"प्रयोग:गोविन्द 5": अवतरणों में अंतर
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* अंडा सिखावे बच्चे को चीं-चीं मत कर | * अंडा सिखावे बच्चे को चीं-चीं मत कर | ||
* अंडे सेवे कोई, बच्चे लेवे कोई | * अंडे सेवे कोई, बच्चे लेवे कोई | ||
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* अपना मकान कोट (क़िले) समान। | * अपना मकान कोट (क़िले) समान। | ||
* अपना रख पराया चख। | * अपना रख पराया चख। | ||
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* अपना लाल गँवाय के दर दर माँगे भीख। | * अपना लाल गँवाय के दर दर माँगे भीख। | ||
* अपना सा मुँह लेकर रह जाना। | * अपना सा मुँह लेकर रह जाना। | ||
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* असुनी नलिया अन्त विनासै।गली रेवती जल को नासै।। <br /> | * असुनी नलिया अन्त विनासै।गली रेवती जल को नासै।। <br /> | ||
भरनी नासै तृनौ सहूतो।कृतिका बरसै अन्त बहूतो।। | भरनी नासै तृनौ सहूतो।कृतिका बरसै अन्त बहूतो।। | ||
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08:36, 23 मई 2011 का अवतरण
कहावत लोकोक्ति मुहावरे वर्णमाला क्रमानुसार खोजें
टके सेर भाजी टके सेर खाजा।
तो भाखैं यों भड्डरी, उपजै नाज बहूत।।
दास मलूका कह गए सब के दाता राम॥
तुलसी अति नीचे सुखद उंख अन्न असपान।।
चँदा ऊगै दूज को सुख से नरा अघाहि।।
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क्वार जोतो घर का बैल, तब ऊंचे उनहारे।।
चन्दा निकले बादर फोड़। साढ़े तीन मास वर्षा का जोग।।
तो भड्डरी जोसी कहैं, होवे परम अनन्द।।
भरनी नासै तृनौ सहूतो।कृतिका बरसै अन्त बहूतो।। |