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{{सूचना बक्सा साहित्यकार
'''गीता फोगट''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Geeta Phogat'', जन्म- [[15 दिसंबर]], [[1988]], [[भिवानी ज़िला]], [[हरियाणा]]) एक भारतीय महिला फ्रीस्टाइल पहलवान है जिन्होंने पहली बार [[भारत]] के लिए [[राष्ट्रमंडल खेल|राष्ट्रमंडल खेलों]] में स्वर्ण पदक जीता था। गीता ने [[2010]] राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया था। साथ ही गीता पहली भारतीय महिला पहलवान है जिन्होंने [[ओलम्पिक]] में क्वालीफाई किया।
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==जन्म एवं परिचय==  
|चित्र का नाम=
गीता फोगट का जन्म 15 दिसंबर, 1988 को हरियाणा में भिवानी जिले के छोटे से गाँव बलाली के [[हिन्दू]]-[[जाट]] [[परिवार]] में हुआ था। जो अपने [[पिता]] से विरासत में मिलि पहलवानी को आगे बढ़ा रही हैं। गीता फोगट की माँ दया कौर एक गृहणि हैं। परिवार में गीता की तीन बहनें बबीता, रितु, संगीता और एक भाई दुष्यंत है। गीता और बबीता पहले ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर की महिला पहलवान है और रितु अभी अपने पिता से पहलवनी की ट्रेनिंग ले रही है। साथ ही गीता की सबसे छोटी बहन संगीता और भाई दुष्यंत भी पहलवनी के रास्ते पर है। गीता के पिता पेशे से एक ग्रीक-रोमन स्टाइल के पहलवान है, जो कभी मेट पर तो कभी मिट्टी में ही पहलवनी कर लिया करते थे और एक [[द्रोणाचार्य पुरस्कार]] प्राप्तकर्ता, और गीता फोगट के कोच है। अपनी पहलवानी से अच्छे-अच्छे पहलवानों की छक्के छुड़ाने वाले महावीर फोगट धन से गरीब थे, पर लड़कियों के प्रति विचारों को लेकर धनी थे। जब उनकी पहली संतान बेटी रत्न (गीता फोगट)  के रूप में हुई और एक वर्ष एक महीने के बाद दूसरी बेटी रत्न बबीता फोगट का जन्म हुआ तो उन्होंने लड़कों-लड़कियों में भेदभाव ना करते हुए निश्चय किया कि वे उन्हें लड़कों की तरह पहलवान बनाएँगे। गीता फोगट की बहन बबीता कुमारी और उसके चचेरे भाई विनेश फोगट भी राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता हैं। दोनों राष्ट्रमंडल खेलों के [[2014]] संस्करण में उनके संबंधित श्रेणियों में स्वर्ण पदक जीता। गीता फोगट की एक और छोटी बहन रितु फोगाट, भी एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पहलवान है और [[2016]] राष्ट्रमंडल कुश्ती चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीत लिया है।
|पूरा नाम=मगन भाई देसाई
==पहलवानी का सफ़र==
|अन्य नाम=
पाँच वर्ष के होते ही गीता फोगट के पिता ने गीता फोगट और बबीता फोगट को पहलवनी की ट्रेनिंग देने लगे। शुरुआत में पापा हमें दौड़ लगवाने के लिए खेतों में ले जाते थे। धीरे-धीरे समय निकलता गया तो अभ्यास (ट्रेनिंग) कठिन होया चला गया। महावीर फोगट लड़कों के साथ ही अपनी बेटियों को दौड़ करवाते और दांव-पैच सिखाते थे। अगर हम उनसे कोई दौड़ या दौड़ करते समय कमजोर पड़ जाते तो पापा गुस्सा भी काफी करते थे। इतनी कठिन ट्रेनिंग के कारण गीता कभी हार भी मान जाती थी। जैसे-जैसे गीता और बबीता बड़ी होने लगी तो जमाना उनका सहयोग करने के बजाय अजीब-अजीब मुंह बनाने लगा। कई बार ऐसे सोचते थे भी कि अगर हम किसी दूसरे अखाड़े या और स्टेडियम में होते तो अगर पापा जैसा कोच मिल जाए तो हम कभी भी वापस वहाँ नहीं जाते। घर ही आ जाते। कई बार तो हम को लोगों से विरोध और धमकियाँ भी मिलती थी। पर वे सभी अपने पथ पर पूर्ण विश्वास के साथ डटे रहे। उन्हीं दिनों [[2000]] के सिडनी ऑलिंपिक्स में [[भारत]] का प्रतिनिधित्व करते हुए कर्ण मल्लेश्वरी ने वेट लिफ्टिंग में भारत के लिये ब्रोंज मैडल जीती, जो ऑलिंपिक्स में किसी भी भारतीय महिला खिलाड़ी का पहला पदक था।
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'''मगन भाई देसाई''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Magan Bhai Desai'', जन्म- [[11 अक्टूबर]], [[1889]], [[खेड़ा ज़िला]], [[गुजरात]]; मृत्यु- [[1 फरवरी]], [[1969]]) प्रसिद्ध गांधीवादी विचारक और शिक्षाविद थे। ये [[गुजराती भाषा]] के लेखक भी थे। स्वतंत्रता के बाद अवसर आने पर मगन भाई देसाई कांग्रेस सरकार की नीतियों की आलोचना करने में भी पीछे नहीं रहते थे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन=भारतकोश पुस्तकालय |संपादन=|पृष्ठ संख्या=588|url=}}</ref>
==जन्म एवं परिचय==
मगन भाई देसाई का जन्म 11 अक्टूबर, 1899 ई. को गुजरात के खेड़ा ज़िले में हुआ था। वे [[मुम्बई|मुबंई]] में शिक्षा ग्रहण कर रहे थे कि [[1921]] में [[गांधी जी]] का भाषण सुना और उससे प्रभावित होकर विद्यालय छोड़ दिया। बाद में गुजरात विद्यापीठ में गणित के अध्यापक और रजिस्ट्रार के रूप में काम करने लगे। मगन भाई देसाई स्पष्टवादी व्यक्ति थे।
==गांधी जी के अनुयायी==
[[1932]] के आंदोलन में मगन भाई देसाई को गिरफ्तार कर लिया गया था। गांधी जी के कहने पर वे [[वर्धा ज़िला |वर्धा]] के महिला महाविद्यालय के प्रभारी रहे। बाद में लगभग 24 [[वर्ष]] मगन भाई देसाई ने गुजरात विद्यापीठ की सेवा को समर्पित किए। [[1957]] में उन्हें गुजरात विश्वविद्यालय का उपकुलपति बनाया गया। मगन भाई देसाई का खादी, [[हिंदी]], मद्यनिषेध, सर्वोदय, प्रौढ़ शिक्षा, [[स्वतंत्रता संग्राम]] के [[इतिहास]] और गांधी वांङ्मय आदि से संबंधित प्रादेशिक और राष्ट्रीय स्तर की 30 से अधिक समितियों से संबंध था। उन्होंने अपने विश्वास और निर्भीकता से कभी समझौता नहीं किया।
==लेखक==
मगन भाई देसाई अच्छे लेखक थे। उन्होंने [[गुजराती भाषा]] में अनेक मौलिक पुस्तकों की रचना की तथा [[उपनिषद|उपनिषदों]] पर भाष्य लिखे।
==निधन==
[[1 फरवरी]], [[1969]] को मगन भाई देसाई का देहांत हो गया।
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=|माध्यमिक=माध्यमिक1 |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==संबंधित लेख==
{{साहित्यकार}}
__INDEX__
__NOTOC__


{{सूचना बक्सा स्वतन्त्रता सेनानी
 
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|चित्र का नाम=मौलाना मज़हरुल हक़
   
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|अभिभावक=
Geeta Phogat के पिता एक जुनूनी कोच थे, इसलिए वो अखाड़े की बात अपनी दोनों बेटियों के साथ खाने पर या अन्य काम करते हुए भी करते थे। जिससे वो अपने पिता से काफी परेशान हो जाती थी। जिसके बारे में हल्की मुस्कान के साथ गीता जिक्र करती है,
|पति/पत्नी=
 
|संतान=
कोच यदि स्टेडियम या अखाड़े में होतो ट्रेनिंग टाईम में ही बोल दिया। पर पापा तो घर आने के बाद खाते-पीते फिर वहीं बात मतलब ट्रेनिंग वाली बात।
|स्मारक=
 
|क़ब्र=
इतनी कड़ी ट्रेनिंग के बाद गीता और बबीता को बड़े-बड़े अखाड़े में कुश्ती के मुक़ाबले के लिए ले जाने लगे। पर पुरुषवादी खेल के लोगों ने उनका साथ नहीं दिया और उन्हें बेटियों को ना खिलाने की हिदायत भी दे डाली। पर वे रुकें नहीं।
|नागरिकता=भातीय
 
|प्रसिद्धि=स्वतंत्रता सेनानी
बल्कि वे अपनी बेटियों को आगे की ट्रेनिंग के लिए स्पोर्ट्स ऑथोरीटी ऑफ इंडिया में दाखिला दिला दिया। बचपन में मिट्टी में खूब पसीना बहाने वाली गीता और बबीता में वहाँ के कोचों को जल्द ही टैलेंट दिखा और उन्हें आधुनिक ट्रेनिंग देने लगे।
|धर्म=[[मुस्लिम]]
 
|आंदोलन=
जीत का सफर
|जेल यात्रा=
 
|कार्य काल=
जिसका सुनहला परिणाम 2009 में आया, जब गीता ने इतिहास रचते हुए जलंधर कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीती, जो ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान थी।
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|शिक्षा=
इसी तरह 2010 के न्यू दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स में लगातार सोने का तमगा जीतकर गीता फोगत ने यह साबित कर दिया। यदि किसी टार्गेट के लिए जी-तोड़ मेहनत किया जाए तो जमाना भी आपके आड़े नहीं आ सकता।
|पुरस्कार-उपाधि=
 
|विशेष योगदान=
अब उनके जीत का यह आलम था कि वो 2012 के वर्ल्ड रेस्टलिंग चैंपियशिप में ब्रोंज मैडल, 2013 के कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मैडल और 2015 के एशियन चैंपियनशिप में ब्रोंज मैडल जीती।
|संबंधित लेख=[[गांधी जी]]
 
|शीर्षक 1=
18 अक्तूबर 2016, मंगलवार को हरियाणा कैबिनेट की मंजूर पर गीता फोगट के अंतर्राष्ट्रीय खेलों योगदान के बदले हरियाणा पुलिस का डिप्टी सुपरिनटेंडेंट बनाया गया।
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Quick Fact
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|पाठ 2=
Name –  Geeta Phogat
|अन्य जानकारी=मौलाना मज़हरुल हक़ [[असहयोग आंदोलन]] और [[खिलाफत आंदोलन]] में सम्मलित थे।
Date of birth – 15 December 1988
|बाहरी कड़ियाँ=
Age – 27 Years (2016)
|अद्यतन=04:31, [[24 जनवरी]]-[[2017]] (IST)
Birth of place – Balali Village, Haryana
}}
Weight – 55 KG
'''मौलाना मज़हरुल हक़''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Maulana Mazharul Haque'', जन्म- [[22 दिसंबर]], [[1866 ]], बाहपुरा गांव, [[पटना]]; मृत्यु- [[2 जनवरी]], [[1950]]) देश के समर्पित स्वतंत्रता सेनानी, प्रखर शिक्षाविद, [[बिहार]] के प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक थे। ये [[असहयोग आंदोलन]] और [[खिलाफत आंदोलन]] के समर्थक थे।<ref>{{पुस्तक संदर्भ |पुस्तक का नाम=भारतीय चरित कोश|लेखक=लीलाधर शर्मा 'पर्वतीय'|अनुवादक=|आलोचक=|प्रकाशक=शिक्षा भारती, मदरसा रोड, कश्मीरी गेट, दिल्ली|संकलन=भारतकोश पुस्तकालय |संपादन=|पृष्ठ संख्या=588|url=}}</ref>
Family
==जन्म एंव शिक्षा==
 
मज़हरुल हक़ का जन्म पटना ज़िले के बाहपुरा गांव में 22 दिसंबर, 1866 ई. को एक धनी जमींदार [[परिवार]] में हुआ था। आरंभिक शिक्षा के बाद कुछ समय तक पटना और [[लखनऊ विश्वविद्यालय]] में पढ़ने के बाद उच्च शिक्षा के लिए वे [[इंग्लैंड]] चले गए। उन्हीं दिनों [[गांधी जी]] भी वहां छात्र थे। तभी से दोनों में परिचय हुआ जो जीवन-भर बना रहा। बैरिस्टर बनने के बाद मौलाना मज़हरुल हक़  ने [[छपरा]] में वकालत शुरू की।
Father – Mahavir Singh Phogat
==सार्वजनिक कार्य==
Mother – Daya Kaur
मौलाना मज़हरुल हक़ सार्वजनिक कार्यों में भी भाग लेने लगे। बिहार में प्रथम राजनैतिक सम्मेलन आयोजित करने वालों में ये प्रमुख थे। मौलाना मज़हरुल हक़ ने बिहार को अलग प्रदेश बनाने की मांग की।<ref>उस समय बिहार बंगाल प्रदेश के अंतर्गत था</ref>[[पटना]] में विश्वविद्यालय की स्थापना पर जोर दिया। [[मुस्लिम लीग]] की स्थापना में सहयोग देने के साथ-साथ उन्होंने [[1915]] की मुंबई कांग्रेस के समय हुए लीग के अधिवेशन की अध्यक्षता भी की थी। यहीं पर मौलाना मज़हरुल हक़ ने गांधी जी को पटना आने पर अपने घर पर टिकने का निमंत्रण दिया था। वे होमरूल लीग की बिहार शाखा के अध्यक्ष भी रहे।
Sister – Babita, Sangita, Ritu
====स्वतंत्रता सेनानी====
Brother – Dushyant
जब [[गांधी जी]] चंपारन के किसानों की दशा देखने के लिए [[बिहार]] गए तो [[पटना]] में मज़हरुल हक़ से ही उन्हें सर्वप्रथम आवश्यक सुविधा मिली थी। उन्होंने [[असहयोग आंदोलन]] और [[खिलाफत आंदोलन]] का समर्थन किया।
Cousin – Vinesh Phogat
====स्थापना ====
Husband – Pawan Kumar
'बिहार विद्यापीठ', 'बिहार नेशनल कॉलेज' और प्रसिद्ध 'सदाक़त आश्रम' की स्थापना का श्रेय मज़हरुल हक़ को है।
====सम्पादन====
मज़हरुल हक़ ने 'मदर लैण्ड' नामक साप्ताहिक पत्र निकाला था। उसके एक लेख को आपत्तिकनक मानकर जब सरकार ने उन पर जुर्माना किया तो हक़ ने जुर्माना न देकर जेल जाना स्वीकार किया था।
==निधन==
[[2 जनवरी]], [[1950]] को मज़हरुल हक़ का देहांत हो गया।
{{लेख प्रगति|आधार=|प्रारम्भिक=|माध्यमिक=माध्यमिक1 |पूर्णता= |शोध= }}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
==संबंधित लेख==
{{स्वतंत्रता सेनानी}}
__INDEX__
__NOTOC__

10:51, 26 जनवरी 2017 का अवतरण

गीता फोगट (अंग्रेज़ी: Geeta Phogat, जन्म- 15 दिसंबर, 1988, भिवानी ज़िला, हरियाणा) एक भारतीय महिला फ्रीस्टाइल पहलवान है जिन्होंने पहली बार भारत के लिए राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। गीता ने 2010 राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया था। साथ ही गीता पहली भारतीय महिला पहलवान है जिन्होंने ओलम्पिक में क्वालीफाई किया।

जन्म एवं परिचय

गीता फोगट का जन्म 15 दिसंबर, 1988 को हरियाणा में भिवानी जिले के छोटे से गाँव बलाली के हिन्दू-जाट परिवार में हुआ था। जो अपने पिता से विरासत में मिलि पहलवानी को आगे बढ़ा रही हैं। गीता फोगट की माँ दया कौर एक गृहणि हैं। परिवार में गीता की तीन बहनें बबीता, रितु, संगीता और एक भाई दुष्यंत है। गीता और बबीता पहले ही अंतर्राष्ट्रीय स्तर की महिला पहलवान है और रितु अभी अपने पिता से पहलवनी की ट्रेनिंग ले रही है। साथ ही गीता की सबसे छोटी बहन संगीता और भाई दुष्यंत भी पहलवनी के रास्ते पर है। गीता के पिता पेशे से एक ग्रीक-रोमन स्टाइल के पहलवान है, जो कभी मेट पर तो कभी मिट्टी में ही पहलवनी कर लिया करते थे और एक द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्तकर्ता, और गीता फोगट के कोच है। अपनी पहलवानी से अच्छे-अच्छे पहलवानों की छक्के छुड़ाने वाले महावीर फोगट धन से गरीब थे, पर लड़कियों के प्रति विचारों को लेकर धनी थे। जब उनकी पहली संतान बेटी रत्न (गीता फोगट) के रूप में हुई और एक वर्ष एक महीने के बाद दूसरी बेटी रत्न बबीता फोगट का जन्म हुआ तो उन्होंने लड़कों-लड़कियों में भेदभाव ना करते हुए निश्चय किया कि वे उन्हें लड़कों की तरह पहलवान बनाएँगे। गीता फोगट की बहन बबीता कुमारी और उसके चचेरे भाई विनेश फोगट भी राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता हैं। दोनों राष्ट्रमंडल खेलों के 2014 संस्करण में उनके संबंधित श्रेणियों में स्वर्ण पदक जीता। गीता फोगट की एक और छोटी बहन रितु फोगाट, भी एक अंतरराष्ट्रीय स्तर पहलवान है और 2016 राष्ट्रमंडल कुश्ती चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीत लिया है।

पहलवानी का सफ़र

पाँच वर्ष के होते ही गीता फोगट के पिता ने गीता फोगट और बबीता फोगट को पहलवनी की ट्रेनिंग देने लगे। शुरुआत में पापा हमें दौड़ लगवाने के लिए खेतों में ले जाते थे। धीरे-धीरे समय निकलता गया तो अभ्यास (ट्रेनिंग) कठिन होया चला गया। महावीर फोगट लड़कों के साथ ही अपनी बेटियों को दौड़ करवाते और दांव-पैच सिखाते थे। अगर हम उनसे कोई दौड़ या दौड़ करते समय कमजोर पड़ जाते तो पापा गुस्सा भी काफी करते थे। इतनी कठिन ट्रेनिंग के कारण गीता कभी हार भी मान जाती थी। जैसे-जैसे गीता और बबीता बड़ी होने लगी तो जमाना उनका सहयोग करने के बजाय अजीब-अजीब मुंह बनाने लगा। कई बार ऐसे सोचते थे भी कि अगर हम किसी दूसरे अखाड़े या और स्टेडियम में होते तो अगर पापा जैसा कोच मिल जाए तो हम कभी भी वापस वहाँ नहीं जाते। घर ही आ जाते। कई बार तो हम को लोगों से विरोध और धमकियाँ भी मिलती थी। पर वे सभी अपने पथ पर पूर्ण विश्वास के साथ डटे रहे। उन्हीं दिनों 2000 के सिडनी ऑलिंपिक्स में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए कर्ण मल्लेश्वरी ने वेट लिफ्टिंग में भारत के लिये ब्रोंज मैडल जीती, जो ऑलिंपिक्स में किसी भी भारतीय महिला खिलाड़ी का पहला पदक था।



   अब हमें लड़कों के साथ ट्रेनिंग करना पड़ता था और 
जिसके बारे में वो आगे कहती है,


Geeta Phogat के पिता एक जुनूनी कोच थे, इसलिए वो अखाड़े की बात अपनी दोनों बेटियों के साथ खाने पर या अन्य काम करते हुए भी करते थे। जिससे वो अपने पिता से काफी परेशान हो जाती थी। जिसके बारे में हल्की मुस्कान के साथ गीता जिक्र करती है,

कोच यदि स्टेडियम या अखाड़े में होतो ट्रेनिंग टाईम में ही बोल दिया। पर पापा तो घर आने के बाद खाते-पीते फिर वहीं बात मतलब ट्रेनिंग वाली बात।

इतनी कड़ी ट्रेनिंग के बाद गीता और बबीता को बड़े-बड़े अखाड़े में कुश्ती के मुक़ाबले के लिए ले जाने लगे। पर पुरुषवादी खेल के लोगों ने उनका साथ नहीं दिया और उन्हें बेटियों को ना खिलाने की हिदायत भी दे डाली। पर वे रुकें नहीं।

बल्कि वे अपनी बेटियों को आगे की ट्रेनिंग के लिए स्पोर्ट्स ऑथोरीटी ऑफ इंडिया में दाखिला दिला दिया। बचपन में मिट्टी में खूब पसीना बहाने वाली गीता और बबीता में वहाँ के कोचों को जल्द ही टैलेंट दिखा और उन्हें आधुनिक ट्रेनिंग देने लगे।

जीत का सफर

जिसका सुनहला परिणाम 2009 में आया, जब गीता ने इतिहास रचते हुए जलंधर कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीती, जो ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान थी।

इसी तरह 2010 के न्यू दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स में लगातार सोने का तमगा जीतकर गीता फोगत ने यह साबित कर दिया। यदि किसी टार्गेट के लिए जी-तोड़ मेहनत किया जाए तो जमाना भी आपके आड़े नहीं आ सकता।

अब उनके जीत का यह आलम था कि वो 2012 के वर्ल्ड रेस्टलिंग चैंपियशिप में ब्रोंज मैडल, 2013 के कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मैडल और 2015 के एशियन चैंपियनशिप में ब्रोंज मैडल जीती।

18 अक्तूबर 2016, मंगलवार को हरियाणा कैबिनेट की मंजूर पर गीता फोगट के अंतर्राष्ट्रीय खेलों योगदान के बदले हरियाणा पुलिस का डिप्टी सुपरिनटेंडेंट बनाया गया। Quick Fact

Name – Geeta Phogat Date of birth – 15 December 1988 Age – 27 Years (2016) Birth of place – Balali Village, Haryana Weight – 55 KG Family

Father – Mahavir Singh Phogat Mother – Daya Kaur Sister – Babita, Sangita, Ritu Brother – Dushyant Cousin – Vinesh Phogat Husband – Pawan Kumar