"प्रयोग:कविता सा.-2": अवतरणों में अंतर
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<quiz display=simple> | <quiz display=simple> | ||
{ | {अजंता की [[चित्रकला]] किस चित्रकला का उदाहरण है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-29,प्रश्न-1 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -म्यूरल | ||
+फ्रेस्को | |||
+ | -तैल | ||
-तैल | -फ्राफिक | ||
|| | ||[[अजंता की गुफ़ाएँ|अजंता]] के चित्र गुफा की भित्ति (दीवार) पर निर्मित हैं। ग्रिफिथ्स महोदय का मानना है कि अजंता चित्रकला फ्रेस्को और टेम्परा विधि का सम्मिश्रण (मिश्रित विधि) है तथापि इसमें मुख्यत: फ्रेस्को तकनीक का प्रयोग किया गया। | ||
{ | {के.एस. कुलकर्णी की [[कला]] में पाए जाते हैं- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-93,प्रश्न-1 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+ | -प्राकृतिक दृश्य | ||
- | +ग्राम्य जीवन के दृश्य | ||
- | -प्रतिकृति चित्रों के दृश्य | ||
-पौराणिक कहानियों के दृश्य | |||
|| | ||के.एस. कुलकर्णी की कला में ग्राम्य जीवन के दृश्य पाए जाते हैं। कुलकर्णी के कुछ चित्रों में मानवता एवं भावुकता दिखाई पड़ती है। | ||
{'संचारी भाव' का संबंध किससे है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-155,प्रश्न-11 | |||
|type="()"} | |||
-सौन्दर्य | |||
+रस | |||
-शिल्पशास्त्र | |||
-अभिव्यक्ति | |||
||संचारी शब्द का अर्थ साथ-साथ चलना होता है। संचारी भाव, स्थायी भाव के साथ संचरित होते हैं। जो भाव केवल थोड़ी देर के लिए स्थायी भाव को पुष्ट करने के निमित्त सहायक रूप में आते हैं और तुरंत लुप्त हो जाते हैं, वे संचारी भाव होते हैं। विभाव, अनुभाव तथा संचारी भाव के संयोग से रस की निष्पत्ति होती है। | |||
{ | {[[एम.एफ. हुसैन]] किस चित्रकारी के लिए प्रसिद्ध हैं?(कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-99,प्रश्न-12 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -सांड़ चित्रों के लिए | ||
- | +घोड़ा चित्रों के लिए | ||
- | -गाय चित्रों के लिए | ||
-हाथी चित्रों के लिए | |||
|| | ||[[एम.एफ. हुसैन]] प्रसिद्ध चित्र 'नीली रात' के चित्रकार हैं। इनकी कला यथार्थवादी चित्रांकन से लेकर उन्नीसवीं शताब्दी की ब्रिटिश अकादमिक परंपरा से संभावित शैली का प्रतिनिधित्व करती है। इन्होंने कई फिल्में बनाई जिनमें मीनाक्षी, गजगामिनी,थ्रू द आइज ऑफ पेंटर आदि इनकी प्रमुख फिल्में हैं। साथ ही सुप्रसिद्ध चित्र शृंखलाएं भी बनाई जिसमें प्रमुख हैं- सरस्वती, मदर टेरेसा, घोड़े, माधुरी, जमीन, लैंप और मकड़ी, दो स्त्रियों का संवाद, मुर्गा, अंतिम भोज, राइडर्ज, आपातकाल, ढोलकिया, नीला रात, जापान में प्रेमी, दुपट्टों में तीन औरतें, बनारस के घाट तथा भारतमाता (यह चित्र काफी विवादास्पद रहा) आदि। {{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[एम.एफ. हुसैन]] | ||
{[[ | {[[बूंदी चित्रकला|बूंदी]] के लद्यु चित्रों का प्रमुख विषय है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-52,प्रश्न-1 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -पशु-पक्षी | ||
- | +रागमाला | ||
- | -प्रतिकृति | ||
-शिकार | |||
||[[बूंदी चित्रकला|बूंदी शैली]] के चित्रकारों के प्रमुख विषय नायक-नायिका, बारहमाला, ऋतु चित्रण, [[कृष्ण लीला]] आदि थे किंतु इस शैली के आरंभिक चित्र 'राग-माला चित्रावली' के भाग हैं। {{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[बूंदी चित्रकला|बूंदी]] | |||
{ | {वॉश पेंटिंग का प्रारंभ किस कला महाविद्यालय से हुआ? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-79,प्रश्न-11 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -[[लखनऊ]] | ||
-[[पटना]] | |||
- | +[[शांति निकेतन]] | ||
-[[दिल्ली]] | |||
||वॉश पेंटिंश (जलरंग तकनीक) का प्रारंभ शांति निकेतन कला महाविद्यालय, [[कोलकाता]] (कलकत्ता) से हुआ। | |||
{किस | {[[भारतवर्ष]] में सर्वप्रथम तैल चित्रण करने का श्रेय किस कलाकार को जाता है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -असित कुमार हल्दर | ||
+ | -के.के. हेब्बर | ||
- | +[[राजा रवि वर्मा]] | ||
-क्षितिन्द्रनाथ मजूमदार | |||
|| | ||[[राजा रवि वर्मा]] तैल रंगों की पेंटिंग (तैल चित्रण विधि) के लिए जाने जाते थे। इन्होंने भारतीय जीवन और परंपरा को इस नई [[कला]] के द्वारा प्रतिष्ठा दिलाई। इस प्रकार तैल रंगों का आधुनिक चित्रकला में प्रयोग करने का श्रेय सर्वप्रथम राजा रवि वर्मा को जाता है। {{point}} '''अधिक जानकारी के लिए देखें-:''' [[राजा रवि वर्मा]] | ||
{[[ | {'द लास्ट जजमेंट' के [[चित्रकार]] का नाम है- (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-106,प्रश्न-16 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -लियोनार्दो द विंसी | ||
- | -बोत्तिचेल्ली | ||
+ | +माइकेल एंजेलो | ||
- | -रेन्वा | ||
|| | ||'द लास्ट जजमेंट' चरम पुनरुत्थानवादी चित्रकार माइकेल एंजेलो द्वारा चित्रित एक भित्ति चित्र है। 'द लास्ट जजमेंट का चित्र सिस्टीन चैपेल (वेटिकन सिटी) की छत पर किया गया है। | ||
{ | {आद्य-पुनर्जागरण का महान चित्रकार कौन था? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-110,प्रश्न-53 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+ | +ज्योत्तो | ||
- | -बॉरदे | ||
- | -टिशियन | ||
- | -लियोनार्दो-द-विंसी | ||
|| | ||सर्वप्रथम ज्योत्तो ने ही इटैलियन चित्रकला को बाइजेन्टाइन रूढ़िवादी परंपरा से मुक्त कर उसे प्रकृति की ओर उन्मुख करने का प्रयास किया था। असीसी के चर्च की भित्तियों पर सेंट फ्रांसिस के जीवन पर बनाए गए 28 चित्र ज्योत्तो के उत्तम कला-कौशल के ज्वलंत दृष्टांत हैं। | ||
{ | {कौन प्रसिद्ध महिला प्रभाववादी कलाकार है? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-118,प्रश्न-21 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -एडवर्ड ली | ||
- | +मैरी कैसेट | ||
-कैसेट मूर | |||
-ब्रुक शियेल्ड | |||
||मैरी कैसेट प्रमुख प्रभाववादी 'डेगा' की शिष्या थीं, जिसे 'डेगा' ने [[1879]] ई. की प्रदर्शनी में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया था। इस प्रदर्शनी में मैरी कैसेट ने अपने हिस्से की राशि से 'रेंवार' व 'डेगा' का एक चित्र खरीदा। | |||
{ | {[[अजंता की गुफ़ाएँ|अजंता गुफाएं]] कब प्रकाश में आई? (कला सामान्य ज्ञान,पृ.सं-30,प्रश्न-14 | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
- | -1818 | ||
- | -1816 | ||
- | +1819 | ||
-1800 | |||
||1819 ई. में मद्रास रेजीमेंट के कुछ सैनिक लोमड़ी का पीछा करते हुए अजंता की गुफा तक पहुंचे और उन्होंने अजंता की महान कलाकृतियों को सर्वप्रथम देखा। 1824 ई. में लेफ्टीनेंट जेम्स ई. अलेक्जेंडर ने [[अजंता की गुफ़ाएँ|अजंता की गुफाओं]] को देखा और इन गुफाओं का विवरण 'रायल सोसाइटी लंदन' को भेजा। | |||
11:28, 4 नवम्बर 2017 का अवतरण
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