"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/4": अवतरणों में अंतर

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
यहाँ जाएँ:नेविगेशन, खोजें
No edit summary
(पन्ने को खाली किया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
==राजनीति सामान्य ज्ञान==
{| class="bharattable-green" width="100%"
|-
| valign="top"|
{| width="100%"
|
<quiz display=simple>
{संसदीय सरकार में मंत्री अपने त्यागपत्र में किसे सम्बोधित करते हैं?
|type="()"}
-[[प्रधानमंत्री]]
+[[राष्ट्रपति]]
-[[उपराष्ट्रपति]]
-सभापति
||[[चित्र:Dr.Rajendra-Prasad.jpg|right|100px|डॉ. राजेन्द्र प्रसाद]][[भारत]] के 'राष्ट्रपति' राष्ट्रप्रमुख और भारत के प्रथम नागरिक होने के साथ ही [[भारतीय सशस्त्र सेना|भारतीय सशस्त्र सेनाओं]] के प्रमुख सेनापति भी होते हैं। [[राष्ट्रपति]] के पास पर्याप्त शक्ति होती है, पर कुछ अपवादों के अलावा राष्ट्रपति के पद में निहित अधिकांश अधिकार वास्तव में [[प्रधानमंत्री]] की अध्यक्षता वाले मंत्रिपरिषद के द्वारा उपयोग किए जाते हैं। भारत के राष्ट्रपति [[नई दिल्ली]] स्थित '[[राष्ट्रपति भवन]]' में रहते हैं, जिसे 'रायसीना हिल' के नाम से भी जाना जाता है। राष्ट्रपति अधिकतम दो कार्यकाल तक ही पद पर रह सकते हैं। [[संविधान]] द्वारा राष्ट्रपति को यह विशेषाधिकार दिया गया है कि वह अपने पद के किसी कर्तव्य के निर्वहन तथा शक्तियों के प्रयोग में किये जाने वाले किसी कार्य के लिए न्यायालय के प्रति उत्तरदायी नहीं होगा।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राष्ट्रपति]]


{अध्यक्षात्मक शासन प्रणाली में [[राष्ट्रपति]] कैसे पदमुक्त होता है?
|type="()"}
-[[संसद]] के उच्च सदन द्वारा
-सर्वोच्च न्यायालय द्वारा
+महाभियोग द्वारा
-उपरोक्त में से कोई नहीं
||[[चित्र:Bhairosingh-Shekhawat.jpg|right|100px|राष्ट्रपति]][[भारत]] के [[राष्ट्रपति]] का चुनाव 'अप्रत्यक्ष निर्वाचन' के द्वारा किया जाता है। राष्ट्रपति पद के निर्वाचन में अभ्यर्थी होने के लिए आवश्यक है कि कोई व्यक्ति निर्वाचन के लिए अपना नामांकन करते समय 15,000 रुपये की ज़मानत धनराशि निर्वाचन अधिकारी के समक्ष जमा करे। उसके नामांकन पत्र का प्रस्ताव कम से कम 50 मतदाताओं के द्वारा तथा इतने ही मतदाताओं द्वारा उसके नामांकन पत्र का समर्थन भी किया जाना चाहिए। अनुच्छेद 56 के अनुसार राष्ट्रपति अपने पदग्रहण की तिथि से पाँच वर्ष की अवधि तक अपने पद पर बना रहता है, लेकिन इस पाँच वर्ष की अवधि के पूर्व भी वह [[उपराष्ट्रपति]] को अपना त्यागपत्र दे सकता है या उसे पाँच वर्ष की अवधि के पूर्व [[संविधान]] के उल्लंघन के लिए [[संसद]] द्वारा लगाये गये 'महाभियोग' द्वारा हटाया जा सकता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[राष्ट्रपति]], [[संविधान]]
{'द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम' का सूत्रपात किसने किया था?
|type="()"}
-[[ममता बनर्जी]]
+[[सी. एन. अन्नादुराई]]
-[[जयललिता]]
-एम. करूणानिधि
||[[चित्र:C-N-Annadurai.jpg|right|100px|सी. एन. अन्नादुराई]]'कान्जीवरम नटराजन अन्नादुराई' [[तमिलनाडु]] की राजनीति में काफ़ी महत्त्वपूर्ण प्रभाव रखते थे। उन्हें 'अन्ना' अर्थात 'बड़ा भाई' कहकर सम्बोधित किया जाता था। सी. एन. अन्नादुराई तमिलनाडु के लोकप्रिय नेता, [[भारत]] के प्रथम गैर कांग्रेसी [[मुख्यमंत्री]] एवं 'द्रविड़ मुन्नेत्र कड़गम' दल के संस्थापक थे। [[तम्बाकू]] से रचे दाँत, खूँटीदार दाढ़ी और लुभावनी शुष्क आवाज़ वाले अन्नादुराई के साथ आधुनिक तमिलनाडु की कहानी जुड़ी हुई है। अन्नादुराई भारतीय राजनीति के कभी भी खिलाफ़ नहीं रहे, किन्तु उन्होंने '[[भारतीय संविधान]]' में अपने राज्य के लिए अधिक स्वायत्तता चाही। वे राजकाज में क्षेत्रीय भाषा के प्रयोग के पक्षपाती थे। इन्होंने अपने प्रदेश में [[तमिल भाषा]] के प्रयोग को पर्याप्त प्रोत्साहन दिया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सी. एन. अन्नादुराई]]
{[[भारत]] में दल विहीन जनतंत्र का पक्ष पोषण सबसे पहले किसने किया था?
|type="()"}
-[[जयप्रकाश नारायण]]
+[[एम. एन. राय]]
-[[महात्मा गाँधी]]
-[[दयानन्द सरस्वती]]
||[[चित्र:Manvendra-Nath-Roy.jpg|right|100px|मानवेन्द्र नाथ राय]]'मानवेन्द्र नाथ राय' वर्तमान शताब्दी के भारतीय दार्शनिकों में क्रान्तिकारी विचारक तथा मानवतावाद के प्रबल समर्थक थे। इनका भारतीय दर्शनशास्त्र में भी बहुत महत्त्वपूर्ण स्थान रहा। [[मानवेन्द्र नाथ राय]] ने [[भारतीय स्वतंत्रता संग्राम|स्वतंत्रता संग्राम]] के दौरान क्रांतिकारी संगठनों को विदेशों से धन व हथियारों की तस्करी में सहयोग दिया था। सन [[1912]] ई. में वे 'हावड़ा षड़यंत्र केस' में गिरफतार भी कर लिये गए थे। इन्होंने [[भारत]] में '[[भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी|कम्युनिस्ट पार्टी]]' की स्थापना में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया था। सन [[1922]] ई. में बर्लिन से 'द लैंगार्ड ऑफ़ इण्डियन इण्डिपेंडेंन्स' नामक [[समाचार पत्र]] भी इन्होंने निकाला। 'कानपुर षड़यंत्र केस' में उन्हें छह वर्ष की सज़ा हुई थी। राय मनुष्य की व्यक्तिगत स्वतंत्रता को विशेष महत्त्व देते थे, क्योंकि उनके विचार में इस स्वतंत्रता के बिना व्यक्ति वास्तव में सुखी नहीं हो सकता।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मानवेन्द्र नाथ राय]]
{भारत की आज़ादी से पूर्व [[कांग्रेस]] का विभाजन किस वर्ष हुआ?
|type="()"}
+[[1941]]
-[[1945]]
-[[1940]]
-[[1942]]
||[[चित्र:INC-Flag.jpg|right|100px|भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का ध्वज ]]'[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]' की स्थापना [[28 दिसम्बर]], [[1885]] ई. में दोपहर बारह बजे [[बम्बई]] में 'गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कॉलेज' के भवन में की गई थी। इसके संस्थापक 'आक्टेवियन ह्यूम' और प्रथम अध्यक्ष [[व्योमेश चन्‍द्र बनर्जी]] बनाये गए थे। 'भारतीय राष्ट्रीय संघ' (कांग्रेस की पूर्वगामी संस्था) की स्थापना का विचार सर्वप्रथम [[लॉर्ड डफ़रिन]] के दिमाग में आया था। [[कांग्रेस]] के प्रथम अधिवेशन में [[सुरेन्द्रनाथ बनर्जी]] ने हिस्सा नहीं लिया। [[1916]] ई. में [[लाला लाजपत राय]] ने 'यंग इण्डिया' में एक लेख में लिखा- "कांग्रेस लॉर्ड डफ़रिन के दिमाग की उपज है।" [[भारत]] की आज़ादी से पूर्व [[1941]] तक कांग्रेस पार्टी थोड़ी उभर चुकी थी। लेकिन वह दो खेमों में विभाजित हो गई, जिसमें एक खेमे के समर्थक [[बाल गंगाधर तिलक]] और दुसरे खेमे में [[मोतीलाल नेहरू]] थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस]]
{'असम गण परिषद दल' किस राज्य विशेष से सम्बन्धित है?
|type="()"}
-[[उड़ीसा]]
-[[मणिपुर]]
+[[असम]]
-[[कर्नाटक]]
||[[चित्र:View-Of-Assam.jpg|right|100px|असम में चाय का बाग़]]'असम' या 'आसाम' उत्तर [[पूर्वी भारत]] में एक राज्य है। [[असम]] अन्य उत्तर पूर्वी भारतीय राज्यों से घिरा हुआ है। यह भारत का एक सरहदी राज्य है। [[भारत]]-[[भूटान]] और [[भारत]]-[[बांग्लादेश]] सरहद कुछ हिस्सों में असम से जुडी हुई है। समग्र पूर्वोत्तर क्षेत्र में असम की अर्थव्‍यवस्‍था सबसे बडी अर्थव्‍यवस्‍था है। यह मुख्‍यतया [[कृषि]] और संबद्ध कार्यकलापों में लगी हुई है। इसकी भारत में [[ब्रह्मपुत्र नदी|ब्रह्मपुत्र]] की घाटी के साथ-साथ सबसे अधिक उर्वर भूमि फैली हुई है, जो कि वाणिज्यिक आधार पर विविध न‍कदी फसलों और खाद्य फसलों की पैदावार के लिए उपयुक्‍त है। राज्य की प्रमुख बाग़वानी फ़सलें [[संतरा]], [[केला]], [[अनन्नास]], सुपारी, [[नारियल]], [[अमरुद]], [[आम]], कटहल और [[नीबू]] आदि हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[असम]]
{संसदीय प्रणाली में सर्वोच्च स्थिति किसकी होती है?
|type="()"}
-[[प्रधानमंत्री]]
-मंत्रिमण्डल
-न्यायपालिका
+[[संसद]]
||[[चित्र:Sansad-Bhavan-2.jpg|right|100px|संसद भवन, नई दिल्ली]][[भारत]] में संसदात्मक शासन प्रणाली स्वीकार की गई है। अत: [[संसद]] की सर्वोच्चता भारतीय शासन की प्रमुख विशेषता है। संसद को 'विधायिका' अथवा 'व्यवस्थापिका' नाम से भी जाना जाता है। [[राष्ट्रपति]] अनुच्छेद 85 के तहत संसद के दोनों सदनों का सत्र बुला सकता है, दोनों सदनों का सत्रावसान कर सकता है तथा [[लोकसभा]] का विघटन कर सकता है। [[संविधान]] के द्वारा राष्ट्रपति पर यह कर्तव्य अधिरोपित किया गया है कि वह संसद के दोनों सदनों को ऐसे अंतराल पर आहूत करेगा कि एक सत्र की अंतिम बैठक और उसके बाद की पहली बैठक के लिए नियत तिथि के बीच छह मास का अन्तराल नहीं होना चाहिए।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[संसद]]
{'[[जनता दल]]' की स्थापना किसके नेतृत्व में की गई थी?
|type="()"}
-[[लालू प्रसाद यादव]]
+[[विश्वनाथ प्रताप सिंह]]
-रामविलास पासवान
-उपरोक्त में से कोई नहीं
||[[चित्र:V-P-Singh.jpg|right|100px|विश्वनाथ प्रताप सिंह]]'विश्वनाथ प्रताप सिंह' [[भारत]] के आठवें [[प्रधानमंत्री]] थे। [[राजीव गांधी]] की सरकार के पतन का कारण बने [[विश्वनाथ प्रताप सिंह]] ने आम चुनाव के माध्यम से [[2 दिसम्बर]], [[1989]] को प्रधानमंत्री पद प्राप्त किया था। वे बेहद महत्त्वाकांक्षी तो थे ही, इसके साथ ही एक कुटिल राजनीतिज्ञ भी कहे जाते थे। [[वर्ष]] [[1957]] में विश्वनाथ प्रताप सिंह ने '[[भूदान आन्दोलन]]' में सक्रिय भूमिका निभाई थी। उन्होंने अपनी ज़मीनें भी दान में दे दीं। इसके लिए पारिवारिक विवाद भी हुआ, जो न्यायालय तक जा पहुँचा था। सिंह [[इलाहाबाद]] की 'अखिल भारतीय कांग्रेस समिति' के अधिशासी प्रकोष्ठ के सदस्य भी रहे थे। राजनीति के अतिरिक्त इन्हें [[कविता]] और पेटिंग का भी बहुत शौक़ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[विश्वनाथ प्रताप सिंह]]
{किस वर्ष 'रक्षा विभाग' का नाम '[[रक्षा मंत्रालय]]' किया गया था?
|type="()"}
-[[1940]]
+[[1947]]
-[[1950]]
-[[1955]]
||[[चित्र:Fighter-Aircrafts.jpg|right|100px|भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमान]]'[[रक्षा मंत्रालय]]' का प्रमुख कार्य है- 'रक्षा और सुरक्षा संबंधी मामलों पर नीति निर्देश बनाना और उनके कार्यान्वयन के लिए उन्हें सुरक्षा बलों के मुख्यालयों, अंतर सेना संगठनों, रक्षा उत्पाद प्रतिष्ठानों और अनुसंधान व विकास संगठनों तक पहुँचाना।' सरकार के नीति निर्देशों को प्रभावी ढंग से तथा आवंटित संसाधनों को ध्यान में रखकर उन्हें कार्यान्वित करना भी [[रक्षा मंत्रालय]] काम है। [[भारतीय सशस्त्र सेना|भारतीय सशस्त्र सेनाओं]] की कमान [[राष्ट्रपति]] के पास और देश की रक्षा की जिम्मेदारी मंत्रिमंडल के पास है। यह कार्य रक्षा मंत्रालय द्वारा होता है, जो देश में रक्षा के संदर्भ में नीतिगत ढांचे और सशस्त्र बलों को जिम्मेदारियाँ प्रदान करता है। रक्षामंत्री रक्षा मंत्रालय का प्रमुख होता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[रक्षा मंत्रालय]]
</quiz>
|}
|}
__NOTOC__

09:59, 16 नवम्बर 2013 का अवतरण