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कालेश्वर राव ने [[मद्रास]] मेंं अपनी शिक्षा पूर्ण की और तभी से सार्वजनिक कार्यों में भी रूचि लेने लगे। उन्होंने '[[बंग भंग|बंग-भंग]]' का विरोध किया। [[1920]] मे जब [[गांधीजी]] ने [[असहयोग आंदोलन]] आरम्भ किया तो कलेश्वर राव ने अपनी चलती वकालत छोड दी थी। वे आंध्र प्रदेश मेंं स्वदेशी का प्रचार करने वाले प्रमुख व्यक्ति थे। [[1925]] मेंं जब वे विजयवाड़ा नगरपालिका के अध्यक्ष चुने गये तो सरकारी अधिकारी कि परवाह किए बिना उन्होंंने शिक्षा संस्थाओं में [[राष्ट्रगान]], [[चर्खा]] चलाना और [[हिन्दी]] पढ़ना अनिर्वाय कर दिया था। [[नमक सत्याग्रह]] और ‘[[भारत छोड़ो आंदोलन]]' में भाग लेने के कारण कालेश्वर राव ने लंबे समय तक जेल की यातनाएँ सहीं। | |||
[[1920]] मे जब [[गांधीजी]] ने [[असहयोग आंदोलन]] आरम्भ किया तो कलेश्वर राव ने अपनी चलती वकालत छोड दी थी। वे आंध्र प्रदेश मेंं स्वदेशी का प्रचार करने वाले प्रमुख व्यक्ति थे। [[1925]] मेंं जब वे | ==विधान सभा अध्यक्ष== | ||
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*जब अलग राज्य बन गया तो कालेश्वर राव को आंध्र की [[विधान सभा]] का [[अध्यक्ष]] बनाया गया। | *जब अलग राज्य बन गया तो कालेश्वर राव को आंध्र की [[विधान सभा]] का [[अध्यक्ष]] बनाया गया। | ||
==कुशल वक्ता और लेखक== | ==कुशल वक्ता और लेखक== | ||
कालेश्वर राव कुशल वक्ता और अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने विभिन्न देशों के राष्ट्रीय और क्रांतिकरी आंदोलन पर अनेक पुस्तकें लिखीं। उनकी लिखी | कालेश्वर राव कुशल वक्ता और अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने विभिन्न देशों के राष्ट्रीय और क्रांतिकरी आंदोलन पर अनेक पुस्तकें लिखीं। उनकी लिखी आत्मकथा भी बहुत प्रसिद्ध हुई। बचपन से ही [[ब्रह्म समाज]] के विचरों के संपर्क के कारण उनका दृष्टिकोण बहुत उदार था। | ||
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[[1962]] ई. में कालेश्वर राव का देहान्त हो गया। | [[1962]] ई. में कालेश्वर राव का देहान्त हो गया। |
10:13, 4 सितम्बर 2016 का अवतरण
कालेश्वर राव (अंग्रेज़ी: Kaleshwar Rao, जन्म- 1881, कृष्णा ज़िला, आंध्र प्रदेश) प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ, स्वतंत्रत सेनानी और आंध्र प्रदेश राज्य विधान सभा के पहले वक्ता थे।
क्रांतिकारी जीवन
कालेश्वर राव ने मद्रास मेंं अपनी शिक्षा पूर्ण की और तभी से सार्वजनिक कार्यों में भी रूचि लेने लगे। उन्होंने 'बंग-भंग' का विरोध किया। 1920 मे जब गांधीजी ने असहयोग आंदोलन आरम्भ किया तो कलेश्वर राव ने अपनी चलती वकालत छोड दी थी। वे आंध्र प्रदेश मेंं स्वदेशी का प्रचार करने वाले प्रमुख व्यक्ति थे। 1925 मेंं जब वे विजयवाड़ा नगरपालिका के अध्यक्ष चुने गये तो सरकारी अधिकारी कि परवाह किए बिना उन्होंंने शिक्षा संस्थाओं में राष्ट्रगान, चर्खा चलाना और हिन्दी पढ़ना अनिर्वाय कर दिया था। नमक सत्याग्रह और ‘भारत छोड़ो आंदोलन' में भाग लेने के कारण कालेश्वर राव ने लंबे समय तक जेल की यातनाएँ सहीं।
विधान सभा अध्यक्ष
- 1937 की प्रथम सरकार में कालेश्वर राव कांग्रेस पार्टी के चीफ़ विहप थे।
- अलग आंध्र प्रदेश के निर्माण के आंदोलन में भी कालेश्वर राव का प्रमुख योगदान था।
- जब अलग राज्य बन गया तो कालेश्वर राव को आंध्र की विधान सभा का अध्यक्ष बनाया गया।
कुशल वक्ता और लेखक
कालेश्वर राव कुशल वक्ता और अच्छे लेखक भी थे। उन्होंने विभिन्न देशों के राष्ट्रीय और क्रांतिकरी आंदोलन पर अनेक पुस्तकें लिखीं। उनकी लिखी आत्मकथा भी बहुत प्रसिद्ध हुई। बचपन से ही ब्रह्म समाज के विचरों के संपर्क के कारण उनका दृष्टिकोण बहुत उदार था।
देहान्त
1962 ई. में कालेश्वर राव का देहान्त हो गया।