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| {मांतेस्क्यू ने किस संस्था की व्याख्या करने में त्रुटि की? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-69,प्रश्न-31
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| -फ्रांसीसी राजतंत्र की व्याख्या में
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| -अमेरिकी राष्ट्रपति की व्याख्या में
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| -स्विस संसद की व्याख्या में
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| +ब्रिटिश संसदीय व्यवस्था की व्याख्या में
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| ||मान्तेस्क्यू ने ब्रिटिश संसदीय व्यवस्था की व्याख्या करने में त्रुटि की थी। मान्तेस्क्यू का मानना था कि [[इंग्लैंड]] का [[संविधान]] 'शक्तियों के पृथक्करण' के सिद्धांत पर आधारित है जबकि शक्तियों का पृथक्करण इंग्लैंड के अलिखित [[संविधान]] की विशेषता नहीं है।
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| {'फॉसिज्म' किस भाषा से लिया गया है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-41,प्रश्न-11
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| -[[अंग्रेज़ी भाषा|अंग्रेज़ी]]
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| -फ्रेन्च
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| +लैटिन
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| -ग्रीक
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| ||अंग्रेज़ी के 'फासिज्म' शब्द की उत्पत्ति इतालवी शब्द फासियों से हुई है जो मूलत: लैटिन भाषा के शब्द फासेस से उद्भूत है।
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| {'राज्य ही नगर था और चर्च भी'। यह वाक्य किस व्यवस्था का विवरण देता है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-22,प्रश्न-30
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| -स्विट कैंटनों का
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| -पेसिस नगर का
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| +यूनानी नगरों का
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| -फ्रांसीसी नगरों का
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| ||'राज्य ही नगर था और चर्च भी'। यह वाक्य यूनानी नगरों के विषय में रोमन शासकों द्वारा कहा गया था।
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| {निम्नलिखित में से कौन प्रत्यक्ष प्रजातंत्र का एक लक्षण नहीं है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-48,प्रश्न-21
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| -लोकमत
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| -जनमत संग्रह
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| -आरंभन
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| +आनुपातिक प्रतिनिधित्व
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| ||'प्रत्यक्ष लोकतंत्र' स्विट्जरलैंड के 5 कैन्टनों में प्रचलित व्यवस्था है, जहाँ जनता प्रत्यक्ष रूप से शासन कार्यों में भाग लेती है, नीति-निर्धारण का कार्य करती है, कानून बनाती है तथा प्रशासनिक अधिकारियों पर नियंत्रण रखती है। प्रत्यक्ष लोकतंत्र के उपकरणों में जनमत संग्रह, प्रत्याह्वान, आरंभन, लोकसभाएं आदि हैं। प्रत्यक्ष लोकतंत्र में जनता को अपने शासकों को वापस बुलाने का अधिकार तथा विधि निर्माण पर अपनी राय देने का अधिकार भी प्राप्त होता है। 'आनुपातिक प्रतिनिधित्व' प्रत्यक्ष लोकतंत्र की विशेषता नहीं है।
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| {"कानून उच्चतर द्वारा निम्नतर को दिया गया आदेश है।" कानून की यह परिभाषा निम्न में से किसने दी है? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-68,प्रश्न-23
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| +ऑस्टिन ने
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| -सालमंड ने
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| -विल्सन ने
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| -ग्रीन ने
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| ऑस्टिन [[इंग्लैंड]] का विधानशास्त्री था, जिसने 1832 में प्रकाशित अपनी पुस्तक विधानशास्त्र पर व्याख्यान (Lectures on jurisprudence) में संप्रभुता के सिद्धांत का प्रतिपादन किया। यह हॉब्स और बेंथम के विचारों से प्रभावित था और बेंथम के समान ही ऑस्टिन का उद्देश्य भी कानून और परंपरा के बीच भेद करना और परंपरा पर कानून की श्रेष्ठता स्थापित करना था। ऑस्टिन का विचार था कि उच्चतर द्वारा निम्नतर को दिया गया आदेश ही कानून है।" अपने इसी विचार के आधार पर ऑस्टिन ने संप्रभुता की धारणा का प्रतिपादन किया जो इस प्रकार है, "यदि कोई निश्चित उच्च सत्ताधारी व्यक्ति जो स्वयं किसी उच्च सत्ताधारी की आज्ञा पालन का अभ्यस्त नहीं है। किसी समाज में वह उच्च सत्ताधारी व्यक्ति प्रभुत्वशक्ति संपन्न होता है तथा वह समाज उस उच्च सत्ताधारी सहित एक राजनीतिक और स्वतंत्र समाज होता है।"
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| {मार्सिलियो पाटुआ और रूसो ने किस प्रकार की संप्रभुता का प्रतिपादन किया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-24,प्रश्न-10
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| +लोकप्रिय
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| -धार्मिक
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| -अभिजनोन्मुख
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| -संसदीय
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| ||मार्सिलियो पाटुआ और रूसो ने लोक प्रिय संप्रभुता का प्रतिपादन किया है। रूसो ने सर्वप्रथम संप्रभुता सिद्धांत का पूर्ण रूप से प्रतिपादन किया है। आधुनिक संप्रभुता के सिद्धांत का प्रतिपादन सर्वप्रथम बोदां ने अपने ग्रंथ द सिक्स बुक्स कंसर्निंग द रिपब्लिक (The Six Books Concerning the Republic) में स्पष्ट रूप से प्रतिपादित किया।
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| {मित्र राष्ट्रों द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की व्यवस्था बनाने में किस सम्मेलन का महत्त्वपूर्ण योगदान था? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-112,प्रश्न-11
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| -माल्टा सम्मेलन, 1945
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| +याल्टा सम्मेलन, 1945
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| -पेरिस सम्मेलन, 1943
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| -वियना सम्मेलन, 1944
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| ||मित्र राष्ट्रों के द्वारा द्वितीय विश्व युद्ध के बाद की व्यवस्था बनाने के लिए रूस के क्रीमिया प्रायद्वीप के याल्टा नामक स्थान पर 4 से 11 फरवरी, 1945 के मध्य एक सम्मेलन आयोजित किया गया जिसमें महत्त्वपूर्ण निर्णय लिया गया।
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| {संयुक्त राष्ट्र संघ का सचिवालय स्थित है- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-119,प्रश्न-12
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| -वाशिंगटन डी.सी. में
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| +न्यूयॉर्क में
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| -[[लंदन]] में
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| -[[पेरिस]] में
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| ||[[संयुक्त राष्ट्र संघ]] का सचिवालय [[अमेरिका]] के न्यूयॉर्क नगर में स्थित है।
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| {हरबर्ट मॉरिसन के अनुसार नौकरशाही- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-134,प्रश्न-32
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| -तानाशाही की कीमत है
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| +संसदीय जनतंत्र का मूल्य है
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| -राजतंत्र की कीमत है
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| -संघवाद की कीमत है
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| ||हरबर्ट मॉरिसन (3 जनवरी, 1888-6 मार्च, 1965) एक ब्रिटिश श्रमिक नेता थे। उन्होंने अपने जीवनकाल में ब्रिटिश कैबिनेट में गृह सचिव, विदेश सचिव तथा [[उप प्रधानमंत्री]] के पदों को सुशोभित किया। उनके विचार में नौकरशाही संसदीय जनतंत्र का मूल्य है।
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| {'लौह आवरण' शब्द को किसने प्रचलित करवाया? (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-195,प्रश्न-14
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| +चर्चिल ने फुल्टन भाषण द्वारा
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| -रीगन ने राष्ट्र के नाम संबोधन द्वारा
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| -निक्सन ने रेडियो संदेश द्वारा
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| -जॉर्ज एच. बुश द्वारा राष्ट्रपति चुनाव के समय
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| ||'लौह आवरण' (शब्द) का प्रयोग चर्चिल ने फुल्टन भाषण 5 मार्च, 1946 में किया था।
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| {'ग्रामर ऑफ़ पॉलिटिक्स' के लेखक- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-202,प्रश्न-11 | | {'ग्रामर ऑफ़ पॉलिटिक्स' के लेखक- (नागरिक शास्त्र ,पृ.सं-202,प्रश्न-11 |