियत संघ]] के संविधान का
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| -[[अमेरिका]] के संविधान के अधिकारपत्र का
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| ||अमेरिकी स्वतंत्रता का घोषणापत्र (Declaration of Independence) एक राजनैतिक दस्तावेज हैं जिसके आधार पर इंग्लैंड के 13 उत्तर-अमेरिकी उपनिवेशों ने 4 जुलाई, 1776 ई. को स्वयं को [[इंग्लैंड]] से स्वतंत्र घोषित कर लिया। इस घोषणापत्र में कहा गया है कि "हम इन सिद्धांतों को स्वयंसिद्ध मानते हैं कि सभी मनुष्य समान पैदा हुए हैं और उन्हें अपने सृष्टा द्वारा कुछ अविच्छिन्न अधिकार मिले हैं। जीवन, स्वतंत्रता और सुख की खोज इन्हीं अधिकारों में है"।
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| {'The Wealth of Nations' नामक अर्थशास्त्रीय कृति के लेखक हैं- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-202,प्रश्न-16
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| -मार्शल
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| -रिकार्डो
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| +एडम स्मिथ
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| -इनमें से कोई नहीं
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| ||'एन इंक्वायरी इन टू दि नेचर एंड कॉलेज ऑफ़ दि वेल्थ ऑफ़ नेशंस' एडम स्मिथ द्वारा लिखी गई है, जिसका संक्षिप्त शीर्षक, 'वेल्थ ऑफ़ नेशंस' है। इसका प्रकाशन वर्ष 1776 में किया गया।
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| {मैकाइवर के अनुसार राज्य को निम्न में से कौन से संबंधित कार्य नहीं करने चाहिए? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-11,प्रश्न-40
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| +[[साहित्य]] एवं [[कला]] पर नियंत्रण
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| -पुस्तकालयों की व्यवस्था
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| -कानून व्यवस्था का प्रबंध
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| -प्राकृतिक संसाधनों का शोषण
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| ||मैकाइवर ने अपनी पुस्तक 'द वेब ऑफ़ गवर्नमेंट' में लिखा है कि राज्य को [[कला]], [[साहित्य]], [[संस्कृति]] व [[धर्म]] के क्षेत्र में नियंत्रण संबंधी कार्य नहीं करने चाहिए। मैकाइवर सेवाधर्मी राज्य का समर्थक था, उसने यह विश्वास प्रकट किया कि जब तक आधुनिक राज्य की लोकतंत्रीय व्यवस्था को अक्षुण्ण जाता है तब तक पूंजीवाद की बुराइयों से डरने की आवश्यकता नहीं है।
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| {किस राजनीतिक विचारक ने 'राजनीतिक संप्रभुता' की अवधारणा सर्वप्रथम प्रस्तुत की? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-25,प्रश्न-16
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| |type="()"}
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| -बोदां
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| -ऑस्टिन
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| +डायसी
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| -डुग्वी
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| ||ए.वी. डायसी के अनुसार, लोकतंत्रीय शासन प्रणाली वाले देशों में कानूनी दृष्टि से प्रभुसत्ता [[संसद]] के हाथों में रहती है, किन्तु राजनीतिक दृष्टि से प्रभुसत्ता का सूत्र सर्वसाधारण की इच्छा का प्रतिनिधित्व करता है।
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| {उत्तर-व्यवहारवाद का आधारभूत लक्षण नहीं है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-35, प्रश्न-26
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| |type="()"}
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| -प्रविधि से पूर्व सार
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| -सामाजिक परिवर्तन पर बल
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| -कर्मनिष्ठ विज्ञान
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| +सामाजिक रूढ़िवादिता की विचारधारा
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| ||उत्तर-व्यवहारवाद ने व्यवहारवाद की तीव्र आलोचना अवश्य की, परंतु उसने परंपरावाद को फिर से स्थापित करने का समर्थन नहीं किया। इसलिए सामाजिक रूढ़िवादिता की विचारधारा उत्तर-व्यवहारवाद का लक्षण नहीं है।
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| {फॉसीवाद' ने राज्य को माना है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-43,प्रश्न-18
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| |type="()"}
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| -एक आवश्यक बुराई
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| -वर्ग विरोध की असमाधेयता का परिणाम और अभिव्यक्ति
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| +व्यक्तियों पर एक निरंकुश शक्ति
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| -परिवार और गांवों का एक ऐसा संगठन जिसका उद्देश्य, पूर्ण और आत्मनिर्भर होना है
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| ||फॉसीवाद ने राज्य की व्यक्तियों पर निरंकुश शक्ति माना है। इसके अनुसार राज्य सर्वशाक्तिमान तथा निरंकुश है। इसकी मान्यता है कि सबकुछ राज्य के अंदर है, राज्य के बाहर तथा राज्य के विरुद्ध कुछ भी नहीं है। यह उदारवाद एवं लोकतंत्र का घोर विरोधी है। यह निगमित राज्य में विश्वास करता है। यह मानव को राज्य पर कुर्बान कर देता है तथा मानव अधिकारों को मान्यता नहीं देता। इसके अनुसार राज्य साध्य है तथा नागरिक साधन है।
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| {जनमत निर्माण के साधन हैं- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-49,प्रश्न-27 | | {जनमत निर्माण के साधन हैं- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-49,प्रश्न-27 |