"सदस्य:रविन्द्र प्रसाद/2": अवतरणों में अंतर
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||[[चित्र:Dr.Bhimrao-Ambedkar.jpg|right|100px|भीमराव अम्बेडकर]]भीमराव अम्बेडकर एक बहुजन राजनीतिक नेता, और एक [[बौद्ध]] पुनरुत्थानवादी भी थे। उन्हें 'बाबा साहेब' के नाम से भी जाना जाता है। अम्बेडकर ने अपना सारा जीवन [[हिन्दू धर्म]] की चतुवर्ण प्रणाली, और भारतीय समाज में सर्वत्र व्याप्त जाति व्यवस्था के विरुद्ध संघर्ष में बिता दिया। अपनी महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों तथा देश की अमूल्य सेवा के फलस्वरूप [[भीमराव अम्बेडकर]] को 'आधुनिक युग का मनु' कहकर सम्मानित किया गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीमराव अम्बेडकर]] | ||[[चित्र:Dr.Bhimrao-Ambedkar.jpg|right|100px|भीमराव अम्बेडकर]]भीमराव अम्बेडकर एक बहुजन राजनीतिक नेता, और एक [[बौद्ध]] पुनरुत्थानवादी भी थे। उन्हें 'बाबा साहेब' के नाम से भी जाना जाता है। अम्बेडकर ने अपना सारा जीवन [[हिन्दू धर्म]] की चतुवर्ण प्रणाली, और भारतीय समाज में सर्वत्र व्याप्त जाति व्यवस्था के विरुद्ध संघर्ष में बिता दिया। अपनी महत्त्वपूर्ण उपलब्धियों तथा देश की अमूल्य सेवा के फलस्वरूप [[भीमराव अम्बेडकर]] को 'आधुनिक युग का मनु' कहकर सम्मानित किया गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीमराव अम्बेडकर]] | ||
{ | {[[रंगपुर (गुजरात)|रंगपुर]], जहाँ [[हड़प्पा]] की समकालीन सभ्यता थी, कहाँ पर है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[ | -[[पंजाब]] में | ||
-[[ | -[[उत्तर प्रदेश]] में | ||
+[[ | +[[सौराष्ट्र]] में | ||
-[[ | -[[राजस्थान]] में | ||
||[[ | ||सौराष्ट्र (आधुनिक [[काठियावाड़]]) प्राय:द्वीप में भादर नदी के समीप स्थित '[[रंगपुर (गुजरात)|रंगपुर]]' की खुदाई 1953-1954 ई. में 'ए. रंगनाथ राव' द्वारा की गई थी। यहाँ पर पूर्व [[हड़प्पा]] कालीन संस्कृति के अवशेष मिले हैं। यहाँ मिले कच्ची ईटों के दुर्ग, नालियाँ, मृदभांड, बाँट, पत्थर के फलक आदि महत्त्वपूर्ण हैं। यहाँ धान की भूसी के ढेर मिले हैं। यहाँ उत्तरोत्तर [[हड़प्पा संस्कृति]] के भी साक्ष्य पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सौराष्ट्र]] | ||
{1857 ई. की क्रान्ति का चिह्न क्या निश्चित किया गया था? | {1857 ई. की क्रान्ति का चिह्न क्या निश्चित किया गया था? | ||
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-क्योंकि वेदों की रचना [[ब्रह्मा]] द्वारा की गई है। | -क्योंकि वेदों की रचना [[ब्रह्मा]] द्वारा की गई है। | ||
{[[ | {1857 ई. के विद्रोह की असफलता के बाद [[मुग़ल]] बादशाह [[बहादुरशाह द्वितीय|बहादुरशाह जफ़र द्वितीय]] को कहाँ निर्वासित कर दिया गया? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-[[ | -[[सिंगापुर]] | ||
-[[ | -[[नेपाल]] | ||
+[[ | +[[रंगून]] | ||
-[[ | -[[बर्मा]] | ||
|| | ||[[चित्र:Bahadur-Shah-II.jpg|right|80px|]]1857 ई. में [[प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम|स्वतंत्रता संग्राम]] शुरू होने के समय [[बहादुरशाह द्वितीय]] 82 वर्ष के बूढे थे, और स्वयं निर्णय लेने की क्षमता खो चुके थे। संग्रामकारियों ने उनको आज़ाद हिन्दुस्तान का बादशाह बनाया। इस कारण [[अंग्रेज़]] उनसे कुपित हो गये और उन्होंने उनसे शत्रुवत् व्यवहार किया। सितम्बर 1857 ई. में अंग्रेज़ों ने दुबारा [[दिल्ली]] पर क़ब्ज़ा जमा लिया और बहादुरशाह द्वितीय को गिरफ़्तार करके उन पर मुक़दमा चलाया गया तथा उन्हें [[रंगून]] निर्वासित कर दिया गया।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बहादुरशाह द्वितीय|बहादुरशाह जफ़र द्वितीय]] | ||
{[[ऋग्वेद]] का कौन-सा मंडल पूर्णत: [[सोम देव|सोम]] को समर्पित है? | {[[ऋग्वेद]] का कौन-सा मंडल पूर्णत: [[सोम देव|सोम]] को समर्पित है? | ||
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-[[रोपड़]] | -[[रोपड़]] | ||
+[[लोथल]] | +[[लोथल]] | ||
||[[चित्र:Lothal-8.jpg|right| | ||[[चित्र:Lothal-8.jpg|right|120px|लोथल के पुरातत्त्व स्थल]]लोथल [[गुजरात]] के [[अहमदाबाद]] ज़िले में 'भोगावा नदी' के किनारे 'सरगवाला' नामक ग्राम के समीप स्थित है। यहाँ से उत्तर अवस्था की एक अग्निवेदी मिली है। नाव के आकार की दो मुहरें तथा लकड़ी का अन्नागार मिला है। अन्न पीसने की चक्की, [[हाथी]] दांत तथा पीस का पैमाना मिला है। यहाँ से एक छोटा-सा दिशा मापक यंत्र भी मिला है। [[तांबा|तांबे]] का पक्षी, बैल, खरगोश व कुत्ते की आकृतियाँ भी प्राप्त हुई हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[लोथल]] | ||
{323 ई.पू. में [[सिकन्दर]] की मृत्यु कहाँ पर हुई थी? | {323 ई.पू. में [[सिकन्दर]] की मृत्यु कहाँ पर हुई थी? | ||
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+[[वल्लभ भाई पटेल]] | +[[वल्लभ भाई पटेल]] | ||
-[[जमनालाल बजाज]] | -[[जमनालाल बजाज]] | ||
||[[चित्र:Sardar-Vallabh-Bhai-Patel.jpg|right| | ||[[चित्र:Sardar-Vallabh-Bhai-Patel.jpg|right|80px|वल्लभ भाई पटेल]]1928 ई. में [[वल्लभ भाई पटेल]] ने बढ़े हुए करों के ख़िलाफ़ बारदोली के भूमिपतियों के संघर्ष का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया। [[बारदोली सत्याग्रह]] के कुशल नेतृत्व के कारण उन्हें 'सरदार' की उपाधि मिली और उसके बाद देश भर में राष्ट्रवादी नेता के रूप में उनकी पहचान बन गई। उन्हें व्यावहारिक, निर्णायक और यहाँ तक की कठोर भी माना जाता था तथा [[अंग्रेज़]] उन्हें एक ख़तरनाक शत्रु मानते थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बारदोली सत्याग्रह]] | ||
{निम्न में से कौन [[बुद्ध]] के गृहत्याग का प्रतीक है? | {निम्न में से कौन [[बुद्ध]] के गृहत्याग का प्रतीक है? |
08:30, 23 दिसम्बर 2011 का अवतरण
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