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-[[हबीब तनवीर]]
-[[हबीब तनवीर]]
-[[डॉ. तुलसीराम]]
-[[डॉ. तुलसीराम]]
||[[चित्र:Ek-Aur-Dronacharya.jpg|100px|right|border|एक और द्रोणाचार्य का आवरण पृष्ठ]]'शंकर शेष' [[हिन्दी]] के प्रसिद्ध नाटककार तथा सिनेमा कथा लेखक थे। वे नाटक साहित्य क्षेत्र के महत्वपूर्ण नाटककारों में से एक थे। [[शंकर शेष]] बहुआयामी प्रतिभाशाली लेखक के रूप में पहचाने जाते थे। उनके ‘फन्दी’, ‘एक था द्रोणाचार्य’, ‘रक्तबीज’ आदि [[नाटक|नाटकों]] से उनकी ख्याति बढ़ी थी। शंकर शेष ने ‘एक और द्रोणाचार्य’ नामक नाटक में शिक्षा जगत में बढ़ते राजनैतिक दबाव का वर्णन किया है, जिसके चलते नौजवान पीढ़ी का भविष्य अधंकारमय हो गया। नाटककार ने शिक्षकों की उदासीनता पर तीखा कटाक्ष किया है। वह शिक्षक आर्थिक राजनैतिक दबावों के चलते हार मान लेते हैं। पौराणिक कथा का सहारा लेकर वह आज की व्यवस्था के चारण बन जाने वाले अध्यापक की त्रासदी को [[नाटक]] के माध्यम से अभिव्यक्ति प्रदान की है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शंकर शेष]]
||[[चित्र:Ek-Aur-Dronacharya.jpg|100px|right|border|'एक और द्रोणाचार्य' का आवरण पृष्ठ]]'शंकर शेष' [[हिन्दी]] के प्रसिद्ध नाटककार तथा सिनेमा कथा लेखक थे। वे नाटक साहित्य के क्षेत्र के महत्त्वपूर्ण नाटककारों में से एक थे। [[शंकर शेष]] बहुआयामी प्रतिभाशाली लेखक के रूप में पहचाने जाते थे। उनके ‘फन्दी’, ‘एक था द्रोणाचार्य’, ‘रक्तबीज’ आदि [[नाटक|नाटकों]] से उनकी ख्याति बढ़ी थी। शंकर शेष ने ‘एक और द्रोणाचार्य’ नामक नाटक में शिक्षा जगत में बढ़ते राजनैतिक दबाव का वर्णन किया है, जिसके चलते नौजवान पीढ़ी का भविष्य अधंकारमय हो गया। नाटककार ने शिक्षकों की उदासीनता पर तीखा कटाक्ष किया है। पौराणिक कथा का सहारा लेकर उन्होंने आज की व्यवस्था के चारण बन जाने वाले अध्यापक की त्रासदी को [[नाटक]] के माध्यम से अभिव्यक्ति प्रदान की है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शंकर शेष]]
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