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सरहद पे मरने वाला
सरहद पे मरने वाला
हर वीर था भारतवासी
हर वीर था भारतवासी
जो खून गिरा पर्वत पर
जो ख़ून गिरा पर्वत पर
वो खून था हिन्दुस्तानी
वो ख़ून था हिन्दुस्तानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो कुर्बानी
ज़रा याद करो कुर्बानी


थी खून से लथ-पथ काया
थी ख़ून से लथ-पथ काया
फिर भी बन्दूक उठाके
फिर भी बन्दूक उठाके
दस-दस को एक ने मारा
दस-दस को एक ने मारा

13:54, 31 जुलाई 2014 का अवतरण

संक्षिप्त परिचय

ऐ मेरे वतन के लोगों
तुम खूब लगा लो नारा
ये शुभ दिन है हम सब का
लहरा लो तिरंगा प्यारा
पर मत भूलो सीमा पर
वीरों ने है प्राण गँवाए
कुछ याद उन्हें भी कर लो -2
जो लौट के घर न आए -2

ऐ मेरे वतन के लोगों
ज़रा आँख में भर लो पानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो कुर्बानी

जब घायल हुआ हिमालय
खतरे में पड़ी आज़ादी
जब तक थी साँस लड़े वो
फिर अपनी लाश बिछा दी
संगीन पे धर कर माथा
सो गए अमर बलिदानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो कुर्बानी

जब देश में थी दिवाली
वो खेल रहे थे होली
जब हम बैठे थे घरों में
वो झेल रहे थे गोली
थे धन्य जवान वो अपने
थी धन्य वो उनकी जवानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो कुर्बानी

कोई सिख कोई जाट मराठा
कोई गुरखा कोई मदरासी
सरहद पे मरने वाला
हर वीर था भारतवासी
जो ख़ून गिरा पर्वत पर
वो ख़ून था हिन्दुस्तानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो कुर्बानी

थी ख़ून से लथ-पथ काया
फिर भी बन्दूक उठाके
दस-दस को एक ने मारा
फिर गिर गए होश गँवा के
जब अंत-समय आया तो
कह गए के अब मरते हैं
खुश रहना देश के प्यारों
अब हम तो सफर करते हैं
क्या लोग थे वो दीवाने
क्या लोग थे वो अभिमानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो कुर्बानी

तुम भूल न जाओ उनको
इस लिए कही ये कहानी
जो शहीद हुए हैं उनकी
ज़रा याद करो कुर्बानी

जय हिंद जय हिंद की सेना -2
जय हिंद, जय हिंद, जय हिंद

टीका टिप्पणी और संदर्भ

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